कà¥à¤¯à¤¾ उपनाम ही इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ की असली पहचान है..?
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Vinay AryaDate
12-Jul-2019Category
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RajeevUpload Date
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कà¥à¤¯à¤¾ नाम के बाद उपनाम यानि सरनेम जरà¥à¤°à¥€ है, कà¥à¤¯à¤¾ उपनाम ही हमारा असली परिचय होता है जो हमारी जाति धरà¥à¤® समूह समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करता है? यानि सामने वाला आसानी से समठजाये कि उकà¥à¤¤ उपनाम का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस जाति समूह या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखता है तथा उपनाम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही उसके साथ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° और शिषà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° किया जाये। दरअसल ये सवाल इस वजह से निकलकर आये कि हाल ही में हरियाणा के जींद की à¤à¤• खाप पंचायत ने à¤à¤²à¤¾à¤¨ किया है कि उनकी पंचायत के अंतरà¥à¤—त आने वाले 24 गांव के लोग अब जाति-धरà¥à¤® à¤à¥‚लकर अपने नाम के पीछे अपनी जाति नहीं बलà¥à¤•à¤¿ गांव का नाम लगाà¤à¤‚गे ताकि जाति और धरà¥à¤® का à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ कम हो।
हालाà¤à¤•à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अनगिनत उपनाम है, जातियों के उपनाम है, इसके बाद उपजातियों के उपनाम है। à¤à¤• किसà¥à¤® से कहे तो उपनामों, का à¤à¤• विशाल समंदर है। किनà¥à¤¤à¥ ये उपनाम आये कहाठसे? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उपनामों के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास उठाकर देखें तो रामायण काल में राजा दसरथ, राम, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£, रावण विà¤à¥€à¤·à¤£ को ले लिया जाये अथवा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के समय राजा महाराजाओं के नामों के साथ उपनाम नहीं थे। धृषà¥à¤Ÿà¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°, à¤à¥€à¤·à¥à¤®, दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨, दà¥à¤·à¤¾à¤¶à¤¨ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ या यà¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤¸à¥, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, अरà¥à¤œà¥à¤¨, à¤à¥€à¤®, कंस या कृषà¥à¤£ कोई à¤à¥€ गोतà¥à¤° या उपनाम का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं करता था। इसके उपरांत महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ कालखंड से आगे चलकर देखें बिंबिसार, अजातशतà¥à¤°à¥, उदयन, निपà¥à¤‚जय, सà¥à¤¨à¤¿à¤•, महापदà¥à¤®, आदि के बाद नंद वंश का अंतिम शासक धनानंद तक उपनाम का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कहीं दिखाई नहीं देता। किनà¥à¤¤à¥ धनानंद के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤—à¥à¤ªà¥à¤¤ आया और मोरà¥à¤¯ उपनाम शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤ यदि समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ अशोक को छोड़ दिया जाये तो राजाओं में वंश का नाम उपनाम की à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— आरंठहो गया था जिसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— मà¥à¤—लशासन से पहले के राजाओं तक में देखने को मिलता है।
देखा जाये मà¥à¤—लकालीन कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ राजाओं नें अपने नाम के साथ उपनाम का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— आरंठकर दिया था जैसे मानसिंह, महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª, जयमल सिंह राठौड़, गà¥à¤°à¥‚ गोविनà¥à¤¦ सिंह आदि किनà¥à¤¤à¥ सामानà¥à¤¯ तौर पर उपनाम पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं होता था। जैसे मीरा, कबीर, तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ या रैदास इनमें कोई à¤à¥€ उपनाम का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं करता था। यानि बाद में ये चलन बà¥à¤¾à¥¤ à¤à¤• समय राव, रावल, महारावल, राणा, राजराणा और महाराणा जैसी उपाधियाठहà¥à¤† करती थी लेकिन आज यह उपनाम के तौर पर देखी जा सकती है। जैसे शासà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤¨à¥‡ वालों को शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के शिकà¥à¤·à¤• को आचारà¥à¤¯, दो वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ को दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€, चार के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ कहलाते थे। उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, महामहोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ उपाधियाठà¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¨ आधारित होती थी लेकिन आज ये à¤à¥€ उपनाम बन गये।
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ शासन के दौरान बहà¥à¤¤ सी उपाधियाठनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ, जैसे मांडलिक, जमींदार, मà¥à¤–िया, राय, रायबहादà¥à¤°, चौधरी, देशमà¥à¤–, चीटनीस और पटेल आदि आज यह à¤à¥€ सब उपनाम के रूप में देखी जा सकती हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नामों का बहà¥à¤¤ होचपोच मामला है। बहà¥à¤¤ से गोतà¥à¤° तो उपनाम बने बैठे हैं और बहà¥à¤¤ से उपनामों को गोतà¥à¤° माना जाता है। अब जैसे à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ नाम à¤à¥€ है, उपनाम à¤à¥€ है और गोतà¥à¤° à¤à¥€à¥¤ जहाठतक सवाल गोतà¥à¤° का है तो à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ गोतà¥à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ और दलितों चारों में लगता है। जिस किसी का à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ गोतà¥à¤° है तो यह माना जाता है कि वह सà¤à¥€ ऋषि à¤à¤¾à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ की संतानें हैं. अब आप ही सोचें उनकी संतानें चारों वरà¥à¤£ से हैं।
पिछले कà¥à¤› साल पहले à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में उपनाम का महतà¥à¤¤à¥à¤µ जानने के लिठहमने à¤à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया था। हम अलग लोगों से अलग-अलग उपनामों के साथ मिले तो हमने पाया हर à¤à¤• उपनाम पर समाज में अलग वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° देखने को मिला। इससे यह समà¤à¤¾ जा सकता है चाहे कोई नाम रख लो किनà¥à¤¤à¥ उपनाम ही सचà¥à¤šà¤¾ पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ है यह बताने के लिठकि अमà¥à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जनà¥à¤® से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ है, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ है, वैशà¥à¤¯ अथवा शà¥à¤¦à¥à¤° है। यानि करà¥à¤®à¤£à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की बजाय लोग उपनाम रूपी जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जाति से चिपके हà¥à¤ हैं। यदि इन उपनामों पर शोध करने लगे तो कई à¤à¤¸à¥‡ उपनाम है जो हिंदू समाज के चारों वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ में à¤à¤• जैसे पाठजाते हैं। दरअसल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उपनाम के पीछे कोई विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है यह ऋषिओं के नाम के आधार पर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं। ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ही नाम गोतà¥à¤° à¤à¥€ बन गà¤à¥¤ कालानà¥à¤¤à¤° में जैसे-जैसे राजा-महापà¥à¤°à¥à¤· बà¥à¥‡ समाज बà¥à¤¾ साथ ही उपनाम à¤à¥€ बà¥à¤¤à¥‡ गà¤à¥¤ कहीं-कहीं सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पिता और दादा के नाम पर à¤à¥€ उपनाम देखने को मिलते हैं। जबकि समसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤• ही कà¥à¤¨à¤¬à¥‡ के हैं, लेकिन समय सब कà¥à¤› बदलकर रख देता है जाति à¤à¥€ धरà¥à¤® और करà¥à¤® à¤à¥€à¥¤ इस कारण आज जो जींद की à¤à¤• खाप पंचायत ने à¤à¤²à¤¾à¤¨ किया है वह बहà¥à¤¤ सराहनीय कारà¥à¤¯ है। किनà¥à¤¤à¥ इसमें आने वाली पीà¥à¥€ उपनाम के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर लगे गाà¤à¤µ के नाम को ही गोतà¥à¤° न मानने लग जाये। इससे बेहतर यही है कि यदि समाज में उपनाम की दूरी पाटनी ही है और उपनाम ही इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ की असली पहचान से देखा जाता है तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न सà¤à¥€ लोग अपने नाम के पीछे आरà¥à¤¯ लगाये शायद इससे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ जीवित हो उठे....
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