मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ का अकेले काशी के 40 दिगà¥à¤—ज विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से सफल शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥
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Manmohan Kumar AryaDate
03-Jan-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
03-Jan-2019Download PDF
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ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन में जो महानॠकारà¥à¤¯ किठउनमें से à¤à¤• काशी के दà¥à¤°à¥à¤—ाकà¥à¤£à¥à¤¡ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ आननà¥à¤¦ बाग में लगà¤à¤— 50-60 हजार लोगों की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में ‘मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा वेदसमà¥à¤®à¤¤ नहीं है’, विषय पर उनका शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¥€ था जिसमें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी विजयी हà¥à¤ थे। यह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ आज से 148 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ 16 नवमà¥à¤¬à¤°, 1869 को हà¥à¤† था। इस शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ में दो पादरी à¤à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। जिले के अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ कलेकà¥à¤Ÿà¤° शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ का आयोजन रविवार को कराने के इचà¥à¤›à¥à¤• थे जिससे वह à¤à¥€ इस शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रह सके। उनके आने से पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ कानून हाथ में लेकर अवà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ व मनमानी नहीं कर सकते थे, अतः काशी नरेश शà¥à¤°à¥€ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ नारायण सिंह ने इसे मंगलवार को आयोजित किया था। काशी के सनातनी पौराणिक पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ को यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ इस शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा को वेदसमà¥à¤®à¤¤ सिदà¥à¤§ करना था परनà¥à¤¤à¥ पौराणिकों की वेद में गति न होने और मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का वेदों में कहीं विधान न होने के कारण वह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में वेदों व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का कोई पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ नहीं दे सके थे। वह विषय को बदलते हà¥à¤ विषयानà¥à¤¤à¤° की बातें करते रहे। यह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ सायं 4 से 7 बजे तक लगà¤à¤— 3 घंटे हà¥à¤† था। इतिहास में à¤à¤¸à¤¾ उदाहरण नहीं मिलता कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने पूरà¥à¤µ कà¤à¥€ किसी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के वेद समà¥à¤®à¤¤ न होने पर शंका वा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ किया हो। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद वह पहले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का खणà¥à¤¡à¤¨ करने के साथ उसे वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ घोषित किया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराचारà¥à¤¯ जी की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• विवेक चूड़ामणि में à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व निराकार सà¥à¤µà¤°à¥‚प का वरà¥à¤£à¤¨ किया गया है परनà¥à¤¤à¥ उसमें मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के वेदसमà¥à¤®à¤¤ होने या न होने पर शंका नहीं की गई है और न किसी को शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ ही दी गई है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ को परमातà¥à¤®à¤¾ से अति उचà¥à¤š कोटि की परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ दिवà¥à¤¯ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व विवेक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने न केवल मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा को अवैदिक घोषित कर उसका खणà¥à¤¡à¤¨ किया अपितॠदेश की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• बाधक, देश के पराà¤à¤µ, पराधीनता à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ का कारण मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा को ही माना है। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° पूजा के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का साधन नहीं है अपितॠयह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ गहरी खाई है कि जिसमें मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जक गिर कर नषà¥à¤Ÿ हो जाता है। यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ यदि विधि पूरà¥à¤µà¤• न किया जाये और साधक को इषà¥à¤Ÿ देव का सचà¥à¤šà¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की विधि जà¥à¤žà¤¾à¤¤ न हो तो वह कà¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर सकता। यह आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उपासना के लिठयोग और सांखà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ जैसे गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ होते हà¥à¤ काशी के शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का समरà¥à¤¥à¤¨ करते थे और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के आधार पर यम-नियम का पालन तथा धारणा à¤à¤µ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न करते हà¥à¤ पाषाण व धातà¥à¤“ं की बनी हà¥à¤ˆ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को धूप व नैवेदà¥à¤¯ देकर ईशà¥à¤µà¤° पूजा की इतिशà¥à¤°à¥€ समà¤à¤¤à¥‡ थे। यह उनकी घोर अविदà¥à¤¯à¤¾ थी। आज à¤à¥€ हमारे पौराणिक सनातनी à¤à¤¾à¤ˆ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा करते हैं। उनके विवेकहीन अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¥€ उनका अनà¥à¤•à¤°à¤£ व अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करते हà¥à¤ विधिहीन तरीके से पूजा करके ईशà¥à¤µà¤° के पास जाने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उससे दूर हो जाते हैं जिसकी हानि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस जनà¥à¤® व à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में उठानी पड़ती है। जो à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा करेगा वह à¤à¥€ इससे होने वाली हानियों को उठायेगा। इसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– ऋषि दयाननà¥à¤¦ अपने पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा में सोलह पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दोषों को सपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ व तरà¥à¤• के साथ किया है।
मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के कà¥à¤› विचारों की चरà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ कर लेते हैं। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का आरमà¥à¤ जैन मत से हà¥à¤†à¥¤ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वह लिखते हैं कि जैनियों ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा अपनी मूरà¥à¤–ता से चलाई। जैनियों की ओर से वह à¤à¤• कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं कि शानà¥à¤¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ बैठी हà¥à¤ˆ मूरà¥à¤¤à¤¿ देख के अपने जीव वा आतà¥à¤®à¤¾ का à¤à¥€ शà¥à¤ परिणाम वैसा ही होता है। इसका उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी कहते हैं कि आतà¥à¤®à¤¾ वा जीव चेतन और मूरà¥à¤¤à¤¿ जड़ गà¥à¤£ वाली है। कà¥à¤¯à¤¾ मूरà¥à¤¤à¤¿ की पूजा करने से जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से कà¥à¤·à¥€à¤£ व शूनà¥à¤¯ होकर जड़ हो जायेगा? सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी कहते हैं कि मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा केवल पाखणà¥à¤¡ मत है तथा मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा जैनियों ने चलाई है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में चौदह समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ लिखे हैं। बारहवां समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ जैन मत की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की समीकà¥à¤·à¤¾ पर लिखा है। उस समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने जैन मत की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा विषयक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का सपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ खणà¥à¤¡à¤¨ किया है।
मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का खणà¥à¤¡à¤¨ करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ अनेक पà¥à¤°à¤¬à¤² तरà¥à¤• देते हैं। वह कहते हैं कि जब परमेशà¥à¤µà¤° निराकार, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है तब उस की मूरà¥à¤¤à¤¿ ही नहीं बन सकती और जो मूरà¥à¤¤à¤¿ के दरà¥à¤¶à¤¨ मातà¥à¤° से परमेशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ होवे तो परमेशà¥à¤µà¤° के बनाये पृथिवी, जल, अगà¥à¤¨à¤¿, वायॠऔर वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ आदि अनेक पदारà¥à¤¥, जिन में ईशà¥à¤µà¤° ने अदà¥à¤à¥‚त रचना की है, कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥€ रचनायà¥à¤•à¥à¤¤ पृथिवी, पहाड़ आदि परमेशà¥à¤µà¤° रचित महामूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कि जिन पहाड़ आदि से वे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनती हैं, उन को देख कर परमेशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं हो सकता? जो मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जक कहते हैं कि मूरà¥à¤¤à¤¿ के देखने से परमेशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ होता है, उनका यह कथन सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ मिथà¥à¤¯à¤¾ है, इसलिठकि जब वह मूरà¥à¤¤à¤¿ उनके सामने न होगी तो परमेशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤®à¤°à¤£ न होने से वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पाकर चोरी, जारी आदि कà¥à¤•à¤°à¥à¤® करने में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ à¤à¥€ हो सकते हैं। वह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जानते हैं कि इस समय यहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई नहीं देखता। इसलिये वह मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जक अनरà¥à¤¥ करे विना नहीं चूकता। इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ अनेक दोष पाषाणादि मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा करने से सिदà¥à¤§ होते हैं।
यह à¤à¥€ बता दें कि काशी शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ से पूरà¥à¤µ वहां के शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ ने अपने शिषà¥à¤¯ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की विदà¥à¤¯à¤¾ की परीकà¥à¤·à¤¾ वा जानकारी लेने के लिठगà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से उनके पास à¤à¥‡à¤œà¤¾ था। यह विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे रामशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, दामोदर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, बालशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और पं. राजाराम शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ आदि। यह विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पास उनका शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सà¥à¤¤à¤° जानने के लिठआये थे। काशी के पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ अपने पकà¥à¤· की निरà¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ को जानते थे। इसलिठवह राजा ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ नारायण सिंह के कहने पर à¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठउतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ नहीं हो रहे थे। इस कारण राजा ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ व आजà¥à¤žà¤¾ दी थी। राजा जी ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाली सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं व धन वैà¤à¤µ का à¤à¥€ हवाला à¤à¥€ दिया था। यह à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के खणà¥à¤¡à¤¨ से काशी के लोग बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो रहे थे और मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा करना छोड़ रहे थे। इसका मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ काशी नरेश व पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ पर पड़ रहा था परनà¥à¤¤à¥ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के पकà¥à¤· में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ न होने के कारण वह किंकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤®à¥‚ॠबने हà¥à¤ थे। काशी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ पं. बालशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ आदि ने अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पं. शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, पं. ढà¥à¤‚ढिराज शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ धरà¥à¤®à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€, पं. दामोदर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ तथा पं. रामकृषà¥à¤£ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ आदि को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के निकट à¤à¥‡à¤œà¤•à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मानà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सूची लाने के लिठà¤à¥‡à¤œà¤¾ था। बाद में काशी नरेश ने अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया और पà¥à¤²à¤¿à¤¸ कोतवाल पं. रघà¥à¤¨à¤¾à¤¥ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ ने मधà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤¤à¤¾ की तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने अपने दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मानà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सूची सà¥à¤µà¤¹à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° सहित उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दे दी। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उस समय जो 21 शासà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ कोटि में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किये गये वे थे चार वेद संहिताà¤à¤‚, चार उपवेद, वेदों के 6 अंग, 6 उपांग तथा पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ को छोड़कर मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¥¤
शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के दिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के à¤à¤• à¤à¤•à¥à¤¤ पं. बलदेव पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ शà¥à¤•à¥à¤² ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी से कहा कि महाराज, यह काशी नगरी गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का घर है। यदि यह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ फरà¥à¤°à¥‚खाबाद में होता तो वहां आपके दस बीस à¤à¤•à¥à¤¤ और अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ सामने आते परनà¥à¤¤à¥ यहां काशी में तो आपको शतà¥à¤°à¥à¤“ं के शिविर में जाकर रण कौशल दिखाना होगा। ईशà¥à¤µà¤° विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का पं. बलदेव जी को उतà¥à¤¤à¤° था--बलदेव! डर कà¥à¤¯à¤¾ है? à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° है, à¤à¤• मैं हूं, à¤à¤• धरà¥à¤® है, और कौन है? सतà¥à¤¯ का सूरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¬à¤² अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और अविदà¥à¤¯à¤¾ के अंधकार पर अकेला ही विजयी होता है। अपने अटल ईशà¥à¤µà¤°à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के बल पर ही दयाननà¥à¤¦ जी ने जड़ उपासना के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• दृण दà¥à¤°à¥à¤— काशी को अकेले ही à¤à¥‡à¤¦à¤¨à¥‡ का निशà¥à¤šà¤¯ किया था। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के दिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कà¥à¤·à¥Œà¤° करà¥à¤® कराया था, उसके बाद सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया, शरीर पर मृतà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ धारण की, इसके बाद पदà¥à¤®à¤¾à¤¸à¤¨ लगाकर देर तक परमेशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ किया। इसके बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया। à¤à¥‹à¤œà¤¨ के बाद वह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² आननà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤— में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ आरमà¥à¤ होने के समय 4 बजे से पूरà¥à¤µ पहà¥à¤‚च गये थे। यह लेख परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ हो गया है। हम इस लेख में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के विपकà¥à¤·à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¥€ देना चाहते थे परनà¥à¤¤à¥ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° à¤à¤¯ से नहीं दे पा रहे हैं। इतना ही महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है कि काशी के पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ ने वेदों से मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का कोई पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ न देकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी विषयानà¥à¤¤à¤° करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚, धरà¥à¤® व अधरà¥à¤® मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प लकà¥à¤·à¤£ वा उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ वह न बता पाये। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ चल ही रहा था कि पं. विशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने अपनी विजय घोषित कर दी और शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² से अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¥œ के साथ ढोल बाजे बजाते हà¥à¤ चले गये। पराजय में à¤à¥€ उतà¥à¤¸à¤µ मनाना हमारे पौराणिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को आता है। हम आशा करते हैं पाठक इसे पसनà¥à¤¦ करेंगे। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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