पà¥à¤°à¤à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥
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Acharya AnoopdevDate
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Vikas KumarUpload Date
15-Jul-2019Download PDF
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हर मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस संसार में दीरà¥à¤˜à¤œà¥€à¤µà¥€ होना चाहता है, और सà¥à¤– के लिठअनेक उपाय ढà¥à¤‚ढ रहा है, किनà¥à¤¤à¥ वह अपने जीवन के मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को à¤à¥à¤² गया है। वह उस परमातà¥à¤®à¤¾ को à¤à¥à¤² गया है जिसने उसको बनाया है, संपूरà¥à¤£ जगत को चला रहा है, पà¥à¤°à¥‡ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤‚ड जिससे गतिमान है। हमें उसका सà¥à¤®à¤¿à¤°à¤¨ करना चाहिठऔर हमें अपने जीवन को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मारà¥à¤— पर चलाते हà¥à¤, दीरà¥à¤˜ जीवी बनना चाहिà¤à¥¤
हमारे गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में दीरà¥à¤˜ आयॠके लिठपà¥à¤°à¤à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का मारà¥à¤— बताया है
महरà¥à¤·à¤¿ मनॠजी ने कहा है-
ऋषियों ने दीरà¥à¤˜ जप करके अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ की, उसी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और यश पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और मरने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ अमर कीरà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की, और दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ जप से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¤à¥‡à¤œ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। - मनà¥à¥¦ 9/94
यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा है-
ओं कà¥à¤°à¤¤à¥‹ सà¥à¤®à¤° - यजà¥à¥¦ 40/15
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥-हे जीव! तू ओ३म का सà¥à¤®à¤°à¤£ कर।
सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करके पà¥à¤°à¤à¥ का चिनà¥à¤¤à¤¨ करना à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपनी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ का à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ अंग बना लेना चाहिà¤à¥¤ पà¥à¤°à¤à¥-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आतà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¥‹à¤œà¤¨ तो है ही, किनà¥à¤¤à¥ इससे शरीर à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, बलवानॠऔर निरोग बनता है।
उस सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° का à¤à¤•à¤¾à¤°à¥à¤— चितà¥à¤¤ होकर चिनà¥à¤¤à¤¨ करने से साधक को शारीरिक, मानसिक तथा आतà¥à¤®à¤¿à¤•-शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगी, इसमें कà¥à¤› à¤à¥€ संदेह नहीं। ईशà¥à¤µà¤°-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ को à¤à¤• अलौकिक आनà¥à¤¨à¤¦ और अदà¥à¤à¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है, उसके शरीर के ऊपर à¤à¥€ बहà¥à¤¤ गहरा असर पड़ता है। शरीर की सब धातà¥à¤“ं की विषमता दूर होकर उसमें समता व शकà¥à¤¤à¤¿ का संचार होता हैं। संत महातà¥à¤®à¤¾ तथा योगी जनों के सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, बलवान और दीरà¥à¤˜à¤œà¥€à¤µà¥€ होने का ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ हीे à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण हैं।
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में लिखा है-
ऋषयः दीरà¥à¤˜à¤¸à¤¨à¥à¤§à¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¦à¥ दीरà¥à¤˜à¤®à¤¾à¤¯à¥à¤°à¤µà¤¾à¤ªà¥à¤¨à¥à¤¯à¥à¤ƒà¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥- ऋषियों ने दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤² तक सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ करने से ही दीरà¥à¤˜ आयॠको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया है।
संत कबीर जी ने à¤à¥€ कहा है-
औषध खाऊं न बूटी खाऊं, न कोई वैदà¥à¤¯ बà¥à¤²à¤¾à¤Šà¤‚।
à¤à¤• ही वैदà¥à¤¯ मिलो अविनाशी, वाही को नबज दिखाऊं।।
ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ जहां शारीरिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिये आवशà¥à¤¯à¤• है, वहां आतà¥à¤®-कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठà¤à¥€ परम आवशà¥à¤¯à¤• है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमारे शरीर के लिठà¤à¥‹à¤œà¤¨ के बिना शरीर का काम नहीं चल सकता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤°-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के बिना आतà¥à¤®à¤¾ का काम नहीं चल सकता। सच पूछा जाये तो शरीर के लिठà¤à¥‹à¤œà¤¨ इतना आवशà¥à¤¯à¤• नहीं, जितना आतà¥à¤®à¤¾ के लिठईशà¥à¤µà¤°-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¥¤
इसीलिठईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ को आतà¥à¤®à¤¿à¤• खà¥à¤°à¤¾à¤• कहा गया है। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से ही अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तिमिर का नाश होकर आतà¥à¤®à¤¾ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨-जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ होता है। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के बल से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ संसार में अपनी सब शà¥à¤ कामनाà¤à¤‚ पूरà¥à¤£ कर सकता है, अतः आतà¥à¤® कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾ à¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¥€ जनों को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤à¥ का चिंतन अवशà¥à¤¯ करना चाहिà¤à¥¤
यदि हम पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ à¤à¤• घणà¥à¤Ÿà¥‡ तक à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤šà¤¿à¤¤ होकर पà¥à¤°à¤à¥ की उपासना करें, à¤à¤• मातà¥à¤° पà¥à¤°à¤à¥ को छोड़कर दूसरा कोई à¤à¥€ विचार मन में न आने दें तो सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शारीरिक तथा मानसिक पीड़ाà¤à¤‚ केवल पà¥à¤°à¤à¥-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से दूर हो सकती हैं।
लेखक - आचारà¥à¤¯ अनूपदेव
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