“मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° का अपना परिवारâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
01-Dec-2018Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
11-Dec-2018Download PDF
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हम संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पशà¥-पकà¥à¤·à¥€ आदि अनेकानेक जीव-जनà¥à¤¤à¥à¤“ं को देखते हैं। इन सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की ही à¤à¤¾à¤‚ति à¤à¤•-à¤à¤• जीव अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ की गणना की अपनी सीमायें हैं। à¤à¤• सीमा तक तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ गणना कर सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ उसके बाद गणना तो हो सकती है परनà¥à¤¤à¥ उस गणना को संखà¥à¤¯à¤¾ में समà¤à¤¨à¤¾ अननà¥à¤¤ कहने के समान होता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं की इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में संखà¥à¤¯à¤¾ अननà¥à¤¤ है। यह सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° का परिवार है। ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤• माता, पिता, आचारà¥à¤¯, मितà¥à¤° व बनà¥à¤§à¥ सहित à¤à¤• नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° व राजा की है। वह जीव रूपी अपनी सà¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को उनके शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का यथावतॠसà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी फल देता है। यदि हम शà¥à¤ वा पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® करते हैं तो हमें सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है और यदि हम अशà¥à¤ या पाप करà¥à¤® को करते हैं तो हमें दà¥à¤ƒà¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। परमातà¥à¤®à¤¾ का नियम है कि जीवातà¥à¤®à¤¾ को अपने किये पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल अवशà¥à¤¯ ही à¤à¥‹à¤—ने पड़ते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ अथवा शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में करके अपने सà¥à¤–ों को बà¥à¤¾ सकता है परनà¥à¤¤à¥ उसने अतीत में जो अशà¥à¤ व पाप करà¥à¤® किये हैं, उसका दà¥à¤ƒà¤– रूपी फल उसे à¤à¥‹à¤—ना ही पड़ता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤– को शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¥‹à¤—े या फिर दà¥à¤ƒà¤–ों को रोकर à¤à¥‹à¤—े, दà¥à¤ƒà¤– तो à¤à¥‹à¤—ने ही होते हैं। परमातà¥à¤®à¤¾ किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ नहीं करता है। न केवल वैदिक धरà¥à¤®à¥€ अपितॠजितने मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं, उन सबके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने किये पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤—ना ही होता है à¤à¤²à¥‡ ही कोई पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को अपने मत की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के विधान को मानकर करे। सचà¥à¤šà¥‡ धारà¥à¤®à¤¿à¤• लोग ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को जानते व समà¤à¤¤à¥‡ हैं, अतः वह दà¥à¤ƒà¤– आने पर शानà¥à¤¤à¤¿, सनà¥à¤¤à¥‹à¤· व धैरà¥à¤¯ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को बनाये रखते हैं जिससे उनका दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ना अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में सामानà¥à¤¯ व सरल होता है।
संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ जितनी à¤à¥€ योनियां हैं उसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ सबसे अधिक à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को परमातà¥à¤®à¤¾ ने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वेद, वाणी तथा हाथ आदि इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दी हैं। इन इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने जीवन को सà¥à¤–ी बना सकता है व बनाता à¤à¥€ है। हमारे देश में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ रही है। सà¤à¥€ ऋषि वेदों के यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ होते थे। उनका जीवन वेदमय होता था। वह अपना समय वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ व उपासना, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž आदि करà¥à¤®, अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨, परोपकार, चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन-धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि कारà¥à¤¯à¥‹ में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते थे। वह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन करते थे। शà¥à¤¦à¥à¤§ शाकाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ जिसमें गोदà¥à¤—à¥à¤§ तथा फलों की उचित मातà¥à¤° होती थी, सेवन करते थे। सूती वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करते थे। अपने आचारà¥à¤¯à¥‹ व गà¥à¤°à¥à¤“ं को माता-पिता व उनसे à¤à¥€ अधिक समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देते थे। इन सब कारà¥à¤¯à¥‹ को करके वह पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¥à¤–ी रहते थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शारीरिक रोगादि बहà¥à¤¤ कम हà¥à¤† करते थे जिसका आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• उपचार वह जानते थे और कà¥à¤› समय में ही सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ à¤à¥€ हो जाते थे। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद à¤à¥€ अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· हà¥à¤ हैं जो वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का ही पालन जीवन à¤à¤° करते रहे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤£à¥à¤¯ व यश अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ किया है। à¤à¤¸à¤¾ ही अनेक नामों में से à¤à¤• नाम ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी का है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¥€ अपना जीवन वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का पालन करते हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया। उनका जीवन आदरà¥à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन था। उनका जीवन अनेक पूरà¥à¤µ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से अनेक बातों में अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ व मानवता की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ उपयोगी था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का मोह तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर व अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ व अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ विदेशी सरकार के कोप की à¤à¥€ परवाह न कर देश, समाज व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के लिये अपना जीवन अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया और उसी के लिये वह बलिदान à¤à¥€ हà¥à¤à¥¤ यदि हम उनकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का पालन करते हà¥à¤ अपना कà¥à¤› जीवन उनके जैसा बना लेते हैं तो यह हमारे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिये उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व सà¥à¤– का कारण हो सकता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. लेखराम, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ तथा महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज जी आदि का जीवन à¤à¥€ अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा के योगà¥à¤¯ है। हमें उनके जीवन à¤à¤µà¤‚ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर उनसे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेनी चाहिये।
परमातà¥à¤®à¤¾ ने जीवों को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिये अपना करà¥à¤®-फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ बनाया हà¥à¤† है जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह सà¤à¥€ जीवों का नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करता है। ईशà¥à¤µà¤° की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ सनातन à¤à¤µà¤‚ शाशà¥à¤µà¤¤ है। ईशà¥à¤µà¤° की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ आदरà¥à¤¶ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ है जिसमें कà¤à¥€ कोई परिवरà¥à¤¤à¤¨ व सà¥à¤§à¤¾à¤° की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं होती। इसका à¤à¤• कारण ईशà¥à¤µà¤° का सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž होना है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– व रोगादि से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रहता है। उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ नà¥à¤¯à¥‚नाधिक होता है। अतः उसके सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ निरà¥à¤¦à¥‹à¤· नहीं हो सकते। इसके लिये उसे ईशà¥à¤µà¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों का आशà¥à¤°à¤¯ लेना चाहिये। महाराज मनॠआदि ऋषियों ने अपने जो गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ रचे हैं उसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों का आशà¥à¤°à¤¯ लिया है। इस कारण से उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ को लिये हà¥à¤ हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में वेदानà¥à¤•à¥‚ल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ à¤à¤µà¤‚ वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ किया है। यह उचित ही है। इसका पालन करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होता है और वह ईशà¥à¤µà¤° की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से वेदविरà¥à¤¦à¥à¤§ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करने से दणà¥à¤¡ से बच जाता है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने इस जनà¥à¤® में जिन जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® दिया है उसका कारण उनके पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के शà¥à¤ करà¥à¤® हैं। पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक शà¥à¤ व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® किये थे जिस कारण परमातà¥à¤®à¤¾ ने जीवों को मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® दिया है। पशà¥, पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ जीव-जनà¥à¤¤à¥à¤“ं के करà¥à¤® 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ व उससे अधिक अशà¥à¤ व पाप-करà¥à¤® थे, जिस कारण से वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि पाने से वंचित हà¥à¤ हैं। अपनी-अपनी योनियों में सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल à¤à¥‹à¤— रहे हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं कि वह मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित सà¤à¥€ योनियों के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अपने करà¥à¤®-फल à¤à¥‹à¤— के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सहयोगी बनें। à¤à¤¸à¤¾ करना शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करना है। पशà¥à¤“ं की हतà¥à¤¯à¤¾ व मांसाहार करना ईशà¥à¤µà¤° के करà¥à¤®-फल à¤à¥‹à¤— की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के कारà¥à¤¯ में बाधा पहà¥à¤‚चाना है जिसका दणà¥à¤¡ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इस जनà¥à¤® व परजनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में मिलता है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ करà¥à¤®-फल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं, उसे समà¤à¤¤à¥‡ हैं तथा पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करते हैं, वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं। उनका वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤µà¥€ दोनों जनà¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व सà¥à¤– को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगे, à¤à¤¸à¤¾ तरà¥à¤•, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व वैदिक साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से सतà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। अतः संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर वेद के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का पालन करना चाहिये। इसी में सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हैं।
समसà¥à¤¤ जीव जगत परमातà¥à¤®à¤¾ का अपना à¤à¤• परिवार है। यह परिवार à¤à¤¸à¤¾ ही है जैसे कि जगत में माता-पिता, सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨, आचारà¥à¤¯à¤—ण, राजा आदि होते हैं। परमातà¥à¤®à¤¾ ही माता-पिता, आचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ आदरà¥à¤¶ राजा है। वह सब जीवों का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ व उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤– ही देता है। किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त आधार पर अकारण व अपनी मरà¥à¤œà¥€ से वह किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ व जीव को दà¥à¤ƒà¤– व किसी को सà¥à¤– नहीं देता अपितॠइस करà¥à¤®-फल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में वह पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· रहते हà¥à¤ जीवों के पूरà¥à¤µ किये हà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समान व समदरà¥à¤¶à¥€ होकर नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करता है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® दिया, अपनी कृपा से हमें मानव का शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ शरीर दिया, शरीर में à¤à¥€ पांच जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾, पांच करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, चितà¥à¤¤ व अहंकार सहित शरीर के à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥‹à¤œà¤¨ को पचाने व उससे अषà¥à¤Ÿ-धातॠबनाने के अनेक पà¥à¤·à¥à¤Ÿ यनà¥à¤¤à¥à¤° दिये हैं। इसका वह किसी से कोई शà¥à¤²à¥à¤• नहीं लेता। यह शरीर व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पदारà¥à¤¥ उसने हमें तà¥à¤¯à¤¾à¤—पूरà¥à¤µà¤• à¤à¥‹à¤— करने के लिये दिये हैं। ईशà¥à¤µà¤° व ऋषियों की शिकà¥à¤·à¤¾ है कि हमें परिगà¥à¤°à¤¹à¥€ न होकर अपरिगà¥à¤°à¤¹à¥€ होना चाहिये। यदि हम वेद के नियमों का पालन करते हैं तो फिर ईशà¥à¤µà¤° हमें धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम सहित मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ कराता है। मोकà¥à¤· ही संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ का सबसे उतà¥à¤¤à¤® धन वा समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है जो सचà¥à¤šà¥‡ ईशà¥à¤µà¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, ईशà¥à¤µà¤° उपासना को सिदà¥à¤§ करने वाले योगी तथा वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से देश व विशà¥à¤µ का हित करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ वा योगियों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। हमारे सà¤à¥€ ऋषि व उपासना करने वाले योगी मोकà¥à¤· को ही अपना लकà¥à¤·à¥à¤¯ मानकर साधना करते थे। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ यà¥à¤— में à¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों की सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ निवृतà¥à¤¤à¤¿ वा मोकà¥à¤·, ईश-साधना व वैदिक साधनों से ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है।
हमें ईशà¥à¤µà¤° को अपना माता-पिता, आचारà¥à¤¯, राजा और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ मानकर उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेद में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पालन करना चाहिये। सà¤à¥€ जीव अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ व सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ हमारे बनà¥à¤§à¥ बानà¥à¤§à¤µ हैं। हम इन सà¤à¥€ जीवों के अतीत के जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में अनेक अनेक बार बनà¥à¤§à¥, माता-पिता, आचारà¥à¤¯, मितà¥à¤° व शतà¥à¤°à¥ रहे हैं। यह वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ हमारे समान व हमारी दया, करूणा, पà¥à¤°à¥‡à¤®, सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ आदि की अपेकà¥à¤·à¤¾ रखते हैं। हमें इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने परिवार के सदसà¥à¤¯ के समान ही आदर सतà¥à¤•à¤¾à¤° देना चाहिये। अहिंसक जीवों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अहिंसा का ही à¤à¤¾à¤µ रखना चाहिये। हिंसक जीव जिनसे हमें हानि पहà¥à¤‚चती हैं उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ व यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना चाहिये। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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