बैसाखी के अवसर पर हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के लिठसनà¥à¤¦à¥‡à¤¶
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Dr. Vivek AryaDate
13-Apr-2016Category
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मà¥à¤—ल शासनकाल के दौरान बादशाह औरंगजेब का आतंक बढ़ता ही जा रहा था। चारों और औरंगज़ेब की दमनकारी नीति के कारण हिनà¥à¤¦à¥‚ जनता तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ थी। सदियों से हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ताओं के à¤à¥à¤‚डों पर à¤à¥à¤‚डों का सामना करते हà¥à¤ अपना आतà¥à¤® विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ खो बैठा था। मगर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ थमने का नाम à¤à¥€ नहीं ले रहे थे। जनता पर हो रहे अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° को रोकने के लिठसिख पंथ के गà¥à¤°à¥ गोबिनà¥à¤¦ सिंह ने बैसाखी परà¥à¤µ पर आज ही के दिन आननà¥à¤¦à¤ªà¥à¤° साहिब के विशाल मैदान में अपनी संगत को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया। जहां गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ के लिठà¤à¤• तखà¥à¤¤ बिछाया गया और तखà¥à¤¤ के पीछे à¤à¤• तमà¥à¤¬à¥‚ लगाया गया। गà¥à¤°à¥ गोबिनà¥à¤¦ सिंह के दायें हाथ में नंगी तलवार चमक रही थी। गोबिनà¥à¤¦ सिंह नंगी तलवार लिठमंच पर पहà¥à¤‚चे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤²à¤¾à¤¨ किया- मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• आदमी का सिर चाहिà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¤¾ आप में से कोई अपना सिर दे सकता है? यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही वहां मौजूद सà¤à¥€ शिषà¥à¤¯ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•à¤¿à¤¤ रह गठऔर सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा गया। उसी समय दयाराम नामक à¤à¤• खतà¥à¤°à¥€ आगे आया जो लाहौर निवासी था और बोला- आप मेरा सिर ले सकते हैं। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ उसे पास ही बनाठगठतमà¥à¤¬à¥‚ में ले गà¤à¥¤ कà¥à¤› देर बाद तमà¥à¤¬à¥‚ से खून की धारा निकलती दिखाई दी। तंबू से निकलते खून को देखकर पंडाल में सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा गया। गà¥à¤°à¥ गोबिनà¥à¤¦ सिंह तंबू से बाहर आà¤, नंगी तलवार से ताजा खून टपक रहा था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने फिर à¤à¤²à¤¾à¤¨ किया- मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• और सिर चाहिà¤à¥¤ मेरी तलवार अà¤à¥€ à¤à¥€ पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ है। इस बार धरà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¸ नामक जाट आगे आये जो सहारनपà¥à¤° के जटवाडा गांव के निवासी थे। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ तमà¥à¤¬à¥‚ में ले गठऔर पहले की तरह इस बार à¤à¥€ थोड़ी देर में खून की धारा बाहर निकलने लगी। बाहर आकर गोबिनà¥à¤¦ सिंह ने अपनी तलवार की पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤• और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सिर की मांग की। इस बार जगनà¥à¤¨à¤¾à¤¥ पà¥à¤°à¥€ के हिमà¥à¤®à¤¤ राय à¤à¥€à¤‚वर (पानी à¤à¤°à¤¨à¥‡ वाले) खड़े हà¥à¤à¥¤ गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ तमà¥à¤¬à¥‚ में ले गठऔर फिर से तमà¥à¤¬à¥‚ से खून धारा बाहर आने लगी। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ पà¥à¤¨à¤ƒ बाहर आठऔर à¤à¤• और सिर की मांग की तब दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾ के यà¥à¤µà¤• मोहकम चनà¥à¤¦ दरà¥à¤œà¥€ आगे आà¤à¥¤ इसी तरह पांचवी बार फिर गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सिर मांगने पर बीदर निवासी साहिब चनà¥à¤¦ नाई सिर देने के लिठआगे आये। मैदान में इतने लोगों के होने के बाद à¤à¥€ वहां सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ पसर गया, सà¤à¥€ à¤à¤•-दूसरे का मà¥à¤‚ह देख रहे थे। किसी को कà¥à¤› समठनहीं आ रहा था। तà¤à¥€ तमà¥à¤¬à¥‚ से गà¥à¤°à¥ गोबिनà¥à¤¦ सिंह केसरिया बाना पहने पांचों नौजवानों के साथ बाहर आà¤à¥¤ पांचों नौजवान वहीं थे जिनके सिर काटने के लिठगà¥à¤°à¥ गोबिनà¥à¤¦ सिंह तमà¥à¤¬à¥‚ में ले गठथे। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ और पांचों नौजवान मंच पर आà¤, गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ तखà¥à¤¤ पर बैठगà¤à¥¤ पांचों नौजवानों ने कहां गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ हमारे सिर काटने के लिठहमें तमà¥à¤¬à¥‚ में नहीं ले गठथे बलà¥à¤•à¤¿ वह हमारी परीकà¥à¤·à¤¾ थी। तब गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ ने वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सिकà¥à¤–ों से कहा आज से ये पांचों मेरे पंज पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ हैं। गà¥à¤°à¥ गोविनà¥à¤¦ सिंह के महान संकलà¥à¤ª से खालसा की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° का सामना करने हेतॠसंगठित हà¥à¤†à¥¤ इतिहास की यह घटना का मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पकà¥à¤· अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है।
पञà¥à¤š पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में सà¤à¥€ जातियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ शामिल हà¥à¤ थे। इसका अरà¥à¤¥ यही था कि अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° का सामना करने के लिठहिनà¥à¤¦à¥‚ समाज को जात-पात मिटाकर संगठित होना होगा। तà¤à¥€ अपने से बलवान शतà¥à¤°à¥ का सामना किया जा सकेगा। खेद है की हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने गà¥à¤°à¥ गोविनà¥à¤¦ सिंह के सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ पर अमल नहीं किया। जात-पात के नाम पर बटें हà¥à¤ हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में संगठन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ शà¥à¤¨à¥à¤¯ हैं। गà¥à¤°à¥ गोविनà¥à¤¦ सिंह ने सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया कि कायरता à¤à¥‚लकर, सà¥à¤µà¤¬à¤²à¤¿à¤¦à¤¾à¤¨ देना जब तक हम नहीं सीखेंगे तब तक देश, धरà¥à¤® और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे। अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ में अवतार की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने से कोई लाठनहीं होने वाला। अपने आपको समरà¥à¤¥ बनाना ही à¤à¤• मातà¥à¤° विकलà¥à¤ª है। धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤•à¥‚ल वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, सदाचारी जीवन, अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾, वेदादि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ जीवन को सफल बनाने के à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° विकलà¥à¤ª हैं।
- आज हमारे देश में सेकà¥à¤¯à¥à¤²à¤°à¤¤à¤¾ के नाम पर, अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• के नाम पर, तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¤£ के नाम पर अवैध बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बसाया जा रहा हैं
- हज सबà¥à¤¸à¤¿à¤¡à¥€ दी जा रही है, मदरसों को अनà¥à¤¦à¤¾à¤¨ और मौलवियों को मासिक खरà¥à¤š दिया जा रहा हैं, आगे आरकà¥à¤·à¤£ देने की तैयारी हैं।
- वेद, दरà¥à¤¶à¤¨, गीता के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर क़à¥à¤°à¤¾à¤¨ और बाइबिल को आज के लिठधरà¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ बताया जा रहा हैं।
- हमारे अनà¥à¤¸à¤°à¤£à¥€à¤¯ राम-कृषà¥à¤£ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर साईं बाबा, ग़रीब नवाज, मदर टेरेसा को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया जा रहा हैं।
- ईसाईयों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ को सही और उसका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§ करने वालों को कटà¥à¤Ÿà¤° बताया जाता रहा हैं।
- गौरी-ग़जनी को महान और शिवाजी और पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª को à¤à¤—ोड़ा बताया जा रहा हैं।
- 1200 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• और निरà¥à¤®à¤® अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ कि अनदेखी कर बाबरी और गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ दंगों को चिलà¥à¤²à¤¾ चिलà¥à¤²à¤¾ कर à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ किया जा रहा हैं।
- हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° को पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ और जमीन में गाड़ने को सही ठहराया जा रहा हैं।
- दीवाली-होली को पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ और बकर ईद को तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° बताया जा रहा हैं।
- वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम, à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय बोलने पर आपतà¥à¤¤à¤¿ और कशà¥à¤®à¥€à¤° में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना को बलातà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ बताया जा रहा हैं।
- विशà¥à¤µ इतिहास में किसी à¤à¥€ देश, पर हमला कर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° न करने वाली हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज को अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ और समसà¥à¤¤à¥‡ विशà¥à¤µ में इसà¥à¤²à¤¾à¤® के नाम पर लड़कियों को गà¥à¤²à¤¾à¤® बनाकर बेचने वालों को शांतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ बताया जा रहा हैं।
- संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ को मृत और उसके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उरà¥à¤¦à¥‚, अरबी, हिबà¥à¤°à¥‚ और जरà¥à¤®à¤¨ जैसी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठको बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया जा रहा हैं।
हमारे देश, हमारी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾, हमारी आसà¥à¤¥à¤¾, हमारी शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता, हमारी विरासत, हमारी महानता, हमारे सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® इतिहास सà¤à¥€ को मिटाने के लिठसà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ षड़यंतà¥à¤° चलाया जा रहा हैं। गà¥à¤°à¥ गोविनà¥à¤¦ सिंह के पावन सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶- जातिवाद और कायरता का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने और संगठित होने मातà¥à¤° से हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज का हित संà¤à¤µ हैं।
आईये वैसाखी पर à¤à¤• बार फिर से देश, धरà¥à¤® और जाति की रकà¥à¤·à¤¾ का संकलà¥à¤ª ले।
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