नसबंदी जरà¥à¤°à¥€ है पर किसकी
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Vinay AryaDate
25-Feb-2020Category
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RajeevUpload Date
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अगर किसी कारण केंदà¥à¤° की मोदी सरकार जनसंखà¥à¤¯à¤¾ नियंतà¥à¤°à¤£ कानून कानून ले आये तो उसका विरोध सबसे पहले विपकà¥à¤·à¥€ शासित राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में होगा और सीà¤à¤ की तरह उस कानून को लागू करने से मना करेंगे। किनà¥à¤¤à¥ आजकल मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में कमलनाथ सरकार ने नसबंदी को लेकर नया फरमान जारी किया है। कमलनाथ ने नसबंदी को लेकर सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥ करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को टारगेट दिया है। सरकार ने करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठहर महीने 5 से 10 पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के नसंबदी ऑपरेशन करवाना अनिवारà¥à¤¯ कर दिया है. अगर करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ नसबंदी नहीं करा पाते हैं तो उनको नो-वरà¥à¤•, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाà¤à¤—ा।
यानि मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में नशबंदी सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ रूप से चलनी चाहिठये नशबंदी किसकी होगी कौन इसमें शामिल होगा आप बखूबी जानते है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की तो हरगिज नहीं होगी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके यहाठकà¥à¤µà¤¾à¤‚टिटी को खà¥à¤¦à¤¾ की देन कहा जाता है और à¤à¤²à¤¾ वोट बेंक के लिठखà¥à¤¦à¤¾ देन में कमलनाथ कैसे हाथ अड़ा सकते है।
हालाà¤à¤•à¤¿ जब-जब नशबंदी का जिकà¥à¤° आता है तो सबसे पहले जेहन में संजय गाà¤à¤§à¥€ का नाम उà¤à¤°à¤•à¤° आता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपातकाल के दौरान जिस संजय गांधी ने जोर-शोर से नसबंदी अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाया था वह मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ कमलनाथ के दोसà¥à¤¤ थे। लेकिन कमलनाथ के उलट थे संजय गांधी ने फैसला किया था कि यह काम देश की राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ से शà¥à¤°à¥‚ होना चाहिठऔर वह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ से जहां मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आबादी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है वहां से शà¥à¤°à¥‚ किया गया उन दिनों नसबंदी को लेकर कई तरह की à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियां थीं। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के बीच तो यह à¤à¥€ धारणा थी कि यह उसकी आबादी घटाने की साजिश है।
लेकिन इसके उलट संजय गांधी का मानना था कि अगर वे मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के बीच नसबंदी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सफल बना पाठतो देश à¤à¤° में à¤à¤• कड़ा संदेश जाà¤à¤—ा। शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में लोगों को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करने के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जमीनें à¤à¥€ दी गईं। लेकिन फिर वह घटते-घटते पांच किलो घी और à¤à¤• घड़ी पर आ गया। à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ लोग थे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नसबंदी करवाने पर जमीन देने का वादा तो किया गया था लेकिन मिली नहीं। शà¥à¤°à¥‚ में तो नसबंदी रजामंदी से की जानी थी लेकिन बाद में यह कà¥à¤°à¥‚रतापूरà¥à¤µà¤• की जाने लगी।
इस पर जोर इतना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था कि कई जगह पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गांवों को घेरने और फिर पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को जबरन खींचकर उनकी नसबंदी करने की à¤à¥€ खबरें आईं थी। कà¥à¤› लोग तो ये à¤à¥€ कहते है कि इस अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में करीब जो सरकारी आंकड़े है वो 40 लाख है अनेकों जानकर इसमें 60 लाख लोगों की नसबंदी बताते है। जिनमें 60 फीसदी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ थे जिनमें गलत ऑपरेशनों से करीब दो हजार लोगों की मौत à¤à¥€ हà¥à¤ˆ थी।
हालाà¤à¤•à¤¿ संजय जैसा à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ 1933 में जरà¥à¤®à¤¨à¥€ में à¤à¥€ चलाया गया था। हिटलर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में करीब चार लाख लोगों की नसबंदी कर दी गई थी। असल में संजय गांधी के सिर पर नसबंदी का à¤à¤¸à¤¾ जà¥à¤¨à¥‚न कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सवार हो गया था कि वे इस मामले में हिटलर से à¤à¥€ 15 गà¥à¤¨à¤¾ आगे निकल गठथे? दरअसल à¤à¤¸à¤¾ कई चीजें à¤à¤• मोड़ पर मिलने से मà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ हà¥à¤† था। à¤à¤• तो संजय की कम से कम समय में खà¥à¤¦ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ नेता के तौर पर साबित करने की महतà¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤‚कà¥à¤·à¤¾ थी और दूसरा आपातकाल के दौरान मिली निरंकà¥à¤¶ शकà¥à¤¤à¤¿ हाथ लग गयी थी।
असल में 25 जून 1975 को देश के ऊपर आपातकाल थोप दिया गया था विपकà¥à¤· के सà¤à¥€ नेता à¤à¤• à¤à¤• कर गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किये गये और जेल में ठूस दिठगये थे। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपातकाल लगने के बाद ही राजनीति में आठसंजय गांधी के बारे में यह साफ हो गया था कि आगे गांधी-नेहरू परिवार की विरासत वही संà¤à¤¾à¤²à¥‡à¤‚गे।
आपातकाल शà¥à¤°à¥‚ होने के बाद पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों का à¤à¤• गà¥à¤Ÿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जोरशोर से नसबंदी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® लागू करने की वकालत करने लगा। इंदिरा गांधी ने यह बात मान ली। यह उनकी मजबूरी à¤à¥€ थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे खà¥à¤¦ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ करना चाह रही थीं जिससे लोगों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ उस आपातकाल और अदालती मामले से à¤à¤Ÿà¤•à¤¾à¤¯à¤¾ जा सके। जिससे उनकी किरकिरी हो रही थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संजय गांधी को नसबंदी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® लागू करने की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ सौंप दी जो मानो इसका इंतजार ही कर रहे थे।
इसके बाद कà¥à¤› महीनों तक इतने बड़े कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के लिठकामचलाऊ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ खड़ी करने का काम हà¥à¤†à¥¤ यही वजह है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आपातकाल के दौरान मिली निरंकà¥à¤¶ ताकत का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करते हà¥à¤ यह अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। अधिकारियों को महीने के हिसाब से टारगेट दिठगठऔर उनकी रोज समीकà¥à¤·à¤¾ होने लगी।
संजय इस फैसले को यà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¤à¤° पर लागू कराना चाहते थे. सà¤à¥€ सरकारी महकमों को साफ आदेश था कि नसंबदी के लिठतय लकà¥à¤·à¥à¤¯ को वह वकà¥à¤¤ पर पूरा करें, नहीं तो तनखà¥à¤µà¤¾à¤¹ रोककर उनके खिलाफ कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ की जाà¤à¤—ी। इस काम की रिपोरà¥à¤Ÿ सीधे मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ दफà¥à¤¤à¤° को à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ तक के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिठगठथे। साथ ही अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ से जà¥à¥œà¥€ हर बड़ी अपडेट पर संजय गांधी खà¥à¤¦ नजरें गड़ाठहà¥à¤ थे। à¤à¤¸à¥€ सखà¥à¤¤à¥€ से लेट-लतीफ कही जाने वाली नौकरशाही के होश उड़ गठऔर सà¤à¥€ को अपनी नौकरी बचाने की पड़ी थी।
वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विनोद मेहता अपनी किताब द संजय सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ में लिखते हैं, संजय का यह दांव बैक फायर कर गया और 1977 में पहली गैर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ सरकार बनने के पीछे नसबंदी के फैसले को à¤à¥€ à¤à¤• बड़ी वजह माना गया। 21 महीने बाद जब आपातकाल खतà¥à¤® हà¥à¤† तो सरकार के इसी फैसले की आलोचना सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ बीजेपी के वरिषà¥à¤ नेता और पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ वाजपेयी ने तो नसबंदी की आलोचना में à¤à¤• कविता तक लिखी थी। इस कविता के बोल थे, आओ मरà¥à¤¦à¥‹, नामरà¥à¤¦ बनो। संजय गांधी का यह अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ आपातकाल का सबसे दमनकारी अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ साबित हà¥à¤† और आजतक इस अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के नाम से लोग सिहर जाते हैं। अब कमलनाथ का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ देखते है कितना कारगर होगा अपने दोसà¥à¤¤ जैसा हाल होगा या उससे आगे निकल जायेंगे। लेकिन नसबंदी कराने से पहले 2011 की जनगणना के आंकड़े उठाकर जरà¥à¤° देख ले कि आबादी किसकी बॠरही है और नशबंदी पहले किसकी जरà¥à¤°à¥€ है।
Very true