नागरिक संशोधन बिल लाने का असली कारण
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Rajeev ChoudharyDate
13-Dec-2019Category
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इससे बड़ा à¤à¥‚ठकà¥à¤› और नहीं हो सकता है कि नागरिकता (संशोधन) बिल à¤à¤¾à¤°à¤¤ के उस मूल विचार (आइडिया ऑफ इंडिया) के ख़िलाफ है, जिसकी बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ हमारे देश के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानियों ने रखी थी। कई बोदà¥à¤§à¤¿à¤• सेकà¥à¤²à¤° लिबरल और वामपंथी लोग सवाल उठा रहे है। आखिर à¤à¤¸à¥‡ वकà¥à¤¤ जब देश की जीडीपी गिर रही है, रोजगार कम हो रहे है पà¥à¤¯à¤¾à¤œ टमाटर के à¤à¤¾à¤µ आसमान छू रहे है तब नागरिकता संशोधन बिल लाने की इतनी जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¥€ केंदà¥à¤° सरकार कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिखा रही है।
आपने à¤à¥€ संसद में इस बिल को लेकर लमà¥à¤¬à¥€-लमà¥à¤¬à¥€ बहस देखी होगी किसी का लोकतंतà¥à¤° मर रहा किसी का संविधान तड़फ रहा था तो किसी आइडिया ऑफ इंडिया खतरें में था। लेकिन अगर कà¥à¤› खतरें में नहीं था तो वो थे लाखों वो हिनà¥à¤¦à¥‚ जो आज à¤à¥€ पड़ोसी देशों में जानवरों का जीवन जी रहे है। इसे थोडा समà¤à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤• साल पीछे अगर हम चले तो 25 मारà¥à¤š 2018 पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के सिंध पà¥à¤°à¤¾à¤‚त के मातली जिले में माशाअलà¥à¤²à¤¾à¤¹ शादी हाल नजà¥à¤¦ मदरसा में शामियाना सजा, था अतिथियों का जमावड़ा हà¥à¤†, फूलों की सजावट और इतà¥à¤° की बौछारें हà¥à¤ˆ à¤à¥€ हà¥à¤ˆà¥¤ शामियाने के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर लिखा गया दावते-à¤-इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥¤
जमीन पर दरियाठबिछी थी उसके ऊपर कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगी हà¥à¤ˆ थी ठीक सामने मंच के इस छोर से उस छोर तक मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ मौलवियों का जमावड़ा था। नीचे दरी पर 50 हिनà¥à¤¦à¥‚ परिवारों के 500 महिलाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¥à¤· और बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ बैठे थे जिनका सामूहिक जबरन धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ कराया जा रहा था। अचानक खà¥à¤¶à¥€ से फà¥à¤²à¥‡ पीर मà¥à¤–à¥à¤¤à¤¯à¤¾à¤° जान सरहदी, पीर सजà¥à¤œà¤¾à¤¦ जान सरहदी और पीर साकिब जान सरहदी ने कलमा पà¥à¤¾ जिसे सà¤à¥€ हिंदà¥à¤“ं को दोहराने को कहा गया। इन लोगों ने परà¥à¤¦à¥‡ में बैठी महिलाओं व बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के à¤à¥€ नाम लेकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूल करने को कहा. सà¤à¥€ हिंदू दà¥à¤–ी मन और छलकती आà¤à¤–ों से कलमा दोहराते रहे। फिर वहां मौजूद लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नठमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बनने की मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•à¤¬à¤¾à¤¦ दी। जो लोग कलमा पॠरहे थे, उनके चेहरों पर खà¥à¤¶à¥€ नहीं थी. वे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और परà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बैठी महिलाओं के साथ मजबूरी में इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूल कर रहे थे।
बहà¥à¤¤ सोच रहे होंगे कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में हà¥à¤ इस धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ से नागरिकता संशोधन बिल का कà¥à¤¯à¤¾ लेना देना तो पूरा किसà¥à¤¸à¤¾ जानिठदरअसल इस धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ का कारण ये था कि इनमें से अधिकांश वे थे, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शरण लेने आठथे। परंतॠलमà¥à¤¬à¥€ अवधि का वीजा और नागरिकता नहीं मिलने के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ लौटना पड़ा था।
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की सीमा के उस पार धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ का यह पूरा सिलसिला ठीक उसी दौरान चल रहा था जब जिनेवा में यूà¤à¤¨ मानवाधिकार परिषद के 37 वें सतà¥à¤° में अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को सिंध पà¥à¤°à¤¾à¤‚त में अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिंदà¥à¤“ं पर होने वाले अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨, हिनà¥à¤¦à¥à¤“ की लड़कियों और महिलाओं के अपहरण पर चिंता जताई जा रही थी। इसका संचालन मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® कनेडियन कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के फाउंडर व लेखक तारिक फतेह कर रहे थे।
बात केवल इन 500 हिनà¥à¤¦à¥à¤“ की नहीं है यदि देखा जाये राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पिछले तीन सालों में 1379 हिंदू विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ लौटना पड़ा। à¤à¤¸à¥‡ लोगों का पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो रहा था। खबर है अà¤à¥€ à¤à¥€ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में लमà¥à¤¬à¥€ अवधि के वीजा के लिठ15000 विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ दिलà¥à¤²à¥€ और संबंधित जिलों के à¤à¤¸à¤ªà¥€ ऑफिस के चकà¥à¤•à¤° लगा रहे हैं. केवल राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में 5000 विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नागरिकता के इंतजार में है।
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि हमारे देश में जगह कम है बलà¥à¤•à¤¿ यहाठबहà¥à¤¤ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ रहते आये है। इनमें लाखों की तादात में तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा लगà¤à¤— 40 हजार रोहिंगà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨, जिनके पास न वीजा है न पासपोरà¥à¤Ÿ और करोड़ो की संखà¥à¤¯à¤¾ में बंगलादेशी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨, अफगान हो या इराकी शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ समेत à¤à¤¾à¤°à¤¤ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ ठिकाना बनता जा रहा हैं। यानि अपने देश की अनूठी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का लà¥à¤¤à¥à¤« आज समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ उठा रहा है. परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं, परिपाटियों à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• उदहारण की आड़ में इनकी सेवा हमारे विपकà¥à¤·à¥€ बखूबी रहे हैं।
लेकिन जब बात पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से आये हिनà¥à¤¦à¥‚ शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की होती है तो कथित धारà¥à¤®à¤¿à¤• जगत से लेकर राजनितिक जगत में à¤à¤• अजीब सी खामोशी छा जाती है। उनके पास वैध वीजा और पासपोरà¥à¤Ÿ होते हà¥à¤ à¤à¥€ रहने नहीं दिया जाता किनà¥à¤¤à¥ जैसे ही रोहिंगà¥à¤¯à¤¾ की बात आती है कई पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से लेकर उनके समरà¥à¤¥à¤¨ में पूरा विपकà¥à¤· कूद पड़ा, कई धारà¥à¤®à¤¿à¤• संगठन सामने आये इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मासूम, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का शिकार, मजलूम और न जाने कितने à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤‚क शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से इनका शरणारà¥à¤¥à¥€ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया गया। परनà¥à¤¤à¥ जब पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से अपना धरà¥à¤® बचाकर à¤à¤¾à¤—े हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शरण मांगते है तो यह लोग अपने कान और आà¤à¤– बंद लेते है।
1971 के यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान और बाद लगà¤à¤— नबà¥à¤¬à¥‡ हजार हिंदू राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के शिविरों में आ गà¤à¥¤ ये लोग थरपारकर इलाके में थे जिस पर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना का कबà¥à¤œà¤¾ हो गया था। 1978 तक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिविरों से बाहर निकलने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं थी। बाद में à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹ सरकार के साथ समà¤à¥‹à¤¤à¤¾ हà¥à¤† पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को इलाका वापस दे दिया लेकिन पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ने उन लोगों को वापस लेने में कोई रà¥à¤šà¤¿ नहीं दिखाई। फिर 1992 में बाबरी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के विधà¥à¤µà¤‚स के बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में जो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ उसके परिणाम में अगले पांच साल के दौरान लगà¤à¤— सतà¥à¤°à¤¹ हजार पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ हिंदू à¤à¤¾à¤°à¤¤ चले आये। इस बार अधिकांश पलायन करने वालों का संबंध पंजाब से था। 1965 और 1971 में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से आने वाले हिंदूओं को आख़िरकार अटल सरकार में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नागरिकता मिल गई लेकिन बाबरी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के बाद आने वाले पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ हिंदूओं को अब तक नागरिकता नहीं मिल सकी है।
पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हिंदू कहते है कि आज पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का हिंदू न घर का है न घाट का। वहां धरà¥à¤® बदलने की मजबूरी, यहां रोजी-रोटी और न जाने कब खदेड़ दिठजाने का खतरा हर समय मंडराता है। थारपारकर व उमरकोट इलाकों में जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ के मामले जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आ रहे हैं। जब कोई रासà¥à¤¤à¤¾ नहीं बचता तो लोगों के सामने दो ही रासà¥à¤¤à¥‡ बचते है या तो धरà¥à¤® बचा ले या जीवन! अधिकांश लोग जीवन ही बचाना मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤« समà¤à¤¤à¥‡ है। जो लोग आज बिल का विरोध कर रहे है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आज सिरà¥à¤« मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ डरे हà¥à¤ दिखायी दे रहे है ये वही लोग है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बटवारे में लाखों हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को सिरà¥à¤« सतà¥à¤¤à¤¾ पाने के लिठमौत के मà¥à¤‚ह में फेंक दिया था।
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