आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की बलि चढ़ती संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾
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Acharya AnoopdevDate
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Vikas KumarUpload Date
10-Jul-2019Download PDF
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समय तेजी से बदल रहा है मानव 21वीं सदी की ओर तेजी से बॠरहा है। गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ में कचà¥à¤šà¥€, उबड़-खाबड़, रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर नालियों के बहते पानी के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पकà¥à¤•à¥€ सड़कें बन रही हैं। सà¤à¥€ के हाथों में सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤«à¥‹à¤¨ हैं, यातायात की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है, बड़े-बड़े असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² बने हà¥à¤ हैं। सà¤à¥€ मकान पकà¥à¤•à¥‡à¤‚ हैं और बड़ी-बड़ी बिलà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग है, हर माता-पिता अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बड़े सà¥à¤•à¥‚लों और कालेंजों में à¤à¥‡à¤œ रहें हैं।
उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की इसी मानसिकता के कारण सारे पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हो चà¥à¤•à¤¾ है, मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤—तिशील होने का मापदणà¥à¤¡ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ ही हो चà¥à¤•à¥€ है। इतनी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€ हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कहीं न कहीं दà¥à¤ƒà¤–ी है वह सà¥à¤– को इस à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में ढà¥à¤‚ढ रहा है जो इसमें है ही नहीं। हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चाहता है की मेरे पà¥à¤¤à¥à¤° मेरी आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करें किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ नहीं हो रहा है।
सà¤à¥€ जन इस आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के दौर में हताश, निराश और उदास अपने à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ को कोस रहे है वो इस बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं कर पा रहे है पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ ने हमारे जीवन को असà¥à¤¤, वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ कर दिया है। हमें अकेला कर दिया है।
इस à¤à¤• पकà¥à¤·à¥€à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में नैतिकता, सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पारायणता, पारिवारिक व समाजिक रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का महतà¥à¤µ खतà¥à¤® होता जा रहा है, इसी कारण मानसिकता पर पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का आवरण चà¥à¤¤à¤¾ जा रहा है।
उसकी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के आगे सà¥à¤µà¤¸à¤‚सà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व सारे अनà¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ गौण हो रहे हैं। काका, मामा, चाचा ये अंकल और मौसी, मामी, काकी, आनà¥à¤Ÿà¥€ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बदल गये हैं। संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ शिकà¥à¤·à¤¾ व उसमें आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति जब होती है तà¤à¥€ सब कà¥à¤› सà¥à¤–मय व सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहता है।
हम कà¥à¤¯à¤¾ थे, कà¥à¤¯à¤¾ हो गà¤, कà¥à¤¯à¤¾ होगें अà¤à¥€, आओं मिल बैठकर विचारें सà¤à¥€à¥¤
लेखक- आचारà¥à¤¯ अनूपदेव
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