ईशà¥à¤µà¤° और वेद का मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में महतà¥à¤µ
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Manmohan Kumar AryaDate
05-Jan-2019Category
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Vikas KumarUpload Date
05-Jan-2019Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन ईशà¥à¤µà¤° से मिला वरदान है। ईशà¥à¤µà¤° और जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ संसार में अनादि काल से विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। इसी कारण से ईशà¥à¤µà¤° ने अनादि कारण जड़ पदारà¥à¤¥ मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के सà¥à¤– के लिठरचा है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जो दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं वह अधिकांश उनके पूरà¥à¤µ कृत करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कारण होते हैं या फिर अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व अनà¥à¤¯ पशà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आपदाओं से हà¥à¤† करते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन सà¥à¤– à¤à¥‹à¤— के साथ सà¤à¥€ सांसारिक दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का दà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥€ है। यदि हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को जान लें और उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही आचरण करें, तो समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ कर सकते हैं कि हम धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लें। यदि पूरà¥à¤µ करà¥à¤® फल à¤à¥‹à¤— बचे रहे या फिर हमारी साधना में कमी रही तो मोकà¥à¤· à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है। मोकà¥à¤· कà¤à¥€ à¤à¥€ हो, अनेक जनà¥à¤® à¤à¤²à¥‡ ही लग जायें, परनà¥à¤¤à¥ हमें मोकà¥à¤· के साधनों ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨, देवयजà¥à¤ž व अनà¥à¤¯ महायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ सहित वेदाचरण को करते ही रहना चाहिये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वेदाचरण से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ कारà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। संसार के आदि काल से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक व उसके बाद हà¥à¤ जैमिनी और दयाननà¥à¤¦ आदि ऋषि सà¤à¥€ वेदाचरण करते हà¥à¤ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते आये हैं। इससे अधिक शà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥à¤•à¤° कारà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठऔर कà¥à¤› नहीं हो सकता। यदि कोई वेदाचरण नहीं करता तो वह अपने परजनà¥à¤®à¥‹à¤‚ वा à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ को बिगाड़ता है जिसका परिणाम à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में उसे दà¥à¤ƒà¤– मिलना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है।
ईशà¥à¤µà¤° हमारा माता, पिता, आचारà¥à¤¯, गà¥à¤°à¥, राजा व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम में वेदों के आधार पर निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· रूप में ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को बताते हà¥à¤ कहा गया है कि ‘ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। उसी की उपासना करनी चाहिये।’ इन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° जीवों के जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में किये गये अà¤à¥à¤•à¥à¤¤ पाप-पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ à¤à¥€ है। वह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाने के साथ इसका पालन व यथासमय संहार à¤à¥€ करता है। संसार में हम अनेकानेक योनियों में जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के शरीर देखते हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उन जीवों के करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° ने ही बनाया है। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होने व जीव वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯ होने के कारण ईशà¥à¤µà¤° व जीव का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯ संबंध है। इस वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• संबंध से ही जीवातà¥à¤®à¤¾ वा मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना व संगति करके अपने दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚, दà¥à¤µà¥à¤¯à¤°à¥à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ व दà¥à¤ƒà¤–ों का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर सà¥à¤–ी व आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ होता है और वेदविहित करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके असतॠव अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को न करके पाप रहित होकर मà¥à¤•à¥à¤¤ होता है। हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व सà¥à¤–-दà¥à¤– ईशà¥à¤µà¤° की कृपा व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पर निरà¥à¤à¤° है। इसका अरà¥à¤¥ यह है कि ईशà¥à¤µà¤° धरà¥à¤® का यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प होने के कारण हमें नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• हमारे करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤– आदि देता है जिससे हम करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° अनेक योनियों में जनà¥à¤® पाकर अपना जीवन सà¥à¤– पूरà¥à¤µà¤• वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर पाते हैं। यह à¤à¥€ बता दें कि सबसे अधिक सà¥à¤– मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सदाचरण कर ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤– व आननà¥à¤¦ का देने वाला है। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ यथा सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ में अपना यथोचित समय लगाना चाहिये। यहां यह à¤à¥€ निवेदन कर दें कि अधिक से अधिक ऋषियों व शीरà¥à¤· वेद विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को ही पà¥à¤¨à¤¾ चाहिये। साधारण कोटि के लेखकों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¥‡ से अविदà¥à¤¯à¤¾ साथ लग जाने का à¤à¤¯ रहता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को ऋषि नहीं मानते थे। इसलिठवेदों के अचà¥à¤›à¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ होकर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना इसी कारण नहीं की कि वह अनृषि विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ थे।
वेद किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ की रचना नहीं है अपितॠयह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ चार ऋषियों को ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। वेद à¤à¤¸à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है कि जिसको जानने व आचरण करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• होकर अरà¥à¤¥ व काम सहित मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ करता है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² के बाद वेद व वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उसके यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गये थे और इसके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर देश व समाज में अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हो गया था। सायण à¤à¤µà¤‚ महीधर आदि वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के वेदारà¥à¤¥ मिथà¥à¤¯à¤¾ व अधिकांशतः वेदों के विपरीत अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हैं। ईसा की उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ में गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के टंकारा कसà¥à¤¬à¥‡ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी का जनà¥à¤® होता है। वह अपनी विदà¥à¤¯à¤¾ की तीवà¥à¤° इचà¥à¤›à¤¾ व तदनà¥à¤•à¥‚ल घोर तप व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से वेद व उनके सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सके। वेदों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उनके सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ को ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ निरà¥à¤•à¥à¤¤ आदि व अपने योगबल से जाना और गà¥à¤°à¥ आजà¥à¤žà¤¾ से उसका देश में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पहले सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ लिखा था। यह à¤à¥€ वैदिक साहितà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। इसके बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चारों वेदों की à¤à¥‚मिका ‘ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका’ लिखी जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चारों वेदों में किन विषयों का किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है, उसका संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया है। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना के बाद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ और यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आरमà¥à¤ किया। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पूरा हो गया तथा ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ जारी था। इसी बीच 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, 1883 को à¤à¤• षडयनà¥à¤¤à¥à¤° का शिकार होकर विष दिये जाने से उनका देहानà¥à¤¤ हो गया। उनके बाद उनके अनेक शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने बहà¥à¤¤ योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• उनकी शैली पर अविशिषà¥à¤Ÿ वेद व वेद मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥ व à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ किये। आज चारों वेदों के अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व टीकायें उपलबà¥à¤§ है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है कि शायद इससे पूरà¥à¤µ कालों में जनसामनà¥à¤¯ को वेदों के अरà¥à¤¥ इतनी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं के साथ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं थे। आज आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में à¤à¤¸à¥‡ अनेक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चारों वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने के साथ चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤ªà¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का अनà¥à¤·à¥à¤ ान à¤à¥€ किया है। यह सब ईशà¥à¤µà¤° और ऋषि दयाननà¥à¤¦ की कृपा का परिणाम है।
ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ चार वेद आज सरलता से उपलबà¥à¤§ हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं, वेदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण करते हैं, वह सचà¥à¤šà¥‡ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं। हम अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि यदि वेद नहीं रहेंगे तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ आकृति से à¤à¤²à¥‡ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ होगा परनà¥à¤¤à¥ उसमें जिस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की अपेकà¥à¤·à¤¾ है, उसके न होने से वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं रहेगा। वेद की विलà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की बात करते हैं तो इसका अरà¥à¤¥ होता है कि वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की संहितायें अनà¥à¤ªà¤²à¤¬à¥à¤§ हो जाये परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ यदि कालानà¥à¤¤à¤° में होगा, तो à¤à¥€ वेदों के ईशà¥à¤µà¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहने से वह कà¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ नहीं होते। à¤à¤¸à¤¾ होगा नहीं और ईशà¥à¤µà¤° करे कि इस संसार में कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ समय न आये। यह बात हम इस लिठकह रहे हैं कि आज वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ बà¥à¤¨à¥‡ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर कम हो रही है। आज वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देश व विशà¥à¤µ में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¬à¤² हैं। वह वैदिकों का धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विधरà¥à¤®à¥€ बनाना चाहती हैं और वेदों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनमें शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ जैसी कोई बात नहीं है। यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि परमातà¥à¤®à¤¾ वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में केवल à¤à¤• बार ही देता है। यदि हमारे आलसà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ से यह कà¤à¥€ पूरà¥à¤£ रूप से विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होंगे तो फिर इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ कलà¥à¤ª के शेष à¤à¤¾à¤— में मनà¥à¤·à¥à¤¯ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित ही रहेंगे। हमें विचार कर à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ नहीं आने देनी है। वेदों के विषय में यह à¤à¥€ जानने योगà¥à¤¯ है कि संसार में जितनी à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विकास व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है उसका आदि कारण ईशà¥à¤µà¤° और वेद ही हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤¥à¤® नियम इस बात को इस रूप में कहता है ‘सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ (वेद व परवरà¥à¤¤à¥€ ऋषियों, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥) और जो पदारà¥à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾ से जाने जाते हैं उनका आदि मूल परमेशà¥à¤µà¤° है।’ वेदों में परा व अपरा विदà¥à¤¯à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ आवशà¥à¤¯à¤• मातà¥à¤°à¤¾ व सूतà¥à¤° रूप में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। ईशà¥à¤µà¤° के विषय में वेद विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं। चारों वेदों में ईशà¥à¤µà¤° विषयक मनà¥à¤¤à¥à¤° व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उपलबà¥à¤˜ है। हमारे ऋषियों ने आजà¥à¤žà¤¾ देते हà¥à¤ कहा है कि ‘सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤®à¤¦à¤ƒ’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हम वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में कà¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ न करें। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व इसके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना है और इसके साथ वेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ करना है। हमारे शरीर में पà¥à¤°à¤¾à¤£, मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सहित पूरे शरीर का जितना महतà¥à¤µ है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में ईशà¥à¤µà¤° व वेद दोनों का महतà¥à¤µ है। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन में ईशà¥à¤µà¤° की सचà¥à¤šà¥€ उपासना व वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है तो वह जीवन अपूरà¥à¤£ है। ईशà¥à¤µà¤° व वेदों के यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व इनकी उपासना से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बन सकता है। ईशà¥à¤µà¤° व वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के बिना हम à¤à¤• सचà¥à¤šà¥‡ सदाचारी मनà¥à¤·à¥à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं कर सकते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤°
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