अरसे बाद अचà¥à¤›à¥€ खबर
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Vinay AryaDate
11-May-2019Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
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बढती अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, चौतरफा होता विकास इकà¥à¤•à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी में नया à¤à¤¾à¤°à¤¤ लगातार वैशà¥à¤µà¤¿à¤• मानचितà¥à¤° में नठमानक गॠकर पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सामने नये रूप में हाजिर हà¥à¤† है। परनà¥à¤¤à¥ दूसरी और यदि ये à¤à¥€ कहा जाये कि कि आज à¤à¥€ हर 5 à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ में से 1 à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ छà¥à¤†à¤›à¥‚त को मानता है, तो चौकना सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है। किनà¥à¤¤à¥ इस सच से न तो आप मà¥à¤‚ह मोड़ सकते हैं और न ही हम। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ हाल ही में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के धौलपà¥à¤° जिले की आईà¤à¤à¤¸ नेहा गिरी ने अपने इलाके में जब छूआछूत को देखा तो वह à¤à¥€ चौक गयी। दरअसल मनरेगा के तहत चल रहे à¤à¤• सरकारी कारà¥à¤¯ का निरीकà¥à¤·à¤£ करने के लिठजब डीà¤à¤® नेहा गिरी पहà¥à¤‚चीं तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा कि à¤à¤• महिला अपने बचà¥à¤šà¥‡ के साथ काम पर लगी है, जबकि उससे हटà¥à¤Ÿà¤¾-कटà¥à¤Ÿà¤¾ आदमी वहां पानी पिलाने का काम कर रहा है।
इसे देखकर जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसका कारण पूछा तब पता चला कि वह महिला छोटी जाति से आती है इसलिठकोई उसके हाथ से पानी नहीं पीता। यह सà¥à¤¨à¤•à¤° डीà¤à¤® नेहा गिरी ने मौजूद लोगों को जमकर लताड़ लगाई और उस महिला के हाथों पानी à¤à¥€ पिया. और गांव के लोगों को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि छà¥à¤†à¤›à¥‚त जैसी कोई चीज नहीं होती है और हर इंसान बराबर होता है। साल 2010 बैच की आईà¤à¤à¤¸ अफसर नेहा गिरी इसके पहले बूंदी और पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¤—ॠजिले की कलेकà¥à¤Ÿà¤° रह चà¥à¤•à¥€ हैं। फिलहाल धौलपà¥à¤° जिले में डीà¤à¤® की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ संà¤à¤¾à¤² रही हैं।
देखा जाये तो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का मूलमंतà¥à¤° मनà¥à¤°à¥à¤à¤µ है। किनà¥à¤¤à¥ यह ऊà¤à¤š-नीच की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रूपी हवा के à¤à¥‹à¤‚के से बà¥à¤°à¥€ तरह बिखर गया और धीरे-धीरे समाज के लिठà¤à¤• à¤à¥€à¤·à¤£ कलंक बन गया। इस पूरी घटना को सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बाद धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने के लायक यह बात à¤à¥€ है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में संविधान छà¥à¤†à¤›à¥‚त को बहà¥à¤¤ सालों पहले ही खतà¥à¤® कर चà¥à¤•à¤¾ है पर आज à¤à¥€ अनेकों जगह लोगों के मन में यह कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ बसी हà¥à¤ˆ है। अकà¥à¤¸à¤° जातिवाद, छà¥à¤†à¤›à¥‚त और उचà¥à¤š और निमà¥à¤¨ वरà¥à¤— के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को लेकर धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन यह बिलà¥à¤•à¥à¤² ही असतà¥à¤¯ है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जातिवाद छà¥à¤†à¤›à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• धरà¥à¤®, समाज और देश में है। हर धरà¥à¤® का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने ही धरà¥à¤® के लोगों को ऊंचा या नीचा मानता है।
जब छà¥à¤†à¤›à¥à¤¤ की बात आती है तो बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡ लोग यह सोचते है कि यह कथित ऊà¤à¤šà¥€ और निमà¥à¤¨ जाति के बीच का फासला है। छà¥à¤†à¤›à¥à¤¤ में दो चार अगड़ी जातियों का नाम लेकर अकà¥à¤¸à¤° यह à¤à¥à¤°à¤® à¤à¥€ समाज में फैलाया जाता है जबकि दलित और पिछड़ी जातियां आपस में छà¥à¤†à¤›à¥‚त मानती हैं। थोड़े समय पहले की à¤à¤• घटना ने इस सब से परà¥à¤¦à¤¾ हटा दिया था। उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के छिबरामऊ के à¤à¤• सरकारी मिडिल सà¥à¤•à¥‚ल में उपदà¥à¤°à¤µ हो गया था यहाठदलित बसà¥à¤¤à¥€ में रहने वाली शांति देवी वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ को बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का खाना बनाने के लिठनियà¥à¤•à¥à¤¤ कर दिया गया था। जिसके बाद हंगामा खड़ा हो गया था। गौरतलब बात यह है कि उन दिनों इस सरकारी सà¥à¤•à¥‚लों में पà¥à¤¨à¥‡ वाले जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° छातà¥à¤° गरीब, पिछड़े और दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के थे। लेकिन शांति के मोहलà¥à¤²à¥‡ में रहने वाले कठेरिया, धोबी à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ दलित जाति के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ खाने का बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° किया था।
इसलिठयह मसला केवल तथाकथित ऊà¤à¤šà¥€ और नीची जातियों के बीच सीमित नहीं है। बलà¥à¤•à¤¿ अनà¥à¤¸à¥‚चित जातियों में à¤à¥€ लोग आपस में छà¥à¤†à¤›à¥‚त मानते हैं। à¤à¤• दूसरे के बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ से लेकर शादी विवाह में à¤à¥€ इन तबकों में छà¥à¤†à¤›à¥à¤¤ देखी जा सकती है। असल में सामाजिक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ इसे दो तरह देखता है पहला किसी समय यह गरीब और अमीर के बीच का यह फासला रहा होगा। साफ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› रहने वाले लोग मेले कà¥à¤šà¥‡à¤²à¥‡ लोगों से जो समय पर अपने कपड़ों की साफ सफाई से लेकर शरीर की सफाई नहीं रखते थे उनसे फासला रखते होंगे। धीरे-धीरे समाज इसी से हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में बंटा होगा। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों से साफ सफाई का काम करने वालों को अछूत समà¤à¤¾ जाता रहा। दूसरा छà¥à¤†à¤›à¥à¤¤ का सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® कारण जातीय à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का विकास माना जाता है। ऊà¤à¤š-नीच का à¤à¤¾à¤µ यह रोग है, जो समाज में धीरे धीरे पनपता गया और सà¥à¤¸à¤à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¥ƒà¤¤ समाज की नींव को हिला दिया। इसी कारण कà¥à¤› जातियाठअपने को दूसरी जातियों से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मानती हैं। निमà¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ वालों को हीन दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखा जाता है जैसे अमेरिकी गोरे, नीगà¥à¤°à¥‹ जाति के लोग को हेय मानते हैं à¤à¤• समय तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने आस-पास नहीं फटकने देते थे।
पर समय के साथ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ होते गये आरà¥à¤¯ समाज ने इस बीमारी पर सबसे अधिक चोट की आज सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ काफी बदल गयी समय के परिवरà¥à¤¤à¤¨ के साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विचारों में à¤à¥€ परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤† समाज में आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और शैकà¥à¤·à¤¿à¤• कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति आने के बाद आज लोगों की सामाजिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• तौर पर देखी जाने लगी। यह सही है कि à¤à¤• समय à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में अनेक कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ रही हैं लेकिन अब हम सबको समà¤à¤¨à¤¾ होगा हम उस काले अतीत से बाहर आ चà¥à¤•à¥‡ है और à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की ओर आगे बॠरहे है। यदि à¤à¤¸à¥€ बीमारी आज à¤à¥€ कहीं दिखाई दे तो निसंदेह डीà¤à¤® नेहा गिरी की तरह विरोध करें लोगों को जागरूक करें ताकि यह बीमारी सिरà¥à¤« इतिहास का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ बनकर रह जाये। अफसोस है कि सामाजिक अथवा राजनीतिक संगठनों ने इस महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर कोई सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ नहीं दिखाई. उलà¥à¤Ÿà¤¾ वोटबेंक के लालच में इन बिमारियों को मजबूत कर समाज के गहरी खाई खोद डाली। जबकि सदियों से चली आ रही ऊंच नीच की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤• बड़ी सामाजिक बीमारी है और इसलिठइसके निदान पर चौतरफा कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ होनी चाहिठथी।
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