टीपू देशà¤à¤•à¥à¤¤ था और सावरकर....?
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Rajeev ChoudharyDate
18-May-2019Category
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देश में चà¥à¤¨à¤¾à¤µ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने में अà¤à¥€ à¤à¤• चरण बाकी है लेकिन कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में अपने घोषणापतà¥à¤° को जमीन पर उतारना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया हैं। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सरकार ने सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी विनायक दामोदर सावरकर से देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का तमगा छीन लिया। सावरकर को देशà¤à¤•à¥à¤¤ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से माफी मांगने वाला बताया हैं। इससे थोड़े दिन पहले जनवरी में महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के नासिक की यशवंतराव चवà¥à¤¹à¤¾à¤£ ओपन यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ में à¤à¥€ वीर सावरकर को हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ विचारधारा वाला कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी आतंकवादी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बताया गया था। इस किताब के à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ में दहशतवादी कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी आंदोलन में वीर सावरकर से लेकर वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ बलवंत फड़के, पंजाब के रामसिंह कà¥à¤•à¤¾, लाला हरदयाल, रास बिहारी बोस जैसे कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों के नाम शामिल थे।
अब इसे इस तरीके से à¤à¥€ समठसकते है कि अब राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बचà¥à¤šà¥‡ पढेंगे कि सावरकर देशà¤à¤•à¥à¤¤ नहीं थे और अनà¥à¤¯ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पढाया जायेगा कि सावरकर à¤à¤• महान कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ थे। या फिर अà¤à¥€ तक राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में जिस बाप ने ये पà¥à¤¾ था कि सावरकर कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ थे अब उनके बचà¥à¤šà¥‡ पढेंगे कि नहीं वो तो देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ थे। यानि हमारी आने वाली पीà¥à¥€ अब राजनितिक दलों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वोट के लालच में दिगà¥à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ की जाà¤à¤—ी।
पिछले दिनों कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने वरà¥à¤· 2019 के आम चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के लिठअपना घोषणापतà¥à¤° जारी किया था। कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने इस घोषणापतà¥à¤° को जनआवाज का नाम दिया था। इस घोषणापतà¥à¤° में à¤à¤• मामले को लेकर काफी विवाद à¤à¥€ हà¥à¤† था कि देश विरोधी बातें करना कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की नजर में कोई अपराध नहीं है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कà¥à¤› दिनों पहले ही जेà¤à¤¨à¤¯à¥ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की बौदà¥à¤§à¤¿à¤• खà¥à¤°à¤¾à¤• में सहायक रहे वामपंथी कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं ने सीधे-सीधे देश के टà¥à¤•à¥œà¥‡ करने के नारे लगाये और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ किस तरह इनकी तरफदारी करती नजर आयी थी यह सब देश ने देखा था।
बहà¥à¤¤ सारे लोग सोच रहे होंगे आखिर à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ कारण है जो कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ पारà¥à¤Ÿà¥€ के लोग बार-बार सावरकर पर हमला करते है। शायद वो कारण है सावरकर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी किताब जिसे सावरकर ने अंडमान से वापस आने के बाद लिखा था। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का नाम है हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ हू इज हिंदू इस किताब में सावरकर ने हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ देते हà¥à¤ लिखा कि इस देश का इंसान मूलत: हिंदू है। इस देश का नागरिक वही हो सकता है जिसकी पितृ à¤à¥‚मि, मातृ à¤à¥‚मि और पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥‚मि यही हो। यानि जिसके अराधà¥à¤¯ देवों से लेकर तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तक इसी देश में हो वही इस देश का नागरिक हो सकता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पितृ और मातृ à¤à¥‚मि तो किसी की हो सकती है, लेकिन पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥‚मि तो सिरà¥à¤« हिंदà¥à¤“ं, सिखों, बौदà¥à¤§ और जैनियों की हो हो सकती है, मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और ईसाइयों की तो ये पà¥à¤£à¥à¤¯à¤à¥‚मि नहीं है न उनके यहाठपर तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥¤ सावरकर की इस राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ और ईसाई तो इस देश के नागरिक कà¤à¥€ हो ही नहीं सकते। बस यही वो लाइन है जो कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की आंखों में खटकती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सावरकर की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तो कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के बड़े नेताओं का धरà¥à¤® कà¥à¤¯à¤¾ है सà¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ तरह जानते है. इस कारण वो देश के नागरिक नहीं हो सकते।
असल में 1883 में जनà¥à¤®à¥‡ सावरकर 1948 में हà¥à¤ˆ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की हतà¥à¤¯à¤¾ के आठआरोपियों में से à¤à¤• बनाठगये थे। नाथूराम गोडसे और उनके à¤à¤¾à¤ˆ गोपाल गोडसे, नारायण आपà¥à¤Ÿà¥‡, विषà¥à¤£à¥ करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किषà¥à¤Ÿà¥ˆà¤¯à¤¾, विनायक दामोदर सावरकर और दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ परचà¥à¤°à¥‡à¥¤ इस गà¥à¤Ÿ का नौवां सदसà¥à¤¯ दिगंबर रामचंदà¥à¤° बडगे था जो सरकारी गवाह बन गया था। हालांकि सावरकर को गाà¤à¤§à¥€ की हतà¥à¤¯à¤¾ के आरोप से बरी कर दिया गया था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दोषी साबित करने के लिठजरूरी सबूत नहीं थे।
लेकिन सावरकर की देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर सवाल उठाने वाले यह जरà¥à¤° जान ले कि आजादी से पहले वे तीन अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारियों की हतà¥à¤¯à¤¾ या इसकी कोशिश में शामिल थे। आजादी की लड़ाई के नजरिये से देखें तो ये हतà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन को उखाड़ फेंकने की सावरकर की कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ दिखाती हैं।
यही नहीं लेखक धनंजय कीर सावरकर के जीवनीकार थे। उनकी लिखी किताब, सावरकर à¤à¤‚ड हिज टाइमà¥à¤¸ 1950 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ थी। सावरकर की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद कीर ने इसे फिर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करवाया। इसमें कई नई जानकारियों को शामिल किया गया है जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खà¥à¤¦ सावरकर से मिली थीं। इस नये संसà¥à¤•à¤°à¤£ में कीर ने लिखा है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी वाइली की हतà¥à¤¯à¤¾ के दिन सà¥à¤¬à¤¹ सावरकर ने ढींगरा को à¤à¤• रिवालà¥à¤µà¤° दी थी और कहा था, ‘यदि इसबार तà¥à¤® असफल हà¥à¤ तो मà¥à¤à¥‡ अपना चेहरा मत दिखाना।
इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड में कानून की पà¥à¤¾à¤ˆ के लिठरवाना होने से पहले सावरकर मितà¥à¤° मेला नाम के à¤à¤• गà¥à¤ªà¥à¤¤ संगठन के सदसà¥à¤¯ थे। इसी का नाम बाद में अà¤à¤¿à¤¨à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤ रखा गया। इस संगठन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ किनà¥à¤¹à¥€ तरीकों से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन को खतà¥à¤® करना था। विनायक दामोदर सावरकर छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी महाराज के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ थे। वे गांधी जी के विशà¥à¤¦à¥à¤§ अहिंसा के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं रखते थे। जैसे शिवाजी 1666 में आगरा से मिठाइयों के टोकरे में छà¥à¤ªà¤•à¤° मà¥à¤—ल कैद से फरार हà¥à¤ थे, उसी से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर सावरकर ने à¤à¥€ 1910 में मोरिया नामक à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥€à¤®à¤° से पलायन किया था। जैसे ही सà¥à¤Ÿà¥€à¤®à¤° मारà¥à¤¸à¥‡ के फà¥à¤°à¤¾à¤‚सीसी तट के निकट पहà¥à¤‚चा, सावरकर ने उस पर मौजूद à¤à¤• बड़े छेद में से निकल कर समà¥à¤¦à¥à¤° में छलांग लगा दी और तैर कर किनारे पहà¥à¤‚चे थे।
लेकिन सावरकर की यह बहादà¥à¤°à¥€ किसी ने नहीं देखी और वामपंथियों और छदà¥à¤®à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने सावरकर को बदनाम करने की à¤à¤• के बाद à¤à¤• चाल चलते गये। à¤à¤¸à¤¾ इसलिठकि यदि हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पिछले 120 वरà¥à¤· के इतिहास पर नजर डालें तो पाà¤à¤‚गे कि राजनीतिक अखाड़े में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® रणनीतिकारों ने अलग-अलग बहाने से लगà¤à¤— सà¤à¥€ हिंदू नेताओं को इतिहास से मिटा दिया और उन लोगों को नायक बना दिया, जिहोनें इस देश को लहूलà¥à¤¹à¤¾à¤¨ किया था। इसी कड़ी में वामपंथी इतिहासकारों ने दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के औरंगजेब टीपू सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ जिसनें 700 मेलकोट आयंगर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को फांसी पर लटकाया था को देशà¤à¤•à¥à¤¤ बना दिया और हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ की बात करने वाले सावरकर को देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€à¥¤
देश के मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦à¥€ इतिहासकारों ने सेकà¥à¤²à¤°à¤¿à¤œà¥à¤® का à¤à¥‚ठा ढोंग कर टीपू को ‘वीर’ और ‘देशà¤à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¥à¤·’ के रूप में वरà¥à¤£à¤¨ किया है। सोचने की बात यही है à¤à¤²à¤¾ जो इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ 25 सालों तक वो किसी न किसी रूप में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का कैदी रहा उसकी देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर कैसा शक? दूसरा सवाल राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के शिकà¥à¤·à¤¾ मंतà¥à¤°à¥€ से à¤à¥€ है यदि सावरकर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ का दोसà¥à¤¤ था तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बार-बार जेल में डाल रहे थे? साथ ही राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ वो कारण à¤à¥€ जरà¥à¤° बताये कि यदि 25 साल जेल काटने के बाद सावरकर देशà¤à¤•à¥à¤¤ नहीं हो सके तो मातà¥à¤° कà¥à¤› साल जेल में रहे नेहरॠजी किस लिहाज से देशà¤à¤•à¥à¤¤ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤°à¤¤à¥à¤¨ हो गये ?
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