शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ का यह कैसा समà¥à¤®à¤¾à¤¨
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Rajeev ChoudharyDate
01-Oct-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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01-Oct-2018Download PDF
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à¤à¤• पंकà¥à¤¤à¤¿ में à¤à¤• छोटा वाकà¥à¤¯ है कि आतà¥à¤®à¤¾ अजर-अमर है। शरीर जनà¥à¤® लेता है और अंत में महायातà¥à¤°à¤¾ पर निकल जाता है। यह जीवन का à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ कटॠसतà¥à¤¯ है जिसे पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जानता है किनà¥à¤¤à¥ इसके बावजूद à¤à¥€ अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की à¤à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ है जो कहती कि पाखंड à¤à¥€ अजर है। इस अलग दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के अपने-अपने पाखंड और अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है जो परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं के नाम पर और à¤à¤¯ के आधार पर खड़े किये गये हैं। हर वरà¥à¤· आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास में पितृपकà¥à¤· à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ चरण है जिसमें आतà¥à¤®à¤¾ को तृपà¥à¤¤ करने की और पितरों को खà¥à¤¶ करने की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का कारà¥à¤¯ होता है। पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के नाम पर यह रसà¥à¤® बड़े समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से अदा की जाती है जिसे शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ कहा जाता है। इस माह में करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डी पंडित इस महाअà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो जाता है।
करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤¡à¥€ जमात का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° है कि शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ के महीने में परलोक सिधार चà¥à¤•à¥‡ पितर अपनी संतान को आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देने पृथà¥à¤µà¥€ पर आते हैं, ये अदृशà¥à¤¯ अपनी संतान या पीà¥à¥€ को देखते हैं आनंद मनाते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ पकवान खाते हैं और चले जाते हैं। ये पितर पशà¥-पकà¥à¤·à¥€ बनकर कई रूप में आते हैं पर करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डी पंडितों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अधिकांश कौवे ही बनकर आते हैं। इस मौसम में दान, बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि का बड़ा महतà¥à¤¤à¥à¤µ बताया जाता है। आजकल कà¥à¤› लोग अपने पितà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को खà¥à¤¶ करने के लिठआधà¥à¤¨à¤¿à¤• संसाधनों का दान à¤à¥€ करने लगे हैं। मतलब पितरों को गरà¥à¤®à¥€ न लगे उसके लिठà¤à¤¸à¥€, ठंडा पानी पिठइसके लिठफà¥à¤°à¤¿à¤œ, वाशिंग मशीन से लेकर मोबाइल तक दान कर रहे हैं।
वैसे हमारे धारà¥à¤®à¤¿à¤• शासà¥à¤¤à¥à¤° कहते हैं कि यह शरीर तो सिरà¥à¤« à¤à¤• चोला है, इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होता है, मृतà¥à¤¯à¥ अटल सतà¥à¤¯ है तो उसके बाद जीवन à¤à¥€ उतना ही अटल सतà¥à¤¯ है अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यही है कि जब मृतà¥à¤¯à¥ के बाद जीवन है तो फिर कौन और कैसे à¤à¤Ÿà¤• रहा है जिसका मैं शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करूà¤? और अगर जनà¥à¤® नहीं लिया तो मतलब आतà¥à¤®à¤¾ की मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो गयी तो फिर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• संसाधनों से लेकर à¤à¥‹à¤œà¤¨ तक किसे और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया जा रहा है? अगर आतà¥à¤®à¤¾ ने जनà¥à¤® ले लिया तो वह à¤à¥€ मेरे जैसे इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ होंगे कहीं à¤à¤¸à¤¾ तो नहीं जब मैंने जनà¥à¤® लिया मेरे पिछले जनà¥à¤® का बेटा मेरा अà¤à¥€ तक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ कर रहा हो?
कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ हो सकता है कि कैलकà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤° से नमà¥à¤¬à¤° डायल कर हम किसी को फोन मिला देंगे? यदि नहीं तो फिर सà¥à¤¥à¥‚ल शरीर छोड़ चà¥à¤•à¥‡ लोगों के लिठबनी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, जीवित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर कैसे काम कर रही हैं? किनà¥à¤¤à¥ सदियों से पंडे-पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ अपनी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को देवता à¤à¤µà¤‚ पूजयनीय बताते हà¥à¤ अपनी सेवा कराते आ रहे हैं। इनका कहना है कि पितृपकà¥à¤· के दौरान कà¥à¤› समय के लिठयमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वे अपने परिजनों से शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर सकें।
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ के असल रूप को पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करते हà¥à¤ पितृयजà¥à¤ž के दो à¤à¥‡à¤¦ बताये हैं à¤à¤• शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ और दूसरा तरà¥à¤ªà¤£à¥¤ शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ यानि जिस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया जाय उस को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और जो शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से करà¥à¤® किया जाय उसका नाम शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ है तथा जिस-जिस करà¥à¤® से तृपà¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ माता-पिता पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हों उसका नाम तरà¥à¤ªà¤£ है। परनà¥à¤¤à¥ यह जीवितों के लिये है। मृतकों के लिये नहीं है। किनà¥à¤¤à¥ इसके विपरीत पितृपकà¥à¤· के दौरान हमारे घरों में कई तरह के सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ पकवान बनाठजाते हैं। उन पकवानों को पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर सजा कर रखते हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› देर बाद कौठआ कर खा लेते हैं। तब उनकी आतà¥à¤®à¤¾ को शांति मिलती है वरना पूरा साल घर में परेशानी रहती है।
à¤à¤¸à¤¾ न करने से यदि पूरà¥à¤µà¤œ नाराज हो गठतो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जीवन में कई समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का सामना करना पड़ता है। जैसे धनहानि, संतान पकà¥à¤· में समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚, बने काम बिगड़ जाते हैं इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का हवाला दे देकर धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं और करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डी लोगों ने हजारों सालों से यह बात आमजन के दिमाग में बैठा रखी है, उनके मन में आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं का डर पैदा कर रखा है, जिसका वे हजारों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से फायदा उठा रहे हैं।
विचारहीन समाज में जागरूकता की कमी के कारण कà¤à¥€ सच जानने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं किया जाता अतः नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ का डर लोगों में इस कदर फैला है कि वे किसी à¤à¥€ तरह का खतरा मोल लेना ठीक नहीं समà¤à¤¤à¥‡, न ही किसी à¤à¥€ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तरà¥à¤• को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं। à¤à¤• तरफ अशà¥à¤ होने का à¤à¤¯ तो दूसरी तरफ सांसारिक सà¥à¤–ों की तलाश में दिखावा करने के हथकंडे सहज ही अपना लेते हैं। चाहे वह कौओं को खाना खिलाना हो या बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ में देवता के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ की बात हो। लोग सवाल और तरà¥à¤• करने के बजाय जैसे चल रहा है वैसे ही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेने को उचित समà¤à¤¤à¥‡ हैं, जिसे à¤à¤• तरह की मूरà¥à¤–ता और अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ही कहेंगे।
पà¥à¥‡-लिखे और शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ परिवारों में à¤à¤¸à¥€ मूरà¥à¤–तापूरà¥à¤£ और विरोधाà¤à¤¾à¤·à¥€ चीज सिरà¥à¤« विशà¥à¤µà¤—à¥à¤°à¥ के पास ही मिल सकती है। à¤à¤• तरफ तो ये माना जाता है कि पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होता है, मतलब कि घर के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— मरने के बाद अगले जनà¥à¤® में कहीं पैदा हो गठहोंगे। दूसरी तरफ ये à¤à¥€ मानेंगे कि वे अंतरिकà¥à¤· में लटक रहे हैं और खीर पूड़ी के लिठतड़प रहे हैं कà¥à¤¯à¤¾ यह अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं है यदि आपको शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करना है तो माता-पिता या परिवार का कोई बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— आपके साथ रहता है तो आप सचà¥à¤šà¥‡ दिल से उनकी सेवा करिये। पारिवारिक विषयों पर उनसे सलाह लें। उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करें। बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिठगये आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ में बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿ होती है। जब आपकी संतान आपको अपने माता-पिता की सेवा करते हà¥à¤ देखेगी तो वह à¤à¥€ आपकी सेवा करेगी।
परिवार और समाज के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— लोगों की सेवा सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ मानवीय कारà¥à¤¯ है। सेवा हमेशा कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ और सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ की सà¥à¤—ंध समाज को तृपà¥à¤¤ करती है। धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखिये! शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ , कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ और सेवा हमारे धारà¥à¤®à¤¿à¤• जीवन का मेरà¥à¤¦à¤£à¥à¤¡ है। जो संतानें शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• अपने माता-पिता तथा बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों की सेवा करती हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤–, समà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¿ यश और कीरà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है न कि मृतक के नाम पर किये शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ से।
यदि आपको शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ करना है तो माता-पिता या परिवार का कोई बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— आपके साथ रहता है तो आप सचà¥à¤šà¥‡ दिल से उनकी सेवा करिये। पारिवारिक विषयों पर उनसे सलाह लें। उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करें। बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिठगये आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ में बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿ होती है। जब आपकी संतान आपको अपने माता-पिता की सेवा करते हà¥à¤ देखेगी तो वह à¤à¥€ आपकी सेवा करेगी। very nice... Thanks