शादी से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डर रहे है आज के यà¥à¤µà¤¾
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Rajeev ChoudharyDate
15-Mar-2019Category
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विवाह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के रूप à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और पवितà¥à¤° हिसà¥à¤¸à¤¾ रहा है. बलà¥à¤•à¤¿ ये कहिये कि विवाह à¤à¤• जनà¥à¤® का नहीं बलà¥à¤•à¤¿ सात जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का पवितà¥à¤° बंधन à¤à¥€ माना जाता रहा है. विवाह सिरà¥à¤« à¤à¤• नवयà¥à¤µà¤• à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• नवयà¥à¤µà¤¤à¥€ के साथ रहने जीने आगे बà¥à¤¨à¥‡ का रिशà¥à¤¤à¤¾ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ यह दो परिवारों के बीच बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करता चला आ रहा हैं. किनà¥à¤¤à¥ आज की à¤à¤¾à¤—ती दौडती जिनà¥à¤¦à¤—ी की तेज रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° में यह रिशà¥à¤¤à¤¾ बेहद कमजोर होता जा रहा है. यदि आंकड़ों पर नजर डाले तो इसके टूटने की संखà¥à¤¯à¤¾ पशà¥à¤šà¤¿à¤® के देशों मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ कà¥à¤› कम रह गयी हैं. ये à¤à¥€ कह सकते है कि आज के आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समय में विवाह का महतà¥à¤µ दिन पर दिन कम होता जा रहा हैं.
यदि गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से इस विषय पर चरà¥à¤šà¤¾ की जाये तो यह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ का बनती जा रही है जो आने वाले समय में समाज और परिवारों की तबाही का बड़ा कारण बनेगी. आज हो ये रहा है कि इस आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सदी में à¤à¤• तो नौजवान यà¥à¤µà¤•-यà¥à¤µà¤¤à¥€ विवाह के लिठआसानी से तैयार नहीं हो रहे और जो हो रहे है उनमें से अधिकांश के जलà¥à¤¦ ही तलाक के मामले कोरà¥à¤Ÿ में खड़े मिल रहे हैं. जहाठतेजी से बदलते समय में आज कई चीजें बदली वहां कà¥à¤› सामाजिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा के रूप à¤à¥€ बदल गये हैं. मसलन कà¥à¤› समय पहले तक लडकें-लड़कियां मां-बाप की इचà¥à¤›à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विवाह करके घर गृहसà¥à¤¥à¥€ बसाकर संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ हो जाया करते थे लेकिन आज à¤à¤¸à¤¾ बहà¥à¤¤ कम देखनें को मिल रहा हैं. बदलते इस दौर की बात करें तो सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के साथ लड़कियों को अपने न सिरà¥à¤« पंख मिले, बलà¥à¤•à¤¿ उन पंखों को फैलाने के लिठआसमान à¤à¥€ मिला. à¤à¤¸à¥‡ में शादी करके घर बसाने के कथन में बदलाव आ गया. अब सामाजिक रूप से सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने का मतलब शादी करके बचà¥à¤šà¥‡ पैदा करना नहीं रह गया, बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ नौकरी,वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ या आरà¥à¤¥à¤¿à¤• संपनà¥à¤¨à¤¤à¤¾ से हो गया हैं.
इसी विषय को यदि पलटकर लड़कों के मामले में देखें तो अधिकांश लड़के à¤à¥€ इससे बचने की कोशिश करते हà¥à¤ लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ दे रहे है. दिन पर दिन दहेज के बà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥‚ठे सचà¥à¤šà¥‡à¤‚ मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‹à¤‚ ने कानून का किसी à¤à¤• पकà¥à¤· में ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥à¤•à¤¨à¤¾ और दूसरे पकà¥à¤· को इसके खतरनाक नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ देना à¤à¥€ शादी का चलन घटने का बड़ा कारण है. à¤à¤¸à¤¾ कतई नहीं है कि विवाह की संसà¥à¤¥à¤¾ खोखली हो गयी है और समाज को इससे किनारा करने की ज़रूरत है. नहीं बलà¥à¤•à¤¿ यह जो कमी हो रही है आज इसमें सà¥à¤§à¤¾à¤° करने की जरूरत हैं. आज जब किसी यà¥à¤µà¤¾ से शादी के बारे में चरà¥à¤šà¤¾ की जाती है तो वह नकारतà¥à¤®à¤• à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करते हैं यानि वह इस पवितà¥à¤° संसà¥à¤¥à¤¾ को à¤à¤• गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ जिनà¥à¤¦à¤—ी बताकर इससे बचने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करेंगे.
आज से 10 वरà¥à¤· पहले हà¥à¤ˆ शादी और पिछले दो से तीन वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में हà¥à¤ˆ शादियों में काफी अंतर देखने को मिलता है मसलन दस वरà¥à¤· माता-पिता और परिवारों की सहमति से हà¥à¤ˆ शादियाठजिनमें लड़का-लड़की, दो परिवार, रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ जितने सैकड़ों-हज़ार परिवार शामिल होते थे सà¤à¥€ à¤à¤• तरह से इसके साकà¥à¤·à¥€ बन जाते थे. à¤à¤¸à¥‡ में जब कà¤à¥€ इस रिशà¥à¤¤à¥‡ में कà¥à¤› समसà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती थी तो पूरा परिवार और समाज इसे बचाने की कोशिश में जà¥à¤Ÿ जाता था. किनà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¥‡à¤® विवाह या कà¥à¤› समय में à¤à¤• दूसरे से आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ होकर की गयी शादियाठजलà¥à¤¦ टूट रही हैं.
सामाजिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा का à¤à¤¯ जो हमेशा रिशà¥à¤¤à¤¾ बचाने में मदद करता था आज वह पूरी तरह से गायब होता जा रहा हैं. अगर अà¤à¥€ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय की बात किया जाà¤, तो अगर सामने वाला लड़का हो या लड़की अगर किसी से पà¥à¤°à¥‡à¤® कर लेता है, फ़िर वह विवाह के बंधन मे बंधने के बाद जरा सी बात पर रिशà¥à¤¤à¤¾ तोड़ देते हैं. पिछले दिनों में à¤à¤¸à¥‡ कई रिशà¥à¤¤à¥‡ देखें à¤à¤• लड़की के तलाक का कारण सिरà¥à¤« इतना था कि शादी के बाद लड़के ने उसके मà¥à¤‚ह पर थपà¥à¤ªà¥œ मार दिया था. लड़की ने यह बात बरà¥à¤¦à¤¾à¤¸à¥à¤¤ नहीं की और तलाक की अरà¥à¤œà¥€ डाल दी.
à¤à¤• दूसरे लड़के ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से सिरà¥à¤« इस बात से तलाक लिया कि वह देर रात तक सोशल मीडिया फेसबà¥à¤• आदि पर अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से चेट किया करती थी. यानि आजकल के लोगों की धारणा संकीरà¥à¤£ विचारधारा जैसी हो गई है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¯à¤¾à¤° कà¥à¤¯à¤¾ होता है? विवाह कà¥à¤¯à¤¾ होता है? और इसकी पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ होती है? उनके बारे में यह अà¤à¥€ तक अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž है. पहले के समय और आज के समय में यही अंतर है कि पहले के लोग विवाह को à¤à¤• पवितà¥à¤° रिशà¥à¤¤à¤¾ मानकर हर सà¥à¤–- दà¥à¤–,उतार- चढ़ाव मैं साथ चल कर अपने रिशà¥à¤¤à¥‡ को à¤à¤• मंजिल तक पहà¥à¤‚चाते थे. परंतॠआजकल के विवाह में अगर थोड़ा à¤à¥€ à¤à¤• दूसरे को रोक- टोक किया या à¤à¤• दूसरे की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ ना कर पाठतो फिर यह रिशà¥à¤¤à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दिनों तक नहीं चल पाता, और तलाक की नौबत आ जाती है. इसीलिठआजकल की यà¥à¤µà¤¾ पीढ़ी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विवाह को मजाक बनाया गया है, à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ और रिशà¥à¤¤à¤¾ अब पूरà¥à¤£ रूप से खतम हो गया है.
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