पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— राज कà¥à¤®à¥à¤ में आरà¥à¤¯ समाज
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Rajeev ChoudharyDate
10-Jan-2019Category
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à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• देश है धरà¥à¤® की थाती है और अनेकों पनà¥à¤¥à¥‹ मतो का उदगम सà¥à¤¥à¤² à¤à¥€ है। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ यहाठसे पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤† साथ ही अनेकों महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने इसी धराधाम पर जनà¥à¤® à¤à¥€ लिया। यहाठकई उतà¥à¤¸à¤µ, तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° मनाठजाते हैं तो साथ ही धारà¥à¤®à¤¿à¤•-आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• आयोजन बहà¥à¤¤ ही à¤à¤µà¥à¤¯ व आसà¥à¤¥à¤¾ के साथ मनाठजाते हैं। कà¥à¤‚ठमेला à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥€ आयोजनों में से à¤à¤• है, इसमें शामिल होने के लिठदेश-विदेश से बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग आते हैं। इस बार 2019 में कà¥à¤‚ठमेले का आयोजन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज में किया जा रहा है। पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज में अरà¥à¤§à¤•à¥à¤‚ठ15 जनवरी 2019 से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो जाà¤à¤—ा और 04 मारà¥à¤š 2019 तक चलेगा।
कà¥à¤®à¥à¤ का परà¥à¤µ à¤à¤• महान अवसर हैं समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ देश के साथ विदेशों से करोड़ों वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होना अपने आप में हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लिठà¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ी उपलबà¥à¤§à¤¿ हैं। यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ आयोजन होता है जिसमें करोड़ों शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥, जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥, संत, महातà¥à¤®à¤¾ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और तपसà¥à¤µà¥€ गण à¤à¤¾à¤— लेते है। à¤à¤²à¤¾ देश के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤• विशाल à¤à¥‚-à¤à¤¾à¤— पर इतना बड़ा आयोजन हो और आरà¥à¤¯ समाज की à¤à¥‚मिका न हो यह कैसे संà¤à¤µ हो सकता है। किनà¥à¤¤à¥ इससे à¤à¥€ बड़ा सवाल यह है कि इस महान आयोजन का आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• लाठआरà¥à¤¯ समाज किस तरह लोगों तक पहà¥à¤‚चा सकता है। मन में इसी सवाल के साथ सैंकड़ों वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° कà¥à¤®à¥à¤ मेले में पाखणà¥à¤¡ खंडिनी पताका फहराकर हजारों वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक वैदिक विचारधारा को पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ था।
à¤à¤²à¥‡ ही पौराणिक कहानियों में कà¥à¤®à¥à¤ के आयोजन को लेकर अनेकों कथाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो जिनमें से सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• मानà¥à¤¯ कथा देव-दानवों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤¦à¥à¤° मंथन से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अमृत कà¥à¤‚ठसे अमृत बूà¤à¤¦à¥‡à¤‚ गिरने को लेकर है, किनà¥à¤¤à¥ यह सिरà¥à¤« à¤à¤• पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कथा हैं। असल में à¤à¤¾à¤°à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की à¤à¥‚मि थी और कà¥à¤®à¥à¤ जैसे आयोजन करने का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हमारे पूरà¥à¤µ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का यह था कि à¤à¤¸à¥‡ आयोजन में विचारों का मंथन करके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अमृत निकाला जाये। इसमें विशà¥à¤µ à¤à¤° के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨, तरà¥à¤• मानà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अमानà¥à¤¯ विषयों पर विचारों का मंथन किया करते थे। अंत में जो सतà¥à¤¯ होता उसे मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते और उस सतà¥à¤¯ को अमृत समठजीवन में उतारते।
इस महान वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और आयोजन को समय के साथ कलंकित सा होना पड़ा जब पौराणिक कथाओं को सतà¥à¤¯ मानकर अनेकों ढोंगियों, बाबाओं के वेश में जादू दिखाकर इसे अपनी धारà¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ बताकर अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ कर कà¥à¤®à¥à¤ जैसे महान अवसर को सिरà¥à¤« गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ और पूजा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ तक सिमित कर दिया। इससे उनका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त लाठपता नहीं कितना हà¥à¤† पर आमजन सनातन वैदिक धरà¥à¤® के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प से दूर होता चला गया।
जब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी यह सब देखा तो उनका मन दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ हो गया गà¥à¤°à¥ से धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ करके निकले सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने विचार किया कि छोटे-छोटे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में पांच-सात लोगों को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ से बेहतर है कि à¤à¤• जगह इकठà¥à¤ ा हà¥à¤ सà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ संतों से धरà¥à¤® चरà¥à¤šà¤¾ करके विचारों का मंथन करके कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वैदिक धरà¥à¤® के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का अमृत पिलाया जाये ताकि देश à¤à¤° में à¤à¤• ही बार में वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तो की चरà¥à¤šà¤¾ फैल जाये। इस विचार से समाज को सतà¥à¤¯ का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देने हेतॠ1866 में जब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° कà¥à¤®à¥à¤ में पहà¥à¤‚चे तो अपार à¤à¥€à¥œ साधà¥à¤“ं के विशाल अखाड़ों को देखा तो उनका साहस टूटने लगा। किनà¥à¤¤à¥ उनकी अंतरातà¥à¤®à¤¾ ने आवाज दी कि साहस मत तोड़ सब कारà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ होगा कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• अकेला सूरà¥à¤¯ संसार के सà¤à¥€ अंधकार को दूर नहीं कर देता?
आवाज सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही उस दिवà¥à¤¯ आतà¥à¤®à¤¾ ने अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के आगे à¤à¤• à¤à¤‚डे पर पाखणà¥à¤¡ खंडिनी पताका लिखकर दिया, पाखंडों, अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ अवतारों शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ आदि पर जब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने बोलना आरमà¥à¤ किया उस धारà¥à¤®à¤¿à¤• जन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की हलचल मच गयी अनेकों लोग धरà¥à¤® की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में विचार करने लगे। अकेले सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का यह पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª था कि सतà¥à¤¯ ने असतà¥à¤¯ को और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ को हिलाकर रख दिया था।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के निरà¥à¤µà¤¾à¤£ के बाद इस कारà¥à¤¯ को आरà¥à¤¯ समाज के महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ ने समय-समय पर संचालित रखा और इसे गति देने का कारà¥à¤¯ किया. पंडित लेखराम जी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ ने à¤à¤¸à¥‡ अवसर पर ही हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में पाखणà¥à¤¡-खणà¥à¤¡à¤¿à¤¨à¥€ पताका गाड़ कर अपने महानॠऔर विशाल मिशन की विजय-दà¥à¤‚दà¥à¤à¤¿ बजाई थी। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में धरà¥à¤®-करà¥à¤® और ईशà¥à¤µà¤° के नाम पर à¤à¤Ÿà¤• कर अशांत जीवन जी रहे है या फिर ढोंगियों के चंगà¥à¤² में फंसकर धन आदि की हानि करते नजर आ रहे है। यही à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ अवसर है जब हम अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, वैदिक धरà¥à¤® के सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ और हमारे विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ऋषियों की विचारधारा को करोड़ों के बीच पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कर सकते है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज à¤à¥€ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आà¤à¤¾à¤µ में अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸, पाखणà¥à¤¡ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और तरह-तरह के धरà¥à¤® और à¤à¤—वान उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते जा रहे है।
इसलिठइस अवसर पर सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ वैदिक विचारधारा को पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करने हेतू पà¥à¤¨: पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज कà¥à¤®à¥à¤ में वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€, विदà¥à¤·à¥€ आचारà¥à¤¯, गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ समेत आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया है. इसके साथ ही देश विदेश से आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® सà¥à¤¥à¤² पर वैदिक साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सामगà¥à¤°à¥€ हेतॠà¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° आकरà¥à¤·à¤• यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤µà¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर ओ३म धà¥à¤µà¤œ और पाखंड खंडिनी पताका को फहराया जायेगा।
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