ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से लाà¤
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Manmohan Kumar AryaDate
25-Nov-2018Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
25-Nov-2018Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करनी चाहिये अथवा नहीं? जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं से दूर हैं और पà¥à¥‡-लिखे नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में रहते हैं वह तो वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के न तो तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं और न ही उनमें सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ करने की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ होती है। जो सजà¥à¤œà¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ होता है, जिसमें पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ नहीं होता और साथ ही जो सतà¥à¤¯ को जानने का इचà¥à¤›à¥à¤• वा जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ होता है, उसे ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के विषय में तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ व वैदिक ऋषियों के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ जा सकता है। हम अपनी आंखों से संसार को देखते हैं। यह संसार कोई सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ व मिथà¥à¤¯à¤¾ दृशà¥à¤¯ न होकर सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ है। यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ अनादि काल से बनी हà¥à¤ˆ नहीं है अपितॠकिसी काल विशेष में इसे बनाया गया है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ मानते है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनी है तथा यह विनाश को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ केवल यह जानना रह जाता है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनी कैसे? यह अपने आप बनी या किसी अदृशà¥à¤¯ सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सतà¥à¤¤à¤¾ ने इसे बनाया है। कोई à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ रचना अपने आप सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ कदापि नहीं होती। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सबसे छोटे à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• कण परमाणॠमें à¤à¥€ नियम कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हैं और सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° समान रूप से इनका पालन पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में होता है। इससे यह निशà¥à¤šà¤¯ होता है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ सà¥à¤µà¤°à¤šà¤¿à¤¤ न होकर किसी परम व महान चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनकर असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आयी है। à¤à¤¸à¤¾ कदापि समà¥à¤à¤µ नहीं है कि सूरà¥à¤¯, पृथिवी, चनà¥à¤¦à¥à¤° व अनà¥à¤¯ लोक लोकानà¥à¤¤à¤° अपने आप बन गये और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी धूरी व सूरà¥à¤¯ आदि गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करना आरमà¥à¤ कर दिया हो। à¤à¤¸à¤¾ होना असमà¥à¤à¤µ है इसलिये इसे अपौरूषेय रचना कहा जाता है।
यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा उनके समूह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ नहीं रची गई है, न रची जा सकती है, अपितॠयह à¤à¤• अपौरूषेय सतà¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° से रची गई है। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना को देखकर इसके करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥‚प कैसा है, इसका तरà¥à¤•à¤ªà¥‚रà¥à¤£ उतà¥à¤¤à¤° यह है कि ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ है, वह चेतन पदारà¥à¤¥ है, इसी कारण वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वा चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ को सà¥à¤– व दà¥à¤– अनà¥à¤à¤µ होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° का विचार करें तो वह दà¥à¤ƒà¤–ों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ रहित है। इसका à¤à¤• कारण उसका शरीर रहित होना है। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है और इस कारण वह आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है। विशाल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ को देखकर उसका सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व निराकार होना à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होता है। इस विशाल सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से संचालन करने के कारण वह जनà¥à¤® व मरण से रहित à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होता है। यदि वह जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾ होता तो वह इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को कदापि न बना सकता। ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, उपनिषदà¥, योगदरà¥à¤¶à¤¨ आदि सà¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ सहित वेद व ऋषियों के अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से होता है। ईशà¥à¤µà¤° के बाद मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विषय में à¤à¥€ कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¥à¤– बातों को जानना आवशà¥à¤¯à¤• होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤• अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ होता है। यह जीवातà¥à¤®à¤¾ अनादि, अमर, नितà¥à¤¯, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ व अविनाशी है। यह अति सूकà¥à¤·à¥à¤®, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ à¤à¤µà¤‚ ससीम होते हैं। चेतन होने से ही यह ंजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® से यà¥à¤•à¥à¤¤ होते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि के जीव अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को माता-पिता व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से बà¥à¤¾ सकते है व साथ ही सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• अपना जीवन à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर सकते हैं। यह à¤à¥€ जानना आवशà¥à¤¯à¤• है कि जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमारा यह जनà¥à¤® हà¥à¤† है इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के अतीत काल में अननà¥à¤¤ जनà¥à¤® व मरण, जैसे अब देखे जाते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से होते आये हैं और आगे à¤à¥€ होते रहेंगे।
ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प होने से उसका संसार को बनाने व चलाने में अपना कोई निजी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ नहीं है। यह संसार उसने अपनी अनादि पà¥à¤°à¤œà¤¾, जिसे जीव कहते हैं, उनके à¤à¥‹à¤— व अपवरà¥à¤— के लिये बनाया है। à¤à¥‹à¤— का अरà¥à¤¥ है सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– जो ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से सà¤à¥€ जीवों को उनके पूरà¥à¤µ व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मिलते हैं। दà¥à¤ƒà¤– आधिà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•, आधिदैविक और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं। इनसे बचने के लिये ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को आसन व वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करने के साथ आहार, निदà¥à¤°à¤¾ व बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ के नियमों का पालन करना होता है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में इनके नियम व इनकी उपादेयता पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला गया है। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤– चाहते हैं। सà¥à¤– का आधार धरà¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ करà¥à¤® होते हैं। असतà¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिणाम दà¥à¤ƒà¤– व अवनति होता है। सà¥à¤– का à¤à¤• साधन ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž करना à¤à¥€ होता है। ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों से बचता है और सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। यह बात सतà¥à¤¯,यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ तरà¥à¤• से सिदà¥à¤§ हैं। ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प होने से जीवातà¥à¤®à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° से यà¥à¤•à¥à¤¤ व जà¥à¥œ कर दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ व दà¥à¤ƒà¤–ों से दूर होकर ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होता है। इसी लिये सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, विपà¥à¤°, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, मननशील, विवेकशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं कम से कम à¤à¤• घंटा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करते हैं और पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं देवयजà¥à¤ž अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करके पà¥à¤°à¤¾à¤£ वायॠको शà¥à¤¦à¥à¤§ करके रोगों व अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ से न केवल दà¥à¤ƒà¤– व दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£ ही दूर होते हैं अपितॠहमारी आतà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होती है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤à¤µ के आधार पर कहते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ का बल इतना बà¥à¤¤à¤¾ है कि वह पहाड़ के समान अपनी व अपने परिजनों आदि की मृतà¥à¤¯à¥ व अनà¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर à¤à¥€ घबराता नहीं है और विवेकपूरà¥à¤µà¤• उन दà¥à¤ƒà¤–ों को सहन कर लेता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में उपासना का लाठबताकर कि पहाड़ के समान के दà¥à¤ƒà¤– आने पर à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ घबराता नहीं है, पाठकों से पूछते हैं कि कà¥à¤¯à¤¾ यह छोटी बात है? यह वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ छोटी बात न होकर बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के जीवन में दà¥à¤ƒà¤– आते जाते रहते हैं। यदि वह आरमà¥à¤ से ही उपासना करते हैं तो वह दà¥à¤ƒà¤–ों में अधिक विचलित नहीं होते। जीवन के अनà¥à¤¤ समय में जब मृतà¥à¤¯à¥ आती है उसे à¤à¥€ वह आसानी से सहन कर लेते हैं। इस समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की अपनी मृतà¥à¤¯à¥ की घटना à¤à¤• आदरà¥à¤¶ उदाहरण हैं।
ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिठबनाया है। वह अनादि काल से हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ जनà¥à¤® देता आ रहा है और अननà¥à¤¤ काल तक हमारे करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° हमें अनेकानेक योनियों में जनà¥à¤® देता रहेगा। वह हमें मानव व अनà¥à¤¯ योनियों के शरीर देने के बदले हमसे कà¥à¤› धन व अपना गà¥à¤£à¤—ान करना, मांगता व लेता नहीं है। हमें अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का बोध होना चाहिये। हम संसार में किसी से थोड़ा सा à¤à¥€ उपकृत होते हैं तो उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं। उसके उपकार के बदले हम उसके लिये सब कà¥à¤› करने के लिये तैयार हो जाते हैं। ईशà¥à¤µà¤° के तो हम पर सबसे अधिक उपकार हैं। वह हमारा माता, पिता, आचारà¥à¤¯, राजा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ व मितà¥à¤° à¤à¥€ हैं। अतः हमें सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾-उपासना आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करके उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना चाहिये। इसका फल हमें अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ की निवृतà¥à¤¤à¤¿ होने के साथ सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा। उपासना करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° का सहाय à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। ईशà¥à¤µà¤° को सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सबका साकà¥à¤·à¥€ और करà¥à¤®-फल दाता जानकर हम कà¤à¥€ पाप नहीं कर सकते। पाप नहीं करेंगे तो हमें à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥€ नहीं होंगे। हम सà¥à¤–ी व पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ रहेंगे और उपासना से हमारी शारीरिक, आतà¥à¤®à¤¿à¤• और सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होगी। यह सà¤à¥€ लाठईशà¥à¤µà¤° की उपासना से होते हैं। उपासना से हमारा परजनà¥à¤® à¤à¥€ सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ है। हम पशà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿ नीच योनियों में जाने से बच जाते हैं। अतः हम सà¤à¥€ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि हम सब सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ तथा अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° आदि करें, यदि नहीं करते हैं तो हमें अपनी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इसे करना आरमà¥à¤ कर देना चाहिये। इससे निशà¥à¤šà¤¯ ही हमें लाठहोगा। संसार में सबसे महान सतà¥à¤¤à¤¾ व सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के हम निकट रहकर कà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ी नहीं होंगे। हमें सà¥à¤µà¤¯à¤‚ तो उपासना करनी ही है इसके साथ ही अपने निकटवरà¥à¤¤à¥€ सà¤à¥€ बनà¥à¤§à¥à¤“ं को à¤à¥€ वैदिक विधि से उपासना की विधि समà¤à¤¾à¤¨à¥€ चाहिये। इससे हमारा व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होगा। ओ३मॠशमà¥à¥¤
“ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से लाऔ
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करनी चाहिये अथवा नहीं? जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं से दूर हैं और पà¥à¥‡-लिखे नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में रहते हैं वह तो वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के न तो तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं और न ही उनमें सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ करने की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ होती है। जो सजà¥à¤œà¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ होता है, जिसमें पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ नहीं होता और साथ ही जो सतà¥à¤¯ को जानने का इचà¥à¤›à¥à¤• वा जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ होता है, उसे ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के विषय में तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ व वैदिक ऋषियों के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ जा सकता है। हम अपनी आंखों से संसार को देखते हैं। यह संसार कोई सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ व मिथà¥à¤¯à¤¾ दृशà¥à¤¯ न होकर सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ है। यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ अनादि काल से बनी हà¥à¤ˆ नहीं है अपितॠकिसी काल विशेष में इसे बनाया गया है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ मानते है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनी है तथा यह विनाश को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ केवल यह जानना रह जाता है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनी कैसे? यह अपने आप बनी या किसी अदृशà¥à¤¯ सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सतà¥à¤¤à¤¾ ने इसे बनाया है। कोई à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ रचना अपने आप सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ कदापि नहीं होती। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सबसे छोटे à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• कण परमाणॠमें à¤à¥€ नियम कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हैं और सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° समान रूप से इनका पालन पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में होता है। इससे यह निशà¥à¤šà¤¯ होता है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ सà¥à¤µà¤°à¤šà¤¿à¤¤ न होकर किसी परम व महान चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनकर असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आयी है। à¤à¤¸à¤¾ कदापि समà¥à¤à¤µ नहीं है कि सूरà¥à¤¯, पृथिवी, चनà¥à¤¦à¥à¤° व अनà¥à¤¯ लोक लोकानà¥à¤¤à¤° अपने आप बन गये और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी धूरी व सूरà¥à¤¯ आदि गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करना आरमà¥à¤ कर दिया हो। à¤à¤¸à¤¾ होना असमà¥à¤à¤µ है इसलिये इसे अपौरूषेय रचना कहा जाता है।
यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा उनके समूह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ नहीं रची गई है, न रची जा सकती है, अपितॠयह à¤à¤• अपौरूषेय सतà¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° से रची गई है। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना को देखकर इसके करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥‚प कैसा है, इसका तरà¥à¤•à¤ªà¥‚रà¥à¤£ उतà¥à¤¤à¤° यह है कि ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ है, वह चेतन पदारà¥à¤¥ है, इसी कारण वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वा चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ को सà¥à¤– व दà¥à¤– अनà¥à¤à¤µ होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° का विचार करें तो वह दà¥à¤ƒà¤–ों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ रहित है। इसका à¤à¤• कारण उसका शरीर रहित होना है। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है और इस कारण वह आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है। विशाल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ को देखकर उसका सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व निराकार होना à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होता है। इस विशाल सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से संचालन करने के कारण वह जनà¥à¤® व मरण से रहित à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होता है। यदि वह जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾ होता तो वह इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को कदापि न बना सकता। ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¤à¤¾ का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, उपनिषदà¥, योगदरà¥à¤¶à¤¨ आदि सà¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ सहित वेद व ऋषियों के अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से होता है। ईशà¥à¤µà¤° के बाद मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विषय में à¤à¥€ कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¥à¤– बातों को जानना आवशà¥à¤¯à¤• होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤• अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ होता है। यह जीवातà¥à¤®à¤¾ अनादि, अमर, नितà¥à¤¯, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ व अविनाशी है। यह अति सूकà¥à¤·à¥à¤®, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ à¤à¤µà¤‚ ससीम होते हैं। चेतन होने से ही यह ंजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® से यà¥à¤•à¥à¤¤ होते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि के जीव अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को माता-पिता व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से बà¥à¤¾ सकते है व साथ ही सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• अपना जीवन à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर सकते हैं। यह à¤à¥€ जानना आवशà¥à¤¯à¤• है कि जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमारा यह जनà¥à¤® हà¥à¤† है इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के अतीत काल में अननà¥à¤¤ जनà¥à¤® व मरण, जैसे अब देखे जाते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से होते आये हैं और आगे à¤à¥€ होते रहेंगे।
ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प होने से उसका संसार को बनाने व चलाने में अपना कोई निजी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ नहीं है। यह संसार उसने अपनी अनादि पà¥à¤°à¤œà¤¾, जिसे जीव कहते हैं, उनके à¤à¥‹à¤— व अपवरà¥à¤— के लिये बनाया है। à¤à¥‹à¤— का अरà¥à¤¥ है सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– जो ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से सà¤à¥€ जीवों को उनके पूरà¥à¤µ व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मिलते हैं। दà¥à¤ƒà¤– आधिà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•, आधिदैविक और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं। इनसे बचने के लिये ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को आसन व वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करने के साथ आहार, निदà¥à¤°à¤¾ व बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ के नियमों का पालन करना होता है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में इनके नियम व इनकी उपादेयता पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला गया है। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤– चाहते हैं। सà¥à¤– का आधार धरà¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ करà¥à¤® होते हैं। असतà¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिणाम दà¥à¤ƒà¤– व अवनति होता है। सà¥à¤– का à¤à¤• साधन ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž करना à¤à¥€ होता है। ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों से बचता है और सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। यह बात सतà¥à¤¯,यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ तरà¥à¤• से सिदà¥à¤§ हैं। ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प होने से जीवातà¥à¤®à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° से यà¥à¤•à¥à¤¤ व जà¥à¥œ कर दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ व दà¥à¤ƒà¤–ों से दूर होकर ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होता है। इसी लिये सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, विपà¥à¤°, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, मननशील, विवेकशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं कम से कम à¤à¤• घंटा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करते हैं और पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं देवयजà¥à¤ž अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करके पà¥à¤°à¤¾à¤£ वायॠको शà¥à¤¦à¥à¤§ करके रोगों व अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ से न केवल दà¥à¤ƒà¤– व दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£ ही दूर होते हैं अपितॠहमारी आतà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होती है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤à¤µ के आधार पर कहते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ का बल इतना बà¥à¤¤à¤¾ है कि वह पहाड़ के समान अपनी व अपने परिजनों आदि की मृतà¥à¤¯à¥ व अनà¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर à¤à¥€ घबराता नहीं है और विवेकपूरà¥à¤µà¤• उन दà¥à¤ƒà¤–ों को सहन कर लेता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में उपासना का लाठबताकर कि पहाड़ के समान के दà¥à¤ƒà¤– आने पर à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ घबराता नहीं है, पाठकों से पूछते हैं कि कà¥à¤¯à¤¾ यह छोटी बात है? यह वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ छोटी बात न होकर बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के जीवन में दà¥à¤ƒà¤– आते जाते रहते हैं। यदि वह आरमà¥à¤ से ही उपासना करते हैं तो वह दà¥à¤ƒà¤–ों में अधिक विचलित नहीं होते। जीवन के अनà¥à¤¤ समय में जब मृतà¥à¤¯à¥ आती है उसे à¤à¥€ वह आसानी से सहन कर लेते हैं। इस समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की अपनी मृतà¥à¤¯à¥ की घटना à¤à¤• आदरà¥à¤¶ उदाहरण हैं।
ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिठबनाया है। वह अनादि काल से हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ जनà¥à¤® देता आ रहा है और अननà¥à¤¤ काल तक हमारे करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° हमें अनेकानेक योनियों में जनà¥à¤® देता रहेगा। वह हमें मानव व अनà¥à¤¯ योनियों के शरीर देने के बदले हमसे कà¥à¤› धन व अपना गà¥à¤£à¤—ान करना, मांगता व लेता नहीं है। हमें अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का बोध होना चाहिये। हम संसार में किसी से थोड़ा सा à¤à¥€ उपकृत होते हैं तो उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं। उसके उपकार के बदले हम उसके लिये सब कà¥à¤› करने के लिये तैयार हो जाते हैं। ईशà¥à¤µà¤° के तो हम पर सबसे अधिक उपकार हैं। वह हमारा माता, पिता, आचारà¥à¤¯, राजा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ व मितà¥à¤° à¤à¥€ हैं। अतः हमें सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾-उपासना आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करके उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना चाहिये। इसका फल हमें अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ की निवृतà¥à¤¤à¤¿ होने के साथ सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा। उपासना करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° का सहाय à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। ईशà¥à¤µà¤° को सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सबका साकà¥à¤·à¥€ और करà¥à¤®-फल दाता जानकर हम कà¤à¥€ पाप नहीं कर सकते। पाप नहीं करेंगे तो हमें à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥€ नहीं होंगे। हम सà¥à¤–ी व पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ रहेंगे और उपासना से हमारी शारीरिक, आतà¥à¤®à¤¿à¤• और सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होगी
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