“ऋषि दयाननà¥à¤¦ के बतायें मारà¥à¤— पर चलकर जीवन को सफल बनायेंâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
05-Mar-2019Category
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Vikas KumarUpload Date
05-Mar-2019Download PDF
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आज ऋषि बोधोतà¥à¤¸à¤µ का परà¥à¤µ है। इस अवसर पर हम ऋषि दयाननà¥à¤¦, उनके गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पूरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के योग-गà¥à¤°à¥à¤“ं सहित सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. लेखराम, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पं. शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€ कृषà¥à¤£ वरà¥à¤®à¥à¤®à¤¾, लाला लाजपत राय, à¤à¤¾à¤ˆ परमाननà¥à¤¦ सहित उनके अब तक हà¥à¤ सà¤à¥€ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सादर नमन करते हैं।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ को सनॠ1839 की शिवरातà¥à¤°à¤¿ को बोध हà¥à¤† था, तब लोगों के पास सचà¥à¤šà¥‡ शिव के सà¥à¤µà¤°à¥‚प, उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कैसे होती है, आदि विषयों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं था। मृतà¥à¤¯à¥ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होती है, मृतà¥à¤¯à¥ पर कà¥à¤¯à¤¾ विजय पाई जा सकती है या नहीं, पाई जा सकती है तो कैसे और यदि नहीं पाई जा सकती है तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° किसी के पास नहीं थे। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° खोजने को अपने जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ बनाकर ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने माता-पिता व परिवार सहित अपनी जनà¥à¤® à¤à¥‚मि टंकारा का तà¥à¤¯à¤¾à¤— किया था और अहरà¥à¤¨à¤¿à¤¶ अपने उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सजग रहकर उसे पूरा करने के लिये ततà¥à¤ªà¤° व गतिशील रहे थे। ऋषि के तप व पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर ईशà¥à¤µà¤° ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ न केवल इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° व समाधान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये अपितॠइस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अधिकांश अनà¥à¤¯ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अनावरण à¤à¥€ किया था।
ऋषि का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ था कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी जैसे योगà¥à¤¯ व अपूरà¥à¤µ आचारà¥à¤¯ मिले थे। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी को गà¥à¤°à¥ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ में अपने शिषà¥à¤¯ से किसी à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ की चाहना नहीं थी अपितॠवह चाहते थे कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को जन जन तक पहà¥à¤‚चायें, इसका परामरà¥à¤¶ व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दयाननà¥à¤¦ जी को की थी। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने जिस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठअपने माता-पिता व घर को छोड़ कर वन, उपवन, परà¥à¤µà¤¤ व सà¥à¤¥à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की खाक छानी थी, वह उसे व उससे कहीं अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर चà¥à¤•à¥‡ थे। ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हà¥à¤† था।
कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने जीवन में वेदों का अधिकतम जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है, वह ऋषि दयाननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर चà¥à¤•à¥‡ थे। ऋषि के पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¥‹à¤‚ से देश व संसार को पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦-यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥, गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿, पूना-पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ आदि जà¥à¤žà¤¾à¤¨-समà¥à¤ªà¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हम ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾, चराचर जगत, मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, जीवातà¥à¤®à¤¾ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ व उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों आदि को ऋषि पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सतà¥à¤¯-जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤°à¥‚प जानते हैं। हम आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ हैं कि मृतà¥à¤¯à¥ के बाद हमारा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होगा। हम मोकà¥à¤· के लिये à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर सकते हैं। किसी à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨, ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤• à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का मोकà¥à¤· हो सकता है और यदि नहीं होगा तो उसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® अवशà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व उतà¥à¤¤à¤® होगा। हम पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® लेकर मानव व देव बनेंगे और à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में मोकà¥à¤·à¤—ामी बनकर व ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कर मोकà¥à¤· à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। यदि मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ न à¤à¥€ कर सके तो हम सचà¥à¤šà¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ व देव बनकर तो मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने का कारà¥à¤¯ तो कर ही सकते हैं जैसा कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ व उनके अनà¥à¤¯ बड़े व छोटे अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने किया है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने बोध को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने के बाद सचà¥à¤šà¥‡ शिव व मृतà¥à¤¯à¥ की औषधि की खोज की। वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, वेदाचरण, ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, योग, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, समाधि, सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£, अपरिगà¥à¤°à¤¹, सातà¥à¤µà¤¿à¤• जीवन, परोपकार के कारà¥à¤¯ आदि को धारण किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संसार से अविदà¥à¤¯à¤¾ को दूर करने और विदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ करने के लिये वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया।
असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨ तथा सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिये जीवन का à¤à¤•-à¤à¤• पल वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से परिचित कराया। पंच-महायजà¥à¤ž का विधान किया। इसे तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पà¥à¤·à¥à¤Ÿ किया। बताया कि जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ नहीं करता वह ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों के लिठउसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ न करने के कारण कृतघà¥à¤¨ होता है। जो अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž नहीं करता वह वायà¥, जल, पृथिवी, आकाश आदि में पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ करने के कारण ईशà¥à¤µà¤° व अनà¥à¤¯ देशवासियों का अपराधी होता है। यजà¥à¤ž न करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पाप लगता है जिसका परिणाम दà¥à¤ƒà¤– होता है। माता-पिता के à¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर असंखà¥à¤¯ उपकार होते हैं। उनकी आजà¥à¤žà¤¾ पालन, वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में उनका पालन व पोषण तथा उनकी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ रखना सà¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व धरà¥à¤® होता है। जो à¤à¤¸à¤¾ करते हैं वह पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय हैं और जो नहीं करते वह निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ हैं।
अतिथि विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को कहते हैं जो अपने किसी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये नहीं अपितॠअपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, समाज तथा देश का हित करने के लिये रातà¥à¤°à¤¿-दिवा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर विचरण करके अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश, विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ और लोगों के दà¥à¤ƒà¤–ों का हरण करते हैं। à¤à¤¸à¥‡ अतिथियों की मन, वचन व करà¥à¤® से सेवा करना समाज के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ होता है। à¤à¤¸à¤¾ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सामाजिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करता है। देश व समाज उनà¥à¤¨à¤¤ व सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ होता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन में यह सà¤à¥€ गà¥à¤£ पाये जाते थे। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से परमातà¥à¤®à¤¾ के बनाये पशॠव पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व कीट-पतंगों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ दया व करूणा का à¤à¤¾à¤µ रखते हà¥à¤ उनके पोषण व जीवनयापन में सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सहायक बनना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके ही हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाने के अधिकारी होते हैं।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ के समय हमारा समाज अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ था। ऋषि ने सà¤à¥€ सामाजिक कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का तरà¥à¤•, यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ सहित वेद के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से खणà¥à¤¡à¤¨ किया। अशिकà¥à¤·à¤¾ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ का सबसे बड़ा शतà¥à¤°à¥ बताया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिकà¥à¤·à¤¾ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ का अधिकार व राजा का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बताया। ऋषि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह माता-पिता दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ होने चाहिये जो अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सरकार की ओर से संचालित निःशà¥à¤²à¥à¤• गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ व पाठशालों में पà¥à¤¨à¥‡ के लिये नहीं à¤à¥‡à¤œà¤¤à¥‡ हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ वà¥à¤°à¤¤ के पालन की महिमा को à¤à¥€ रेखांकित किया।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का मारà¥à¤— दिखाया। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ विषयक सà¤à¥€ à¤à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दूर किया। à¤à¤• गृहसà¥à¤¥à¥€ जो संयम à¤à¤µà¤‚ नियमों का पालन करते हà¥à¤ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करता है, वह à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ होता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवनचरà¥à¤¯à¤¾ से शिकà¥à¤·à¤¾ दी कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¥à¤¼-मà¥à¤¹à¥à¤°à¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 4.00 बजे जाग जाना चाहिये। वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करनी चाहिये। शौच आदि से निवृत होकर सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ यजà¥à¤ž का अनà¥à¤·à¥à¤ ान करना चाहिये।
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करना चाहिये। सातà¥à¤µà¤¿à¤• व शाकाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ करना चाहिये। शरीर में विकार उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाले पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन नहीं करना चाहिये। दà¥à¤—à¥à¤§, घृत, मकà¥à¤–न, फल सहित शà¥à¤¦à¥à¤§ अनà¥à¤¨ का सेवन करना चाहिये। आलसà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ होना चाहिये। महतà¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤‚कà¥à¤·à¥€ न बन कर देश व समाज के हितों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखते हà¥à¤ जीवनयापन करना चाहिये। ईशà¥à¤µà¤°à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ देशà¤à¤•à¥à¤¤ होना चाहिये। किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ किसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ नहीं करना चाहिये। गिरे हà¥à¤“ं को ऊपर उठाना चाहिये।
सबको सदाचार व वेद की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं से परिचित कराना चाहिये और अविदà¥à¤¯à¤¾ का खणà¥à¤¡à¤¨ निरà¥à¤à¥€à¤•à¤¤à¤¾ से करना चाहिये। समाज में यदि अविदà¥à¤¯à¤¾ होगी तो इससे सà¤à¥€ को दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने यह à¤à¥€ बताया कि वेद से इतर जितने à¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं उन सबमें अविदà¥à¤¯à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। यह अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर होनी चाहिये। इसके लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने न केवल सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के 11 से 14 तक के समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ लिखे अपितॠअपने जीवन में मौखिक पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हà¥à¤ à¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾ व असतà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° खणà¥à¤¡à¤¨ किया। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने हमें इतना कà¥à¤› दिया है कि हम उसे समà¥à¤à¤¾à¤² पाने में असमरà¥à¤¥ हैं। हम पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करें तो वेदों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व ऋषि तक बन सकते हैं। इसके लिये ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने हमें सà¤à¥€ साधनों से परिचित कराया है व सà¤à¥€ साधन उपलबà¥à¤§ कराये हैं।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ के समय में हमारा देश अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का गà¥à¤²à¤¾à¤® था। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से पूरà¥à¤µ हम मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पराधीन रहे। इन सà¤à¥€ ने हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ पर अमानवीय अनेक जघनà¥à¤¯ अपराध किये। हमें इनसे शिकà¥à¤·à¤¾ लेकर अपनी उन सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को दूर करना है जिससे हम पà¥à¤¨à¤ƒ पराधीन न हों। पराधीनता का कारण अविदà¥à¤¯à¤¾à¤œà¤¨à¤¿à¤¤ मत-मतानà¥à¤¤à¤°, सामाजिक à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ वा जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद, मिथà¥à¤¯à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤µà¤‚ वेदाचरण के विपरीत आचरण करना था। शोक है कि यह सब कारण आज à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥‚ व आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ही देश की आजादी का मारà¥à¤— सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ था। आजादी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने में ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सबसे अधिक योगदान है। यदि ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने आजादी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ न की होती और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व उसके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने बिना किसी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ आजादी में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤— न लिया होता, तो हमारा अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि शायद आजादी का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ à¤à¥€ आरमà¥à¤ न होता। इस अवसर पर हमें पं0 शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€ कृषà¥à¤£ वरà¥à¤®à¥à¤®à¤¾, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, लाला लाजपतराय, à¤à¤¾à¤ˆ परमाननà¥à¤¦, पं. रामपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤², शहीद à¤à¤—त सिंह जी के आरà¥à¤¯ परिवार को à¤à¥€ सà¥à¤®à¤°à¤£ करना चाहिये। हमें सà¥à¤®à¤°à¤£ है कि जब शहीद à¤à¤—त सिंह लाहौर से लाला लाजपतराय की हतà¥à¤¯à¤¾ का बदला लेकर कलकतà¥à¤¤à¤¾ पहà¥à¤‚चे थे तो वहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में आशà¥à¤°à¤¯ मिला था। देश को आजादी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ कर आजादी दिलाने वाले महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के योगदान को à¤à¥€ हमें सà¥à¤®à¤°à¤£ करना चाहिये।
सारा संसार ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिये उनका ऋणी है। देश चाहे à¤à¥€ तो उनके ऋण से उऋण नहीं हो सकता। उनके बताये मारà¥à¤— का अनà¥à¤•à¤°à¤£ व अनà¥à¤¸à¤°à¤£ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का मारà¥à¤— है और मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में निमगà¥à¤¨ रहना मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ न कराकर पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व लोठके मारà¥à¤— पर ले जाता है जहां करà¥à¤® फल à¤à¥‹à¤— सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤–ादि के अतिरिकà¥à¤¤ कà¥à¤› नहीं है। पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ इससे सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ नहीं अपितॠहमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में बिगड़ता ही है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपना कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ चाहता है उसे मांसाहार, मदिरापान, नशा, घूमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¨, अधिक à¤à¥‹à¤œà¤¨ तथा धन समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का संगà¥à¤°à¤¹ वा परिगà¥à¤°à¤¹ छोड़कर अपनी नà¥à¤¯à¥‚नतम आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं को पूरा करने में ही यथोचित पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करना चाहिये। आज ऋषि बोधोतà¥à¤¸à¤µ पर हम अपने सà¤à¥€ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤µà¤‚ बधाई देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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