बचपन को निगल रहा है आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ का दैतà¥à¤¯
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Rajeev ChoudharyDate
05-Oct-2018Category
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05-Nov-2018Download PDF
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अकà¥à¤¸à¤° कहा जाता है शिकà¥à¤·à¤¾ ही जीवन का आधार है और बिना शिकà¥à¤·à¤¾ के मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन अरà¥à¤¥ हीन व दिशाहीन हो जाता है. à¤à¤• सफल जीवन में शिकà¥à¤·à¤¾ का विशेष महतà¥à¤µ होता है कहा जाता है आज की शिकà¥à¤·à¤¾ कल का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करती है. पर आज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय की शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ देखकर लगता है जैसे हमें अपने कल के विषय में तनिक à¤à¥€ चिंता नहीं हैं पर देश का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ आगामी पीà¥à¥€ की शिकà¥à¤·à¤¾, चरितà¥à¤°, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥ और संसà¥à¤•à¤¾à¤° से पूरà¥à¤£ रूप से संबंध रखता है. यदि आज का बचपन असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ या फिर असंसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ है तो देश के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गिण विकास विफल निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होगा. कारण जहाठशिकà¥à¤·à¤¾ के मंदिरों में अचà¥à¤›à¥€ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाना चाहिठइसके उलट आज वहां सरकारी सà¥à¤•à¥‚लों में मिड डे मील और पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ सà¥à¤•à¥‚लों में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾ सिखाई जा रही है.
उपरोकà¥à¤¤ दोनों ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कà¥à¤¯à¤¾ बेहतर शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ संसà¥à¤•à¤¾à¤° और चरितà¥à¤° के साथ आचरणवान नागरिक देश को मिल पाà¤à¤‚गे? ये सवाल हमारे सामने खड़ा है. जबकि आचरण ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आà¤à¥‚षण है. जिस शिकà¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हमारे चरितà¥à¤° पर नहीं होता वह शिकà¥à¤·à¤¾ हमारे कà¥à¤› काम की नहीं होती. जब हम शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का जिकà¥à¤° करते है तो लोग उसे आज हिसाब से उपयà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं समà¤à¤¤à¥‡ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज के कमरà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤² यà¥à¤— में आरà¥à¤¥à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ पर जोर दिया जा रहा है. मानता हूठअरà¥à¤¥ à¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के चार सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¥‹à¤‚ में à¤à¤• है किनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¯ तीन सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ धरà¥à¤®, काम और मोकà¥à¤· की शिकà¥à¤·à¤¾ कहाठमिलेगी? जबकि वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में इन चारों पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की शिकà¥à¤·à¤¾ दी जाती थी.
आज धरà¥à¤® के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की जगह धरà¥à¤® निरपेकà¥à¤·à¤¤à¤¾ का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾ पिलाया जा रहा है, काम के नाम पर छोटी-छोटी ककà¥à¤·à¤¾ में विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बताया जा रहा है कि चलो कंडोम के साथ, मोकà¥à¤· की अवधारणा को या तो कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ बताया जा रहा है या फिर अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ सिखाया जा रहा है. यानि के आज के इस पूंजीवादी तथा à¤à¥‹à¤—वादी à¤à¤¾à¤°à¤¤ की शिकà¥à¤·à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को धन कमाने की मशीन बना रही है. जबकि मानव बनने के लिठयथा समय चारों पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚-धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम और मोकà¥à¤·-अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ चारों करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की शिकà¥à¤·à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤• है.
समाज में सà¤à¥€ लोग अपने जीवन का बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के पालन-पोषण और शिकà¥à¤·à¤¾ में खरà¥à¤š करते हैं, जब वह बचà¥à¤šà¤¾ बड़ा होता है उसे वैवाहिक जीवन के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ माता-पिता के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से विमà¥à¤– पाते है, हम à¤à¤• पल को आतà¥à¤®à¤—ौरव कर लेते है की बचà¥à¤šà¤¾ कामयाब हो गया पर साथ ही आतà¥à¤®à¤—à¥à¤²à¤¾à¤¨à¥€ से à¤à¥€ पीड़ित होते है कि उस आरà¥à¤¥à¤¿à¤• कामयाबी का मोल संसà¥à¤•à¤¾à¤° और नैतिकता समापà¥à¤¤ कर चà¥à¤•à¤¾à¤¯à¤¾ है.
अपने यहां à¤à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी जो ‘वरà¥à¤£à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® धरà¥à¤®’ कहलाती थी, जो जीवन के अलग-अलग चरण होते थे, जिसके लिठहर इंसान को तैयार होना होता था वो आज लगà¤à¤— ढहा दी गयी कौन à¤à¥à¤²à¤¾ होगा नवमà¥à¤¬à¤° 2017 की उस खबर को जो समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤ªà¥ƒà¤·à¥à¤ ो पर छपी थी कि “दिलà¥à¤²à¥€ में साà¥à¥‡ चार साल के बचà¥à¤šà¥‡ पर साथ पà¥à¤¨à¥‡ वाली बचà¥à¤šà¥€ के बलातà¥à¤•à¤¾à¤° का आरोप”. कà¥à¤¯à¤¾ यह शिकà¥à¤·à¤¾ के मंदिर में संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का कतà¥à¤² नहीं था. जबकि हमारा पहला वरà¥à¤£à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® 25 वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ तक बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देता है. किनà¥à¤¤à¥ आज हमने इन सब चीजों को छोड़ दिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम तो अपने बचà¥à¤šà¥‡ को पड़ोसी के बचà¥à¤šà¥‡ से थोड़ा बेहतर बनाना चाहते हैं. उससे 2 फीसदी à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नमà¥à¤¬à¤° आ जाये तो अपनी निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ सोसाइटी में नाक बची रहे, à¤à¤²à¥‡ ही वह बचà¥à¤šà¤¾ कà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ बन जाये, नैतिकता à¤à¥‚ल जाये.
à¤à¤• तीन साल का बचà¥à¤šà¤¾ अगर कहता है, ‘मैं वकील बनना चाहता हूं’, तो हर कोई अपने बचà¥à¤šà¥‡ से कहेगा, ‘अरे, पड़ोसी का बचà¥à¤šà¤¾ वकील बनना चाहता है. अपने बचà¥à¤šà¥‡ को डाटने लगते है. बस यही वो गंà¤à¥€à¤° समसà¥à¤¯à¤¾ है जिसके कारण बचà¥à¤šà¥‡ अपनी उमà¥à¤° से पहले अवसाद गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होने लगते है. नतीजा हर वरà¥à¤· विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के शिकà¥à¤·à¤¾ बोरà¥à¤¡ और सीबीà¤à¤¸à¤ˆ के परिमाण घोषित होने बाद बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ के आंकड़े हमे शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दा जरà¥à¤° करते है.
शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में जो बीमारी है वह अपनी जगह सही है किनà¥à¤¤à¥ जो बीमारी समाज में पैठकर गई है. हमारी शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तो बस उसी हिसाब से चलने की कोशिश कर रही है. जिसका खामियाजा बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से लेकर हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ चà¥à¤•à¤¾ रही है. à¤à¤¸à¥‡ में अचानक बड़े पैमाने पर शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को बदल देने का तो सवाल ही नहीं उठता, लेकिन अगर आप इचà¥à¤›à¥à¤• हैं तो अपने व अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठइसमें बदलाव ला सकते हैं. कम से कम आप अपने बचà¥à¤šà¥‡ को तो उससे बचाइà¤. अगर आप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चारों तरफ फैली बà¥à¤°à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से नहीं बचाà¤à¤‚गे, अगर आप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने ढंग से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं करेंगे, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखें कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हर वकà¥à¤¤ कोई और अपने ढंग से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करने की कोशिश कर रहा है. जब तक वे à¤à¤• खास अवसà¥à¤¥à¤¾ तक न आ जाà¤à¤‚ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समठमें न आ जाठकि कà¥à¤¯à¤¾ और कैसे करना है, तब तक आपका काम उनका बचाव करना और उनका पालन-पोषण करना है. इसके लिठनैतिक और सामाजिक शिकà¥à¤·à¤¾ की à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करनी होगी जहां किसी à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ को दूसरे से बेहतर बनाने के बजाय सिरà¥à¤« सिरà¥à¤« यह देख सके कि बचà¥à¤šà¥‡ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° किस सीमा तक किया जा सकता है. अगर आप बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को आवशà¥à¤¯à¤• सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ देंगे, à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• व मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से सहयोग करेंगे, तो वे निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ तौर पर à¤à¤¸à¥‡ काम कर पाà¤à¤‚गे, जो शायद आप खà¥à¤¦ à¤à¥€ न कर सके हों...
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