देश के बचपन के बदलते नैतिक मूलà¥à¤¯
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Rajeev ChoudharyDate
15-Dec-2018Category
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15-Dec-2018Download PDF
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यदि पिछले दस से पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ वरà¥à¤· का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¥à¤£ इस आधार पर किया जाये कि हमने कà¥à¤¯à¤¾ खोया और कà¥à¤¯à¤¾ पाया तो हमें खà¥à¤¶à¥€ इस बात की होगी कि देश में आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति की, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किये, आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की दौड़ में शामिल हà¥à¤ किनà¥à¤¤à¥ साथ ही दà¥à¤ƒà¤– इस बात का à¤à¥€ जरà¥à¤° होगा कि हमने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से उनका बचपन छीन लिया à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ दी पर नैतिकता छीन ली, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बड़े-बड़े सà¥à¤•à¥‚ल दिठपर संसà¥à¤•à¤¾à¤° छीन लिठयानि अपनी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ की मूल जड़ छीनकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की शाखा पकड़ा दी.
असल में बचà¥à¤šà¥‡ हमारी परंपराओं के, हमारी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विरासतों के रकà¥à¤·à¤• और देश का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ होते हैं पर बचà¥à¤šà¥‡ में नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की कमी उनके चरितà¥à¤° को तबाह कर देती है और वे छोटी उमà¥à¤° में ही चोरी, बेइमानी और à¤à¥‚ठ-धोखा करने लगते हैं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि à¤à¤¸à¥‡ बचà¥à¤šà¥‡ बड़े होने पर देश और समाज का कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤²à¤¾ करेंगे? आज अगर बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ को नरà¥à¤¸à¤°à¥€ कà¥à¤²à¤¾à¤¸ में किसी अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤•à¥‚ल में दाखिला नहीं होता तो बचà¥à¤šà¥‡ को ही कोसा जाता है. थोडा सा खाना कपड़ों पर गिर जाà¤, तो बचà¥à¤šà¥‡ के साथ à¤à¤¸à¤¾ बरà¥à¤¤à¤¾à¤µ होता है कि उसने बड़ा अपराध कर दिया. खेलते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¤¾ कपड़े गंदे कर लाठतो à¤à¤¯à¤‚कर डांट पड़ती है. अब बचà¥à¤šà¤¾ मिटà¥à¤Ÿà¥€ में नहीं खेलेगा, तो देश की मिटà¥à¤Ÿà¥€, देश के संसà¥à¤•à¤¾à¤° से जà¥à¥œà¥‡à¤—ा कैसे? बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को हर पल नसीहत दी जाती है पेड़ पर मत चà¥à¤¨à¤¾, मिटटी में मत खेलना, अंधेरे में मत जाओ, à¤à¥‚त आ जाà¤à¤—ा. जबकि पहले राजा-महाराजाओं के लड़के 14-15 साल की उमà¥à¤° में घोड़े पर सवार होकर लड़ाई के लिठनिकल जाते थे. चलो आज यà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं कम से कम उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खेलने तो दिया जाà¤à¤. पर नहीं अब 15 साल के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को मां पलà¥à¤²à¥‚ में छà¥à¤ªà¤¾à¤ रखती है.
इसमें à¤à¤• तो बीमारी सबसे पहले यह पाल की à¤à¤• ही बचà¥à¤šà¤¾ पैदा करेंगे और उसे लेकर हर पल ये à¤à¤¯ रखेंगे कि इसे कहीं कà¥à¤› हो ना जाये.जरा सोचिठबचà¥à¤šà¤¾ अकेला है उसके पास à¤à¤¾à¤ˆ नहीं, बहन नहीं, वो बिलकà¥à¤² अकेला हैं, à¤à¤¾à¤ˆ बहन की जगह टेडी बियर या फिर घर में कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ बिलà¥à¤²à¥€ पालकर पूरी करने की कोशिश की जा रही है. कहते हैं महंगाई है à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ का पालन-पोषण होता है. अब कोई इनसे पूछे कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡-बिलà¥à¤²à¥€ पालने में खरà¥à¤šà¤¾ नहीं होता या फिर उसका मन लगाने के लिठजो हर महंगे खिलोने खरीदे जा रहे है वो मà¥à¤«à¥à¤¤ मिलते है? इसी कारण पिछले 10 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में जो पीà¥à¥€ तैयार हà¥à¤ˆ उसके लिठकेवल मैं और मेरा तक सीमित कर दिया गया.
बचà¥à¤šà¥‡ का अपना कमरा हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मां-बाप सजाकर रखते हैं और रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को दिखाकर गरà¥à¤µ महसूस करते हैं. वे नहीं जानते कि घर में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को अपनापन महसूस कराना कितना जरूरी है. अकेलेपन के कमरों में कैद बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की सेहत ख़राब हो रही है. और ये सेहत सिरà¥à¤« à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ इस समाज की इस देश की हो रही है. पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में नैतिक शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤• विषय के रूप में पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता था सदाचार की शिकà¥à¤·à¤¾ दी जाती थी परंतॠआधà¥à¤¨à¤¿à¤• व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• बनाने की होड़ ने नौनिहालों को नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से दूर कर दिया. हम विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के विरोधी नहीं पर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विकास से मतलब है उनà¥à¤¹à¥‡ अचà¥à¤›à¥‡ संसà¥à¤•à¤¾à¤° देना और अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से रूबरू करवाना जिससे वे अपने साथ-साथ पूरे समाज को सही रासà¥à¤¤à¥‡ पर ले जा सके.
पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पहले देखने में आता है कि बचà¥à¤šà¥‡ चचेरे à¤à¤¾à¤ˆ बहनों को à¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ या बहन नहीं बलà¥à¤•à¤¿ चाचा का बेटा या बेटी कहकर संबोधन करते हैं पहले à¤à¤¸à¤¾ नहीं था चाचा, ताऊ, मामा, मौसा आदि के बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤¾à¤ˆ या बहन ही कहलाते थे. पर जब आज का वह बचà¥à¤šà¤¾ अकेला है तो वह इन सब रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से अनà¤à¤¿à¤—à¥à¤¯ है. आने वाला समय उसे कहाठसे रिशà¥à¤¤à¥‡ देगा, उसके बचà¥à¤šà¥‡ बà¥à¤† मामा आदि शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¥‚ल जायेंगे. आखिर हम अपनी कथित सोसायटी को दिखाने के लिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को दफन करने में लगे है.
दरअसल जब बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤¾à¤ˆ-बहनों के के साथ खेलते हैं तो यह उनमें रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ और समाजीकरण का अहसास पैदा होता है. बचà¥à¤šà¥‡ का पहला सà¥à¤•à¥‚ल उसका घर होता है, तो सबसे पहले घर का माहौल सà¥à¤¨à¥‡à¤¹à¤¶à¥€à¤² होना चाहिà¤. घर का माहौल खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ होना, घर में बड़ों को आदर होना, बोल-चाल में सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और सौमà¥à¤¯à¤¤à¤¾, à¤à¤•-दूसरे के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लगाव जैसी बातों से बचà¥à¤šà¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं और इन बातों को बड़ी जलà¥à¤¦à¥€ सीखते हैं. अकेला बचà¥à¤šà¤¾ अपराध जलà¥à¤¦à¥€ सीखता है वह मन में बहà¥à¤¤ सारे सवाल पाल लेता हैं. उसके मन को पà¥à¤¿à¤ वरना उसका मन इंटरनेट पर उपलबà¥à¤§ कोई वेबसाइट अपने ढंग से पॠऔर उसे गलत चीजें सीखा रही होगी. बचà¥à¤šà¤¾ जिसके समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आता है, उसी का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करता हैं. आज के टीवी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® और इंटरनेट साफ-साफ बताते हैं कि अपने सà¥à¤–-विलास को पूरा करना ही सब कà¥à¤› है. वे विलासिता से लेकर मार-पीटवाले और खून-खराबेवाले सीनों को à¤à¤¸à¥‡ दिखाते हैं, मानो ये आम बात हों. इस कारण नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के गिरने से जो अंजाम दिख रहे है वह रोंगटे खड़े कर देने वाले है.
आज हमें बचपन बचाना है ताकि कल हम देश के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ को मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† देख सके. हम उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से दूर करने की बात नहीं कर रहे है पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में अपने देश के वीरों, महावीरों, महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के जीवन से जà¥à¤¡à¥€ अचà¥à¤›à¥€ कामिकà¥à¤¸, कहानियां बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पढने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ मनोरंजन का साधन होने के साथ-साथ उनके कोमल मतिषà¥à¤• पर बड़ी जलà¥à¤¦à¥€ असर करती हैं. नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की जानकारी बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सà¤à¥à¤¯, चरितà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¨, करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ à¤à¤µà¤‚ माता-पिता के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सेवा à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखने वाली बनाती है.
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