“देश की अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ के लिठसतà¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° देशवासियों का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯â€
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Manmohan Kumar AryaDate
19-Feb-2019Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
19-Feb-2019Download PDF
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हमारे देश का नाम à¤à¤¾à¤°à¤¤ है। इसका पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नाम आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ था। इसका नाम आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल वा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤à¤•à¤¾à¤² में पड़ा। इसका कारण यह था कि इस देश को आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने बसाया था। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इतिहास के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि ईशà¥à¤µà¤° ने लगà¤à¤— 1.96 अरब वरà¥à¤· पहले इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के बाद मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ तिबà¥à¤¬à¤¤ में की थी। यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का आरमà¥à¤ काल था। इससे पूरà¥à¤µ पूरी पृथिवी पर कहीं कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ व मनà¥à¤·à¥à¤¯ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ नहीं रहता था। सारी पृथिवी खाली पड़ी थी। कà¥à¤› समय बाद तिबà¥à¤¬à¤¤ में आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में परसà¥à¤ªà¤° मतà¤à¥‡à¤¦ हà¥à¤ तो कà¥à¤› सजà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने तिबà¥à¤¬à¤¤ छोड़कर इस आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ वा à¤à¤¾à¤°à¤¤ को पूरी पृथिवी में सबसे उतà¥à¤¤à¤® जानकर यहां आकर इसे बसाया था। इसी कारण इसका नाम आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ पड़ा था। उससे पूरà¥à¤µ यहां अनà¥à¤¯ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति नहीं रहती थी। उसके बाद समय-समय पर तिबà¥à¤¬à¤¤ व à¤à¤¾à¤°à¤¤ से अनà¥à¤¯ देशों में लोगों ने पलायन किया और उन देशों को बसाया। इससे यह à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि संसार के सà¤à¥€ लोगों के पूरà¥à¤µà¤œ तिबà¥à¤¬à¤¤ व आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ देश के निवासी थे। विदेशी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¥‹. मैकà¥à¤¸à¤®à¥‚लर ने à¤à¥€ इस बात को अपने शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है और कहा है कि उनके पूरà¥à¤µà¤œ à¤à¤¾à¤°à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पूरà¥à¤µ दिशा के देश अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से वहां गये थे।
इतिहास का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद से à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सीमायें छोटी होती गईं और इसमें से अनेक देश निकलते या बनते गये। इसके कारणों पर विचार करते हैं तो इसका कारण à¤à¤¾à¤°à¤¤ का वेदमारà¥à¤— का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना तथा उसके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ सहित ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को à¤à¥‚लकर यजà¥à¤žà¥‹ में हिंसा, जड़़पूजा, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, अवतारवाद, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, मांसाहार, सामाजिक असमानता à¤à¤µà¤‚ छà¥à¤†à¤›à¥‚त जैसी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं सहित जनà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦, अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मत-मतानà¥à¤¤à¤°, जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ की उपेकà¥à¤·à¤¾ था। आज à¤à¥€ यह सब बातें हमारे देश व समाज में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। इस कारण देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾, अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ सहित वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ असà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ अनà¥à¤à¤µ होती है और अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ तथा मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के कारण अनेक अशà¥à¤ परिणामों का à¤à¤¯ सताता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¤• बार किसी के पूछने पर कहा था कि यह राषà¥à¤Ÿà¥à¤° तà¤à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ व संगठित हो सकता है जब देश के सà¤à¥€ नागरिकों के विचार, à¤à¤¾à¤µ, à¤à¤¾à¤·à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ आदि à¤à¤•-समान हों। इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिये ही ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¥ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से असतà¥à¤¯, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मतों का खणà¥à¤¡à¤¨ और वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ की विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व तरà¥à¤• आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मणà¥à¤¡à¤¨ किया था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने देशदेशानà¥à¤¤à¤° में घूम कर मौखिक पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सहित विपकà¥à¤·à¥€ मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से शंका समाधान à¤à¤µà¤‚ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¥€ किये। इन सबमें वेदों की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ हà¥à¤ˆ व मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अनेक बातें मिथà¥à¤¯à¤¾ व अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सिदà¥à¤§ हà¥à¤ˆà¤‚। धरà¥à¤® समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ के निरà¥à¤£à¤¯ हेतॠऋषि दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ नाम से विशà¥à¤µ के à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¦ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखा। यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ चौदह समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में है जिसके पà¥à¤°à¤¥à¤® दस समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ मणà¥à¤¡à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• हैं। यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के पà¥à¤°à¤¥à¤® दस समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ जो कि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के आकार का आधा à¤à¤¾à¤— हैं, पॠले तो वह धरà¥à¤®à¤¾à¤§à¤°à¥à¤® सहित धरà¥à¤® विषयक सà¤à¥€ बातों को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जान सकता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का पाठक ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के मूल कारण व इन तीनों के सà¥à¤µà¤°à¥‚प आदि से à¤à¥€ परिचित हो सकता है। वह ईशà¥à¤µà¤° की सतà¥à¤¯ उपासना व उससे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ को à¤à¥€ जान व समठसकता है। à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के विधानों के अनà¥à¤°à¥‚प साधना कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ कर सकता है। इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ का यह जनà¥à¤® व परजनà¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व सà¥à¤– को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से होने वाली हानियों का à¤à¥€ उसे परिचय मिलता है और इस कारण वह पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दà¥à¤ƒà¤–ों से बचकर सà¥à¤–ी जीवन को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
देश में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विचारधारायें हैं। à¤à¤• ही विषय में यदि à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मत हों तो उन सबमें तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ से सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होने वाला à¤à¤•à¤®à¤¤ ही आचरणीय व माननीय होता है। यदि सà¤à¥€ लोगों में सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ à¤à¤µà¤‚ असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ आ जाये तो इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त जीवन तो लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होता ही है, साथ ही इससे समाज व देश में à¤à¤•à¤¤à¥à¤µ, समता, संगठन, सदà¥à¤à¤¾à¤µ व पà¥à¤°à¥‡à¤® का à¤à¤¾à¤µ दृणतर होता है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤§ से पहले देश व विशà¥à¤µ में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° à¤à¤• ही वैदिक विचारधारा थी। इस कारण देश मजबूत था। अतः वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के यà¥à¤— में सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर सचà¥à¤šà¥‡ मन से à¤à¤•à¤®à¤¤ होने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिये और इसके लिये ईशà¥à¤µà¤°, आतà¥à¤®à¤¾, धरà¥à¤®, à¤à¥‹à¤œà¤¨, परसà¥à¤ªà¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आदि पर वेद, तरà¥à¤• à¤à¤µà¤‚ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ सहित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के आधार पर सतà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ कर सबको à¤à¤• मत, à¤à¤• धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• समान à¤à¤¾à¤µ व à¤à¤¾à¤·à¤¾ वाला बनने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिये। जब तक à¤à¤¸à¤¾ नहीं होगा देश सबल व शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ नहीं हो सकता। हमारे शतà¥à¤°à¥ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° हमें सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ नहीं होने देंगे। आज सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि लोग राषà¥à¤Ÿà¥à¤° दà¥à¤°à¥‹à¤¹ के कारà¥à¤¯ कर à¤à¥€ दणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ नहीं होते। इससे अनà¥à¤¯ लोगों पर बà¥à¤°à¤¾ असर à¤à¥€ देखने को मिलता है और यह बà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ वृदà¥à¤§à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती हैं।
हम देखते हैं कि संसार में वैचारिक à¤à¤•à¤¤à¤¾ के कारण अमेरिका, इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡, जापान, रूस आदि देश à¤à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ के सूतà¥à¤° में हैं। रूस से जà¥à¥œà¥‡ कà¥à¤› देश विगत कà¥à¤› दशक पूरà¥à¤µ उससे पृथक à¤à¥€ हà¥à¤ हैं जिसका कारण उनका वैचारिक व धारà¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से मतà¤à¥‡à¤¦ होना था। à¤à¤¾à¤°à¤¤ का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ à¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में अनà¥à¤¤à¤° के कारण ही हà¥à¤† था। इस विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤•à¤°à¤¸, à¤à¤•à¤®à¤¤, à¤à¤• विचार व à¤à¤• मन-à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ वाला देश बन जाना चाहिये था परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ नहीं हà¥à¤† है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ इस बात को जानते थे। इसलिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश को 136 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से अधिक पहले देश को आगाह करते हà¥à¤ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की रचना की थी और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पà¥à¤°à¤¥à¤® 10 समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ दी थीं। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि देशवासियों ने उनके पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये हà¥à¤ बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ विचारों à¤à¤µà¤‚ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की उपेकà¥à¤·à¤¾ की। लोगों ने उनके वैदिक विचारों को उस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से नहीं लिया गया जिस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लिखा था। आज देश की कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है यह सब जानते हैं। आज à¤à¥€ देश में धरà¥à¤®, मत, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के आधार पर निरà¥à¤£à¤¯ लिये जाते हैं। देश में बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• à¤à¤µà¤‚ अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• की खाई है। जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जाति वाद ने à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को आपस में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ कर रखा है। देश में à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ यतà¥à¤°-ततà¥à¤° दिखाई देता है। राजनीति में à¤à¤¸à¥‡ बहà¥à¤¤ से लोग हैं जो कà¥à¤› वरà¥à¤· काम करने के बाद करोडों़ व अरबों रà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤‚ की समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ वा धन के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हो जाते हैं जबकि दूसरी ओर करोड़ों लोग हैं जिनके पास न रोजगार है, न दो समय का à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤°, औषधि और चिकितà¥à¤¸à¤¾à¥¤ इन लोगों का शोषण होता है और अपने शà¥à¤°à¤® का उचित मूलà¥à¤¯ नहीं मिलता। à¤à¤¸à¥‡ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ की बातें पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हो उठती हैं।
देश à¤à¤•à¤¤à¤¾, अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ और सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ विषय पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनेक वचनों को उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ किया जा सकता है। हम यहां सनॠ1883 में लिखे सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के आठवें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ से उनके वचनों को दे रहे हैं। वह कहते हैं कि अब अà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ से और आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आलसà¥à¤¯, पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦, परसà¥à¤ªà¤° के विरोध से अनà¥à¤¯ देशों के राजà¥à¤¯ करने की तो कथा ही कà¥à¤¯à¤¾ कहनी किनà¥à¤¤à¥ आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ में à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अखणà¥à¤¡, सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨, निरà¥à¤à¤¯ राजà¥à¤¯ इस समय नहीं है। जो कà¥à¤› है सो à¤à¥€ विदेशियों के पादाकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ हो रहा है। कà¥à¤› थोड़े राजा सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° हैं। दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¨ जब आता है तब देशवासियों को अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ना पड़ता है। कोई कितना ही करे परनà¥à¤¤à¥ जो सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ होता है वह सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® होता है। अथवा मत-मतानà¥à¤¤à¤° के आगà¥à¤°à¤¹à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ अपने और पराये का पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤¶à¥‚नà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¤¾ पर पिता माता के समान कृपा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और दया के साथ विदेशियों का राजà¥à¤¯ à¤à¥€ पूरà¥à¤£ सà¥à¤–दायक नहीं है। परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾, पृथकॠपृथकृ शिकà¥à¤·à¤¾, अलग वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का विरोध छूटना अति दà¥à¤·à¥à¤•à¤° है। विना इसके छूटे परसà¥à¤ªà¤° का पूरा उपकार और अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ सिदà¥à¤§ होना कठिन है। इसलिये जो कà¥à¤› वेदादि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ वा इतिहास लिखे हैं उसी का मानà¥à¤¯ करना à¤à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का काम है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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