उड़ता नही बंटता पंजाब à¤à¥€ देखो
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Rajeev ChoudharyDate
16-Sep-2019Category
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RajeevUpload Date
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पंजाब में बà¥à¤¤à¥‡ नशे पर पिछले दिनों à¤à¤• फिलà¥à¤® आई थी उड़ता पंजाब जिसमें पंजाब को यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को नशे में लिपà¥à¤¤ दिखाया गया था. लेकिन हाल ही पंजाब में जो कà¥à¤› अंदर खाने चल रहा है उसे देखकर लगता है जलà¥à¤¦ ही à¤à¤• फिलà¥à¤® बंटता पंजाब à¤à¥€ बना देनी चाहिà¤. इन दिनों इंगà¥à¤²à¥ˆà¤¡ के सà¤à¥€ चरà¥à¤šà¥‹ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– केंटबरी के आरà¥à¤•à¤¬à¤¿à¤¶à¤ª जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ बेलà¥à¤¬à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर है और इस यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान वो पंजाब के अमृतसर à¤à¥€ गये यहाठपहà¥à¤‚चकर जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ वेलà¥à¤¬à¥€ अमृतसर में जलियांवाला बाग सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• पर जाकर दंडवत मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में लेट गठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जलियांवाला बाग नरसंहार के लिठमाफी मांगते हà¥à¤ कहा कि यहां जो अपराध हà¥à¤†, उससे मैं शरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤° और दà¥à¤–ी हूं। à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेता के तौर पर मैं इस तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ पर शोक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करता हूं।
आरà¥à¤šà¤¬à¤¿à¤¶à¤ª जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ बेलà¥à¤¬à¥€ की यह तसà¥à¤µà¥€à¤° देश विदेश के कई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित अखबारों में à¤à¥€ छपी। सà¤à¥€ जानते है कि देश के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में सामूहिक नरसंहार का नाम आते ही हमारे सामने जलियांवाला बाग कांड का चितà¥à¤° उà¤à¤° कर सामने आता है। जिसमें करीब 400 लोग बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार की गोलियों का शिकार हà¥à¤ थे। वहां कि दीवारों पर आज à¤à¥€ लगे गोलियों के निशान हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¦ को ताजा कर देते है।
यह दà¥à¤–द घटना साल 1919 में हà¥à¤ˆ थी इस घटना के अब सौ वरà¥à¤· पूरे होने पर इस वरà¥à¤· बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ की पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ टेरीजा मे ने बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ संसद में जलियांवाला बाग हतà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤‚ड पर अफसोस जताया संसद में संवेदना à¤à¥€ जताई थी, लेकिन माफी मांगने से इनकार कर दिया था। इसलिठअब जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ बेलà¥à¤¬à¥€ का पंजाब पहà¥à¤‚चकर माफी मांगना संदेहासà¥à¤ªà¤¦ है। आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ जिस घटना के लिठइंगà¥à¤²à¥‡à¤‚ड सरकार माफी मांगने को तैयार नहीं है उसके लिठउनके धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ माफी मांग रहे है? कहीं इसका सिरà¥à¤« यही à¤à¤• कारण तो नहीं कि ईसाई धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की फसल लिठआज इन लोगों को पंजाब की जमीन इन लोगों को उपजाऊ लग रही है?
इसमें कोई दौराय नहीं है कि अब पंजाब में ईसाई धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण का खेल खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® हो रहा है। बड़े शहरों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक में चंगाई सà¤à¤¾ जैसे आयोजनों की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° हो गई है। धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण का शिकार सिखों और हिंदà¥à¤“ं को बनाया जा रहा है। जबकि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बहà¥à¤² इलाकों में ईसाई संगठनों की गतिविधियां न के बराबर हैं। ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों को लेकर सोशल मीडिया पर लिखने वालों की पोसà¥à¤Ÿ पर नजर डालें तो पंजाब में धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण के सारे खेल के पीछे लालच का à¤à¥€ बड़ा हाथ है। कई लोगों ने बताया है कि गरीब लोगों को मà¥à¤«à¥à¤¤ इलाज, नौकरी और पैसे का लालच देकर ईसाई à¤à¤œà¥‡à¤‚सियां अपने चंगà¥à¤² में फंसा रही हैं। कई à¤à¤¸à¥‡ मामले à¤à¥€ सामने आठहैं, जब मां-बाप तो सिख बने रहे, लेकिन उनका कोई à¤à¤• लड़का लालच में पड़कर ईसाई बन गया। ईसाई मिशनरियां नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार नौजवानों को विदेश à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ का à¤à¤¾à¤‚सा देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईसाई बना रही हैं।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पिछले कà¥à¤› सालों में ढेरों नठचरà¥à¤š खà¥à¤² गठहैं और जगह-जगह बाइबिल और ईसाई धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण साहितà¥à¤¯ बांटते लोगों को देखा जा सकता है। कà¥à¤› चरà¥à¤š तो à¤à¤¸à¥€ जगहों पर खà¥à¤²à¥‡ हैं जहां 5-5 किलोमीटर के दायरे में à¤à¤• à¤à¥€ ईसाई नहीं रहता। जिस तरह से ईसाई मिशनरियों की सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ बà¥à¥€ है उसे देखते हà¥à¤ यही लगता है कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विदेशों से बड़ी रकम और सहयोग मिल रहा है। कई ईसाई धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• तो बाकायदा सिखों की तरह पगड़ी à¤à¥€ बांधते हैं। सिखों और पंजाबियों की तरह के नाम वाले ये पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ लोगों को मà¥à¤°à¥à¤– बनाने में जà¥à¤Ÿà¥‡ हैं। अनपॠऔर गांवों के लोगों के बीच जाकर ईसाई मिशनरी वाले लोगों को बताते हैं कि उनकी सारी मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤à¥‹à¤‚ के पीछे असली कारण उनकी धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपराà¤à¤‚, उनके गà¥à¤°à¥, तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और देवी-देवता हैं। इसके लिठलोगों को तरह-तरह के लालच à¤à¥€ दिठजाते हैं। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोगों को यह à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ à¤à¥€ नहीं होने दिया जाता कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की तरफ ले जाया जा रहा है। कà¤à¥€ बीमारी के इलाज के नाम पर तो कà¤à¥€ नौकरी-रोजगार के नाम पर लोगों को ईसाई मिशनरियों से जोड़ने का काम जोरशोर से चल रहा है।
दिन पर दिन बढती चंगाई सà¤à¤¾à¤“ं के आयोजन देखकर लग रहा है जैसे नागालैंड के बाद पंजाब दूसरा राजà¥à¤¯ है जिसे यीशॠके पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ की सबसे उनà¥à¤¨à¤¤ चारागाह के रूप में चिनà¥à¤¹à¤¿à¤¤ किया गया है। वरना दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन ने अपने सैनिकों अपने लोगों के लिठचावल की जमाखोरी कर ली थी, जिसकी वजह से 1943 में बंगाल में आठसूखे में तीस लाख से अधिक बंगाली लोग मारे गठथे उसके लिठतो आरà¥à¤šà¤¬à¤¿à¤¶à¤ª जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ बेलà¥à¤¬à¥€ ने माफी नहीं मांगी। केवल पंजाब पहà¥à¤‚चकर ही आरà¥à¤šà¤¬à¤¿à¤¶à¤ª जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ बेलà¥à¤¬à¥€ का दिल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पसीजा?
वजह साफ है वासà¥à¤¤à¤µ में पंजाब à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मà¥à¤•à¥à¤Ÿà¤®à¤£à¤¿ है। इस पंजाब को दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ और आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सबसे गौरवशाली सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विकसित होने का मूल निवास कहा। इसी पंजाब में सिनà¥à¤§à¥ घाटी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ विकसित हà¥à¤ˆ थी। यही पंजाब à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करने आने वालों के आगे ढाल बनकर हमेशा खड़ा रहता था। जब पूरा का पूरा समाज विधरà¥à¤®à¥€ छाया से संतपà¥à¤¤ था पंजाब से ही सिख पंथ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-धारा उठी थी जिसने मतांतरण के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ को लगà¤à¤— रोक दिया था। यही पंजाब है जहाठवेदों में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• नदियाठदृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होती हैं। पंजाब वही है जहाठगà¥à¤°à¥‚ गोविंद सिंह जी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤-à¤à¥‚मि और धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये खालसा सजाई थी। इसी पंजाब से गà¥à¤°à¥ गोविंद सिंह जी ने शà¥à¤°à¥€ राम जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रकà¥à¤·à¤¾ का संकलà¥à¤ª लिया था। इसी पंजाब से गोरकà¥à¤·à¤¾ के लिठरामसिंह कूका और उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने गरà¥à¤¦à¤¨à¥‡à¤‚ कटवाई थी। इसी पंजाब से बंदा सिंह बैरागी और हरिसिंह नलवा ने हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये तलवारे उठाई थी।
इतने आकà¥à¤°à¤®à¤£à¥‹à¤‚ और विà¤à¤¾à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ के बाबजूद à¤à¥€ आज जो संपनà¥à¤¨ और सबसे जिंदादिल लोग पंजाब के है तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न उसे ही शिकार बनाया जाये। इसी वजह से आरà¥à¤šà¤¬à¤¿à¤¶à¤ª जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨ बेलà¥à¤¬à¥€ जलियावाला में दंडवत लेटे हà¥à¤ है। परनà¥à¤¤à¥ यह याद रखने योगà¥à¤¯ बात है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जहाà¤-जहाठईसाई धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सफल हà¥à¤† है, वहाà¤-वहाठपृथकतावादी आंदोलन खड़े होते हैं? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° अपने मन में खोजना होगा। अà¤à¥€ पंजाब और वहाठके लोग इस संकट से बेखबर हैं। जबकि चंगाई सà¤à¤¾à¤“ं के नाम पर पासà¥à¤Ÿà¤° धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण की इस फसल को बेखोफ सींच रहे हैं।
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