ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी का सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वेदोपदेश
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Manmohan Kumar AryaDate
04-Jan-2019Category
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Vikas KumarUpload Date
04-Jan-2019Download PDF
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ऋषि दयाननà¥à¤¦ वेद मंतà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करते हà¥à¤ लिखते हैं कि ‘हे मनà¥à¤·à¥à¤¯! जो कà¥à¤› इस संसार जगतॠमें है उस सब में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर जो नियनà¥à¤¤à¤¾ है वह ईशà¥à¤µà¤° कहाता है। उस से डर कर तू अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से किसी के धन की आकांकà¥à¤·à¤¾ मत कर उस अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£à¤°à¥‚प धरà¥à¤® से अपने आतà¥à¤®à¤¾ से आननà¥à¤¦ को à¤à¥‹à¤—।’
à¤à¤• अनà¥à¤¯ मंतà¥à¤° पर उपदेश करते हà¥à¤ वह कहते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° सब को उपदेश करता है कि हे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹! मैं ईशà¥à¤µà¤° सब (संसार की रचना) के पूरà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ सब जगतॠका पति हूं। मैं सनातन जगतà¥à¤•à¤¾à¤°à¤£ और सब धनों का विजय करनेवाला और दाता हूं। मà¥à¤ को ही सब जीव जैसे पिता को सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हैं वैसे पà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤‚। मैं सब को सà¥à¤– देने हारे जगतॠके लिये नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के à¤à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का विà¤à¤¾à¤— पालन के लिये करता हूं।
ईशà¥à¤µà¤° कà¤à¥€ पराजय और मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होता। ईशà¥à¤µà¤° ही संसार रूपी धन का निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ है। इसका उपदेश करते हà¥à¤ वह कहते हैं कि मैं परमैशà¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥ सूरà¥à¤¯ के सदृश सब जगतॠका पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• हूं। कà¤à¥€ पराजय को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होता और न कà¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता हूं। मैं ही जगतॠरूप धन का निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ हूं। सब जगतॠकी उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने वाले मà¥à¤ को ही जानो। हे जीवों ! à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के यतà¥à¤¨ करते हà¥à¤ तà¥à¤® लोग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ धन को मà¥à¤ से मांगो और तà¥à¤® लोग मेरी मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ से अलग मत होओ।
ईशà¥à¤µà¤° सतà¥à¤¯ बोलने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि धन देते हैं। इसका उपदेश करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा है कि हे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚! मैं सतà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤£ रूप सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सनातन जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ धन को देता हूं। मैं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वेद का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ करने हारा और मà¥à¤ को वह वेद यथावतॠकहता है उस से सब के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤†, मैं सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤· का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• यजà¥à¤ž करने हारे को फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ और इस विशà¥à¤µ में जो कà¥à¤› है उस सब कारà¥à¤¯ का बनाने और धारण करने वाला हूà¤à¥¤ इसलिये तà¥à¤® लोग मà¥à¤ को छोड़ किसी दूसरे को मेरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में मत पूजो, मत मानो और मत जानो।
वेद à¤à¤• मातà¥à¤° à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं जो ईशà¥à¤µà¤° के दिये गये जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से रचे हà¥à¤ हैं। वेदों से ही ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के तीसरे नियम में कहा कि वेद सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। वेद का पà¥à¤¨à¤¾ पà¥à¤¾à¤¨à¤¾ और सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ सब आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वा मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परम धरà¥à¤® है। हम आशा करते हैं कि पाठक उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ ऋषि उपदेश को लाà¤à¤ªà¥à¤°à¤¦ पायेंगे। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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