शरियत से नहीं संविधान से चलेगा देश
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Rajeev ChoudharyDate
18-Jul-2019Category
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अपराध ये था कि à¤à¤• 19 वरà¥à¤· की लड़की ऋचा पटेल ने सोशल मीडिया पर मजहब विशेष को लेकर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ की थी। टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ à¤à¥€ कोई बड़ी नहीं बस सवाल पूछा था कि तरबेज अंसारी की हतà¥à¤¯à¤¾ पर आकà¥à¤°à¥‹à¤¶à¤¿à¤¤ होकर कà¥à¤› मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लड़के टिकटोक à¤à¤ªà¥à¤ª पर आतंकी बनने की धमकी दे रहे है। यदि à¤à¤• दो घटना पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आतंकी बन सकते है तो कशà¥à¤®à¥€à¤° से लाखों हिनà¥à¤¦à¥‚ निकाले गये, लेकिन हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने आतंकी बनने की धमकी नही दी? इस अपराध में उसे आधी रात को उसे गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया जाता है, वो à¤à¥€ लड़की को। जहां तक महिलाओं की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ का संबंध है तो सीआरपीसी की धारा 46(4) कहती है कि किसी à¤à¥€ महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज निकलने से पहले गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° नहीं किया जा सकता है। लेकिन गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ और लड़की को जेल à¤à¥‡à¤œà¤¾ गया।
इसके बाद कानून दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जमानत सात-सात हजार के दो निजी मà¥à¤šà¤²à¤•à¥‡ समेत इस शरà¥à¤¤ पर जमानत मिली कि अब लड़की को पांच कà¥à¤°à¤¾à¤¨ सरकारी सà¥à¤•à¥‚ल, कॉलेज या विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अपने हाथों से बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ होंगे। हालाà¤à¤•à¤¿ अब ये आदेश वापिस ले लिया है। किनà¥à¤¤à¥ अपराध की यह सजा किसी शरियत अदालत किसी काजी या अरब के शेख ने नहीं दी बलà¥à¤•à¤¿ यह सजा à¤à¤¾à¤°à¤¤ के धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤· कहे जाने वाले संविधान का पालन करने की शपथ लेने वाले नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंडाधिकारी मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह की अदालत ने सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ थी।
खबर पà¥à¤¤à¥‡ ही मैं अदालत और संविधान à¤à¥‚ल गया। मैं à¤à¥‚ल गया में 21 वीं सदी के सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में रहता हूà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ लगा मैं 300 वरà¥à¤· पहले का वो फरमान सà¥à¤¨ रहा हूठजब हकीकत राय का अपने मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ सहपाठियों के साथ à¤à¤—ड़ा हो गया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने माता दà¥à¤°à¥à¤—ा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपशबà¥à¤¦ कहे,जिसका हकीकत ने विरोध करते हà¥à¤ कहा,”कà¥à¤¯à¤¾ यह आप को अचà¥à¤›à¤¾ लगेगा यदि यही शबà¥à¤¦ मै आपकी बीबी फातिमा के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में कहà¥à¤? बस इसà¥à¤²à¤¾à¤® की तोहीन के आरोप में हकीकत को मारना पीटना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया, मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लोग उसे मृतà¥à¤¯à¥-दणà¥à¤¡ की मांग करने लगे। हकीकत राय के माता पिता ने à¤à¥€ दया की याचना की। तब हाकिम (जज) आदिल बेग ने कहा,”मै मजबूर हूà¤. परनà¥à¤¤à¥ यदि हकीकत राय इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूल कर ले तो उसकी जान बखà¥à¤¶ दी जायेगी।
यानि इन तीन सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में हम सिरà¥à¤« यहाठतक पहà¥à¤‚चे कि मजहब विशेष पर यदि मà¥à¤‚ह खोला तो संविधान उसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने का आदेश जारी करेगा। कà¥à¤¯à¤¾ यह साफ समà¤à¤¾ जाये कि देश की मूलà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ के अनà¥à¤•à¥‚ल संविधान à¤à¤µà¤‚ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¨ में बदलाव हो चूका है। कà¥à¤¯à¤¾ यह उदाहरण यह बताने के लिठकाफी हैं कि सरकार किस दिशा में बॠरही है। और हम कानून के शाशन में नहीं धारà¥à¤®à¤¿à¤• अदालतों के राज में जीवन जी रहे है। कोई à¤à¥€ महीना नहीं गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ जब हम मजहब विशेष के लोगों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® के खिलाफ à¤à¤¾à¤·à¤£ देने, हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को अपशबà¥à¤¦ कहने से रूबरू न होते हों। जरा याद कीजिठअकबरà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ ओवैसी का खà¥à¤²à¥‡ मंच से वो à¤à¤¾à¤·à¤£ जब वह शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° जी से लेकर माता कौशलà¥à¤¯à¤¾ तक को अपशबà¥à¤¦ कहे थे तब कोई जज यह फैसला सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं करता कि जाओं अब गीता या वेद बाà¤à¤Ÿ कर आओ।
बचपन से हम यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ आये है कि संविधान की आतà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है लेकिन आज जजों को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ की जरूरत है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संविधान के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, उसकी आतà¥à¤®à¤¾ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• काम करने होंगे। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गणराजà¥à¤¯ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚, ईसाइयों और हिंदà¥à¤“ को à¤à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के तौर पर नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त तौर पर देखने के लिठअधिकृत है। इसका मतलब है। अगर आपने अपराध किया है तो सजा आपका धरà¥à¤® देखकर नहीं दी जा सकती। किनà¥à¤¤à¥ ऋचा पटेल के मामले में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंडाधिकारी मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह की अदालत ने जो सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ है वह संविधान के ऊपर कालिख है।
आज मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® परà¥à¤¸à¤¨à¤² लॉ बोरà¥à¤¡ कà¥à¤¯à¤¾ कर रहा है, वह कैसी सजा या फरमान सà¥à¤¨à¤¾ रहा है संविधान का कितना उलà¥à¤²à¤‚घन कर रहा हैं यह उनका सामà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• मामला हो सकता है। किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• किसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर कोई समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ अपना हक नहीं जमा सकता है। ऋचा पटेल का अपराध कितना बड़ा है या कितना छोटा यह नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का सेलाब देखकर तय नहीं करेगा। जो लोग आज यह कह रहे है कि फैसला मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® वरà¥à¤— को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ करने के लिठलिया गया। अब अगर इकà¥à¤•à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ संविधान को नजरअंदाज कर लोगों की सामूहिक अंतरातà¥à¤®à¤¾ को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ करने में रà¥à¤šà¤¿ ले रही हैं तो फिर मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में इसà¥à¤²à¤¾à¤® के नाम जिरगा पंचायतों ने जो फैसले लेकर हिंसा का तांडव मचाया उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ बोलें, वह पंचायतें à¤à¥€ अपने लोगों की सामूहिक अंतरातà¥à¤®à¤¾ ही संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ कर रही होगी? यदि à¤à¤¸à¤¾ है तो नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दंडाधिकारी मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करना चाहिठकि वह संविधान का पालन कर रहा है या धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का..?
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