“अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश और विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ ही देश को शानà¥à¤¤à¤¿ व सà¥à¤–-समृदà¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करा सकती हैâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
22-Feb-2019Category
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Vikas KumarUpload Date
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ ऋषि कोटि के महापà¥à¤°à¥à¤· थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, मथà¥à¤°à¤¾ से वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सहायक à¤à¤µà¤‚ आवशà¥à¤¯à¤• अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व विशद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था। वह सनॠ1860 से सनॠ1863 के मधà¥à¤¯ लगà¤à¤— ढाई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक गà¥à¤°à¥ के चरणों में रहे। विदà¥à¤¯à¤¾ पूरी करने के बाद वह गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ को देश व संसार से अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करने का वचन देकर विदा हà¥à¤ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने वचनों का जीवन à¤à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¤£ से पालन किया।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश तथा विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ को आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का आठवां नियम बनाया। इस नियम में अविदà¥à¤¯à¤¾ के नाश की बात कही गई है। अविदà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ होती है? अविदà¥à¤¯à¤¾ मिथà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को कहते हैं। मिथà¥à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥ à¤à¥‚ठा व असतà¥à¤¯ होता है। जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ असतà¥à¤¯ व मिथà¥à¤¯à¤¾ होता है, सतà¥à¤¯ के विपरीत होता है, वह अविदà¥à¤¯à¤¾ कहलाता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) के समय में लोग सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उसके सतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ थे। इसके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾, ईशà¥à¤µà¤° उपासना, यजà¥à¤ž व अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, सà¥à¤µà¤°à¥à¤—, नरक, मोकà¥à¤·, आदि के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ थे। अतः इनको जानना व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना उनके लिये असमà¥à¤à¤µ था। इस कारण उनका जीवन अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दà¥à¤ƒà¤–ों से यà¥à¤•à¥à¤¤ था।
उनके समय में मनà¥à¤·à¥à¤¯ समाज सतà¥à¤¯ पर आरूॠन होकर सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर अवलमà¥à¤¬à¤¿à¤¤ था। अविदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ व विदà¥à¤¯à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯, समाज व देश में अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, सामाजिक असमानता, छà¥à¤†à¤›à¥‚त आदि अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¤¾à¤‚ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थी जिसे दूर किया जाना आवशà¥à¤¯à¤• था। समाज में अविदà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन सà¥à¤–ों से रहित व दà¥à¤ƒà¤–ों से पूरित था। अविदà¥à¤¯à¤¾ में निरनà¥à¤¤à¤° वृदà¥à¤§à¤¿ की ही समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी। अतः ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने देश के लोगों को विदà¥à¤¯à¤¾ व अविदà¥à¤¯à¤¾ का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ और सबको अविदà¥à¤¯à¤¾ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर विदà¥à¤¯à¤¾ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ व उसकी वृदà¥à¤§à¤¿ करने का उपदेश किया। यदि ऋषि दयाननà¥à¤¦ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर विचार किया जाये तो वह अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश व विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ करना ही मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है।
विदà¥à¤¯à¤¾ के विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होने का कारण मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आलसà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ आचरण होता है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ तक वेदों व उसमें निहित विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का देश में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° था। बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ से सतà¥à¤¯ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ ऋषि व महरà¥à¤·à¤¿ होते थे। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ से लगà¤à¤— 1000 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ की अवधि में आलसà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ के कारण अविदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° आरमà¥à¤ होकर वृदà¥à¤§à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने लगा। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद देशवासियों व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के आलसà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ के कारण विदà¥à¤¯à¤¾ की नà¥à¤¯à¥‚नता और अविदà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° में वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤ इसी कारण देश के शासक वरà¥à¤— ने à¤à¥€ उचित निरà¥à¤£à¤¯ न लेकर सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के आधार पर देश के हितों के विरोधी निरà¥à¤£à¤¯ लिये। इसका परिणाम कालानà¥à¤¤à¤° में महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ इस यà¥à¤¦à¥à¤§ के परिणाम से शिकà¥à¤·à¤¾ व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤‚ग हो गईं और अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में पूरà¥à¤µ की अपेकà¥à¤·à¤¾ अधिक वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤
इसी कारण सतà¥à¤¯ सनातन वैदिक धरà¥à¤® विलà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर देश देशानà¥à¤¤à¤° में अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ मिथà¥à¤¯à¤¾ मतों का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤†à¥¤ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ व उससे पूरà¥à¤µ यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में अहिंसा का पूरा पालन किया जाता था परनà¥à¤¤à¥ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में पशॠहिंसा का आरमà¥à¤ हà¥à¤† जिससे महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ जैसे कोमल हृदय के लोगों ने इसका विरोध किया। महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹ ने à¤à¤• पृथक मत चलाया। यह मत वेदों के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करता था और अपनी यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आधार पर ही धरà¥à¤® को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करता था।
कालानà¥à¤¤à¤° में देश में अनेक मत उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ जो सà¤à¥€ अविदà¥à¤¯à¤¾ व विदà¥à¤¯à¤¾ से मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ थे। यह मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अनà¥à¤¨ में विष के समान हानिकारक थीं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सीमाओं से बाहर à¤à¥€ कà¥à¤› मतों का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤†à¥¤ उनकी समीकà¥à¤·à¤¾ करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि वह à¤à¥€ अविदà¥à¤¯à¤¾, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ थे। अतः मानवता के हित में सà¤à¥€ मतों की अविदà¥à¤¯à¤¾, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को दूर करना सचà¥à¤šà¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का काम था। यह काम महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने गà¥à¤°à¥ के आदेश पर अपने हाथों में लिया था। इसकी पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से परिपूरà¥à¤£ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और उनकी सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤£ हित को समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करने वाला जानकर उसका देश देशानà¥à¤¤à¤° में उनका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। वेद विदà¥à¤¯à¤¾ के आधार हैं और जो à¤à¥€ विचार, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ वेदों के विरà¥à¤¦à¥à¤§ होते हैं वह सब अविदà¥à¤¯à¤¾ कहलाते हैं।
मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अवदà¥à¤¯à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯, समाज व देश के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤ƒà¤– आदि का कारण होती है। अतः मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की परीकà¥à¤·à¤¾ के लिये निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से समीकà¥à¤·à¤¾, विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£, विवेचना आवशà¥à¤¯à¤• है। यह सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है कि सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना देश, समाज व मनà¥à¤·à¥à¤¯ के हितों के लिये आवशà¥à¤¯à¤• होता है। किसी à¤à¥€ विषय में सतà¥à¤¯ à¤à¤• होता है। à¤à¤• से अधिक सतà¥à¤¯ नहीं होते हैं। यदि कहीं à¤à¥à¤°à¤® हो तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ समाज का हित देखकर जो सबसे अधिक लाà¤à¤ªà¥à¤°à¤¦ हो उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना होता है। सतà¥à¤¯ à¤à¤• होता है, अतः सतà¥à¤¯ मत à¤à¥€ à¤à¤• ही होता है। à¤à¤• से अधिक धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक संगठनों का अरà¥à¤¥ उनमें किसी विषय पर परसà¥à¤ªà¤° विरोधी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व विचारों का होना होता है। अतः सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ और असतà¥à¤¯ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— का वà¥à¤°à¤¤ लेकर ही अपने जीवन को विदà¥à¤¯à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सà¥à¤–à¥à¤°à¤¾ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया जा सकता है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने समय में अपने विशद à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से जाना था कि जड़पूजा के रूप में मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में बाधक है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के करà¥à¤¤à¤¾, धरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ व हरà¥à¤¤à¤¾ विषयक सà¤à¥€ मतों की अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ व à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-2 मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सतà¥à¤¯ न होने के कारण वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में बाधक ही हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने वेदों के आधार पर ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया था। उसी को मानने व उसी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ व दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ से पृथक होकर ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के अनà¥à¤•à¥‚ल व अनà¥à¤°à¥‚प बनती है। ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व उसके गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उपासना की सही विधि से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है, समाज संगठित बनता है à¤à¤µà¤‚ देश सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ होता है। à¤à¤¸à¥‡ समाज व देश को कोई राकà¥à¤·à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व दà¥à¤·à¥à¤Ÿ विचारधारा हानि नहीं पहà¥à¤‚चा सकती। यदि कहीं कोई उपदà¥à¤°à¤µ होता है, अशानà¥à¤¤à¤¿, हिंसा आदि का कारà¥à¤¯ होता है तो इसका कारण वहां के लोगों में सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ आदि की नà¥à¤¯à¥‚नता, मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं सहित लोगों में परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¾à¤¤à¥ƒà¤à¤¾à¤µ की कमी, उनके अपने-अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ विरà¥à¤¦à¥à¤§ कारà¥à¤¯ आदि ही होते हैं। यदि किसी देश या समाज में उपदà¥à¤°à¤µ व अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ हिंसा आदि कारà¥à¤¯ होते हैं तो उसका कारण अविदà¥à¤¯à¤¾, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ पर आधारित नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के मत-मतानà¥à¤¤à¤° व इस कारण से सामाजिक संगठन की दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ आदि पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण ही होते है। इनको दूर कर ही कोई समाज व देश सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ व सà¥à¤–ी हो सकता है।
हम देखते हैं कि देश में अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं जिनमें अनेक बातें सतà¥à¤¯, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ हैं। इनके आचरण से इसके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को कोई लाठनहीं होता अपितॠसमाज व देश कमजोर होता है। जब तक सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ अविदà¥à¤¯à¤¾, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की पहचान कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूर नहीं किया जायेगा, सà¤à¥€ देशवासी सà¥à¤–ी व निशà¥à¤šà¤¿à¤¨à¥à¤¤ नहीं हो सकते। आज सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि पड़ोसी देश जेहाद के नाम पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सैनिकों व निरà¥à¤¦à¥‹à¤· देशवासियों की हतà¥à¤¯à¤¾ व उनकी साजिशों में ततà¥à¤ªà¤° है जिसे हम आतंकवाद के नाम से जानते हैं। विगत 71 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से वह यही कारà¥à¤¯ कर रहा है। हमारी उदारता व ढà¥à¤²à¤®à¥à¤² नीति हमारी कायरता सिदà¥à¤§ हो रही है। हम अपने हजारों देशवासी सैनिकों की जानें गवां चà¥à¤•à¥‡ हैं। यदि सà¤à¥€ देशवासी à¤à¤• मत होते और हमारे मधà¥à¤¯ कà¥à¤Ÿà¤¿à¤², कà¥à¤¤à¤°à¥à¤•à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, लोà¤à¥€ व विदेशियों के छदà¥à¤® घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ लोग न होते तो आज देश जिस दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है वह कदापि न होता। इसका उपाय अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश और विदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° ही है। यदि देश की अधिकांश जनता इस बात को समठजाये और à¤à¥‚ठे लोगों के बहकावे में न आये, तो सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ सà¥à¤§à¤° सकती है। जब तक देश में अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ उनमें अविदà¥à¤¯à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है, निरà¥à¤¦à¥‹à¤· लोग अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, शोषण व हिंसा का शिकार होते रहेंगे।
इससे बचाने के लिये ही महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अविदà¥à¤¯à¤¾ को दूर करने के लिये संघरà¥à¤· वा वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया था। आज हमें इसे जानने व समà¤à¤¨à¥‡ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के साथ असतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश और सतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। जब तक यह कारà¥à¤¯ नहीं होगा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ सà¥à¤§à¤° नहीं सकती। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को ऋषि दयाननà¥à¤¦ की वेदों पर आधारित विचारधारा, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर विचार व चिनà¥à¤¤à¤¨ करना चाहिये और इससे लाठउठाना चाहिये। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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