लॉक डाउन पर तबà¥à¤²à¥€à¤—ी जमात का पलीता
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Rajeev ChoudharyDate
08-Apr-2020Category
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25 मारà¥à¤š को जब पीà¤à¤® नरेंदà¥à¤° मोदी ने 21 दिनों तक लॉक डाउन की घोषणा की थी। उस समय देश में कारोना संकà¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ महज 600 थी और लॉक डाउन की घोषणा के बाद अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाया जा रहा था कि यह संखà¥à¤¯à¤¾ हजार के आस पास सिमट जाà¤à¤—ी। देश की जनता ने à¤à¥€ लॉक डाउन का पालन किया लेकिन मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ इससे बेपरवाह होकर देश की राजधानी के केंदà¥à¤° निजामà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ में तबलीगी जमात की सà¤à¤¾ का आयोजन करता रहा। इस इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¤à¤¾ में देश-विदेश से हजारों मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ शामिल होते हैं। विदेशी जमातियों में आने वाले अधिकांश उनà¥à¤¹à¥€ देशों से हैं जहां कोरोना महामारी का पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª बहà¥à¤¤ अधिक हà¥à¤† है, जैसे चीन, ईरान, इंडोनेशिया, मलेशिया, सऊदी अरब, इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड और अनेक अनà¥à¤¯ मधà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ पशà¥à¤šà¤¿à¤® à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ देश। इनमें संकà¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ अधिक हो सकती थी और वही हो रहा है इस कारण आज यह संखà¥à¤¯à¤¾ कई हजार पहà¥à¤à¤š गयी है।
à¤à¤• अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस आयोजन में 2000 से अधिक लोग समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤ थे, जिसमें 300 लोगों को बà¥à¤–ार, खांसी, सांस लेने की समसà¥à¤¯à¤¾ और सरà¥à¤¦à¥€-जà¥à¤•à¤¾à¤® होने की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ हो चà¥à¤•à¥€ थी। चिंता की बात यह है कि इनमें 250 से अधिक की संखà¥à¤¯à¤¾ विदेशी मजहबी पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ की थी, जो लाक डाउन और सोशल डिसà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚सिंग की धजà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उड़ा रहे थे। इससे साफ पता चलता है कि अगर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कोरोना को हराने की सोची à¤à¥€ जाये तो à¤à¥€ नहीं हरा सकते कारण जमात की à¤à¤• दूसरे को दिखावे की नमाज से कोरोना को à¤à¤° पेट चारा जो मिला मिल रहा है। लॉकडाउन पूरा फैल कर दिया, मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ से रोके तो इकà¥à¤•à¤ ा होकर घरों में नमाज पढने लगे और इस विषम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ पर जितना पलीता लगा सकते थे लगा रहे है।
जब केवल इतने à¤à¤° से काम नहीं चला तो देश के अलग-अलग हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बल पर पथराव की घटना सामने आई, मेडिकल टीम पर हमला रहा हो या डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ के ऊपर थूकने की घटना रही हो, नरà¥à¤¸à¥‹à¤‚ के साथ अशà¥à¤²à¥€à¤² वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से लेकर तबà¥à¤²à¥€à¤—ी जमात से जà¥à¥œà¥‡ लोगों ने कोई कोर कसर बाकि नहीं छोड़ी। इस संकट के जो मानवीय वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की अपेकà¥à¤·à¤¾ की जा रही थी वह खोखली कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ साबित हà¥à¤ˆà¥¤
गलती तो है जब पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ 15 तारिख से ही जानती थी कि लाà¤à¤• डाउन होना है तब इतने लोगों को उनके घर पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ जमात की होती है, लेकिन सोच गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ किये जाते रहे कि वहाठसारे आलिम-फाजिल लोग है और मौत तो अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ के हाथ मे है, बोल-बोल कर ख़à¥à¤¦ à¤à¥€ गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ हो रहे और अपनी कौम को à¤à¥€ गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ कर रहे, नतीजा कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? बिमारी और मौत। जब दस दिन पहले ही अणà¥à¤¡à¤®à¤¾à¤¨ मे दस लोग कोरोना से पीड़ित पाये गये थे जो कि मरकज से ही गये थे लेकिन इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मजाक़ लगता रहा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनके पास कोरोना से न डरने वाली तकरीरो की विडियो à¤à¥‡à¤œà¥€ जा रही थी कि पांच वकà¥à¤¤ के नमाजी को कोरोना नही होता।
असल में तबलीगी जमात की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को अपने धरà¥à¤® बनाठरखने के लिठकी गई। इसके पीछे कारण यह था कि मà¥à¤—ल काल में जब हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं इसà¥à¤²à¤¾à¤® धरà¥à¤® कबूल किया था, लेकिन फिर वो सà¤à¥€ हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज में लौट रहे थे। बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ काल के दौरान à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आरà¥à¤¯ समाज ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दोबारा से हिंदू बनाने का शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ किया था, जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने तबलीगी का खेल शà¥à¤°à¥‚ किया था।
तब से तबà¥à¤²à¥€à¤—ी जमात के नाम पर हर साल लाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ तबलीगी समारोहों में à¤à¤¾à¤— लेते हैं, और लाखों लोग पूरे देश में फैल जाते हैं मजहब की कसमें दिलाते हैं. पिछले पचà¥à¤šà¥€à¤¸ से तीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में यह संखà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤› हजार से बà¥à¤•à¤° करोडो में पहà¥à¤à¤š गयी है और इस में इजाफा ही होता चला जा रहा है। इन का मà¥à¤–à¥à¤¯ केंदà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤, पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ है मगर अब कà¥à¤› विदेशो में à¤à¥€ इस का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° हो चूका है। पिछले पचà¥à¤šà¥€à¤¸, तीस साल में जितना पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में इजाफा हà¥à¤† है, उतना ही इन देशो में आतंकवाद अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°, उतà¥à¤ªà¥€à¥œà¤¨, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° में वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆ है। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है? इसका जवाब पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने वालों के पास à¤à¥€ नहीं है। बस कह देते है इसकी वजह à¤à¥€ अमेरिका और इजरायल की साजिश है।
इस पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में मà¥à¤–à¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾ यह दिखती है कि उनका सारा जोर इसà¥à¤²à¤¾à¤® की हिदायत पर होता है। समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का सामना करने की बजाय उनके पास हर समसà¥à¤¯à¤¾ का à¤à¤• सरल सा जवाब है कोई बीमार है, किसी को जà¥à¤•à¤¾à¤® है किसी के पेट में दरà¥à¤¦ है इनके पास à¤à¤• जवाब है कि मजहब से दूरी और मजहब दà¥à¤°à¥€ का मतलब दो, तीन बातें हैं नमाज पà¥à¤¨à¤¾, कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की तिलावत करना, दाà¥à¥€ रखना, सलवार टखने ऊपर बांधना, बà¥à¤°à¤•à¤¾ पहनना आदि। अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लोगों को काफिर बताना इसके बाद ये कहते है सब अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ के सहारे छोड़ दो, जो à¤à¥€ होगा अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ करेगा बस हम नमाज पà¥à¤¤à¥‡ रहे।
मगर इन को कौन समà¤à¤¾à¤ के यहाठइंसान को सिरà¥à¤« नमाज के लिठपैदा नहीं किया है, न सिरà¥à¤« दाà¥à¥€ टोपी बà¥à¤°à¥à¤•à¥‡ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठपैदा किया गया। करते कà¥à¤¯à¤¾ है à¤à¤• आम सीधे साधे मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ को पकड़ते है उसे कटà¥à¤Ÿà¤° बना देंगे। जैसा कि वसीम रिजवी ने कहा है। इससे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इनका कोई काम नहीं है, कोई बताये अà¤à¥€ तक कितनी जमाते लादेन के घर गयी? कितनी जमातें बगदादी को अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ का रासà¥à¤¤à¤¾ समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ गयी ? तहरीक ठतालिबान के कितने आतंकियों को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾? पता नहीं इनके पास जाने हिमà¥à¤®à¤¤ ही नहीं होती या जरूरत महसूस नहीं करते।
दूसरा अà¤à¥€ तक कितनी तबलीगी जमाते देश में संकट के समय में काम आई, समाज सेवा का काम किया हो। किसी सडक के गडà¥à¤¢à¥‡ में दो टोकरा मिटटी डाली हो उलà¥à¤Ÿà¤¾ आज जब देश पर संकट है तब à¤à¥€ लोगों को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के बजाय उलà¥à¤Ÿà¤¾ अपने लोगों को ही कोरोना वायरस संकà¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ करते à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° घूम रहे है।
लेकिन इससे अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह है कि ये लोग आम आदमी कोà¥à¥€ बना देते हैं यानी उसे à¤à¤¸à¤¾ कर देते है कि देश व राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के किसी काम का नहीं रहता। हर बंदे के हाथ में तसà¥à¤¬à¥€à¤¹ देकर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में बिठा देते हैं। इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में जो कà¥à¤› हो रहा है उसे छोड़ो, इसà¥à¤²à¤¾à¤® की चिंता करो।
असल में तबà¥à¤²à¥€à¤—ियो ने आम आदमी को अपने जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ सांसारिक दायितà¥à¤µà¥‹à¤‚ से अनजान कर देश व राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का बेड़ा गरà¥à¤• कर दिया है। वे हर किसी को अपने साथ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में ले जाने की जिद पर हैं। खà¥à¤¦ तो अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बचते है और दूसरे को à¤à¥€ इसी राह पे लगाने की कोशिश करते है। सवाल यह है कि अगर कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपना घर बार, पतà¥à¤¨à¥€ बचà¥à¤šà¥‡ छोड़कर साल à¤à¤°, तीन महीने या चालीस दिन के लिठदूसरों को सीधा रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाने निकल पड़े और इस बीच अपने घर वाले à¤à¤Ÿà¤• जाà¤à¤‚ तो कà¥à¤¯à¤¾ तीर मारा। पतà¥à¤¨à¥€ बीमार बचà¥à¤šà¥‡ को ले कर कहाठमारी मारी फिरे होगी, जिसे पता ही नहीं कि अपने शहर असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² किधर है और जिसे आप पà¥à¤°à¥à¤· चिकितà¥à¤¸à¤• से मिलने नहीं देते कि वह नाम हराम है।
तबलीगयों से आखिर में यही कहना चाहूगा के कि आप अपनी सारी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पूरी करते हà¥à¤ समाज में हो रहे अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के खिलाफ संगठित तरीके से संघरà¥à¤· करे। इससे बà¥à¤•à¤° न तो धरà¥à¤® की सेवा कर सकते हैं और न ही बà¥à¤•à¤° कोई पूजा हो सकती है। वरना चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के किसी कोने में बैठकर तसà¥à¤¬à¥€à¤¹ घà¥à¤®à¤¾ घà¥à¤®à¤¾ कर अपनी जनà¥à¤¨à¤¤ पकà¥à¤•à¥€ करते रहें और बाकी लोगों को नाकारा न बनाये खास तौर से समाज लोगो को मजहब के नाम पर बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ न करें, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समाज देश में अपना योगदान करने दें।
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