असहमति और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¿à¤°à¥‹à¤§ में अनà¥à¤¤à¤°
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Rajeev ChoudharyDate
05-Sep-2018Category
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05-Sep-2018Download PDF
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पिछले दिनों खबर थी कि देश के 44 जिलों को नकà¥à¤¸à¤²à¥€ हिंसा मà¥à¤•à¥à¤¤ घोषित कर दिया गया। जंगली इलाकों में नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ की कमर टूट चà¥à¤•à¥€ है और अब वहां सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¬à¤² पूरी तरह से हावी है। अब अगला नंबर शहरी नकà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का आà¤à¤—ा। इसके बाद पिछले वरà¥à¤· à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव में हिंसा और पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ की हतà¥à¤¯à¤¾ की साजिश के आरोप में पिछले दिनों पà¥à¤£à¥‡ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने पांच वामपंथी विचारकों और मानवाधिकार कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को देश के अलग-अलग हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ से गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया है। इन वामपंथी विचारकों में कवि वरवर राव, वकील सà¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ, मानवाधिकार कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ अरà¥à¤£ फरेरा, गौतम नवलखा और वरनॉन गोंजालà¥à¤µà¤¿à¤¸ शामिल है। इन सà¤à¥€ की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देश के अलग-अलग शहरों से हà¥à¤ˆ हैं। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ का कहना है कि जाति आधारित हिंसा की à¤à¤• घटना और माओवादियों से संबंधों के चलते इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया गया है।
धरà¥à¤® को अफीम और सतà¥à¤¤à¤¾ की कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€, बनà¥à¤¦à¥‚क की गोली से लेने का नारे लगाने वाले इन सà¤à¥€ कारà¥à¤²à¤®à¤¾à¤°à¥à¤•à¥à¤¸ के दतà¥à¤¤à¤•à¤ªà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ से देश में अजीब सा शोर मचा है। हालाà¤à¤•à¤¿ शोर मचाने वाले वही लोग हैं जो दादरी में अखलाक की हतà¥à¤¯à¤¾ के विरोध में à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार को अपने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° लौटाकर देश में असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ फैलने का खतरा जता रहे थे। लेकिन इस बार इन गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ को सरकार की तानाशाही, अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का हनन और कलम पर हमला बताया जा रहा है, जबकि मीडिया के अनेक सूतà¥à¤° इसे शहरी नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ से जोड़कर देख रहे हैं।
असल में लोगों को à¤à¥à¤°à¤® है कि वामपंथ की खदान से सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¤¿à¤¨, माओ जैसे खूंखार दरिनà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का निकलना बंद हो गया है। किनà¥à¤¤à¥ नकà¥à¤¸à¤²à¥€ जब किसी घटना को अंजाम देते हैं तो यह साबित हो जाता है कि जब तक यह वीà¤à¤¤à¥à¤¸ विचारधारा जीवित है, तब तक इसके गरà¥à¤ से हिंसा के दानव पैदा होते रहेंगे। अनेक लोग सोचते हैं कि देश के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में जंगलों में अनपà¥, आदिवासी नकà¥à¤¸à¤²à¥€ रहते हैं जो घात लगाकर हमारी सेना पर हमला करते हैं। लेकिन कितने लोग à¤à¤¸à¥‡ होंगे जो यह सोचते है कि आखिर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥‡ हमलों के लिठकौन लोग पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करते हैं? बहà¥à¤¤ कम लोगों को यह पता होगा कि नकà¥à¤¸à¤²à¥€ सिरà¥à¤« जंगलों में नहीं रहते। कà¥à¤› नकà¥à¤¸à¤²à¥€ जंगलों में रहते हैं और बाकी उनकी मदद के लिठशहरों में फैले हà¥à¤ हैं ये शहरी नकà¥à¤¸à¤²à¥€ आमतौर मानवाधिकार या सामाजिक कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° या फिर कॉलेज पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° के à¤à¥‡à¤· में रहते हैं। ये जंगल में रह रहे अपने साथियों को आरà¥à¤¥à¤¿à¤• मदद से लेकर हथियार तक पहà¥à¤‚चाने में मदद करते हैं।
दरअसल, मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦-लेनिनवाद वैचारिक शराब की वह बोतल है जिसे पीकर अचà¥à¤›à¥‡-अचà¥à¤›à¥‡ लोग à¤à¥‚म जाते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में इस विचारधारा के सबसे बड़े अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ शहरी वामपंथी और जंगल में रहने वाले उनके शिषà¥à¤¯ नकà¥à¤¸à¤²à¥€ हैं, जो यह सोचते हैं कि वामपंथ की विचारधारा ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की सबसे बड़ी कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति है। इसमें कई राजनीतिक दल हैं। इनके अलावा देश में कई लोग à¤à¤¸à¥‡ हैं जो इस वैचारिक नशे में à¤à¥‚मते रहते हैं। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सामाजिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और उतà¥à¤¸à¤µ बकवास और फालतू की चीजें दिखाई देती हैं।
वैचारिक रूप से कंगाल यह लोग कà¤à¥€ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से लड़ने वाले योदà¥à¤§à¤¾ बन जाते हैं तो कà¤à¥€ लोकतंतà¥à¤° बचाने और नागरिक अधिकारों के लिठआंदोलन में शामिल हो जाते हैं, सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के नाम पर मà¥à¤–र होने वाले इन लोगों को कशà¥à¤®à¥€à¤° के पतà¥à¤¥à¤°à¤¬à¤¾à¤œ मासूम दिखाई देते हैं, मानवाधिकार के नाम पर यह लोग याकूब मेनन की फांसी के विरोध में आधी रात को सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ तक खà¥à¤²à¤µà¤¾ लेते हैं। कशà¥à¤®à¥€à¤° के आतंकी इन लोगों को à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ हà¥à¤ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ दिखाई देते हैं तो कथित गौरकà¥à¤·à¤• इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिनà¥à¤¦à¥‚ तालिबानी और आतंकी दिखाई देते हैं, यह लोग कà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ बन जाते हैं तो कà¤à¥€ जानवरों की रकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गाय का घी मासांहार नजर आने लगता है, लेकिन यह लोग कà¤à¥€ बकरीद पर अपनी जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ नहीं खोलते बस इनका à¤à¤œà¥‡à¤‚डा समà¤à¤¨à¥‡ के लिठयही उदाहरण सबसे उपयà¥à¤•à¥à¤¤ है। खà¥à¤¦ को मानव अधिकारों के रकà¥à¤·à¤• बताने वाले मारà¥à¤•à¥à¤¸ के वंशजों के पीछे कई बार देश के यà¥à¤µà¤¾ खड़े हो जाते हैं लेकिन इनकी असली करतूत से कितने लोग वाकिफ हैं, 20वीं सदी में मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦-लेनिनवाद की विचारधारा पर चलने वाले इस समाजवाद ने जितना जनसंहार किया है उतने लोग तो किसी विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ और पà¥à¤°à¤²à¤¯ में à¤à¥€ नहीं मारे गà¤à¥¤
यही विचारधारा थी जिसकी वजह से चीन में करीब 65 लाख लोग मारे गये, उतà¥à¤¤à¤° कोरिया में दो लाख और रूस में तकरीबन 20 लाख लोग इसी विचारधारा के पालन-पोषण में मारे गये। कà¥à¤¯à¥‚बा और लैटिन अमेरिका में करीब डेॠलाख लोगों का वामपंथी-सरकारों ने जनसंहार किया। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤²à¥‡ ही कà¤à¥€ पूरà¥à¤£ रूप सतà¥à¤¤à¤¾ नहीं मिली लेकिन जिन-जिन राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में यह लोग सतà¥à¤¤à¤¾à¤¸à¥€à¤¨ रहे वहां के हालात कम हिंसा गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ नहीं रहे।
पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल व तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ जैसे गà¥à¥‹à¤‚ के ढहने के बाद अब à¤à¤• बार फिर यह लोग पà¥à¤°à¤–र हो चले हैं। इसलिठयह लोग देश में अलग-अलग à¤à¤¯ के माहौल खड़े किये जा रहे हैं, à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय, वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ान इनके लिठकोई मायने नहीं रखता इसके बावजूद कà¤à¥€ संविधान खतरे को बताया जाता है तो कà¤à¥€, देश के लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ इनके काम करने का तरीका देखिये अà¤à¥€ पिछले दिनों देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹ के आरोपी उमर खालिद पर दिलà¥à¤²à¥€ के कांसà¥à¤Ÿà¤¿à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚शन कà¥à¤²à¤¬ के पास ‘हमले’ की खबर आई, थी जिस तरह अचानक इस खबर का तमाशा बनाया गया यह समà¤à¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² था कि हमला पहले हà¥à¤† या हमले की खबर पहले आई। कशà¥à¤®à¥€à¤° में आतंकवाद हो या बसà¥à¤¤à¤° जैसी जगहों पर माओवाद, सब कà¥à¤› बाहर से नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ होता है। à¤à¤¨à¤œà¥€à¤“ के नाम पर बाहर से फंड लेकर उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° काम किया जाता है। नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ जिस विचारधारा पर काम करता है, उसके लिठराषà¥à¤Ÿà¥à¤° का कोई अरà¥à¤¥ नहीं होता है। सीधे-साधे à¤à¥‹à¤²à¥‡ लोगों को बरगलाकर उनके हाथों में हथियार देकर समाज में विदà¥à¤µà¥‡à¤· फैलाने का काम ये अरà¥à¤¬à¤¨ नकà¥à¤¸à¤²à¥€ करते हैं, जो देश के लिठसबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खतरनाक हैं। जो लोग इन गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ के विरोध में कह रहे हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में किसी को à¤à¥€ असहमति जताने का हक है और à¤à¤¸à¥‡ मामलों का लंबा इतिहास रहा है, जहां लोगों ने असहमति जताई तो आप à¤à¥€ जताइठलेकिन राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का विरोध कहाठजायज है?
-राजीव चौधरी
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