सावरकर अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° और वामपंथ
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Rajeev ChoudharyDate
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12-Feb-2020Top Articles in this Category
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सावरकर अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° और वामपंथ
सावरकर अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° और वामपंथ
à¤à¤• समय वो à¤à¥€ आया जब वामपंथ का समाजवाद का नशा कई देशों में फैला, राजतनà¥à¤¤à¥à¤° के खिलाफ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तियाठहà¥à¤ˆà¥¤ किसान गरीब समाजवाद के पैरोकार बने वामपंथी कई देशों में सतà¥à¤¤à¤¾à¤¸à¥€à¤¨ à¤à¥€ हà¥à¤ कà¥à¤¯à¥‚बा à¤à¥€ à¤à¤• देश था। पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ नेता फ़िदेल कासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ यहाठके राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤•à¥à¤· थे। बताया जाता है 1993 में फिदेल की ओर से à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ नेता जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बसॠको कà¥à¤¯à¥‚बा आने का निमंतà¥à¤°à¤£ मिला था तो उनके साथ मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦à¥€ कमà¥à¤¯à¥‚निसà¥à¤Ÿ पारà¥à¤Ÿà¥€ के महासचिव सीताराम येचà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ थे।
फिदेल के साथ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वामपंथियों की वो बैठक डेढ़ घंटे चली, "कासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ इनसे सवाल पर सवाल किठजा रहे थे। à¤à¤¾à¤°à¤¤ कितना कोयला पैदा करता है? वहाठकितना लोहा पैदा होता है? किसान मजदूर की आय से लेकर अनेकों पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कर डाले। à¤à¤• समय à¤à¤¸à¤¾ आया कि जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बसॠने बंगाली में येचà¥à¤°à¥€ से कहा, "à¤à¤•à¥€ आमार इंटरवà¥à¤¯à¥‚ नीचà¥à¤šà¥‡ ना कि"(ये कà¥à¤¯à¤¾ मेरा इंटरवà¥à¤¯à¥‚ ले रहे हैं कà¥à¤¯à¤¾?). ज़ाहिर है जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ बसॠको वो आà¤à¤•à¤¡à¤¼à¥‡ याद नहीं थे। तब फ़िदेल ने येचà¥à¤°à¥€ तरफ़ रà¥à¤–़ कर कहा à¤à¤¾à¤ˆ ये तो बà¥à¤œà¤¼à¥à¤°à¥à¤— हैं। आप जैसे नौजवानों को तो ये सब याद होना चाहिà¤à¥¤
फिदेल के साथ इस à¤à¤• मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वामपंथ की धजà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ उड़ा दी थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये सब बातें सिरà¥à¤« इनके नारों में थी जमीनी धरातल पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शोषित गरीब किसान से कोई लेना देना नहीं था। यही कारण था कि डॉ à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ आंबेडकर वामपंथियों की जमकर आलोचना करते थे। अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° का सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ मानना था कि वामपंथी विचारधारा संसदीय लोकतंतà¥à¤° के खिलाफ है और अराजकता में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखते है। इनका समाजवाद दिखावे का ढोंग है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पोलित बà¥à¤¯à¥‚रों में किसी à¤à¥€ दलित को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं था। यही नहीं बाबा साहेब वामपंथ, मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग सहित इन विचारधाराओं की कटॠआलोचक थे, जबकि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤› मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर सावरकर से सहमत थे। सावरकर की राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ विचारधारा वामपंथियों के निशाने पर तब à¤à¥€ थी, आज à¤à¥€ है। वहीठअमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤°, सावरकर की हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ के अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ से सहमत थे।
आज हालत बदल गये अब अगर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिवेश की बात करें वामपंथी राजनीति की दौड़ से लगà¤à¤— बाहर हो गये इकà¥à¤•à¤¾ दà¥à¤•à¥à¤•à¤¾ राजà¥à¤¯ छोड़ दे तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ से लगà¤à¤— साफ़ हो चà¥à¤•à¥‡ है। यानि वामपंथ की विचारधारा लोगों ने असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर दी है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वामपंथ की सोच में धरà¥à¤®, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° और à¤à¤¾à¤°à¤¤ नहीं है. अब इस बिना à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सोच के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ जनता के बीच जाने की हिमà¥à¤®à¤¤ अब वामपंथियों में à¤à¥€ नहीं बची तो à¤à¤• नया à¤à¤œà¥‡à¤‚डा इन लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया गया जिसे नाम दिया कटà¥à¤Ÿà¤° हिंदà¥à¤¤à¥à¤µà¤µà¤¾à¤¦, मनà¥à¤µà¤¾à¤¦, सवरà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¦ और जो धरà¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ या राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की बात करेगा उसे दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤ªà¤‚थी राईट विंग कहना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया।
चूà¤à¤•à¤¿ वामपंथी जनहीन थे समाजवाद का इनका गांजा बिकना बंद हो गया था तो अब आंबेडकर के बहाने दलितों को और धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ के नाम पर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को रिà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का काम शà¥à¤°à¥‚ किया। सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का à¤à¤• नया बहाना बनाना शà¥à¤°à¥‚ किया और à¤à¤¾à¤°à¤¤ में समसà¥à¤¤ समसà¥à¤¯à¤¾ की जड़ के रूप में हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया।
90 के दशक के बाद वामपंथियों ने जब देखा कि मारà¥à¤•à¥à¤¸ और लेनिन का लोगों की नजरों में कोई वजूद नहीं बचा लोगों को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धराधाम से जà¥à¥œà¥‡ नायक चाहिठतो इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ डॉ आंबेडकर को अपना नायक बनाया। हालाà¤à¤•à¤¿ आंबेडकर से अनà¥à¤¯ वरà¥à¤— को कोई जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ नहीं था किनà¥à¤¤à¥ वामपंथियों ने आंबेडकर की छवि को à¤à¤¸à¤¾ बनाना शà¥à¤°à¥‚ किया जैसे à¤à¤¾à¤°à¤¤ इसकी à¤à¤•à¤¤à¤¾ अखंडता से कोई सरोकार नहीं था। दूसरी तरफ दामोदर वीर सावरकर की छवि को बदनाम करना शà¥à¤°à¥‚ किया सावरकर का गà¥à¤¨à¤¾à¤¹ सिरà¥à¤« यह है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ से देश को मà¥à¤•à¥à¤¤ करवाने के लिठअपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ दांव पर लगाया और गांधीवाद के विरोधी थे। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ थे मà¥à¤—लों को अपना आदरà¥à¤¶ मानने से इंकार करने वाले थे. इन वजहों से सावरकर को दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤ªà¤‚थी कहने लगे।
अब वामपंथ की विचारधारा को जब बिलकà¥à¤² à¤à¥€ बल नहीं मिला लोगों ने 35 साल का पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल का शासन देखा और नकारा तो सवरà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¦ के खिलाफ à¤à¤‚डा उठाकर बाबा साहब अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° का नाम लेने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। जबकि यह तथà¥à¤¯ है कि समाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के नà¤-नवेले पैरवीकार बनने की होड़ में खà¥à¤¦ को बाबा साहब का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ बताने वाले वामपंथी दशकों के लमà¥à¤¬à¥‡ इतिहास में à¤à¤• दलित महासचिव तक पोलित बà¥à¤¯à¥‚रो में नहीं दे पाठहैं। पोलित बà¥à¤¯à¥‚रो में दलितों की à¤à¤¾à¤—ीदारी के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर à¤à¥€ वामपंथी बगले à¤à¤¾à¤‚कते नजर आते हैं। वामपंथी पारà¥à¤Ÿà¥€ के पोलित बà¥à¤¯à¥‚रो में महिलाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¥€ ढांक के तीन पात से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। पहली बार वृंदा करात शामिल à¤à¥€ हà¥à¤ˆà¤‚ तो इसके पीछे परिवारवाद का ही असर था, जिसकी मà¥à¤–ालफत का ढोंग वामपंथी अकà¥à¤¸à¤° करते रहते हैं। दरअसल वृंदा करात पतिकोटे से पोलित बà¥à¤¯à¥‚रो की शोà¤à¤¾ बà¥à¤¾ रही हैं। चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ राजनीति में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· तौर पर हिसà¥à¤¸à¤¾ लेने वाले जिस राजनीतिक संगठन में दलितों, पिछड़ों, महिलाओं की à¤à¤¾à¤—ीदारी नगणà¥à¤¯ हो, वे जब समाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठाते हैं तो बड़ा हासà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤ªà¤¦ लगता है। सवरà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¦ और मरà¥à¤¦à¤µà¤¾à¤¦ सहित सामनà¥à¤¤à¥€ सोच की à¤à¤¾à¤‚की वामपंथी दलों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कहीं और नहीं दिख सकती है।
सावकर और अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° कà¤à¥€ à¤à¤• दूसरे से नहीं मिले