कैसा था ऋषि दयाननà¥à¤¦ का बोध
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Prakash AryaDate
21-Feb-2020Category
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RajeevUpload Date
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सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से न तो महरà¥à¤·à¤¿ का परिचय हà¥à¤†, ना ही महरà¥à¤·à¤¿ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वे समठसके इसलिठà¤à¤¸à¥‡ अपरिचित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के संबंध में तो सोचना à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ ? मैं उन महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के संबंध में सोच रहा हू जो महरà¥à¤·à¤¿ का अपने को अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ कहते हैं। गà¥à¤°à¥à¤µà¤° दयाननà¥à¤¦ के नाम की जय बोलते हैं ऋषि बलिदान दिवस, जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ और बोधरातà¥à¤°à¤¿ धूमधाम से मनाते हैं।
महरà¥à¤·à¤¿ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से, उनके उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से आतà¥à¤®à¤¿à¤• संबंध रखने वाले देश-विदेश में बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में सदसà¥à¤¯ हैं। इतनी बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ व विसà¥à¤¤à¤¾à¤° होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€ ऋषि की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को, उनके कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वह गति नहीं मिल रही, वह अधूरे सपने पूरे नहीं हो पा रहे जो अब तक हो जाना चाहिठथा। किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ की सफलता में तन-मन-धन आधार होता है। कहीं तन का, कहीं मन का, कहीं धन का महतà¥à¤¤à¥à¤µ कारà¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है। किनà¥à¤¤à¥ तन और धन के अतिरिकà¥à¤¤ मन सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है, यदि मन नहीं है तो कोई संकलà¥à¤ª नहीं हो सकता, कोई संकलà¥à¤ª नहीं तो किसी कारà¥à¤¯ में पूरà¥à¤£ समरà¥à¤ªà¤£ नहीं हो सकता और बिना समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µ से किया कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ मातà¥à¤° औपचारिकता तक सीमित रह जाता है, जिसका ऊपरी रूप कà¥à¤› होता है और आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• कà¥à¤› और।
आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ उन उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को लेकर की गई थी जिनका अà¤à¤¾à¤µ समाज को दà¥à¤ƒà¤–, सनà¥à¤¤à¤¾à¤ª, अशानà¥à¤¤à¤¿, à¤à¤¯ के दावानल में ले जा रहा था। असतà¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ से अधिक महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बताया जा रहा था। धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के नीचे दब रही थीं मानवता पर कà¥à¤› तथाकथित वरà¥à¤— ने अपने अधिकारों का दायरा बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दूसरे वरà¥à¤— को उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤, न केवल उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ अपितॠपà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤, अपमानित कर विधरà¥à¤®à¥€ होने पर मजबूर कर रहे थे। à¤à¤¸à¥‡ समय में आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤
महरà¥à¤·à¤¿ को हà¥à¤† बोध उसकी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के à¥à¥‹à¤² बजा बजाकर अपने को गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ कर रहे हैं और दूसरों को बोध करवाने में लगे हैं। किनà¥à¤¤à¥ विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ है हमें अपने बोध की चिनà¥à¤¤à¤¾ नहीं।
मानव समाज का बहà¥à¤¤ बड़ा à¤à¤¾à¤— चितà¥à¤°à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं की पूजा से, इमारतों, नदियों से जीवन की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ व सफलता मान रहा है। दरà¥à¤¶à¤¨ लपà¥à¤¤ है पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ ही जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ बनकर सिमिट गया है। इसकी निनà¥à¤¦à¤¾, कटाकà¥à¤· हम करने में चूकते नहीं हैं। किनà¥à¤¤à¥ हम कहॉं खड़े हैं ?
दयाननà¥à¤¦ की जय, आरà¥à¤¯ समाज के 10 नियमों की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता का, तरà¥à¤• के दौरान उदाहरण, संसार के सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ बस! कà¥à¤¯à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इतना कà¥à¤› आगे बà¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤—ा?
महरà¥à¤·à¤¿ को बोध हà¥à¤† जिससे जीवन परोपकारी, ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अटूट विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥€, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯, निरà¥à¤à¥€à¤•, तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी, तपसà¥à¤µà¥€, सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ से पूरà¥à¤£, सरà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤¯, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° समरà¥à¤ªà¤£ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से पूरà¥à¤£ था।
हम किसका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ कर रहे हैं ऋषि का या किसी अनà¥à¤¯ दलगत निकृषà¥à¤Ÿ विचारधारा का ? आलसà¥à¤¯, पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ से लिपà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ महरà¥à¤·à¤¿ का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ कदापि नहीं हो सकता। à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने ही महरà¥à¤·à¤¿ को, आरà¥à¤¯ समाज को बदनाम किया, विघटित किया है।
महरà¥à¤·à¤¿ ने हमें à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ मारà¥à¤— दिखा दिया जो वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में छिपा दिया गया था। अपनी समरà¥à¤¥à¥à¤¯, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ और पूरà¥à¤£ समरà¥à¤ªà¤£ से महरà¥à¤·à¤¿ ने उस पर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ चलना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया, सफर लमà¥à¤¬à¤¾ था, पूरा सफर तो नहीं कर पाये किनà¥à¤¤à¥ जितना किया वह संसार के लिठआशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ बन गया। शेष कारà¥à¤¯ हमें पूरा करना था। हम उसके उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ हैं, वारिस हैं हम पर ही उसके कारà¥à¤¯ को पूरà¥à¤£ करने की सारी जवाबदारी है। कà¥à¤¯à¤¾ हममें ऋषि के जीवन का वह समरà¥à¤ªà¤£, लगन, सतà¥à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ ा का à¤à¤¾à¤µ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है ? यदि नहीं तो औपचारिकता का जीवन कागज के फूल के जैसा है जो दिखता तो सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है परनà¥à¤¤à¥ न खà¥à¤¶à¤¬à¥‚, न कोई लाà¤à¥¤ इसीलिठयदि अà¤à¥€ तक अपनी मंजिल से बहà¥à¤¤ दूर हैं, अब कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमें अà¤à¥€ तक करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बोध नहीं हो पाया, फिर हमें बोध कब होगा ?
à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में ऋषि बोधोतà¥à¤¸à¤µ मनाते समय अपने बोध के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ सजग रहें, तà¤à¥€ ऋषि बोधोतà¥à¤¸à¤µ मनाना सारà¥à¤¥à¤• होगा।
लेख- पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आरà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ सारà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾
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