मां के धैरà¥à¤¯ और सहनशकà¥à¤¤à¤¿ को इंसाफ मिल गया
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Rajeev ChoudharyDate
08-Apr-2020Category
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à¤à¤• माठका लमà¥à¤¬à¤¾ संघरà¥à¤· चलता रहा, कई बार टूटी तो कई बार हारी à¤à¥€, लेकिन आखिरकार करीब आठसाल की लंबी लड़ाई के बाद निरà¥à¤à¤¯à¤¾ को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ मिल गया। अब निरà¥à¤à¤¯à¤¾ के चारों दोषियों को शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° की सà¥à¤¬à¤¹ साà¥à¥‡ पांच बजे फांसी पर लटका दिया गया गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को छह दरिंदों ने निरà¥à¤à¤¯à¤¾ के साथ सामूहिक बलातà¥à¤•à¤¾à¤° किया था और उसे बà¥à¤°à¥€ तरह से घायल करके छोड़ दिया था। कà¥à¤› दिन के बाद सिंगापà¥à¤° के à¤à¤• असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में उसकी मौत हो गई थी। इतनी बरà¥à¤¬à¤°à¤¤à¤¾ से बलातà¥à¤•à¤¾à¤° फिर मौत के घाट उतारने के लिठपà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¨à¤¾ सहती à¤à¤• लड़की जब हॉसà¥à¤ªà¥€à¤Ÿà¤² में अपनी माठसे घायल अवसà¥à¤¥à¤¾ में कहे कि माठमैं मरना नहीं चाहती” और बेबस लाचार माठउसे बचा ना सके। यह सोच कर à¤à¥€ रौंगटे खड़े हो जाते हैं।
निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही इस नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ में निरà¥à¤à¤¯à¤¾ की माठकी à¤à¥‚मिका बहà¥à¤¤ ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है, खासतौर पर à¤à¤¸à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में, जहां पर लगातार अपराधियों को नà¤-नठतरीके से यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सूà¤à¤¾à¤•à¤°, सजा से दूर किया जा रहा था। इतना समय लगाया जा रहा है कि, कोई à¤à¥€ इंसान नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की गà¥à¤¹à¤¾à¤° लगाना तो दूर ,नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पाने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ à¤à¥€ छोड़ देता। मगर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जगह-जगह गà¥à¤¹à¤¾à¤° लगाई, सारे नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के दरवाजे खटखटाये। टूट गई, रोईं, पर हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हारी।
आखिर निरà¥à¤à¤¯à¤¾ की मां ने साबित कर दिया की मां केवल अपनी जिंदा बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का जीवन ही नहीं संवारती, बलà¥à¤•à¤¿ अपनी जान गà¤à¤µà¤¾ बैठी बेटी की मौत को à¤à¥€ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ दिलाने का मादà¥à¤¦à¤¾ रखती है। à¤à¤• मां के धैरà¥à¤¯ और सहनशकà¥à¤¤à¤¿ को इंसाफ मिल गया या कहो उन लोगों को à¤à¥€ जवाब मिल गया जो अकà¥à¤¸à¤° कहते है कà¥à¤› नहीं हो सकता ये à¤à¤¾à¤°à¤¤ है देखना à¤à¤• दिन सà¤à¥€ अपराधी बाहर होंगे।
असल में पूरे देश की सामूहिक चेतना को à¤à¤•à¤à¥‹à¤° देने वाली इस घटना पर आज मिले नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त होना चाहिठलेकिन साथ ही पूरà¥à¤£ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि न तो अà¤à¥€ रेप रà¥à¤•à¥‡ और न ही सà¤à¥€ पीड़ितों को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ मिला कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ à¤à¥€ रेप जैसे शरà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤• मामले हमारे समाज में मà¥à¤‚ह चिढाते नजर आ रहे है।
शà¥à¤°à¥‚ से यह मामला देश में बड़ा संवेदनशील था। निरà¥à¤à¤¯à¤¾ के रेप के बाद जिस तरह राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ समेत देश à¤à¤° में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• विरोध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ उससे à¤à¥€ कोई अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž नहीं है। हर किसी की मांग थी कि दोषियों को मौत की सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ जाये बलà¥à¤•à¤¿ कà¥à¤› का यहाठतक à¤à¥€ कहना था कि इस जघनà¥à¤¯ अपराध की सजा सामूहिक हो और चैराहे पर सबके सामने लटका दिया जाये। जबकि सबको पता है कि केवल फांसी से ही सब कà¥à¤› सामानà¥à¤¯ नहीं हो जाता है किनà¥à¤¤à¥ फिर à¤à¥€ कईयों का मत था कि फांसी रेप को रोक देगी?
à¤à¤¸à¥‡ सवालों का उतà¥à¤¤à¤° देना कई बार बहà¥à¤¤ कठिन है, मगर दंड देना à¤à¥€ उतना ही जरूरी है, और मिसाल खड़ी करना और à¤à¥€ जरूरी है। अनेकों लोगों का मानना है यदि हर किसी बलतà¥à¤•à¤¾à¤° के अपराधी को फांसी की सजा मà¥à¤•à¤°à¥à¤°à¤° की जाà¤, और वह à¤à¥€ तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से, तो शत-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ बलातà¥à¤•à¤¾à¤° के मामलों में कमी आने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है। किनà¥à¤¤à¥ मामला कहाठअटकता है यह à¤à¥€ हमें सोचना होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि जिस तरह से दहेज जैसे अपराध में महिलाओं में इसका जमकर दà¥à¤°à¥‚पयोग किया अनेकों मामले तैश में आकर या गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ में आकार लड़के पकà¥à¤· पर दायर हà¥à¤ इसे कोई नजरंदाज नहीं कर सकता उसी तरह बलातà¥à¤•à¤¾à¤° विरोधी कानून का à¤à¥€ कई बार जमकर दà¥à¤°à¥‚पयोग हà¥à¤†à¥¤
पड़ोसी के साथ à¤à¤—डा नाली को लेकर हà¥à¤† या घर में देवर या ससà¥à¤° के साथ खाने को लेकर अनेकों बार à¤à¤¸à¥‡ मामलों में दहेज का मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾ दरà¥à¤œ कराने से à¤à¥€ महिलाà¤à¤‚ बाज नहीं आती। कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ सà¤à¥€ मामलों में तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ सजा दे दी जाये? कई का जवाब होगा नहीं पहले मामले की सही से जाà¤à¤š हो इसके बाद कानून की कारवाही आगे बà¥à¥‡à¥¤ बस यही वो जवाब है जो कई बार नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¤¿à¤•à¤¾ में जाकर अटक जाता है। दूसरा अगर मामला सचà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ है तो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दंड वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का अति लचीलापन à¤à¥€ बà¥à¤¤à¥‡ अपराध का कारण हो जाता है।
यदि पिछले कà¥à¤› साल के आंकड़े देखें तो कई और à¤à¥€ सवाल जेहन में खड़े हो जाते है। निरà¥à¤à¤¯à¤¾ के बलातà¥à¤•à¤¾à¤° और हतà¥à¤¯à¤¾ से पहले à¤à¥€ और अगर बाद में देखें तो आंकड़े à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज को शरà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤° करते नजर आते है. अकेले साल 2018 में देश में बलातà¥à¤•à¤¾à¤° के कà¥à¤² 33356 मामले दरà¥à¤œ किये गये थे। इससे पहले साल 2017 में 32559 साल 2016 में 38947 साल 2015 में 34651 साल 2014 में 36735 इसके अलावा साल 2012 में जब निरà¥à¤à¤¯à¤¾ को लेकर पूरा देश आकà¥à¤°à¥‹à¤¶à¤¿à¤¤ था। उससे अगले साल यानि 2013 में 33707 बलातà¥à¤•à¤¾à¤° के मामले दरà¥à¤œ किये गये थे। इनमें कितने मामलों में दोषियों को सजा मिली अà¤à¥€ तक साफ नहीं है बमà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² जो आंकड़े है उन पर संशय है इसके बाद à¤à¥€ बताया जा रहा है कि देश में हर 15 मिनट में à¤à¤• मामला दरà¥à¤œ हो जाता है।
अब बताइठइतने मामलों में कितनों की मौत की सजा मà¥à¤•à¤°à¥à¤°à¤° की जाये? हाठये जरà¥à¤° है इनमें सà¤à¥€ मामले निरà¥à¤à¤¯à¤¾ जैसे जघनà¥à¤¯ नहीं है। लेकिन अपराध तो है जिसमें बलातà¥à¤•à¤¾à¤° हà¥à¤ है। निरà¥à¤à¤¯à¤¾ के बाद ही जघनà¥à¤¯ अपराध की लिसà¥à¤Ÿ उठाकर देखें तो हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में गà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ के साथ, कठà¥à¤† में इससे पहले मंदसौर, सतना सहित न जाने कितनी अनाम निरà¥à¤à¤¯à¤¾ हों या मà¥à¤‚बई की नरà¥à¤¸ अरà¥à¤£à¤¾ शानबाग हो हर कदम पर कोई न कोई दरिंदा घात लगाये बैठा है। रेप किसी à¤à¥€ लड़की के लिठगाली है, जिसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² मजाक में à¤à¥€ नहीं किया जाना चाहिà¤à¥¤ रेप सिरà¥à¤« शरीर का उतà¥à¤ªà¥€à¥œà¤¨ नहीं, मन और पूरे वजूद पर हमला है जो नारी की असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ को छलनी कर देता है। à¤à¤¸à¥‡ अपराधों को रोकने के लिठफंड तो है लेकिन बेहद कठोर कानून, फासà¥à¤Ÿ टà¥à¤°à¥ˆà¤• अदालतें उससे जरूरी हैं ताकि यौन तथा बाल अपराधियों पर लगाम लग सके, अपराधियों में खौफ पैदा हो, वरना यह सवाल बना ही रहेगा और कितनी निरà¥à¤à¤¯à¤¾…?
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