लिंचिंग की इन घटनाओं पर ख़ामोशी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
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Rajeev ChoudharyDate
30-Jun-2019Category
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हर शबà¥à¤¦ की à¤à¤• धà¥à¤µà¤¨à¤¿ होती है, à¤à¤• गूंज होती है। कई बार वो गूंज सिरà¥à¤« देश ही नहीं विदेशों तक गूंजती है। देश में इस समय मॉब लिंचिंग शबà¥à¤¦ की गूंज नà¥à¤¯à¥‚ज सà¥à¤Ÿà¥‚डियो लेकर संसद तक सà¥à¤¨à¤¾ जा सकती है। शायद इस गूंज को सà¥à¤¨à¤•à¤° ही अमरीकी विदेश मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ ने विशà¥à¤µ à¤à¤° में धारà¥à¤®à¤¿à¤• आजादी के बारे में अपनी जो वारà¥à¤·à¤¿à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ जारी की है उसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के ख़िलाफ लिंचिंग की घटनाओं को उठाया है। इसके बाद à¤à¤• फिर दिलà¥à¤²à¥€ के जनà¥à¤¤à¤° मंतर पर कà¥à¤› कथित धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिंचिग को लेकर धरना पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया जा रहा है।
आखिर ये मॉब लिंचिंग कà¥à¤¯à¤¾ है और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पिछले तीन सालों से ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजनीति में इसका जिकà¥à¤° हà¥à¤†? असल में लिंचिंग शबà¥à¤¦ सन 1780 में गà¥à¤¾ गया था। लिंचिंग शबà¥à¤¦ केपà¥à¤Ÿà¤¨ विलियम लिंच के जीवन के साथ जà¥à¥œà¤¾ है। कहा जाता है विलियम लिंच का जनà¥à¤® 1742 में अमेरिका के वरà¥à¤œà¤¿à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में हà¥à¤† था। विलियम लिंच ने à¤à¤• अदालत बना रखी थी और उसका वह सà¥à¤µà¤˜à¥‹à¤·à¤¿à¤¤ जज था। किसी à¤à¥€ आरोपी का पकà¥à¤· सà¥à¤¨à¥‡ बगैर व किसी à¤à¥€ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का पालन किठबिना आरोपी को सरेआम मौत की सजा दे दी जाती थी। उस समय लिंचिंग इसी अमेरिका तक सीमित था। इसके बाद ये कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ बाहर à¤à¥€ फैली और आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ में लिंचिंग का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¤• राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है।
सिरà¥à¤« राजनेता ही नहीं मीडिया à¤à¥€ इस शबà¥à¤¦ का जमकर फायदा उठा रहा है और à¤à¤¾à¤°à¤¤ को बदनाम करने में कोई कोर कसर बाकि नहीं छोड़ रहा है। 22 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2019 को बीबीसी हिंदी à¤à¤• खबर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करता है और उस खबर में लिखता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मॉब लिंचिंग का पहला शिकार आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ मिशनरी गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤® सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚स थे। राणा अयà¥à¤¯à¥‚ब और बरखा दतà¥à¤¤ à¤à¥€ वाशिंगटन पोसà¥à¤Ÿ में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को उठाकर हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को निशाने पर लेती है। लेकिन ये à¤à¥‚ल गये की 1927 में सीता माता को लेकर गंदे अपशबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¥‡ परà¥à¤šà¥‡ लाहौर की गलियों में बांटे गये थे। जब इसके जवाब में आरà¥à¤¯ समाज ने à¤à¥€ à¤à¤• छोटी सी किताब रंगीला रसूल छपवाई तो किताब को छापने वाले राजपाल के सीने में इलà¥à¤®à¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ और उसके साथियों ने खंजर à¤à¥‹à¤•à¤•à¤° रसूल की बेअदबी का बदला बताया था। कà¥à¤¯à¤¾ ये पहली लिंचिंग नहीं थी?
लेकिन वामपंथी मीडिया अपने आईने में घटनाà¤à¤ देखती है जिस अनà¥à¤¯ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पास अपना आइना नहीं होता वह à¤à¥€ इनसे आइना उधार ले लेता है। जबकि यदि à¤à¥€à¥œ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ घटनाओं को अंजाम दिया गया तो सिरà¥à¤« उसे धारà¥à¤®à¤¿à¤• आईने में ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ देखा जाये! तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आधार पर बात कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं की जाती? 23 अगसà¥à¤¤,2008 ओडिशा के कंधमाल में वनवासी समाज की सेवा में लगे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ महाराज की चरà¥à¤š पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ नकà¥à¤¸à¤²à¥€ ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ ने जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ के दिन जलेशपेटा आशà¥à¤°à¤® में पीट पीटकर करके हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी थी। दिसंबर 2014 में बिहार के मधेपà¥à¤°à¤¾ जिले में अजय यादव की दोनों आंखें तेजाब डाल कर फोड़ दी गयी उस पर आरोप था कि उसके किसी से अवैध संबंध थे। इस वजह से à¤à¥€à¥œ ने उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया था।
इससे तीन साल पहले सà¥à¤ªà¥Œà¤² जिले के हंसा गांव के रंजीत दास नाम के à¤à¤• यà¥à¤µà¤• की आंखें à¤à¥€ तेजाब डालकर फोड़ दी गई थीं। यह काम उसी के गांव के à¤à¤• दबंग ने कराया था। 11 सितंबर 2007 को बिहार के नवादा जिले के तीन यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ को à¤à¥€à¥œ ने à¤à¤• साथ तेजाब डाल कर अंधा कर दिया था उन पर मोटर साईकिल छीनने का आरोप था। 2016 के जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ महीने में लखीसराय की आठसाल की à¤à¤• मासूम बचà¥à¤šà¥€ की à¤à¤• आंख इसलिठफोड़ दी गई, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसने किसी के खेत से मटर के चंद दाने तोड़ लिठथे। लेकिन इन घटनाओं में कोई à¤à¥€ पीड़ित या मृतक मजहब विशेष का नहीं था इस कारण वामपंथियों के आईने में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लिंचिग नहीं माना गया।
कà¥à¤¯à¤¾ लिंचिंग सिरà¥à¤« वही घटना होती है जिनमें मृतक या पीड़ित मजहब विशेष का हो? जब कशà¥à¤®à¥€à¤° में मजहबी à¤à¥€à¥œ सेना के जवानों को पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से निशाना बनाती हैं तब लिंचिंग नहीं होती? à¤à¤• कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® डीà¤à¤¸à¤ªà¥€ को मजहब विशेष की à¤à¥€à¥œ पीट-पीटकर मार देती है उसे यह लोग लिंचिग नहीं मानते। दिलà¥à¤²à¥€ के विकासपूरी में डॉ नारंग और बसई दारापà¥à¤° में धà¥à¤°à¥à¤µ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी और रघà¥à¤µà¥€à¤° नगर में अंकित सकà¥à¤¸à¥‡à¤¨à¤¾ को मजहबी उनà¥à¤®à¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¥œ लाठी डंडों चाकà¥à¤“ं से गोदकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर देती है तब इसे लिंचिंग नहीं कहा जाता तब इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनचले और à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ हà¥à¤ लोग बताया जाता है।
कà¥à¤› दिन पहले à¤à¤¾à¤°à¤–णà¥à¤¡ में तरबेज की हतà¥à¤¯à¤¾ को तमाम मीडिया ने लिंचिंग का बही-खाता निकालकर इसे à¤à¥€ जोड़ दिया। लेकिन इससे पहले की कà¥à¤› और घटना इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद दिलाने की जरूरत है। जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 2018 महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के धà¥à¤²à¥‡ जिले में बचà¥à¤šà¤¾ चोरी करने वाले गिरोह का सदसà¥à¤¯ होने के संदेह में à¤à¥€à¥œ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी थी। फरवरी, 2018 केरल के पलकà¥à¤•à¥œ जिले में अनà¥à¤¸à¥‚चित जनजाति के 27 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ मधॠकी के. हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ à¤à¤µà¤‚ पी.पी. अबà¥à¤¦à¥à¤² करीम ने पीट-पीटकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी। मधॠपर खाने का सामान चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ का आरोप था।
लेकिन इसके विपरीत लिंचिग वही मानी जाती है जिसमें गाय का नाम हो यदि गाय के नाम पर होने वाली घटनाओं को ही लिंचिग से जोड़ा जाता है तो याद करिये 1857 का संगà¥à¤°à¤¾à¤®, कारतूसों में गाय की चरà¥à¤¬à¥€ लगाने के कारण à¤à¥œà¤•à¤¾ था। यदि यह लोग उस समय à¤à¥€ होते तो इसे सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® के बजाय लिंचिग बता देते और मंगल पांडे मॉब लिंचिंग करने वाला पहला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿? आखिर यह लोग करना कà¥à¤¯à¤¾ चाहते है इनका à¤à¤œà¥‡à¤‚डा सà¤à¥€ को समà¤à¤¨à¥‡ की जरूरत है।
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