शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ का मंदिर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ à¤à¤µà¤‚ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥
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Dr. Vivek AryaDate
19-Nov-2014Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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amitUpload Date
03-Feb-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
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- सनत गरू रविदास और आरय समाज
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बिहार के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जीतन राम मांà¤à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मधà¥à¤¬à¤¨à¥€ में à¤à¤• मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किये जाने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ मंदिर को धोकर उसका शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£ किया गया कà¥à¤¯à¥‚ंकि मांà¤à¥€ महादलित कहे जाने वाले समाज के सदसà¥à¤¯ हैं à¤à¤µà¤‚ शंकराचारà¥à¤¯ निशà¥à¤šà¤¾à¤²à¤¦à¤¾à¤¸ का बयान कि दलितों को मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ की धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में मनाही हैं हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के किसी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिया गया अतà¥à¤¯à¤‚त खेदपूरà¥à¤£ हैं। अगर
हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज का कोई सबसे बड़ा शतà¥à¤°à¥ हैं तो वह इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की पिछड़ी सोच हैं जो हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की à¤à¤•à¤¤à¤¾ औरसंगठन संगठन में सबसे बड़ी बाधक हैं। इसी मनोवृति के चलते लाखों हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤¾à¤ˆ सदा के लिठहिनà¥à¤¦à¥‚ समाज का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर विधरà¥à¤®à¥€ बन गà¤à¥¤ वेद, बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, दरà¥à¤¶à¤¨,उपनिषदॠआदि किसी à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में à¤à¤¸à¤¾ कहीं à¤à¥€ नहीं लिखा की दलितों को मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ निषेध हैं। इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण à¤à¥€ यही हैं कि वेदादि
शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में निराकार ईशà¥à¤µà¤° की उपासना का वरà¥à¤£à¤¨ हैं जिसके लिठकिसी मंदिर विशेष की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हमारे हृदय में आतà¥à¤®à¤¾ के à¤à¥€à¤¤à¤° ही संà¤à¤µ हैं। जहाठपर ईशà¥à¤µà¤° के चिंतन को न कोई रोक सकता हैं और न ही किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की आने-जाने कि मनाही हैं।
वेद आदि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के विषय में कथन को जानने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ इन धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इस समय सबसे अधिक हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करना इनका पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ करà¥à¤® हैं और जो खà¥à¤¦ अà¤à¤§à¤¾ होगा वह à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ किसी को मारà¥à¤— दिखायेगा।
वेदों में शूदà¥à¤° असà¥à¤ªà¥ƒà¤¶à¥à¤¯ अथवा हेय नहीं हैं अपितॠशूदà¥à¤° को तपसà¥à¤¯à¤¾, सतà¥à¤•à¤¾à¤°, पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿, शà¥à¤ करà¥à¤® करने का सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ उपदेश हैं।
1. तपसे शà¥à¤¦à¥à¤°à¤®- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 30/5
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤- बहà¥à¤¤ परिशà¥à¤°à¤®à¥€ ,कठिन कारà¥à¤¯ करने वाला ,साहसी और परम उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ तप को करने वाले आदि पà¥à¤°à¥à¤· का नाम शà¥à¤¦à¥à¤° हैं।
2. नमो निशादेà¤à¥à¤¯ – यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 16/27
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤- शिलà¥à¤ª-कारीगरी विदà¥à¤¯à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ जो परिशà¥à¤°à¤®à¥€ जन (शà¥à¤¦à¥à¤°/निषाद) हैं उनको नमसà¥à¤•à¤¾à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ उनका सतà¥à¤•à¤¾à¤° करे।
3. वारिवसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¾à¤¯à¥Œà¤·à¤§à¤¿à¤¨à¤¾à¤® पतये नमो- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 16/19
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤- वारिवसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¾à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ सेवन करने हारे à¤à¥ƒà¤¤à¥à¤¯ का (नम) सतà¥à¤•à¤¾à¤° करो।
4. रà¥à¤šà¤‚ शà¥à¤¦à¥à¤°à¥‡à¤·à¥- यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 18/48
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤- जैसे ईशà¥à¤µà¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ और शà¥à¤¦à¥à¤° से à¤à¤• समान पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ करता हैं वैसे ही विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लोग à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ और शà¥à¤¦à¥à¤° से à¤à¤• समान पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ करे।
5. पञà¥à¤š जना मम – ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पांचों के मनà¥à¤·à¥à¤¯ (बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ , कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯, शà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ अतिशूदà¥à¤° निषाद) मेरे यजà¥à¤ž को पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सेवें। पृथà¥à¤µà¥€ पर जितने मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं वे सब ही यजà¥à¤ž करें।
इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनेक पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ शà¥à¤¦à¥à¤° के तप करने के, सतà¥à¤•à¤¾à¤° करने के, यजà¥à¤ž करने के वेदों में मिलते हैं।
वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण से शà¥à¤¦à¥à¤° के उपासना से महान बनने के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£
मà¥à¤¨à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी कहते हैं की इस रामायण के पà¥à¤¨à¥‡ से ()सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से ) बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बड़ा सà¥à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾ ऋषि होगा, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¥‚पति होगा, वैशà¥à¤¯ अचà¥à¤›à¤¾ लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेगा और शà¥à¤¦à¥à¤° महान होगा। रामायण में चारों वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ के समान अधिकार देखते हैं देखते हैं। -सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤- पà¥à¤°à¤¥à¤® अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ अंतिम शà¥à¤²à¥‹à¤•
इसके अतिरिकà¥à¤¤ अयोधà¥à¤¯à¤¾ कांड अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ 63 शà¥à¤²à¥‹à¤• 50-51 तथा अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ 64 शà¥à¤²à¥‹à¤• 32-33 में रामायण को शà¥à¤°à¤µà¤£ करने का वैशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ दोनों के समान अधिकार का वरà¥à¤£à¤¨ हैं।
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ से शà¥à¤¦à¥à¤° के उपासना से महान बनने के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£
शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी कहते हैं -
हे पारà¥à¤¥ ! जो पापयोनि सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ , वैशà¥à¤¯ और शà¥à¤¦à¥à¤° हैं यह à¤à¥€ मेरी उपासना कर परमगति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। गीता 9/32
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में यकà¥à¤· -यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर संवाद 313/108-109 में यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कूल, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से दà¥à¤µà¤¿à¤œ नहीं बनता अपितॠकेवल आचरण से बनता हैं।
करà¥à¤£ ने सूत पà¥à¤¤à¥à¤° होने के कारण सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर में अयोगà¥à¤¯ ठह राये जाने पर कहा था- जनà¥à¤® देना तो ईशà¥à¤µà¤° अधीन हैं, परनà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤› का कà¥à¤› बन जाना मनà¥à¤·à¥à¤¯ के वश में हैं।
चारों वेदों का विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ , किनà¥à¤¤à¥ चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ शà¥à¤¦à¥à¤° से निकृषà¥à¤Ÿ होता हैं, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करने वाला जितेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ ही बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ कहलाता हैं- महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ वन परà¥à¤µ 313/111
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ और शà¥à¤¦à¥à¤° सà¤à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥à¤— पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं।महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ अनà¥à¤—ीता परà¥à¤µ 91/37
सतà¥à¤¯,दान, कà¥à¤·à¤®à¤¾, शील अनृशंसता, तप और दया जिसमें हो वह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ हैं और जिसमें यह न हों वह शà¥à¤¦à¥à¤° होता हैं। वन परà¥à¤µ 180/21-26
उपनिषदॠसे शà¥à¤¦à¥à¤° के उपासना से महान बनने के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£
यह शà¥à¤¦à¥à¤° वरà¥à¤£ पूषण अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पोषण करने वाला हैं और साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ इस पृथà¥à¤µà¥€ के समान हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि जैसे यह पृथà¥à¤µà¥€ सबका à¤à¤°à¤£ -पोषण करती हैं वैसे शà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¥€ सबका à¤à¤°à¤£-पोषण करता हैं। सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤- बृहदारणà¥à¤¯à¤• उपनिषदॠ1/4/13
वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से शà¥à¤¦à¥à¤° अथवा बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ होता हैं नाकि जनà¥à¤® गृह से।
सतà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤® जाबाल जब गौतम गोतà¥à¤°à¥€ हारिदà¥à¤°à¥à¤®à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿ के पास शिकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ होकर पहà¥à¤à¤šà¤¾ तो मà¥à¤¨à¤¿ ने उसका गोतà¥à¤° पूछा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उतà¥à¤¤à¤° दिया था की यà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¾ में मैं अनेक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सेवा करती रही। उसी समय तेरा जनà¥à¤® हà¥à¤†, इसलिठमैं नहीं जानती की तेरा गोतà¥à¤° कà¥à¤¯à¤¾ हैं। मेरा नाम सतà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤® हैं। इस पर मà¥à¤¨à¤¿ ने कहा- जो बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ न हो वह à¤à¤¸à¥€ सतà¥à¤¯ बात नहीं कर सकता। सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤- छानà¥à¤¦à¥‹à¤—à¥à¤¯ उपनिषदॠ3/4
आपसà¥à¤¤à¤®à¥à¤¬ धरà¥à¤® सूतà¥à¤° 2/5/11/10-11 – जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° धरà¥à¤® आचरण से निकृषà¥à¤Ÿ वरà¥à¤£ अपने से उतà¥à¤¤à¤® उतà¥à¤¤à¤® वरà¥à¤£ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता हैं जिसके वह योगà¥à¤¯ हो। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अधरà¥à¤® आचरण से उतà¥à¤¤à¤® वरà¥à¤£ वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने से नीचे वरà¥à¤£ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता हैं।
जो शà¥à¤¦à¥à¤° कूल में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होके बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के गà¥à¤£ -करà¥à¤®- सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वाला हो वह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बन जाता हैं उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ कूल में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होकर à¤à¥€ जिसके गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µ शà¥à¤¦à¥à¤° के सदृश हों वह शà¥à¤¦à¥à¤° हो जाता हैं- मनॠ10/65
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से वैदिक वांगà¥à¤®à¤¯ में शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को सà¤à¥€ अधिकार वैसे ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं जैसे बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ आदि अनà¥à¤¯ वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं फिर इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की बयानबाजी कर अपनी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करने में किसी का हित नहीं हैं। आशा हैं धरà¥à¤® की मà¥à¤²à¤à¥à¤¤ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ को समठकर हमारे धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करेंगे।
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