“ऋषि दयाननà¥à¤¦ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद संसार के शीरà¥à¤· महान पà¥à¤°à¥à¤· हैंâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
30-Jan-2019Category
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Vikas KumarUpload Date
30-Jan-2019Download PDF
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संसार में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल से महापà¥à¤°à¥à¤· उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते रहे हैं। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल का इतिहास महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के रूप में उपलबà¥à¤§ है। इससे पूरà¥à¤µ रामायण काल का इतिहास à¤à¥€ बालà¥à¤®à¥€à¤• रामायण के रूप में उपलबà¥à¤§ है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक का इतिहास इन दो गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में ही समाविषà¥à¤Ÿ है। संसार के अनà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ देश का इतिहास इतना पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नहीं है जितना की आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वा वैदिक धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का इतिहास। संसार के अनà¥à¤¯ देशों में मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति का इतिहास à¤à¤¾à¤°à¤¤ के समान पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नहीं है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ से अनà¥à¤¯ देशों में सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ जनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को माना जाता है। इस पर à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के दरà¥à¤¶à¤¨ व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया जाता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शà¥à¤°à¥€ राम व शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी और मनॠजी सहित अनेक ऋषियों के नाम मिलते हैं परनà¥à¤¤à¥ इनकी जनà¥à¤® तिथि, माता, पिता का नाम, à¤à¤¾à¤ˆ बहिनों के नाम और उनके जीवन काल की अवधि, पà¥à¤£à¥à¤¯ तिथि तथा इनके कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का समà¥à¤šà¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है। यदि रहा होगा तो उसका दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤²à¤¾à¤µà¤§à¤¿ के कारण नषà¥à¤Ÿ होना समà¥à¤à¤µ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद देश व विशà¥à¤µ के देशों में अनेक महापà¥à¤°à¥à¤· उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ परनà¥à¤¤à¥ ऋषि दयाननà¥à¤¦ हमें सà¤à¥€ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में शिखर पà¥à¤°à¥à¤· पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद वेद विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गये थे। वेद की मंतà¥à¤° संहितायें तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में थी परनà¥à¤¤à¥ वेदों के सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व सामानà¥à¤¯ कोई नहीं जानता था जिस कारण यजà¥à¤ž में पशà¥à¤“ं की हतà¥à¤¯à¤¾ व उनके मांस से आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देने की मिथà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ आरमà¥à¤ हà¥à¤ˆ थी। इसी कारण महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ और महावीर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को इन कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं व विधानों का विरोध करना पड़ा और कालानà¥à¤¤à¤° में इनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ बौदà¥à¤§ व जैन मत को पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया। इसके बाद वेदों का कà¥à¤›-कà¥à¤› जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने वाले सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराचारà¥à¤¯ जी का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤†à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जैन मत के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पराजित à¤à¥€ किया और वैदिक धरà¥à¤® को पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ किया। शंकाराचारà¥à¤¯ जी ने वेद मत के विरà¥à¤¦à¥à¤§ नव-वेदानà¥à¤¤ मत का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ किया जो कि वेदों के यथारà¥à¤¥ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥à¤ª न होकर उससे à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ था।
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सतà¥à¤¯ वेदमत का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ करने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने न तो वेदों का कोई à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ किया है और न वेदों पर कोई सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ही लिखा है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उपनिषदों, वेदानà¥à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ तथा गीता पर अपने अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ मत के विचारों के अनà¥à¤°à¥à¤ª टीकायें ही लिखी है। पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ तथा विवेक चूड़ामणि आदि कà¥à¤› संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना à¤à¥€ की है। वेदों में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं किया। पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ आदि में तो उनकी वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ ततà¥à¤µà¤®à¤¸à¤¿ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में उनके सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾ व आलोचना की है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤°à¥‚प वेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° इस लिठà¤à¥€ नहीं किया कि à¤à¤¸à¤¾ करने पर वह अपने अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ मत का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ न कर पाते। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वेदों के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के साथ किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की छेड़छाड़ व खींचतान नहीं की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£, निरà¥à¤•à¥à¤¤-निघणà¥à¤Ÿà¥ व पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प वेदों के मौलिक व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ किये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ की तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। सायण आदि पूरà¥à¤µ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने वेदों को याजà¥à¤žà¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ मानकर सà¤à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के यजà¥à¤žà¤ªà¤°à¤• अरà¥à¤¥ ही किये। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वेदों के सरल, सà¥à¤¬à¥‹à¤§, गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¯, अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤ªà¤°à¤• व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥ किये जिससे आज आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® पिपासॠव वेद पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ लाठउठा रहे हैं और इसी कारण विशà¥à¤µ में वेद पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ यथारà¥à¤¥ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित हो रहा है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ के आने से पूरà¥à¤µ पूरे विशà¥à¤µ में वेदों के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ और वेद वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प को लोग à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ थे। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° के अवतारवाद, ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤¤à¥à¤° व सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤µà¤¾à¤¹à¤• आदि नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो गईं थीं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने असतà¥à¤¯ का खणà¥à¤¡à¤¨ और सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का मणà¥à¤¡à¤¨ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿, तरà¥à¤• सहित पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषियों के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पà¥à¤°à¤¥à¤® व सातवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ सहित ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ आदि में ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प का उलà¥à¤²à¥‡à¤–, पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व देव यजà¥à¤ž आदि पंचमहायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ पर पंचमहायजà¥à¤ž विधि सहित अपनी संसà¥à¤•à¤¾à¤°-विधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला है। उनके पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ से पूरà¥à¤µ वेदों पर पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ आधारित सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ उपलबà¥à¤§ नहीं थी। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अधिकार से à¤à¥€ वंचित किया गया था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के 26 वें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के दूसरे मनà¥à¤¤à¥à¤° से न केवल सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को अपितॠमानवमातà¥à¤° को वेदाधिकार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया जो कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद से बनà¥à¤¦ था। यदि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का अधिकार होता तो सनातन धरà¥à¤® व हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की वह दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ न होती जो बौदà¥à¤§à¤•à¤¾à¤² के समय से अब तक निरनà¥à¤¤à¤° होती आ रही है। वेदों का उदà¥à¤§à¤¾à¤°, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वेदाधिकार à¤à¤µà¤‚ समाज को सà¤à¥€ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व मिथà¥à¤¯à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने की दिशा में ऋषि दयाननà¥à¤¦ के योगदान को कà¤à¥€ à¤à¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ नहीं जा सकता। ईशà¥à¤µà¤° की सचà¥à¤šà¥€ उपासना à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ही विशà¥à¤µ के मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सिखाई है। यदि 194 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ उनका जनà¥à¤® और पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ न होता तो हम वेदों के रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° आदि के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व लाà¤à¥‹à¤‚ से वंचित ही रह जाते। समाज अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, मिथà¥à¤¯à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं सहित अशिकà¥à¤·à¤¾, अनाचार, सामाजिक असमानता à¤à¤µà¤‚ पराधीनता आदि से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रहता।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी की महानता का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें इस बात से à¤à¥€ होता है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गया था। लोग ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ का सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¥‚ल गये और उसके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अवतारवाद व अनà¥à¤¯ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की गईं। यूरोप आदि देशों के बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ कहे जाने वाले लोग लगà¤à¤— दो अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में मानव सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को मातà¥à¤° कà¥à¤› हजार वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ मानते रहे हैं और अà¤à¥€ à¤à¥€ उन लोगों ने अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में संशोधन नहीं किया है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आज à¤à¥€ मानव व वेद संवतॠपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस मानव व वेद सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को 1.96 अरब से कà¥à¤› अधिक वरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। जब हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ और अनà¥à¤¯ देशों के लोग यूरोप के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ बातों को मानते हैं तो वहां के लोगों को à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सतà¥à¤¯ पर आधारित वेद-मानव सृषà¥à¤Ÿà¤¿ संवत को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहिये। हमें लगता है कि इसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° न करने का कारण पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ है। यदि à¤à¤¸à¤¾ न होता तो वह अवशà¥à¤¯ ही वेद संवतॠको विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤° पर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया जाता। à¤à¤¸à¤¾ करने से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शायद धारà¥à¤®à¤¿à¤• या सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हानि हो सकती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके मतों का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आयॠकी तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ नवीन है। वेद संवतॠको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने पर अनà¥à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ अपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤‚गिक हो सकते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने घोषणापूरà¥à¤µà¤• कहा है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदिकाल से ही वेद मत पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है और आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का सारे विशà¥à¤µ पर सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ राजà¥à¤¯ था। à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह है कि वेदों के विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होने पर अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ व सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ पर आधारित विषसमà¥à¤ªà¥ƒà¤•à¥à¤¤ अनà¥à¤¨ के समान मत-मतानà¥à¤¤à¤° संसार में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ इस कारण ऋषि दयाननà¥à¤¦ के आविरà¥à¤à¤¾à¤µ से पूरà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°, आतà¥à¤®à¤¾, वेद, उपासना, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, लकà¥à¤·à¥à¤¯ व करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ आदि विषयक सतà¥à¤¯ वेदजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से विमà¥à¤– हà¥à¤à¥¤ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद विगत पांच हजार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में विशà¥à¤µ में कई खरब लोगों का जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ हà¥à¤ˆ है, वह सब वेद पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ सतà¥à¤¯ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित रहे हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤µà¥€ पीà¥à¥€ के लिये उस असतà¥à¤¯ के परà¥à¤¦à¥‡ को हटा कर सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के सूरà¥à¤¯ वेद का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के साहितà¥à¤¯ को पà¥à¤•à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी आतà¥à¤®à¤¾ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने सहित योग साधना से ईशà¥à¤µà¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर मोकà¥à¤· को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है। यह ऋषि दयाननà¥à¤¦ की बहà¥à¤¤ बड़ी देन है। यदि दयाननà¥à¤¦ जी न आते और वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° न करते तो सारा संसार आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से दूर अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤°à¤®à¤¯ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने के लिये विवश व अà¤à¤¿à¤¶à¤ªà¥à¤¤ रहता। इस कमी को ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने दूर किया है। यही à¤à¤• बात उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विशà¥à¤µ का सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® महानॠपà¥à¤°à¥à¤· बनाती है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के समय समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ छाये हà¥à¤ थे। आज à¤à¥€ यह पूरी तरह से दूर नहीं हà¥à¤ है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ विषयक तथा अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को दूर किया है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उनके सामाजिक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराया है। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ व à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ को à¤à¥€ दूर करने का उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंखनाद किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया है कि सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ व पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ अधरà¥à¤® की कोटि में आते हैं। सबसे पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤•, धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° व यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धरà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤ बताया है। दूसरों की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में ही अपनी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ समà¤à¤¨à¥‡ का सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® नियम à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिया है। किसी मत में यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व नियम नहीं है कि अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश करना चाहिये। विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करनी चाहिये। सà¤à¥€ मत à¤à¤¸à¤¾ कर à¤à¥€ नहीं सकते। यदि करेंगे तो फिर वह अपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤‚गिक हो जायेंगे।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने वैदिक धरà¥à¤® की नींव सतà¥à¤¯ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤®à¤¤ नियमों पर रखी है। कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व वैदिक धरà¥à¤® की किसी à¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को लेकर तरà¥à¤• कर सकता है। अनà¥à¤¯ मतों में यह छूट नहीं है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने किसी à¤à¥€ मत के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिये अपने दà¥à¤µà¤¾à¤° खोल रखे हैं जबकि अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मतों ने अपने दà¥à¤µà¤¾à¤° बनà¥à¤¦ कर रखे हैं। आज तक à¤à¥€ यह सà¤à¥€ मत à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ होकर ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प का निरà¥à¤£à¤¯ नहीं कर सके। यदि करेंगे तो वह जानते हैं कि वेद और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना पड़ेगा। यदि सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में à¤à¥à¤°à¤® की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है तो मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ से मानवता के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की अपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं की जा सकती। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तो धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी संखà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में ही रूचि है। इस धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ के कारà¥à¤¯ के लिये उनके लिठकोई à¤à¥€ अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ साधन अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं है। सà¤à¥€ छल, बल, लोठव मिथà¥à¤¯à¤¾ बातों व चंगई जैसी अवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व निरà¥à¤®à¥‚ल बातों से लोगों को à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ कर उनका धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ करने की फिराक में रहते हैं। इससे मानवता का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होने वाला नहीं है।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ इस लिये à¤à¥€ महान हैं कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के लिये सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना की है। à¤à¤¸à¤¾ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ संसार में अनà¥à¤¯ कोई नहीं है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश और विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करता है। यह संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प से परिचय कराता है। ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना की सतà¥à¤¯ विधि का à¤à¥€ बोध कराता है। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ से ही हो सकती है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ ही सचà¥à¤šà¤¾ मानव धरà¥à¤® है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ वसà¥à¤¤à¥à¤¤: वैदिक धरà¥à¤® का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है। किसी मत में सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ पर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रीति से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ नहीं डाला जाता। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤· दोनों का अधिकार समान है व कई हेतà¥à¤“ं से नारी के अधिकार पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से कà¥à¤› अधिक ही हैं। सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤® देने से नारी, वैदिक नारी जो ईशà¥à¤µà¤° व देश à¤à¤•à¥à¤¤ हो तथा वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का पालन करती हो, पूजनीय होती है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ समलैंगकता तथा विवाहेतर सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥‹à¤‚ को अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ व लजà¥à¤œà¤¾à¤œà¤¨à¤• मानता है। इससे समाज का ढांचा जो 2 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से चलता आ रहा है, उसके समापà¥à¤¤ होने सहित समाज में विकृतियों के होने की पूरी समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है। वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं किया जा सकता। यह ईशà¥à¤µà¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का यह नियम à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤•, सरà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ नियमों को पालने में परतंतà¥à¤° रहना चाहिये और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हितकारी नियम पालने में सब सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ संसार के सरà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤®à¤¹à¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¥à¤· थे। हम उनके चरणों में अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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