सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ : अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर कर जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ बनाता है
Author
Manmohan Kumar AryaDate
11-Jan-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
762Total Comments
0Uploader
Vikas KumarUpload Date
11-Jan-2019Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
दीपक जलाने का अरà¥à¤¥ होता है कि जीवन से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° व कालिमा को दूर करना। हमारे जीवन में सबसे अधिक अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का है। इसी कारण हमारा चरितà¥à¤° à¤à¥€ कालिमा के समान पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ दूषित रहता है। हम सदà¥à¤•à¤°à¥à¤® और असदà¥à¤•à¤°à¥à¤® में अनà¥à¤¤à¤° नहीं कर पाते और पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨à¥‹à¤‚ में फंस कर अकरणीय कृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को कर बैठते हैं। इस पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठहमें सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है जिसका मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की चार पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ वेद हैं। इनके नाम ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ हैं जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चार ऋषियों के अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ कराये गये थे। आज à¤à¥€ यह अपने मूल रूप में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं और यह संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, हिनà¥à¤¦à¥€ व अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ सहित कà¥à¤› अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में परमातà¥à¤®à¤¾ ने सà¤à¥€ को बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ दी है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का विकास जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का विकास माना जाता है। कहा गया है कि बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से शà¥à¤¦à¥à¤§ होती है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ नहीं करता उसके पास à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ यनà¥à¤¤à¥à¤° होने पर à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से वह अपने जीवन को विवेकपूरà¥à¤µà¤• वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ नहीं कर सकता। अतः जनà¥à¤® के कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद ही बालक को पहले घर में और बाद में विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ या गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने à¤à¥‡à¤œà¤¾ जाता है। आज कल न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ अपितॠसंसार à¤à¤° के सà¥à¤•à¥‚लों वा विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं व समाज विषयक सामानà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है। उसे ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ धरà¥à¤®à¤¾-धरà¥à¤® विषयक यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं दिया जाता। इसलिठआवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है कि वह अपने घर पर रहकर व पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ अथवा आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ जैसी संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं का सदसà¥à¤¯ बनकर वहां होने वाले आयोजनों व उपदेशों से अपना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बà¥à¤¾à¤¯à¥‡ और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से शंका समाधान करता रहे। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾ है जहां विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¤à¥€ विषयों पर विचार करते हैं और शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ की हर शंका का समाधान करते हैं। अनà¥à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में यह परिपाटी है कि उनके मत की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में जो सही व गलत लिखा है उससे वह बाहर नहीं जा सकते। इसलिठहमें यह लगता है कि किसी à¤à¥€ मत का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अपने मत व उसकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के अलà¥à¤ª जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से आगे नहीं बॠसकते। इससे उनका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ अलà¥à¤ª व अपूरà¥à¤£ होती है और बहà¥à¤¤ से विषयों से वह अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž रहते हैं। वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ में निहित सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ से वह सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ वंचित रहते हैं।
जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठसबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ व बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ वसà¥à¤¤à¥ है जिसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® मिला है। कहा गया है कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से बà¥à¤•à¤° संसार में कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। वैदिक धरà¥à¤®à¥€ लोग जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में किसी अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ नहीं हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ को वेदों के साथ पà¥à¤°à¤¾à¤£ व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मतों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने की छूट है और वह करते à¤à¥€ हैं। अतीत में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पास बाइबिल, कà¥à¤°à¤¾à¤¨ और पà¥à¤°à¤¾à¤£ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ बहà¥à¤¤ बड़े बड़े विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ रहे हैं। आज à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतों का अलà¥à¤ª व अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने वाले सदसà¥à¤¯ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हैं। दूसरे किसी मत में यह बात नहीं है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। इस पर à¤à¥€ विधरà¥à¤®à¥€ व अनà¥à¤¯ मत वाले लोग इसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ नहीं करते। विचार करने पर यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि वह जानते हैं कि उनके मत की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अपूरà¥à¤£, विदà¥à¤¯à¤¾ विरà¥à¤¦à¥à¤§ व à¤à¥à¤°à¤® पैदा करने वाली हैं जिनका समाधान उनके पास नहीं है। यदि उनके मत के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ या वेद आदि पà¥à¥‡à¤‚गे तो इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने से अनà¥à¤¯ मतों के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विचार व à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कहीं वैदिक धरà¥à¤®à¥€ न हो जायें, यह डर अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को होता है। इस कारण अनà¥à¤¯ मत के लोग वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ से परिचित व लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ नहीं हो पा रहे हैं। दूसरा कारण यह à¤à¥€ है कि आज हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उस कारà¥à¤¯ में रूचि लेता है जिससे धन का लाठहोता है। वैदिक धरà¥à¤® को जानने व समà¤à¤¨à¥‡ के लिठउपदेश शà¥à¤°à¤µà¤£ सहित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, समय व उस पर चिनà¥à¤¤à¤¨ मनन करना आवशà¥à¤¯à¤• होता है। इससे आरà¥à¤¥à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹ में लगे लोग समया à¤à¤¾à¤µ के कारण à¤à¥€ रूचि नहीं लेते। इस कारण à¤à¥€ वैदिक धरà¥à¤® व साहितà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° होने में बाधायें आ रही हैं।
अनà¥à¤¯ मत मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ की बातें कम व न के बराबर à¤à¤µà¤‚ कहानी किसà¥à¤¸à¥‡ अधिक हैं जबकि वेद और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, सतà¥à¤¯ विचार व उनका सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤•à¤°à¤£ हैं न कि अनावशà¥à¤¯à¤• कहानी किसà¥à¤¸à¥‡à¥¤ हम यहां सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ विषयों की à¤à¤• संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ सूची दे रहे हैं जिससे अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाया जा रहा है कि इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का महतà¥à¤µ कà¥à¤¯à¤¾ है? सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पहले समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में ईशà¥à¤µà¤° के 100 से अधिक नामों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ मंगलाचरण समीकà¥à¤·à¤¾ है।
दूसरे समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में बालशिकà¥à¤·à¤¾, à¤à¥‚तपà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾à¤¦à¤¿à¤¨à¤¿à¤·à¥‡à¤§, जनà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤°à¤¸à¥‚रà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹à¤¸à¤®à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ आदि अनेक विषय हैं।
तीसरे समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨, गà¥à¤°à¥à¤®à¤‚तà¥à¤° वा गायतà¥à¤°à¥€à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶, यजà¥à¤žà¤ªà¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨, उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° समीकà¥à¤·à¤¾, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ के कृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨, पठन-पाठन की विशेष विधि, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शूदà¥à¤° अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ विषय आदि हैं।
चौथे समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में विवाह का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ विषय है, गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ है, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, पंचमहाजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, पाखणà¥à¤¡ के लकà¥à¤·à¤£, गृहसà¥à¤¥ धरà¥à¤®, पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ और मूरà¥à¤–ों के लकà¥à¤·à¤£, पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ और नियोग आदि विषय हैं।
पांचवे समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ और सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤® का विषय वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है।
छठे समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में राजधरà¥à¤® विषय की विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से चरà¥à¤šà¤¾ की गई है।
सातवां समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है जिसमें ईशà¥à¤µà¤° विषय, ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना विषय, ईशà¥à¤µà¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, ईशà¥à¤µà¤° का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, ईशà¥à¤µà¤° के अवतार का निषेध, जीव की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾, ईशà¥à¤µà¤° व जीव की à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° के सगà¥à¤£ व निगà¥à¤°à¥à¤£ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का वरà¥à¤£à¤¨ और वेद से संबंधित à¤à¤¸à¥‡ विचार हैं जिनका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° दà¥à¤°à¥à¤²à¤ व अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ है।
आठवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में पà¥à¤°à¤¥à¤® सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ आदि का विषय वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है। अनà¥à¤¯ विषयों में ईशà¥à¤µà¤° से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के उपादान कारण पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का वरà¥à¤£à¤¨ है। इसके बाद नासà¥à¤¤à¤¿à¤• मतों का निराकरण à¤à¥€ किया गया है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में कब व कहां उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ इसका वरà¥à¤£à¤¨ à¤à¥€ आठवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में है। ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस जगत को धारण करने आदि अनेक विषय à¤à¥€ इस आठवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में हैं।
नवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में विदà¥à¤¯à¤¾ अविदà¥à¤¯à¤¾ तथा बनà¥à¤§à¤¨ और मोकà¥à¤· का विषय वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है।
दसवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में आचार-अनाचार विषय सहित à¤à¤•à¥à¤·à¥à¤¯-अà¤à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ विषय वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं। इसके बाद चार समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ और हैं जिनमें वेद से अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मत मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सतà¥à¤¯ मापदणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ के आधार पर समीकà¥à¤·à¤¾ कर उनकी परीकà¥à¤·à¤¾ की गई है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ वेद और मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के बाद महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है और अनà¥à¤¯ किसी धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ नहीं की जा सकती।
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
ALL COMMENTS (0)