पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ को लेकर फिर तकरार
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Rajeev ChoudharyDate
12-Feb-2020Category
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पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ को लेकर फिर तकरार
आरकà¥à¤·à¤£ को लेकर à¤à¤• बार राजनितिक बयानबाजी की तलवारें इस कारण तन गयी है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ ने हाल ही में अपने à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ फैसले में इस बात का जिकà¥à¤° किया है कि सरकारी नौकरियों में पदोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठकोटा और आरकà¥à¤·à¤£ कोई मौलिक अधिकार नहीं है और राजà¥à¤¯ सरकार आरकà¥à¤·à¤£ देने के लिठबाधà¥à¤¯ नहीं है। à¤à¤¸à¤¾ कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जो किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पदोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में आरकà¥à¤·à¤£ का दावा करने के लिठविरासत में मिला हो अत: अदालत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राजà¥à¤¯ सरकारों को आरकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठकोई निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ जारी नहीं किया जा सकता है।
बताते चलें कि साल 2018 में पांच नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶à¥‹à¤‚ वाली संविधान पीठने कहा था कि कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर यानि मलाईदार परत को सरकारी नौकरियों में आरकà¥à¤·à¤£ का लाठनहीं मिल सकता है। पीठने कहा था कि जिस तरह समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ लोगों को कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के तहत आरकà¥à¤·à¤£ के लाठसे वंचित रखा जाता है, उसी तरह à¤à¤¸à¤¸à¥€-à¤à¤¸à¤Ÿà¥€ के समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ लोगों को पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ के लाठसे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वंचित नहीं किया जा सकता? तब केंदà¥à¤° सरकार ने पीठसे इसकी समीकà¥à¤·à¤¾ करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया था।
देखा जाये तो राजनितिक, सामाजिक और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• परिवेश में यह लड़ाई पिछले तीन दशकों से चल रही है। साल 2006 में à¤à¤® नागराज बनाम à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार मामले की सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ करते हà¥à¤ पांच जजों की ही संविधान पीठने फैसला दिया था कि सरकारी नौकरियों में पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ के मामले में à¤à¤¸à¤¸à¥€-à¤à¤¸à¤Ÿà¥€ वरà¥à¤—ों को आरकà¥à¤·à¤£ दिया जा सकता है। पर आरकà¥à¤·à¤£ के इस पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में कà¥à¤› शरà¥à¤¤à¥‡à¤‚ जोड़ते हà¥à¤ अदालत ने यह à¤à¥€ कहा कि पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ देने के लिठकिसी à¤à¥€ सरकार को नीचे लिखे मानदंडों को पूरा करना होगा। ये मापदंड थे, समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का पिछड़ापन, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• हलकों में उनका अपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤² पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¥¤ à¤à¤¸à¤¸à¥€-à¤à¤¸à¤Ÿà¥€ वरà¥à¤—ों के लिठपà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ करने से पहले सरकार को ये आंकड़े जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ होंगे कि ये वरà¥à¤— कितने पिछड़े रह गठहैं, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ में इनका कितना अà¤à¤¾à¤µ है और पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के कारà¥à¤¯ पर इनका कà¥à¤¯à¤¾ फरà¥à¤• पड़ेगा। हालाà¤à¤•à¤¿ इस निरà¥à¤£à¤¯ के बाद से ही सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤²à¤¯ में दायर कई जनहित याचिकाओं में इस पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° की मांग उठती रही थी।
उस समय उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में इसका विरोध करते हà¥à¤ 18 लाख सरकारी करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ हड़ताल पर चले गठथे और देश à¤à¤° में विरोध के सà¥à¤µà¤° गूंज उठे थे। कà¥à¤› ने इसे नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तो कà¥à¤› ने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ बताया था कि पदोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में आरकà¥à¤·à¤£ से à¤à¤• दिन à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पैदा होगी कि पà¥à¤°à¥‹à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ के सà¤à¥€ पदों पर आरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वरà¥à¤—ों के लोग ही आ जाà¤à¤‚गे। à¤à¤¸à¤¾ होने से देश के यà¥à¤µà¤¾ वरà¥à¤— में यह सोच पैदा हो जाà¤à¤—ी कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उनकी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के हिसाब से नौकरी और पà¥à¤°à¥‹à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ नहीं मिलेगा। यह संविधान में समानता की मूल विचारधारा के खिलाफ है यानि पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ समानता के अधिकार का उलà¥à¤²à¤‚घन बताया था। दूसरी ओर पदोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में आरकà¥à¤·à¤£ के पकà¥à¤· में आवाजें लगाने वालों ने तरà¥à¤• दिया था कि कि सरकारी और निजी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पदोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ बड़ी जातियों के लोगों को ही दी जाती है।
अगर इस मसले को आरमà¥à¤ से समà¤à¥‡ तो कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर यानि मलाईदार परत शबà¥à¤¦ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² ओबीसी जातियों के उन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठहोता है जो अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समृदà¥à¤§ और पà¥à¥‡-लिखे हैं। इस शबà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पहली बार सतà¥à¤¤à¤¨à¤¾à¤¥à¤¨ कमीशन ने 1971 में किया था। जिसका कहना था कि सरकारी नौकरियों में साधन संपनà¥à¤¨ लोगों को आरकà¥à¤·à¤£ नहीं दिया जाना चाहिà¤à¥¤ बाद में इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¸ रामनंदन कमेटी ने 1993 में à¤à¥€ किया था। इसके बाद ओबीसी समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के पà¥à¥‡ लिखे और समृदà¥à¤§ लोगों के लिठशबà¥à¤¦ तो बन गया, लेकिन जब इसे लागू करने की बारी आई तो इसका पैमाना पारिवारिक इनकम को माना गया। 1993 में जब कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर पहली बार लागू हà¥à¤† तब 1 लाख से ऊपर सालाना आय वाले परिवारों को इसमें रखा गया। बाद में साल 2004 में इसे बà¥à¤¾à¤•à¤° 2.5 लाख कर दिया गया। 2008 में यह 4.5 लाख हà¥à¤† तो 2013 में 6 लाख हो गया। आखिरी बार इसमें परिवरà¥à¤¤à¤¨ 2017 में हà¥à¤† और इसे 8 लाख कर दिया गया था।
साल 2015 में नेशनल कमीशन फॉर बैकवरà¥à¤¡ कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‡à¤œ ने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ दिया कि सीलिंग को बà¥à¤¾à¤•à¤° 15 लाख कर दिया जाना चाहिà¤à¥¤ आयोग ने तब ओबीसी जातियों में à¤à¥€ कैटेगरी बनाने की वकालत की थी। आयोग ने कहा था कि ओबीसी जातियों में पिछड़ा अनà¥à¤¯ पिछड़ा और अधिक पिछड़ा की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनाई जानी चाहिठऔर 27 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ का कोटा इन सà¤à¥€ में जरूरत के आधार पर बांटना चाहिà¤à¥¤ आयोग का तरà¥à¤• था कि इससे मजबूत ओबीसी जातियां आरकà¥à¤·à¤£ का पूरा लाठखà¥à¤¦ ही नहीं उठा पाà¤à¤‚गी। अनà¥à¤¯ कमजोर जातियों को à¤à¥€ इसका लाठमिल पाà¤à¤—ा।
हालाà¤à¤•à¤¿ सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ ने 8 सितंबर 1993 को जारी à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार के जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ के आधार पर इसकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की थी। सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ ने कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर यानि मलाईदार परत की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ कहा था कि आरकà¥à¤·à¤£ का लाठसंवैधानिक पदों पर बैठे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (जैसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿, सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® के नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶, हाईकोरà¥à¤Ÿ के नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶, केंदà¥à¤° और राजà¥à¤¯ के बà¥à¤¯à¥‚रोकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ, पबà¥à¤²à¤¿à¤• सेकà¥à¤Ÿà¤° के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, सेना और अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¿à¤• बलों में करà¥à¤¨à¤² रैंक से ऊपर के अधिकारी) के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को नहीं मिलना चाहिà¤à¥¤ हालांकि तब इससे पिछड़ा अतिपिछड़ा समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को बाहर रखा गया था।
यानि 30 सितंबर 2018 के पहले तक पिछड़ा अतिपिछड़ा समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर से बाहर रखा गया था। लेकिन इसके बाद कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर के दायरे में ये समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¥€ आ गया। हालांकि इस समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ पर कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² आरà¥à¤¥à¤¿à¤• आधार पर नहीं किया गया है। इन जातियों के लिठपिछड़ापन और छà¥à¤†à¤›à¥‚त को आधार बनाया गया है। इसके अलावा इसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ पर à¤à¥€ होता है। दरअसल पिछड़ा अतिपिछड़ा समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर के दायरे में लाने का निरà¥à¤£à¤¯ सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ ने दिया था. पांच सदसà¥à¤¯à¥€à¤¯ संविधान पीठने 2018 में कहा था कि अनà¥à¤¸à¥‚चित जाति और अनà¥à¤¸à¥‚चित जनजाति के समृदà¥à¤§ लोग यानी कि कà¥à¤°à¥€à¤®à¥€ लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरकà¥à¤·à¤£ का लाठनहीं दिया जा सकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और सामाजिक रूप से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ समà¤à¥‡ जाने चाहिà¤à¥¤ किनà¥à¤¤à¥ अब जिस तरह फिर अब à¤à¤• बार सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ के इस फैसले के पकà¥à¤· विपकà¥à¤· में लोग खड़े दिख रहे है तो देखकर लगता है आने वाले दिनों में पà¥à¤°à¥‹à¤®à¥‹à¤¶à¤¨ में आरकà¥à¤·à¤£ के नाम पर सड़क से संसद तक शोर मचता दिखाई देगा।
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