अब मदरसों से परेशान पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨
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Rajeev ChoudharyDate
06-May-2019Category
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अब मदरसों से परेशान पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨
आतंकवाद की परवरिश करने वाला पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ दबाव के बीच à¤à¤• बड़ा à¤à¤•à¥à¤¶à¤¨ लेने के लिठमजबूर हà¥à¤† है। इमरान खान शासन ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में चल रहे 30 हजार से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मदरसों को सरकार के अधीन लाने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया है। इन मदरसों में अब मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की विषयों को à¤à¥€ पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाà¤à¤—ा। यानि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ये मानने को तैयार हो गया है कि मदरसों से आतंक की फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ चलाई जाती है। पà¥à¤²à¤µà¤¾à¤®à¤¾ के बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ने 182 मदरसों को अपने कंटà¥à¤°à¥‹à¤² में लेने और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित गà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ के 100 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आतंकियों को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया था और यह दिखाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया था कि वह आतंक के खिलाफ कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ कर रहा है।
हालाà¤à¤•à¤¿ इससे पहले पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के पेशावर सà¥à¤•à¥‚ल पर हमले में जिसमें कि 150 छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का कतà¥à¤² कर दिया गया तब पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ à¤à¤œà¥‡à¤‚सियों ने खà¥à¤²à¥‡ तौर पर इसमें मदरसो की à¤à¥‚मिका को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया था। इसके बाद दिसमà¥à¤¬à¤° 2017 में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के सेना पà¥à¤°à¤®à¥à¤– जनरल कमर जावेद बाजवा ने मदरसों की तीखी आलोचना करते हà¥à¤ कहा था इसà¥à¤²à¤¾à¤® की शिकà¥à¤·à¤¾ देने वाले मदरसों की अवधारणा पर à¤à¤• बार फिर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना होगा। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के लिठतैयार नहीं करते बाजवा ने सवाल पूछते हà¥à¤ कहा था आज पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के मदरसों मे करीब 25 लाख बचà¥à¤šà¥‡ पà¥à¤¤à¥‡ हैं लेकिन वे कà¥à¤¯à¤¾ बनेंगे, कà¥à¤¯à¤¾ वे मौलवी बनेंगे अथवा आतंकवादी बनेंगे?
यदि यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संदरà¥à¤ में देखा जाये तो आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ से मदरसों की दूरी मापते हà¥à¤ कà¥à¤› समय पहले उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ शिया सेंटà¥à¤°à¤² वकà¥à¤« बोरà¥à¤¡ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· वसीम रिजवी ने à¤à¥€ मदरसों को खतà¥à¤® करने की पैरवी की थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी को पतà¥à¤° लिखकर मांग की थी कि वकà¥à¤¤ आ गया है कि मदरसा शिकà¥à¤·à¤¾ को मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ से जोड़ा जाà¤à¥¤ रिजवी ने इस पतà¥à¤° में लिखा था कि कà¥à¤› संगठन और कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सिरà¥à¤« मदरसे की शिकà¥à¤·à¤¾ देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सामानà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ की मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ से दूर कर रहे हैं। मदरसों में जो बचà¥à¤šà¥‡ शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर रहे हैं, उनकी शिकà¥à¤·à¤¾ का सà¥à¤¤à¤° निचली सतह का है। à¤à¤¸à¥‡ बचà¥à¤šà¥‡ सरà¥à¤µ समाज से दूर होकर कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थ की तरफ बॠरहे हैं, à¤à¤¸à¥‡ में मदरसों को खतà¥à¤® करने की जरूरत है और उसकी जगह सामानà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ नीति बनाई जाà¤à¥¤ वसीम रिजवी ने à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ देश के सामने यह à¤à¥€ रखा था कि मदरसों ने कितने डॉकà¥à¤Ÿà¤°, इंजीनियर और आईà¤à¤à¤¸ अफसर पैदा किठहैं? लेकिन कà¥à¤› मदरसों ने आतंकी जरूर पैदा किठहैं। मदरसों में शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ यà¥à¤µà¤¾ रोजगार के मोरà¥à¤šà¥‡ पर अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• होते हैं। उनकी डिगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¤à¥€ जगह मानà¥à¤¯ नहीं होती और खासकर निजी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जो रोजगार है, वहां मदरसा शिकà¥à¤·à¤¾ की कोई à¤à¥‚मिका नहीं होती। à¤à¤¸à¥‡ में पूरा समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ समाज के लिठहानिकारक हो जाता है।
वसीम रिजवी और बाजवा के बयान को मिलाकर देखा जाये तो कई चीजें निकलकर सामने आती है कि मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से लेकर अब तक चूà¤à¤•à¤¿ विशà¥à¤µ की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में सामाजिक और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• चेतना में बड़े-बड़े परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤à¥¤ इस परिवरà¥à¤¤à¤¨ को अगर अरब देशों में ही देखें तो जहाठलोग कबीलों में जीवन गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¤à¥‡ थे आज वहां गगनचà¥à¤‚बी इमारते हैं। किनà¥à¤¤à¥ इन सब परिवरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ के बावजूद जब वहां के मदरसों में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते हैं तो उनकी इमारते तो à¤à¤µà¥à¤¯ दिखाई लेकिन शिकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर आज à¤à¥€ रà¥à¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• पाठयकà¥à¤°à¤® ही दिखाई देगा। यदि कà¥à¤› मदरसे आधà¥à¤¨à¤¿à¤• होने का दंठà¤à¥€ à¤à¤°à¤¤à¥‡ तो वहां लगे अतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¨à¤¿à¤• कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर की हारà¥à¤¡à¤¡à¤¿à¤¸à¥à¤• में à¤à¥€ मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² की पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ कथा, लाइबà¥à¤°à¥‡à¤°à¥€ में गौरवशाली इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• इतिहास, कà¥à¤°à¤¾à¤¨-हदीश और अनà¥à¤¯ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ही मिलेगी।
यानि अधिकांश मदरसों के अनà¥à¤¦à¤° रà¥à¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ सोच को परोसना तथा अपने अनà¥à¤¯ मत’मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹ के लोगों की पूजा उपासना के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ नफरत और विशà¥à¤µ में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का रह गया है। à¤à¤• किसà¥à¤® से कहें तो मदरसों में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर à¤à¤• à¤à¥€à¥œ तैयार हो रही हैं जो आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को à¤à¤• सिरे से खारिज करती दिख रही हैं। इसका जीता जागता à¤à¤• ताजा उदहारण यह à¤à¥€ है कि वसीम रिजवी के लिखे पतà¥à¤° के बाद à¤à¤• टीवी पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® की बहस में इसà¥à¤²à¤¾à¤® का पकà¥à¤· रखते हà¥à¤ à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मौलाना ने खà¥à¤²à¤•à¤° सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया था कि मदरसों के जरिये हम लोग नमाज पढने और पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ वाले ही तैयार करते हैं।
हालाà¤à¤•à¤¿ ये अकेले रिजवी का मत नहीं था इससे पहले à¤à¤¾à¤°à¤¤ में इराक के ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ राजदूत फाख़री हसन अल ईसा ने à¤à¥€ कहा था कि चरमपंथी संगठन इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤²à¥€à¤ªà¤° सेल सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किठहो सकते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ समेत कई देशों में विदेश से फंड हासिल करने वाले मदरसों में जो इसà¥à¤²à¤¾à¤® सिखाया जा रहा है वह इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ के उदय के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है। ये खबर द हिंदू अख़बार में à¤à¥€ छपी थी कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ को मदरसों और इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ उपदेशकों पर नजर रखनी चाहिठकि वो किस तरह के इसà¥à¤²à¤¾à¤® की सीख दे रहे हैं।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संदरà¥à¤ में कही गयी उपयà¥à¤•à¥à¤¤ दोनों ही बातों को इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की ओर से खारिज किया गया था, किनà¥à¤¤à¥ ये पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ अपनी जगह खड़ें रह गये और उनका जवाब किसी à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने देना उचित नही समà¤à¤¾ था। यदि मदरसे शैकà¥à¤·à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हैं केवल अपने समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लिठविशेष ना होते। तो कà¥à¤¯à¤¾ यह वासà¥à¤¤à¤µ में सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• अडà¥à¤¡à¥‡ हैं? जिनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ धरà¥à¤® की सेवा नहीं बलà¥à¤•à¤¿ अपने मजहब का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हैं जो कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ करने के लिठबना रहे हैं? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास अलीगढ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में उपजे बंटवारे के बीजों को à¤à¥à¤²à¤¾ नहीं सका है। जिसे इस सवाल से चिढ हो वह कम से कम इन मदरसो का मà¥à¤–à¥à¤¯ धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ तो बता ही सकता है?
आखिर कà¥à¤¯à¤¾ कारण है à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विविधता à¤à¤°à¥‡ समाज में जिन मदरसों में हिंदी और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ की तालीम के उलट अरबी, फारसी, उरà¥à¤¦à¥‚ की तालीम दी जा रही है। साथ-साथ तकनीकी पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ जैसे कंपà¥à¤¯à¥‚टर पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£, इंजीनियिरंग, मेडिकल, सीà¤, वकालत, आदि जैसे अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨à¤² शिकà¥à¤·à¤¾ की तालीम नदारद है। सिरà¥à¤« दीनी तालीम के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ बैठे लोगों को मदरसे कà¥à¤¯à¤¾ देंगे इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है, लेकिन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ के ये अकà¥à¤·à¤° जवाब के बजाय गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ और तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤•à¤°à¤£ की राजनीति से ढक दिठजा रहे है। इस विषयों पर बहसें होती है पर कà¤à¥€ हल नहीं निकलता।
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