अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु में रामेश्वरम के धनुष कोडी गांव में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता पेशे से नाविक थे और पढ़े- लिखे नहीं थे। वह मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे।

 

इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा। परिवार को सहारा देने के लिेए कलाम हमेशा आगे रहते थे। बता दें, कि एपी.जे अब्दुल कलाम साल 2002 से 2007 तक 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की। मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध कलाम देश की प्रगति और विकास से जुड़े विचारों से भरे हुए व्यक्ति थे।

 

आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहाने के बाद गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे। सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे। ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे।

 

1992 में कलाम जी इसरो में डायरेक्टर रहते हुए, भारत का पहला अपना स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष का सदस्य बन गया। भारत को उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी। कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए, अत्याधुनिक करने की खास सोच दी। उन्होंने 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है।

 

कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया और 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले अब्दुल कलाम देश के तीसरे राष्ट्रपति थे। उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया था।

 

कलाम जी रक्षा वैज्ञानिक के रूप में रक्षक भी थे और शिक्षा मनीषी के रूप में शिक्षक भी। उनके अंदर एक महामानव बसता था। वे गीता को पढ़ते ही नहीं, उस पर मनन कर अपना जीवन व्यतीत करते थे। उनके मस्तिष्क में विज्ञान था तो हृदय में कला सदैव एक सच्चे मानव को गढ़ते रहती थी। राष्ट्रभक्ति उनकी रगों में रक्त बनकर बसी थी। अपने चिंतन से वे भावी पीढ़ी को स्वप्न दे गए तो वर्तमान पीढ़ी को अभय।

 

27 जुलाई 2015 को शाम के समय भारत माता का एक महान सपूत उसकी गोद में सदा के लिए सो गया। विश्व ने एक महान वैज्ञानिक को खोया। देश ने अपने पूर्व राष्ट्रपति को तो खोया ही, पर साथ ही करोड़ों बच्चों का भी उनके प्यारे 'काका कलाम' का वियोग था यह।

 

भारत मां के इस सच्चे सपूत को उनकी पुण्यतिथि पर सच्ची श्रद्धांजलि भारत मां का सच्चा सपूत बनकर ही दी जा सकती है।

 

काश देश का हर जवान कलाम हो जाये ।
मेरा देश फिर से महान हो जाये ।।

 

-आचार्य अनूपदेव

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