“वैदिक सनातन आरà¥à¤¯ धरà¥à¤® रकà¥à¤·à¤¾ में सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व संगठन का महतà¥à¤µâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
04-Feb-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
04-Feb-2019Download PDF
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संसार में धरà¥à¤® à¤à¤• है और मत-मतानà¥à¤¤à¤° अनेक व अगणà¥à¤¯ हैं। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के आधार पर आचारà¥à¤¯à¤—ण करते आये हैं। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ उस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में होता है कि जब वेदों का सतà¥à¤¯à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ समाज के लोगों को पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ उपलबà¥à¤§ नहीं होता। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वेदविरà¥à¤¦à¥à¤§ पौराणिक, बौदà¥à¤§ व जैन मतों के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आने के पीछे यह कारण पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है और अनà¥à¤¯ कारण à¤à¥€ इसके साथ जà¥à¥œà¥‡ होते हैं। पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण तो सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का उपलबà¥à¤§ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° न होना ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। अनेक मतों के उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का संगठन à¤à¥€ आपस में नहीं हो पाता। सà¤à¥€ लोग अपने अपने मत को ही अचà¥à¤›à¤¾ मानकर अपने गà¥à¤°à¥ व आचारà¥à¤¯ के अनà¥à¤§à¤à¤•à¥à¤¤ बन जाते हैं। वह जो कहें उसी को सतà¥à¤¯ मानते हैं। वह यह विचार नहीं करते कि उनके आचारà¥à¤¯ व गà¥à¤°à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कही गई बात सतà¥à¤¯ है à¤à¥€ अथवा नहीं? मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¥€à¤¤à¤° सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का विवेक करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ वा सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ देखने को नहीं मिलती। उनका अपना à¤à¤• मत पनà¥à¤¥ व समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ का गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ होता है जिसे रूॠअरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ कहा जाता है जबकि उसमें धरà¥à¤® कितना है व अ-धरà¥à¤® कितना है, यह नहीं कहा जा सकता। अनेक धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¤¸à¥‡ हैं जिनमें धरà¥à¤® का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ लोगों के जीवन में गà¥à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• सà¥à¤§à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नगणà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ है। उनमें ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के विषय में à¤à¤¸à¥€ बातें à¤à¥€ हैं जो सतà¥à¤¯ नहीं हैं। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥‚प अधिकांशतः कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प ही कहा जा सकता है जिससे उनके मत के पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ के समय की सामाजिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ धरà¥à¤® विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पड़ता है।
संसार में जितने à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ व महापà¥à¤°à¥à¤· जनà¥à¤® लेते हैं वह सब अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होते हैं। हमारी वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में माना जाता है कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कि दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ सà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‡, बालक व बालिकायें, शूदà¥à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¹à¥€à¤¨ होते हैं। माता-पिता व आचारà¥à¤¯à¤—ण ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी-अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व संसà¥à¤•à¤¾à¤° देते हैं जिससे बड़े होकर वह बचà¥à¤šà¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर व अपनी मनन शकà¥à¤¤à¤¿ से उसमें कà¥à¤› वृदà¥à¤§à¤¿ करके समाज में समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ अपनी सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की अविदà¥à¤¯à¤¾ को दूर कर परसà¥à¤ªà¤° संगठित होकर सतà¥à¤¯ की रकà¥à¤·à¤¾ करना व सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना है। यही कारà¥à¤¯ ऋषि दयाननà¥à¤¦ और उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने अपने समय में किया और आज आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व इसके विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेख व वाणी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यही कारà¥à¤¯ कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज हम ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व गà¥à¤£à¥‹à¤‚ आदि को जानते हैं तथा इस संसार की रचना, पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨, इसके उपयोग सहित जीवन को मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लकà¥à¤·à¥à¤¯ पर ले जाने वाले साधनों को à¤à¥€ जान सके हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अधिकांश सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित संसार विषय यथोचित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखते हैं परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¯ मतावलमà¥à¤¬à¥€ ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से परिचित नहीं है। इसी कारण वैदिक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को मानने व इसके अनà¥à¤•à¥‚ल आचरण की वेद मत से इतर मतावलमà¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से अपेकà¥à¤·à¤¾ ही नहीं की जा सकती। à¤à¤¸à¤¾ इसलिये है कि वह वही करते हैं जो उनके आचारà¥à¤¯à¤—ण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहते हैं या जो उनकी मत-धरà¥à¤®-पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में लिखा होता है। उससे बाहर वह देखना नहीं चाहते और न ही उनके आचारà¥à¤¯ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसकी अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ ही देते हैं। यदि वह à¤à¤¸à¤¾ कर लें तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤®à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ करार देकर उनके विरà¥à¤¦à¥à¤§ अनेक फतवे व आजà¥à¤žà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ दे दी जाती हैं जिससे उनका जीवन संकट में पड़ने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आ जाता है।
à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से निकाल कर समाज को ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ सहित सामाजिक जीवन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराने जिससे सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इस जनà¥à¤® में सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो और मृतà¥à¤¯à¥ होने के बाद सदगति, उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि में जनà¥à¤® या मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो, यह कारà¥à¤¯ आवशà¥à¤¯à¤• à¤à¤µà¤‚ अनिवारà¥à¤¯ होने पर à¤à¥€ असमà¥à¤à¤µ सा ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा है। इसका कारण यह है कि जो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है वह लोग जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ व इचà¥à¤›à¤¾ ही नहीं रखते। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने समय में वैदिक धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ सà¤à¥€ मतों के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से परिचित कराने व मनवाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया था। वह इस कारà¥à¤¯ में पूरà¥à¤£ सफल नहीं हो सके जिसका कारण मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अरूचि व उसे अपनाने के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उपेकà¥à¤·à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ था। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व ऋषि दयाननà¥à¤¦ के à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ यही जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि वह वैदिक साहितà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, गोकरूणानिधि तथा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥ आदि का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने हà¥à¤ अनà¥à¤¯ लोगों में इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते रहें। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ संगठित हों, à¤à¤• मत हों, à¤à¤• विचार, à¤à¤• मन व à¤à¤• समान आतà¥à¤®à¤¾ वाले होकर लोगों को सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करें और पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ आदि से सबका उपकार करें। à¤à¤¸à¤¾ करने से ही वैदिक धरà¥à¤® सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रह सकेगा। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व सगठन पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने सहित शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना होगा। अनà¥à¤¯ मतों के जो बनà¥à¤§à¥ वैदिक मत की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता को जानकर इसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना चाहें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसका अवसर देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने साथ समाविषà¥à¤Ÿ करना होगा।
सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ का मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन व देश की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से हम अपना समसà¥à¤¤ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दूर कर सकते हैं। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दà¥à¤ƒà¤–ों का कारण होता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सबसे बड़ा सà¥à¤°à¥‹à¤¤ परमातà¥à¤®à¤¾ है।
परमातà¥à¤®à¤¾ ने ही ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ सहित संसार à¤à¤µà¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद के माधà¥à¤¯à¤® से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में दिया था। आज à¤à¥€ यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हैं और सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक उपादेय है। वेद पर आधारित ऋषियों ने उपनिषद à¤à¤µà¤‚ दरà¥à¤¶à¤¨ आदि अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचनायें की हैं। इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की हिनà¥à¤¦à¥€ टीकायें à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं। इन टीकाओं की सहायता से à¤à¥€ हम महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ से पूरà¥à¤µ व पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ वेद के पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤•à¤° जान सकते हैं। ईसा की उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤§ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ का देश व धारà¥à¤®à¤¿à¤• जगत में पदारà¥à¤ªà¤£ हà¥à¤†à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ वà¥à¤°à¤¤ व देश के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की संगति से विलà¥à¤ªà¥à¤¤ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और उसका देश-देशानà¥à¤¤à¤° में मौखिक व लिखित पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है जिनका सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ वा अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सà¤à¥€ वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं से परिचित हà¥à¤† जा सकता है। इससे हमारी आतà¥à¤®à¤¾ का अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ नषà¥à¤Ÿ होता है तथा हमें अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। हम अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पालन करते हà¥à¤ अपने समसà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤–ों को दूर कर अपना यह जीवन व परजनà¥à¤®, जो हमें इस जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर मिलेगा, उसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व उनà¥à¤¨à¤¤ बना सकते हैं। लोगों को वैदिक सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से परिचित कराने और सतà¥à¤¯ वैदिक धरà¥à¤® और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये ही ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वेदों का उदà¥à¤§à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के साथ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का लेखन व वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ आदि के कारà¥à¤¯ किये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अवैदिक मतों की समालोचना सहित विधरà¥à¤®à¥€ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ व वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª à¤à¥€ किये। वह देश की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ तथा गोरकà¥à¤·à¤¾ को सबसे अधिक महतà¥à¤µ देते थे। हमारे देश के शासकों ने इन दोनों का उचित धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं रखा। इसी कारण देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ जो वेद, गोरकà¥à¤·à¤¾ व हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व अपनाने से हो सकती है/थी, वह उस सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ अवसà¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सकी। अतः हमें ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पदॠचिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ पर चलते हà¥à¤ वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ सहित वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ करके देश व समाज को सतà¥à¤¯ वैदिक विचारधारा के अनà¥à¤•à¥‚ल बनाना होगा तà¤à¥€ देश व विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकेंगे।
वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से ही देश व समाज में ‘समानो मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤ƒ समितिः समानी समानं मनः सह चितà¥à¤¤à¤®à¥‡à¤·à¤¾à¤®à¥’ à¤à¤µà¤‚ ‘समानी व आकूतिः समाना हृदयानि वः समानमसà¥à¤¤à¥ वो मनो यथा वः सà¥à¤¸à¤¹à¤¾à¤¸à¤¤à¤¿’ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होगी और देशवासी संगठित होंगे। हम जानते हैं कि यह कारà¥à¤¯ अति कठिन à¤à¤µ दà¥à¤·à¥à¤•à¤° है परनà¥à¤¤à¥ हमारे जीवन की सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ इसी कारà¥à¤¯ को करने में है। परिणाम अनà¥à¤•à¥‚ल हों या न हों, हमें इस कारà¥à¤¯ को ही करना है, इसे कदापि छोड़ना नहीं है। हम देख रहे हैं ईसाई व मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बनà¥à¤§à¥ सà¥à¤¨à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ ढंग से अपना पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर देश में गà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से लोगों का धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ कर रहे हैं। हमारे देश में इन समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ के जितने बनà¥à¤§à¥ हैं यह सà¤à¥€ वैदिक आरà¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚ पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ हैं। यह सब विदेशों से यहां नहीं आये हैं। यह सब इन विदेशी मतों की गà¥à¤ªà¥à¤¤ योजनाओं व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परिणाम हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमारे बनà¥à¤§à¥à¤“ं को ही हमसे पृथक कर हमारा विरोधी बना दिया है। नागालैणà¥à¤¡ व कशà¥à¤®à¥€à¤° आदि में हम सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देख रहे हैं। वहां हमारे सैनिकों व सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ बलों को निरनà¥à¤¤à¤° कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ शहीद होना पड़ा व पड़ता है, यह à¤à¥€ हम जानते हैं। देश में छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ॠव अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ कà¥à¤› शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आतंकवादी, नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¥€ वा माओवादी गतिविधियां चला रही हैं जो समय-समय पर हमारे सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ बलों को हानि पहà¥à¤‚चाती रहती हैं। यह संविधान व कानून को à¤à¥€ नहीं मानते और किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों से हमारी सà¤à¥€ सरकारें इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤šà¤²à¤¨à¥‡ में असफल सिदà¥à¤§ हà¥à¤ˆ हैं। à¤à¤• देश में संविधान का शासन ही होना चाहिये। जो इसको न माने व इसके विरà¥à¤¦à¥à¤§ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ कठोर दणà¥à¤¡ मिलना चाहिये, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ समà¥à¤à¤µ नहीं हो रहा है। इसका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण देश के लोगों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ न करना, वैदिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर आधारित अनिवारà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का न होना तथा कठोर कानूनों व उनके कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¯ का न होना आदि कारण ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं। आज देश व धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ को अपूरà¥à¤µ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ है। परिणाम न जाने कà¥à¤¯à¤¾ होगा? वैदिक धरà¥à¤® संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व देश की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के महतà¥à¤µ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सहित आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संगठन को सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ करना होगा जो जन सामानà¥à¤¯ में मौखिक व साहितà¥à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देश विरोधी शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सावधान करे। à¤à¤¸à¤¾ सà¤à¥€ ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ विवेकी जन अनà¥à¤à¤µ करते हैं।
सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन सहित सà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ व देशहितकारी समाज बनाने में सहायता मिलती है और इनकी अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में लोग धरà¥à¤® को न जानने से अधरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤°à¤£ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होते हैं। अतः वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर सब देशवासी आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से जà¥à¥œ कर देश व धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ में अपनी à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, यही वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में आवशà¥à¤¯à¤• पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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