वीर हकीकत राय बलिदान की अनूठी गाथा
Author
Rajeev ChoudharyDate
05-Feb-2019Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
696Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
05-Feb-2019Top Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- जयोतिषी à¤à¤¾à¤°à¤¤
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
यह कहानी सà¥à¤¨à¤•à¤° किसका हà¥à¤°à¤¦à¤¯ दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ नहीं होता होगा शायद ही कोई à¤à¤¸à¤¾ हो जिसकी आंखों नम न हो और इसके बाद जेहन में यह सवाल न उà¤à¤°à¥‡ कि आखिर à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† था कि à¤à¤• 14 वरà¥à¤· के बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ हकीकत राय से समूचा मजहब डर गया था। वीर हकीकत राय तो सेंकडों वरà¥à¤· पहले बसनà¥à¤¤ पंचमी के दिन अपने धरà¥à¤® पर बलिदान हो गया लेकिन बलिदान होने से पहले इस ननà¥à¤¹à¥‡ बालक ने अपनी निडरता का जो उदहारण पेश किया उसे इतिहास मन में लिठहमेशा गरà¥à¤µ से खड़ा रहेगा।
वीर हकीकत राय का जनà¥à¤® 1720 में सियालकोट (अब पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में) लाला बागमल पूरी के यहाठहà¥à¤† इनकी माता का नाम कोरा था। लाला बागमल सियालकोट के तब के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ समà¥à¤ªà¤¨ हिनà¥à¤¦à¥‚ वà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤°à¥€ थे। वीर हकीकत राय उनकी इकलोती सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ थी। उस समय देश में बाल विवाह पà¥à¤°à¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ थी,कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ को à¤à¤¯ रहता था कि कहीं मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ उनकी बेटियो को उठा कर न ले जाये। जैसे आज à¤à¥€ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ और बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ से समाचार आते रहते है। इसी कारण से वीर हकीकत राय का विवाह बटाला के निवासी कृषà¥à¤£ सिंह की बेटी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ देवी से बारह वरà¥à¤· की आयॠमें कर दिया गया था।
उस समय देश में मà¥à¤—ल शाशन था। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश के सà¤à¥€ राजनितिक और पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¿à¤¨à¤• कारà¥à¤¯à¥‹ के लिये फारसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ लागॠकर रखी थे। देश में सà¤à¥€ काम फारसी में होते थे इस कारण हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को à¤à¥€ न चाहते हà¥à¤ मदरसों में फारसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ सीखनी पड़ती थी। हकीकत राय को à¤à¥€ फारसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिये मोलवी के पास उसके मदरसे में पà¥à¤¨à¥‡ के लिये à¤à¥‡à¤œà¤¾ गया कहते है कि वो पà¥à¤¾à¤ˆ में अपने अनà¥à¤¯ सहपाठियों से अधिक तेज था, जिसके चलते मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बालक हकीकत राय से ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ करने लगे थे।
à¤à¤• बार हकीकत राय का अपने मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ सहपाठियों के साथ à¤à¤—ड़ा हो गया। मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ देवी देवताओं को लेकर अपशबà¥à¤¦ कहे जिसका हकीकत ने विरोध करते हà¥à¤ कहा,”कà¥à¤¯à¤¾ यह आप को अचà¥à¤›à¤¾ लगेगा यदि यही शबà¥à¤¦ मै आपकी बीबी फातिमा के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में कहà¥à¤ ? इसलिये आप को à¤à¥€ अनà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥‡ शबà¥à¤¦ नही कहने चाहिये।
बस इतनी सी बात थी इस पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने शोर मचा दिया की इसने बीबी फातिमा को गालिया निकाल कर इसà¥à¤²à¤¾à¤® और मोहमà¥à¤¦ का अपमान किया है। जैसा कि अà¤à¥€ हाल ही पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में आसिया बीबी के साथ à¤à¥€ हà¥à¤† हैं। वैसे ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हकीकत को मारना पीटना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। मदरसे के मोलवी ने à¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का ही पकà¥à¤· लिया। शीघà¥à¤° ही यह बात सारे सà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤•à¥‹à¤Ÿ में फैल गई। लोगो ने हकीकत को पकड़ कर मारते-पिटते सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ हाकिम आदिल बेग के समकà¥à¤· पेश किया। वो समठगया की यह बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का à¤à¤—ड़ा है, मगर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लोग उसे मृतà¥à¤¯à¥-दणà¥à¤¡ की मांग करने लगे।
हकीकत राठके माता पिता ने à¤à¥€ दया की याचना की तब आदिल बेग ने कहा मै मजबूर हूà¤, परनà¥à¤¤à¥ यदि हकीकत इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूल कर ले तो उसकी जान बखà¥à¤¶ दी जायेगी। किनà¥à¤¤à¥ वो 14 वरà¥à¤· का बालक हकीकत राय ने धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ से इंकार कर दिया।
मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हाकिमो को मोटी रिशà¥à¤µà¤¤ देकर हकीकत के पिता ने मामला सà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤•à¥‹à¤Ÿ से लाहौर à¤à¤¿à¤œà¤µà¤¾ दिया। किनà¥à¤¤à¥ यहाठà¤à¥€ वही शरà¥à¤¤ रखी गयी जो सिखों के पांचवे गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ अरà¥à¤œà¥à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ और नोवें गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ तेगबहादà¥à¤° जी को à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूलने अथवा शहीदी देने की शरà¥à¤¤ रखी गयी थी। हकीकत राय को मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन जाने के लिये तरह तरह से समà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ माठने अपने, दूध का à¤à¥€ वासà¥à¤¤à¤¾ दिया। मगर हकीकत ने कहा माà¤! यह तà¥à¤® कà¥à¤¯à¤¾ कर रही हो। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ ही दी शिकà¥à¤·à¤¾ ने तो मà¥à¤à¥‡ ये सब सहन करने की शकà¥à¤¤à¤¿ दी है। मै कैसे तेरी दी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का अपमान करूं आप ही ने सिखाया था कि धरà¥à¤® से बॠके इस संसार में कà¥à¤› à¤à¥€ नही है आतà¥à¤®à¤¾ अमर है तो फिर मैं मौत से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डरें? हकीकत राय अपने धरà¥à¤® से टस से मस नहीं हà¥à¤† उसने पूछा कà¥à¤¯à¤¾ यदि मै मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन जाऊ तो मà¥à¤à¥‡ मौत नही आà¤à¤—ी? कà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹ को मौत नही आती? तो उलेमाओं ने कहा मौत तो सà¤à¥€ को आती है। तब हकीकत राय ने कहा तो फिर मै अपना धरà¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ छोड़ू जो सà¤à¥€ को ईशà¥à¤µà¤° की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ मानता है।
हकीकत ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया आखिर में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करू जो मेरे मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ सहपाठियों के मेरी माता à¤à¤—वती को कहे अपशबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को सही ठहराता है मगर मेरे न कहने पर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के लिये मà¥à¤à¤¸à¥‡ जीवित रहने का à¤à¥€ अधिकार छिन लेता है। जो दीन दूसरे धरà¥à¤® के लोगो को गालिया निकलना, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लूटना, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मारना और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पग पग पर अपमानित करना खà¥à¤¦à¤¾ का हà¥à¤•à¥à¤® मानता हो मै à¤à¤¸à¥‡ धरà¥à¤® को दूर से ही सलाम करता हूं।
वसंत पंचमी के उतà¥à¤¸à¤µ पर मà¥à¤—ल बादशाह मोहमà¥à¤®à¤¦ शाह रंगीला के काल में à¤à¤• ननà¥à¤¹à¥‡ बालक हकीकत राय पूरी को जब वधशाला की ओर ले जाया जा रहा था तो पूरा नगर अकà¥à¤·à¥à¤ªà¥‚रित आंखों से उसे देख रहा था। कहते है हजारो लोग “अलà¥à¤²à¤¾à¤¹à¥‚-अकबर,अलà¥à¤²à¤¾à¤¹à¥‚-अकबर” चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ उस बालक पर पतà¥à¤¥à¤° बरसा रहे थे, उसका सारा शरीर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ की चोट से लहूलà¥à¤¹à¤¾à¤¨ हो गया और वो बेहोश हो गया। अब पास खड़े जलà¥à¤²à¤¾à¤¦ को उस बालक पर दया आ गयी की कब तक यह बालक यूठपतà¥à¤¥à¤° खाता रहेगा। इतना सोच कर उसने अपनी तलवार से हकीकत राय का सिर काट दिया। रकà¥à¤¤ की धराये बह निकली और वीर हकीकत राय बसनà¥à¤¤ पंचमी के दिन अपने धरà¥à¤® पर बलिदान हो गया। à¤à¤• माठकी कोख अमर हो गयी। à¤à¤• पिता गरà¥à¤µ धरà¥à¤® पर बलिदान हो गया। à¤à¤¸à¥‡ महान सपूत धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° हकीकत राय को उनके बलिदान दिवस पर आरà¥à¤¯ समाज का शत-शत नमन।
ALL COMMENTS (0)