‘हम ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के ऋणी हैं’
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Manmohan Kumar AryaDate
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17-Apr-2019Download PDF
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वैदिक धरà¥à¤®à¥€ सà¤à¥€ बनà¥à¤§à¥à¤“ं पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अकथनीय ऋण हैं। जब हम इस विषय पर विचार करते हैं तो अपने आप को संसार के अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ पाते हैं। हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ वैदिक धरà¥à¤®à¥€ बनà¥à¤§à¥à¤“ं का यह अहोà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हमें इस संसार की पहेली का सतà¥à¤¯ समाधान पता है। यह संसार असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में कैसे आया, यह हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ है। किसने इस संसार को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनाया और कौन इसका कैसे व कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पालन कर रहा है?
इसका सतà¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ है। हम कौन हैं, इस संसार में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आये हैं, हमें किसने यहां कà¥à¤¯à¤¾ करने के लिये à¤à¥‡à¤œà¤¾ है, इस जीवन में हमारे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ हैं व हम आतà¥à¤®à¤¾ को होने वाले दà¥à¤ƒà¤–ों से कैसे बच सकते हैं, इसका à¤à¥€ हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। हमें यह à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि का हमारा यह जनà¥à¤® पहला जनà¥à¤® नहीं है। हमारे इससे पूरà¥à¤µ अननà¥à¤¤ बार संसार की पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ योनियों में जनà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। हम अनेक बार मोकà¥à¤· में à¤à¥€ गये और अवधि पूरी होने पर हमें पà¥à¤¨à¤ƒ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® मिला है। इस जीवन में हमारी मृतà¥à¤¯à¥ होगी और उसके बाद हमारी पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ततà¥à¤•à¤¾à¤² आरमà¥à¤ हो जायेगी और गरà¥à¤à¤µà¤¾à¤¸ आदि की अवधि पूरी होने पर कहीं किसी मां की कोख से हमारे इस जनà¥à¤® व पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अवशिषà¥à¤Ÿ अà¤à¥à¤•à¥à¤¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® होगा।
हमें लगता है कि हम पहले ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का इस बात के लिये धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करें कि इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हमें ईशà¥à¤µà¤° व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को जानने का सà¥à¤…वसर मिला और इससे हमारी आतà¥à¤®à¤¿à¤• व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है जिसका लाठहमें इस जनà¥à¤® में à¤à¥€ मिला है और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ मिलता रहेगा।
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आने से पूरà¥à¤µ हम ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को नहीं जानते थे। हमें पता नहीं था कि घर में जो मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा व चितà¥à¤° को सामने रख कर आरती आदि की जाती थी उससे à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° का कà¥à¤› सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¥€ होता है। सनॠ1970 से हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में जाने लगे थे। वहां जाकर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ थे तो हमें वहां ईशà¥à¤µà¤° विषयक तरà¥à¤• संगत बातें सà¥à¤¨à¤•à¤° और ईशà¥à¤µà¤° विषयक कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨ सà¥à¤¨à¤•à¤° आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता था।
हमने अपने à¤à¤• मितà¥à¤° शà¥à¤°à¥€ धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² सिंह की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ विषयक कà¥à¤› पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ खरीद कर पà¥à¥€ जिससे हमें आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की ईशà¥à¤µà¤° विषयक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने लगा था। समय के साथ हमारा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बà¥à¤¤à¤¾ ही गया। हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† कि ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है। वह निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अनादि, अननà¥à¤¤, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। वह ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जीवातà¥à¤®à¤¾ के पूरà¥à¤µ कृत शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को जानता है।
वह करà¥à¤® फल दाता है। पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® में किये करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही हमारा यह जनà¥à¤® मिला है और उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही हमारी जाति, आयॠव à¤à¥‹à¤— निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं। हमारा मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® इस लिये हà¥à¤† है कि हम करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में बनà¥à¤§à¥‡ हà¥à¤ हैं। जब तक हम इन बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं होंगे, ईशà¥à¤µà¤° हमें इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता रहेगा। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हम ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प से परिचित हà¥à¤à¥¤
वेद, ऋषि और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ईशà¥à¤µà¤° को सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प बताते हैं। सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ है à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ सतà¥à¤¤à¤¾ जो सतà¥à¤¯ है, चेतन है और आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प वाली है। जिसमें आननà¥à¤¦ होता है उसमें दà¥à¤ƒà¤– व कषà¥à¤Ÿ नहीं होता है। हमें दà¥à¤ƒà¤– व कषà¥à¤Ÿ होता है तो इस कारण कि हम आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प सतà¥à¤¤à¤¾ नहीं है। हम जीवातà¥à¤®à¤¾ है जो सतà¥à¤¯ व चितà¥à¤¤ तो है परनà¥à¤¤à¥ आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं है। इस आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ ही जीवातà¥à¤®à¤¾ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ है। यह लकà¥à¤·à¥à¤¯ आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प ईशà¥à¤µà¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर पूरा किया जाता है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमें कार खरीदनी हो तो हमारे पास उसके अनà¥à¤°à¥‚प धन होना चाहिये।
इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यदि हमें आननà¥à¤¦ चाहिये तो हमें ईशà¥à¤µà¤° से आननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिये सदà¥à¤•à¤°à¥à¤® व उपासना आदि करनी आनी चाहिये व उसे करना होगा। इससे हमें आननà¥à¤¦ मिल सकता है। सांसारिक पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करने पर à¤à¥€ हमें सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है परनà¥à¤¤à¥ यह सà¥à¤– असà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ व कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• होता है। कà¥à¤› ही समय बाद à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– समापà¥à¤¤ हो जाता है। ईशà¥à¤µà¤° की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, उपासना, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व समाधि के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ से जीवातà¥à¤®à¤¾ को सà¥à¤– मिलना आरमà¥à¤ होता है। जो इस तथà¥à¤¯ व रहसà¥à¤¯ को जानते हैं वह योग साधना में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ के सचà¥à¤šà¥‡ साधक à¤à¤µà¤‚ ईशà¥à¤µà¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ व सिदà¥à¤§ किये हà¥à¤ योगी थे।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने अनà¥à¤à¤µ के आधार पर कहा है कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं दोनों समय, सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ व सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के समय, ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾, उपासना व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अवशà¥à¤¯ करना चाहिये। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में वेदों व ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करना à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। इनका अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ के मल छंटने आरमà¥à¤ हो जाते हैं।
धीरे धीरे साधक को उपासना में आननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होने लगता है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ कारà¥à¤¯ है जिसमें हमारी आतà¥à¤®à¤¾ के हमारे पूरà¥à¤µ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के कारण रà¥à¤šà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ न à¤à¥€ हो तब à¤à¥€ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व तरà¥à¤• से सिदà¥à¤§ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ रूपी धरà¥à¤® व करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ को अवशà¥à¤¯ करना चाहिये। इससे अनà¥à¤•à¥‚लता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने लगेगी और समय आने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में à¤à¤¸à¥€ रà¥à¤šà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो सकती है कि बिना सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ किये उसे सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ की अनà¥à¤à¥‚ति नहीं होगी। अतः सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के लिठनिरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय पर अपने को अनà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर ऋषि दयाननà¥à¤¦ की वैदिक विधि से सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ अवशà¥à¤¯ करनी चाहिये।
ईशà¥à¤µà¤° सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨ हैं। यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ असतà¥à¤¯ नहीं है। ईशà¥à¤µà¤° चेतन à¤à¤µà¤‚ आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प होने सहित निराकार à¤à¥€ है। वह सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ है। निराकार का अरà¥à¤¥ है कि उसका मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की तरह का आकार नहीं है। वह निराकार इस लिये à¤à¥€ है कि वह अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® व सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® है। उससे सूकà¥à¤·à¥à¤® कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। उसकी सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• यनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से नहीं नापा जा सकता। इसी कारण वह सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के à¤à¥€à¤¤à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• हो रहा है।
यदि हम अपनी आतà¥à¤®à¤¾ पर विचार करें तो हम आतà¥à¤®à¤¾ के आकार पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के बारे में कà¥à¤› नहीं बता सकते। हमें मातà¥à¤° इतना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है कि हमारा आतà¥à¤®à¤¾ सूकà¥à¤·à¥à¤® व à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ है। इसके à¤à¥€à¤¤à¤° परमातà¥à¤®à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है। दोनो का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सेवक का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है। दोनों ही चेतन ततà¥à¤µ है। चेतन का गà¥à¤£ व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ व शकà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होना होता है। आतà¥à¤®à¤¾ इसी कारण जनà¥à¤® लेकर à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होकर à¤à¥€ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ है और उस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤°à¥‚प अपने मन के संकलà¥à¤ªà¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ करता व उनमें सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ को बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में ईशà¥à¤µà¤° विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं था।
उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा की निःसारता का विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो गया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और साधना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· किया। इसके परिणाम से वह ईशà¥à¤µà¤° के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का दरà¥à¤¶à¤¨ कर सके और अपने उपदेशों व सà¥à¤µà¤°à¤šà¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ सà¥à¤µà¤°à¥‚प संसार के सà¤à¥€ मानवों को बताने व समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया जिसमें वह आंशिक रूप से सफल à¤à¥€ हà¥à¤à¥¤ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾ व उनके आचारà¥à¤¯à¥‹ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सहयोग न करने से ईशà¥à¤µà¤° विषयक वेदों के यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ नहीं हो सके।
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का यह पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ जारी है और आशा की जा सकती है कि आने वाले समय में ईशà¥à¤µà¤° विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अधिक पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° होगा जिससे अधिकाधिक लोग लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो सकेंगे।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ईशà¥à¤µà¤° को जीवों वा चेतन आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं के मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि में किये गये करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ बताया है। ईशà¥à¤µà¤° वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ है। सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से वह जीवों के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• करà¥à¤® का साकà¥à¤·à¥€ होता है। वेदों में ईशà¥à¤µà¤° के लिये अरà¥à¤¯à¤®à¤¾ शबà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है जिसका अरà¥à¤¥ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ है। ईशà¥à¤µà¤° ने हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ किया है तà¤à¥€ हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® और हमारे करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प ही माता-पिता, देश, शरीर का रूप, रंग व इसमें करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ वाले मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि अवयव मिले हैं।
हम कà¥à¤› à¤à¥€ कर लें, ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों से उऋण नहीं हो सकते। हमें दà¥à¤ƒà¤–ों से बचने के लिठईशà¥à¤µà¤° के नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानकर पापों से दूर रहना है। माता-पिता व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सेवा सतà¥à¤•à¤¾à¤° सहित देश व समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µ रखकर इनकी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में सहयोग करना है। इससे हमें अनेक लाठहोते हैं। अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का यश बà¥à¤¤à¤¾ है। हम अपने ऋषियों, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, यशसà¥à¤µà¥€ राजाओं à¤à¤µà¤‚ विशà¥à¤µ के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ को इसी लिये याद करते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯ पथ चलने हेतॠअपने जीवन व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ किया है।
दूसरी ओर मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की मिथà¥à¤¯à¤¾ बातों को जो लोग जान कर उसे छोड़ नहीं रहे हैं वह अपने पà¥à¤°à¤¤à¤¿ व अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® आचरण नहीं कर रहे हैं। अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश होना चाहिये और विदà¥à¤¯à¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ होनी चाहिये। यह वेद का आदेश है और ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने इस ओर हमारा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ देनें हैं जिनके लिये हम इनके ऋणी हैं। कà¥à¤› अनà¥à¤¯ कारणों पर हम अपने आगामी लेखों में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालेंगे। ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, उसके गà¥à¤£ करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ तथा ईशà¥à¤µà¤° की उपासना की सचà¥à¤šà¥€ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में सहायक विधि से परिचित कराने के लिये ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को कोटिशः धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤ ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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