“सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का आरà¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ में महतà¥à¤µ व योगदानâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
09-Jan-2019Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
09-Jan-2019Download PDF
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सनातन वैदिक धरà¥à¤® का अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, अनेक सामाजिक विकृतियों सहित वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को अंगीकृत कर लेने से बना परवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ रूप ही हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक न केवल आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤-à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपितॠसमसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ में सनातन वैदिक धरà¥à¤® ही सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अविदà¥à¤¯à¤¾ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ रहित à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° धरà¥à¤® था। यह à¤à¥€ जान लेना आवशà¥à¤¯à¤• है कि वेद सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जिसे परमातà¥à¤®à¤¾ ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में चार ऋषियों के माधà¥à¤¯à¤® से सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उनके करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बोध के लिये दिया था। वेद की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ यà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने वाली हैं।
वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व उसकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का आचरण करके ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ होकर धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का वेदाचरण के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ कोई उपाय, मत, पनà¥à¤¥ आदि साधन नहीं है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल में विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ होने के कारण देश की शिकà¥à¤·à¤¾ व धरà¥à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ जिसके परिणाम से आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ देश सहित पूरे विशà¥à¤µ में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° फैल गया। समय के साथ इसमें विसà¥à¤¤à¤¾à¤° होता गया। सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ लोगों ने इस अवसर का लाठउठा कर सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® वेद में अपने हित को सिदà¥à¤§ करने के लिये मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ जोड़ दी जिसका हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज अब तक वहन करता चला आ रहा है। वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अà¤à¤¾à¤µ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ को à¤à¥‚ला हà¥à¤† है जिसके परिणाम से वह धरà¥à¤® को न जानकर धरà¥à¤® के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं में जकड़ा हà¥à¤† है। इसी का परिणाम बौदà¥à¤§ व जैन काल में नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° होना हà¥à¤† और बाद में देश छोटे-छोटे राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में विà¤à¤•à¥à¤¤ होकर अरब देशों की ओर से आये लà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ का शिकार होकर पराधीनता को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† जिसमें इसका जन, धन, जीवन सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ लà¥à¤Ÿà¤¤à¥€ रही। आज यदि देश में कà¥à¤› जागृति व à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है तो इसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° को दिया जा सकता है जिसमें वेदों के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ “सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶” का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान है।
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है जिसे देश के धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक पतन के सà¤à¥€ कारणों का विचार कर उसके समाधानों को अति सरल लोक à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पतन व अवनति का कारण अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ ही मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ होते हैं। चारितà¥à¤°à¤¿à¤• नà¥à¤¯à¥‚नतायें à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को दà¥à¤°à¥à¤¬à¤² व समाज को विकृतियों से यà¥à¤•à¥à¤¤ बनाते हैं। इन सबकी औषधि व उपचार सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से ही हो सकता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने देश के पतन के कारणों में ईशà¥à¤µà¤° की योग विधि के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, अवतारवाद की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद, सामाजिक à¤à¥‡à¤¦-à¤à¤¾à¤µ, ऊंच-नीच, छà¥à¤†-छूत सहित मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ में पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ तथा कà¥à¤› पातà¥à¤°à¤¤à¤¾ विहिन आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के वेदों के विदà¥à¤¯à¤¾ से रहित अरà¥à¤¥ करने को माना हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वेदों के सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के आधार पर मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, अवतारवाद, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, सामाजिक असमानता आदि का खणà¥à¤¡à¤¨ कर ईशà¥à¤µà¤° उपासना की वैदिक विधि तथा सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¤à¥à¤¯à¤œà¥‹à¤‚ का वेदों में समान अधिकार आदि अनेक विषयों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के हृदय में धरà¥à¤®, सामाजिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अतीत के इतिहास से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ जितने à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ व शंकायें उठती हैं, उन सबका समाधान सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के पाठकों को मिलता है। इससे पूरà¥à¤µ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का कोई गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपितॠसंसार में कहीं नहीं था। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में वेद विषयक सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ व शंकाओं का उतà¥à¤¤à¤° तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के आधार पर दिया गया है। यह à¤à¥€ बताया गया है कि संसार में ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• है और जितने à¤à¥€ देवता विषयक नाम वैदिक साहितà¥à¤¯ में आते हैं? वह सब ईशà¥à¤µà¤° के किसी न किसी गà¥à¤£ व विशेषताओं का बोध कराते हैं।
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में 14 समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ हैं जिसमें पà¥à¤°à¤¥à¤® दस समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उनका मणà¥à¤¡à¤¨ किया गया है और उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤§ के चार समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¥à¤® में आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ तथा इतर तीन समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में चारवाक-बौदà¥à¤§-जैन आदि नासà¥à¤¤à¤¿à¤• मतों सहित ईसाई व इसà¥à¤²à¤¾à¤® मत की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का तरà¥à¤•, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ आदि पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के साथ समीकà¥à¤·à¤¾ कर लोगों को सतà¥à¤¯à¤¾-सतà¥à¤¯ विदित कराया गया है। इसके पीछे ऋषि दयाननà¥à¤¦ की अपेकà¥à¤·à¤¾ यह है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ सतà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ और असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करें। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ इस बात का है कि सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• सहायक है परनà¥à¤¤à¥ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾ व पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ विचार धारा के कारण लोगों ने इसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से संयà¥à¤•à¥à¤¤ व परिचित नहीं किया। बिना सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के मनà¥à¤·à¥à¤¯ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कदापि नहीं हो सकती। संसार में जितने à¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ है, वह तà¤à¥€ तक है जब तक कि संसार में धरà¥à¤® व समाज विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° नहीं होता। कà¤à¥€ न कà¤à¥€ वह समय à¤à¥€ आयेगा जब लोग मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ से होने वाली हानियों को समà¤à¥‡à¤‚गे और मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में से असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को दूर कर सतà¥à¤¯ मत वेद और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे जिससे सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° सà¥à¤– व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का वास होगा। इसके लिये कितनी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करनी होगी, कहा नहीं जा सकता। यह कारà¥à¤¯ जब à¤à¥€ होगा इसका आधार वेद और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ही होगा, विचार करने पर यह निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकलता है।
अब सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ विषयों पर à¤à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डाल लेते हैं। पà¥à¤°à¤¥à¤® दश समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में ईशà¥à¤µà¤° के नामों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, मंगलाचरण समीकà¥à¤·à¤¾, बाल शिकà¥à¤·à¤¾, à¤à¥‚त-पà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾à¤¦à¤¿ निषेध, जनà¥à¤® पतà¥à¤° सूरà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹ आदि की समीकà¥à¤·à¤¾, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨, गायतà¥à¤°à¥€ वा गà¥à¤°à¥ मनà¥à¤¤à¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, उपनयन, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, पठन-पाठन विधि, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का विषय, यà¥à¤µà¤•-यà¥à¤µà¤¤à¥€ का विवाह, गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, पंच-महायजà¥à¤ž, पाखणà¥à¤¡-खणà¥à¤¡à¤¨, पाखणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लकà¥à¤·à¤£, पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के लकà¥à¤·à¤£, मूरà¥à¤–ों के लकà¥à¤·à¤£, गृहसà¥à¤¥ धरà¥à¤®, पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹, नियोग विषय, वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥-संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤® की विधि, राज-धरà¥à¤®, देश के संचालन के लिठतीन सà¤à¤¾à¤“ं, धरà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¯-विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¯-राजारà¥à¤¯ सà¤à¤¾à¤“ं का वरà¥à¤£à¤¨, दणà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, राजा व राजà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, यà¥à¤¦à¥à¤§ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, देश रकà¥à¤·à¤¾, कर गà¥à¤°à¤¹à¤£, चोर आदि के लिये दणà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, ईशà¥à¤µà¤° विषय, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना विषय, ईशà¥à¤µà¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, ईशà¥à¤µà¤° का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, ईशà¥à¤µà¤° के अवतार का निषेध, शरीरसà¥à¤¥ जीवातà¥à¤®à¤¾ की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ का उलà¥à¤²à¥‡à¤–, ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ की à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° की सगà¥à¤£ व निरà¥à¤—à¥à¤£ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व उसकी उपासना का वरà¥à¤£à¤¨, वेदों के विषय में विचार व अनेक शंकाओं का समाधान, सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿, पालन व पà¥à¤°à¤²à¤¯ का विवरण, सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का उपादान कारण पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का उलà¥à¤²à¥‡à¤–, मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की आदि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आदि का निरà¥à¤£à¤¯, ईशà¥à¤µà¤° का जगत को धारण करना, विदà¥à¤¯à¤¾-अविदà¥à¤¯à¤¾, बनà¥à¤§à¤¨-मोकà¥à¤·, आचार-अनाचार, à¤à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ व अà¤à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ आदि अनेक विषयों को पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ के दस समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ किया गया है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤§ के चार समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€à¤¯ मतमतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨, नासà¥à¤¤à¤¿à¤•-चारवाक-बौदà¥à¤§-जैन मत समीकà¥à¤·à¤¾, कृशà¥à¤šà¤¨à¤®à¤¤ समीकà¥à¤·à¤¾ तथा यवन मत समीकà¥à¤·à¤¾ को समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ किया गया है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के अनà¥à¤¤ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने सà¤à¥€ विषयों पर अपने मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया हैं जो सà¤à¥€ वेदानà¥à¤•à¥‚ल हैं। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सà¤à¥€ शंकायें à¤à¤µà¤‚ à¤à¥à¤°à¤® दूर हो जाते हैं और वह इस निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· पर पहà¥à¤‚चता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ का धरà¥à¤® आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सतà¥à¤¯ को जानना व उसका आचरण करना है जिसमें वेद, वैदिक साहितà¥à¤¯ सहित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦à¤•à¥ƒà¤¤ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की ‘आरà¥à¤¯ वैदिक हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤®’ की रकà¥à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¥‚मिका रही है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€à¤¯ व अनà¥à¤¯ मतों की समीकà¥à¤·à¤¾ करने से विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के à¤à¤¯, पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨, मिथà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° आदि छलयà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये जाने वाले धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ पर अंकà¥à¤¶ लगा। पहले वह आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• होते थे परनà¥à¤¤à¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आतà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में लाकर खड़ा किया। आजादी के अजेय कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤µà¥€à¤° वीर विनायक दामोदर सावरकर जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के महतà¥à¤µ को रेखांकित करते हà¥à¤ ठीक ही कहा गया है कि सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कोई मत व उसका आचारà¥à¤¯ अपने धरà¥à¤® व मत की शेखी नहीं बघार सकता। यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ सतà¥à¤¯ है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के कारण आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने देश à¤à¤° में सà¥à¤•à¥‚ल, गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² तथा कनà¥à¤¯à¤¾ पाठशालायें खोलीं जिससे अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दूर होकर यà¥à¤µà¤• व यà¥à¤µà¤¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾ व खणà¥à¤¡à¤¨ से सà¤à¥€ लोगों को मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की निरà¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने के साथ सबको वेदों की महतà¥à¤¤à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ने ही सनॠ1875 में देश को आजाद कराने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ की थी। जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद पर à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° किये जिससे इस सामाजिक रोग में कमी आई है। पहले हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में बाल विवाह होते थे, उस पर अंकà¥à¤¶ लगा। सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ की निररà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ का à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की विचारधारा से निराकरण हà¥à¤†à¥¤ गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में विवाह का विचार सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤µà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ही पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया जिसे आज पूरे देश ने पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया है।
आज जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤œà¤¾à¤¤à¥€à¤¯ विवाह कहा जाता है उन गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पर आधारित विवाहों का आरमà¥à¤ à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की विचारधारा से ही हà¥à¤† है। कम आयॠकी विधवाओं के विवाह को पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ करने में à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका रही है। विवाहित सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ न होने पर नियोग पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने किया जो अनेक सामाजिक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान करती हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के छठे समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में राजा व राजà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ किया था। यह गà¥à¤£ हमारे राजनेताओं व अधिकारियों में किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों से नहीं आ सके।
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का देश की आजादी में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान है। आज अनेक जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में देश की जो सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है उसके पीछे हमें ऋषि दयाननà¥à¤¦ की वैदिक विचारधारा व उसके पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का ही परिणाम दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता है। देश ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ विषयक मनà¥à¤¤à¥à¤° को नहीं अपनाया। इसका दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® à¤à¥€ हम समाज में देख रहे हैं। यदि इस विचार को आजादी से पूरà¥à¤µ अपना लिया गया होता तो देश का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ न होता और आज जो सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ सिर उठाती है, वह समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ न होती। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनने से वहां हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का जो कतà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® हà¥à¤† वह à¤à¥€ न होता। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की महिमा अपरमà¥à¤ªà¤¾à¤° है। इसका मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन हम जैसे सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ करना समà¥à¤à¤µ नहीं है। इतना अवशà¥à¤¯ कह सकते हैं कि सनॠ1863 के बाद से देश में धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक जगत में जो सà¥à¤§à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ हà¥à¤ हैं उसका परिणाम ऋषि दयाननà¥à¤¦ की वैदिक विचार धारा के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व उनके लेखन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ही है। यदि सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ न होता और ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° को अपने जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ न बनाया होता तो देश आज जिस उनà¥à¤¨à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में है वह कदापि न होता। हम ऋषि दयाननà¥à¤¦ को सादर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¤ होकर नमन करते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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