तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
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Rajeev ChoudharyDate
28-Jul-2020Category
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चीन सीमा से पीछे हट गया है लेकिन अब हमें चीन की कमजोरियों की ओर विशà¥à¤µ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ खींचना होगा। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि चीन की सबसे बड़ी कमजोरी है तिबà¥à¤¬à¤¤ और à¤à¤¾à¤°à¤¤ अकेला à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ देश है, जो चीन को तिबà¥à¤¬à¤¤ के कारण पानी पिला-पिला कर मार सकता है। तिबà¥à¤¬à¤¤ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² 12 लाख वरà¥à¤— किलोमीटर का है जो हमारे à¤à¤•-तिहाई कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² से थोड़ा बड़ा है, हमारा 32 लाख है और तिबà¥à¤¬à¤¤ का 12 कमाल देखिये इतने बड़े कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को जबरदसà¥à¤¤à¥€ चाइना ने अपने में मिला लिया। जो आज तक उसके कबà¥à¤œà¥‡ में है।
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है जैसा à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मीडिया में हमेशा कई चेनल चीन को ताकतवर बताते है और दà¥à¤¬à¤•à¥‡ रहने की सलाह देते है। बस यही चीन की ताकत है वरना चीन की कमजोरी ही कमजोरी है। दूसरा सिरà¥à¤« हथियारों से कोई देश ताकतवर नहीं होता इसका सबसे बड़ा उदहारण रूस है। तीन हजार परमाणॠहथियार उसकी जेब में थे। लेकिन फिर ही अमेरिका ने उसके दस टà¥à¤•à¥œà¥‡ कर दिठहै और रूस के हथियार रखे रह गये थे।
तिबà¥à¤¬à¤¤ की चीन से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ जरà¥à¤°à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है असल में तिबà¥à¤¬à¤¤ कà¤à¥€ विशà¥à¤µ के सबसे अहिंसक देशों में था, पूरी तरह बौदà¥à¤§ मत का पालन करने के कारण इसके पास परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सेना à¤à¥€ नहीं होती थी। हालाà¤à¤•à¤¿ हमेशा à¤à¤¸à¤¾ नहीं रहा à¤à¤• समय वो à¤à¥€ था जब सन 763 में तिबà¥à¤¬à¤¤ की सेनाओं ने चीन की राजधानी पर à¤à¥€ कबà¥à¤œà¤¾ कर लिया था और चीन से टेकà¥à¤¸ लेना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया था। लेकिन जैसे-जैसे बौदà¥à¤§ मत में उनकी रà¥à¤šà¤¿ बà¥à¥€, उनके अनà¥à¤¯ देशों से संबंध राजनीतिक न रहकर आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• होते चले गà¤à¥¤ यही आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• उनकी कमजोरी बन गयी, अहिंसा का ताबीज पीकर चीन के साथ à¤à¤• संधि की। यह संधि सन 821-22 के आसपास हà¥à¤ˆ जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• देश कà¤à¥€ à¤à¥€ दूसरे पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ नहीं करेगा. दलाई लामा अपनी किताब मेरा देश निकाला में लिखते कि तिबà¥à¤¬à¤¤ में जोखांग मंदिर सबसे पवितà¥à¤° माना जाता है, इसके पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर खड़ा à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° का सà¥à¤¤à¤‚ठहै। जो तिबà¥à¤¬à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इतिहास और उसकी शकà¥à¤¤à¤¿ का परिचायक है, इस पर तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ और चीनी दोनों à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में सन 821-22 में दोनों देशों के मधà¥à¤¯ हà¥à¤ˆ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ संधि का विवरण खà¥à¤¦à¤¾ हà¥à¤† है। जो इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है तिबà¥à¤¬à¤¤ के महाराज-तथा चीन के महाराज दोनों का रिशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤¤à¥€à¤œà¥‡ और चाचा का है। दोनों ने à¤à¤• महान संधि की और उसकी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की है। सब देवता और मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसे जानते हैं और गवाही देते हैं कि यह कà¤à¥€ बदला नहीं जाà¤à¤—ा।
अब चीन की धोखाधड़ी समà¤à¤¿à¤¯à¥‡ जिस तरह उसने 6 जून को à¤à¤¾à¤°à¤¤ से कहा हम पीछे हट जायेगे लेकिन फिर धोखे से हमारे जवानों पर कील लगे डंडो से हमला कर दिया। इसी तिबà¥à¤¬à¤¤ के साथ पहले धोखा हो चूका है, à¤à¤• कहावत है कि आप चोर और ठग पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ कर लीजिये लेकिन वामपंथी पर नहीं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इतने सारे साकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के होते हà¥à¤ à¤à¥€ चीन की नई-नई वामपंथी सरकार ने 1950 से ही चोरी-छिपे और धोखे से तिबà¥à¤¬à¤¤ में अपनी घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ शà¥à¤°à¥‚ कर दी। जब दलाई लामा को इसका आà¤à¤¾à¤¸ हà¥à¤† तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ देशों, जिनमें चीन à¤à¥€ शामिल था के यहां अपने राजदूत à¤à¥‡à¤œà¥‡à¥¤ लेकिन जहां अनà¥à¤¯ देशों तक उनके राजदूत पहà¥à¤‚च ही नहीं पाà¤, वहीं चीन की सरकार ने इन राजदूतों से जबदसà¥à¤¤à¥€ à¤à¤• अनà¥à¤¬à¤‚ध पर हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° करवा लिठऔर दलाई लामा की नकली मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ उस पर अंकित कर दी। इस अनà¥à¤¬à¤‚ध में लिखा था कि चीनी अधिकारी और सेना तिबà¥à¤¬à¤¤ में तिबà¥à¤¬à¤¤ के लोगों को सहायता पहà¥à¤‚चाने के लिठकाम करेगी। इसके बाद दलाई लामा को बीजिंग à¤à¥€ बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ गया, लेकिन वहां जाकर लामा की समठमें आने लगा कि चीनी सरकार वासà¥à¤¤à¤µ में कà¥à¤¯à¤¾ चाह रही है। इधर चीनी सेना और तिबà¥à¤¬à¤¤ के लोगों के बीच आठदिन à¤à¥œà¤ªà¥‡à¤‚ होने लगीं।
इस बीच à¤à¤• बौदà¥à¤§ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में à¤à¤¾à¤— लेने के कारण दलाई लामा à¤à¤¾à¤°à¤¤ आà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने का à¤à¤• कारण ये à¤à¥€ था कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• आशा à¤à¥€ थी। वह ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जवाहरलाल नेहरू से मिले और अपनी और तिबà¥à¤¬à¤¤ की पूरी दà¥à¤–द और पीड़ादायक कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆà¥¤ परंतॠनेहरू ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी à¤à¥€ तरह की सहायता देने से मना कर दिया। फिर à¤à¥€ दलाई लामा उनसे कई बार मिले और यहां तक कह दिया कि तिबà¥à¤¬à¤¤ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ इतनी विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿà¤• है कि मैं सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ वहां नहीं जाना चाहता और यह à¤à¥€ कि मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही रहने दीजिà¤à¥¤
लेकिन नेहरू ने उनसे कहा कि मैं आपके लिठततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ चीनी पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ चाउ à¤à¤¨ लाइ से बात करूंगा, और संयोगवश कà¥à¤› ही दिनों बाद चाउ à¤à¤¨ लाइ à¤à¤¾à¤°à¤¤ आठऔर नेहरू ने दलाई लामा से उनको मिलवाया। लेकिन चाउ à¤à¤¨ लाइ à¤à¥‚ठबोलने में माहिर था उसनें तिबà¥à¤¬à¤¤ को लेकर दलाई लामा को विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ दिलाया कि आप लà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¤¾ पहà¥à¤‚चिठसब कà¥à¤› ठीक हो जाà¤à¤—ा।
दलाई लामा अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में लिखते है कि à¤à¥‚ठबोलना चीनियों के खून का हिसà¥à¤¸à¤¾ है, दलाई लामा लà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¤¾ पहà¥à¤‚चे और लà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¤¾ आने के लिठदलाई लामा ने नेहरू को निमंतà¥à¤°à¤£ दिया इसके दो कारण थे à¤à¤• तो नेहरॠके आने से चीनी सरकार के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में परिवरà¥à¤¤à¤¨ आà¤, और दूसरा ये कि शायद यहाठका रकà¥à¤¤à¤ªà¤¾à¤¤ देखकर नेहरू के मन में सहानà¥à¤à¥‚ति खड़ी हो और वह तिबà¥à¤¬à¤¤ की मदद करने को तैयार हो जाये। लेकिन दलाई लामा नेहरू की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करते रहे, पर चीनियों ने नेहरू की यातà¥à¤°à¤¾ ही रदà¥à¤¦ करवा दी। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दलाई लामा के लिठआशा की जो अंतिम किरण थी, वह à¤à¥€ जाती रही।
नेहरू को लेकर दलाई लामा लिखते हैं, सबसे बà¥à¤°à¥€ बात यह थी कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª तिबà¥à¤¬à¤¤ पर चीन के दावों को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया था। अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1954 में नेहरू जी ने चीन के साथ à¤à¤• नई चीन-à¤à¤¾à¤°à¤¤ संधि पर हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° किठथे, जिसमें पंचशील नामक à¤à¤• आचार-संहिता थी, जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ तथा चीन किसी à¤à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में à¤à¤•-दूसरे के ‘आंतरिक’ मामलों में हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª नहीं करेंगे। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जिसे कहते हैं ‘आ बैल मà¥à¤à¥‡ मार’ वाली सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पैदा की. à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने बिना कà¥à¤› पाठअपने हाथ कटवा लिà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ को किसी à¤à¥€ हाल में यह संधि नहीं करनी चाहिठथी। इस संधि पर हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठमृतà¥à¤¯à¥ के वारंट के समान था, इससे तिबà¥à¤¬à¤¤ तो हाथ से गया ही साथ ही हमारा à¤à¥€ अहित हà¥à¤†à¥¤
इतना ही नहीं, नेहरू ने जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दलाई लामा को वापस लà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¤¾ जाने को कहा था उस पर संसद में तीखी बहस छिड़ गई थी और जिसमें नेहरू आलोचना के शिकार हà¥à¤ थे। पंचशील के दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ को लेकर तो आचारà¥à¤¯ कृपलानी ने यहां तक कह दिया कि यह पाप से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† है और à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के विनाश पर हमारी सहमति की मà¥à¤¹à¤° लगाने के लिठतैयार किया गया है।
इधर संसद में बहस चल रही थी दूसरी तरफ उधर तिबà¥à¤¬à¤¤ में वहां के लोगों को सूली पर चà¥à¤¾à¤¨à¤¾, अंग-अंग काटकर मारना, पेट फाड़कर अंतड़ियां बाहर निकालना, छेद-छेदकर मारना, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° चरम पर थे। अंत में जब दलाई लामा के पास कोई विकलà¥à¤ª नहीं बचा, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मारà¥à¤š 1959 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। अब चूंकि नेहरू को अपने किठपर गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿ हो रही थी, इसलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दलाई लामा को शरण दे दी।
यह पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ तो अब इतिहास का हिसà¥à¤¸à¤¾ बन चà¥à¤•à¤¾ है, परंतॠबताने का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ यही था कि इसी में वह बीजततà¥à¤µ छिपा है, जिससे हम फिर से चीन पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते है, लेकिन इसके लिठअब हमें अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ नीति तà¥à¤¯à¤¾à¤—कर खà¥à¤²à¥à¤²à¤®-खà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ यह कहना चाहिठकि तिबà¥à¤¬à¤¤ को मà¥à¤•à¥à¤¤ करो, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस पर चीन का अवैध कबà¥à¤œà¤¾ है।
हमें इस पर लगातार लिखना, इसे ही टीवी पर बहस तथा समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का मà¥à¤–à¥à¤¯ विषय बनाना चाहिà¤à¥¤ इसमें ताइवान के पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को बà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤ तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ लोगों को बà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤, उनकी डेकूमेंटरी बना बनाकर विशà¥à¤µ à¤à¤° की मीडिया को देनी चाहिà¤à¥¤ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हांगकांग में हो रहे आतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° को लेकर मानवाधिकार की बात करनी चाहिà¤, और इसी तरह ताइवान से à¤à¥€ हमें सहानà¥à¤à¥‚ति जतानी चाहिà¤à¥¤ चीन की सरकार तानाशाह है, हमें इसका à¤à¥€ जोर-शोर से पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना चाहिà¤à¥¤ हमें इस बात का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना चाहिठकि चीन के लोग दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ लोगों में हैं, उनके पास किसी à¤à¥€ तरह की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ नहीं है, चीन खà¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾ तंतà¥à¤° के आधार पर चलता है और तानाशाही शासन अपनी आलोचना करने वालों को ठिकाने लगाता है। हमारे पास लोकतंतà¥à¤° नामक à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ शसà¥à¤¤à¥à¤° है, जिसकी चीन के पास कोई काट नहीं है। वहां के लोगों की खातिर हमें चीन में लोकतंतà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की मांग à¤à¥€ करनी चाहिà¤, इससे चीन का मनोबल गिरेगा, हमें याद रखना चाहिठकि यà¥à¤¦à¥à¤§ केवल सीमा पर ही नहीं होता। यह देश के अंदर à¤à¥€ होता है।
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