संविधान चाहिठया शरियत..?
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Rajeev ChoudharyDate
21-Dec-2019Category
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नागरिकता बिल का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ संशोधन लोकसà¤à¤¾ और राजà¥à¤¯à¤¸à¤à¤¾ में बहà¥à¤®à¤¤ से पारित के बाद देश में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¤• बड़ा तबका हिंसा और उपदà¥à¤°à¤µ पर उतारू है। दिलà¥à¤²à¥€ समेत देश के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में हिंसा का तांडव देखने को à¤à¥€ मिला। मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ चाहते है कि पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ संशोधन बिल में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ शमिल किया जाये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संविधान में सà¤à¥€ नागरिक समान है हमारा संविधान किसी नागरिक के साथ कोई à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ नहीं करता है। माना कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान सà¤à¥€ को समान अधिकार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है लेकिन मोदी सरकार के पिछले कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² के दौरान जब तीन तलाक पर सरकार बिल लेकर आई थी तब मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की ओर से कहा गया था कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठसंविधान से बड़ा शरिया कानून है और à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार उनके शरिया कानून में हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª न करे।
आज दो सवाल देश के सामने खड़े है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ को संविधान चाहिठया शरियत कानून? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• समय पर दोनों चीजें विवादासà¥à¤ªà¤¦ बनी रहेगी और à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को अपने पकà¥à¤· में करने को दबाव की राजनीति में माहिर रहे कटà¥à¤Ÿà¤° लोग हिंसा करते रहेंगे। तीन तलाक पर आये कानून के बाद ऑल इंडिया मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® परà¥à¤¸à¤¨à¤² लॉ बोरà¥à¤¡ के नेताओं ने देश à¤à¤° में ‘शरीयत कोरà¥à¤Ÿ’ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की घोषणा की थी। जबकि यह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संविधान की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ थी लेकिन फिर à¤à¥€ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कई नेताओं ने इसका समरà¥à¤¥à¤¨ किया था।
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को देखे तो तरà¥à¤• और तथà¥à¤¯ बताते है कि गत सदी से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति की मूल समसà¥à¤¯à¤¾ जस-की-तस अनसà¥à¤²à¤à¥€ ठहरी हà¥à¤ˆ है। 1947 से पहले देखे तो नठदौर के अंत में हिनà¥à¤¦à¥‚ नेता पहले के हिनà¥à¤¦à¥‚ राजाओं की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में धारà¥à¤®à¤¿à¤•, चारितà¥à¤°à¤¿à¤• रूप से दà¥à¤°à¥à¤¬à¤² खोखले साबित हà¥à¤ थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, जैसे मनीषियों की शिकà¥à¤·à¤¾ और चेतावनियों की उपेकà¥à¤·à¤¾ कर हिनà¥à¤¦à¥‚ नेताओं ने देश का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ इसà¥à¤²à¤¾à¤® को सौंप देना सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया कारण बताया गया कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ को शरियत चाहिठऔर हमें संविधान।
बंटवारा हà¥à¤† दो देश बने à¤à¤• में संविधान का शासन हà¥à¤† दूसरे में शरियत का, इसके बाद हम आगे बà¥à¤¤à¥‡ रहे, लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बचें मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ की जैसे ही संखà¥à¤¯à¤¾ और राजनितिक शकà¥à¤¤à¤¿ बà¥à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई चीजों में अपने मजहब का हवाला देकर नठइसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ नेता कह उठे कि यदि ‘शरीयत कोरà¥à¤Ÿ’ नहीं देते तो ‘हमारा अलग देश दे दो। सरकारें à¤à¥à¤•à¥€ और कई मामलों में फिर शरीयत दे दी गयी। जबकि डॉ आंबेडकर ने à¤à¤• मौके पर कहा था कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ की चाह हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ की पूंछ की तरह बà¥à¤¤à¥€ जाती है. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥‚ठी शिकायतों, आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ हिंसाओं को मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® राजनीति की तकनीक बताकर इसे à¤à¤• नाम दिया था। ‘फरेबी राजनीति’ यानी, à¤à¥‚ठी शिकायतें करके सतà¥à¤¤à¤¾ और कबà¥à¤œà¥‡ की ओर बà¥à¤¨à¤¾à¥¤ यह सब आज फिर दिख à¤à¥€ रहा है। यह सब डॉ. आंबेडकर ने 1940 में लिखा था आज à¤à¥€ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® नेता उसे पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ कर रहे हैं. इस में कà¥à¤› नया नहीं है।
बंटवारे के सात दशक पहले वाली इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ अलगाववादी à¤à¤¾à¤·à¤¾ फिर सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ पड़ रही है। पर आज à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥‚ नेता यह नहीं जानते कि कà¥à¤¯à¤¾ करें! ये आज à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ ही असहाय लग रहे हैं जैसे 1947 में थे, जब मà¥à¤Ÿà¥à¤ ीà¤à¤° इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ नेताओं और उनके समरà¥à¤¥à¤• कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ ने देश-विà¤à¤¾à¤œà¤¨ करा डाला था। आज हिनà¥à¤¦à¥‚ नेताओं में यह कहने का साहस नहीं है कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सà¤à¥€ शिकायतों के à¤à¤•à¤®à¥à¤¶à¥à¤¤ समाधान के लिठही 1947 में देश-विà¤à¤¾à¤œà¤¨ हà¥à¤† था। जबकि इस सचाई को डॉ. आंबेडकर ने बखूबी समà¤à¤¾ था और हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को चेतावनी दी थी कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® राजनीति मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤“ं की राजनीति है और वह मातà¥à¤° à¤à¤• अंतर को मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ देती है हिनà¥à¤¦à¥‚ और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच मौजूद अंतर। जीवन के किसी पंथनिरपेकà¥à¤· ततà¥à¤µ का मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® राजनीति में कोई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं, और वे मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® राजनीतिक जमात के केवल à¤à¤• ही निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के सामने नतमसà¥à¤¤à¤• होते हैं, जिसे मजहब कहा जाता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® राजनीति हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के साथ बराबरी नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ के लकà¥à¤·à¥à¤¯ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ है।
à¤à¤• बार फिर वही दिख रहा है. यहां के सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठपाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बना था, जिस के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग को वोट दिया था। विà¤à¤¾à¤œà¤¨ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° के लिठहिनà¥à¤¦à¥‚ जनता को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ नेहरू ने यही तरà¥à¤• व ढाढस दिया था कि इस से ‘मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समसà¥à¤¯à¤¾’ सदा के लिठखतà¥à¤® हो जाà¤à¤—ी। बात-बात में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के सीधे हमलों और दंगों से हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलेगी। हम à¤à¤• संविधान के देश में रहेंगे। खैर बटवारा हà¥à¤† 10 लाख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोग मारे गये। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग को वोट करने के बाद अधिकांस मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® यही जमे रह गये सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ और दूसरी पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को बà¥-चà¥à¤•à¤° अधिक सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾, अधिकार देती रहीं। संविधान को à¤à¥à¤²à¤¾à¤•à¤° शिकà¥à¤·à¤¾, राजनीति, कानून, आदि में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ अलगाव का समà¥à¤®à¤¾à¤¨, अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ मांगों को समरà¥à¤¥à¤¨, इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ देशों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥à¤•à¥€ विदेश-नीति आदि उसके बड़े उदाहरण थे।
जो अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ आंदोलन का केंदà¥à¤° था, उसे खतà¥à¤® करने के बदले विशेषाधिकार पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ बना दिया गया! आज फिर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शिकायतें इतनी बॠकि अब फिर अलग देश की मांग, शरियत कानून की मांग इसी से उठरही है। और कमाल देखिये इन मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® नेताओं को फटकारने के बजाय कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ नेता हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को ही बà¥à¤°à¤¾-à¤à¤²à¤¾ कह रहे हैं, जैसे गांधीजी हिनà¥à¤¦à¥‚ महासà¤à¤¾ या वीर सावरकर को कहते थे।
आज à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही देखने को मिल रहा है मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ जान गये है उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ मचाओं अधिकार और सतà¥à¤¤à¤¾ हासिल करो इसी कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ और, और, और चाहिठजैसे आज इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ और बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ के नागरिक चाहिà¤à¥¤ यह मांग नहीं रà¥à¤•à¥‡à¤—ी जब तक सब कà¥à¤› इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ न हो जाà¤! यही वह राजनीति-कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ है जिसे à¤à¥‚लने के कारण हिनà¥à¤¦à¥‚ नेता तमाम चà¥à¤¾à¤µà¥‡ चà¥à¤¾à¤•à¤°, बार-बार विà¤à¤¾à¤œà¤¨ कराकर à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान नहीं कर पाà¤à¤‚गे।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बन जाने के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ में रह गठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठशिकायत का कोई आधार नहीं बचता था। लेकिन आज फिर वही समसà¥à¤¯à¤¾ वही मजहब वही दादागिरी वही हिंसा वही दंगे आखिर किस लिठकोई जवाब दो हमें समà¤à¤¾à¤“ं कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग को वोट देकर जो मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ यहाठरह गये थे उनका हमारे ऊपर कैसा अहसान दिखाया जा रहा है। तमाम सेकà¥à¤²à¤° पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हिनà¥à¤¦à¥‚ नेता और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ अपनी सदिचà¥à¤›à¤¾à¤“ं और शबà¥à¤¦-जाल में उलà¤à¤•à¤° सीधी सचाई देखना नहीं चाहते! इस à¤à¤—ोड़ेपन का अरà¥à¤¥ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ नेता अधिक अचà¥à¤›à¥€ तरह समà¤à¤¤à¥‡ हैं। वे अपनी ताकत और दूसरों की कमजोरी का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² जानते हैं। इसीलिठवे लंदन से लेकर दिलà¥à¤²à¥€ तक सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡ और अपनी मनमानियां सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कराने में सफल रहते हैं। यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ हिनà¥à¤¦à¥‚-à¤à¥‚मि न रहा, तो उन की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¥€ बदतर होगी। सारी तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤à¤‚ यह दिखा सकती हैं। अत: à¤à¤¾à¤°à¤¤ की हिनà¥à¤¦à¥‚ पहचान को बचाना, इस की रकà¥à¤·à¤¾ करना पहली पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ होना चाहिà¤à¥¤
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