पंडित चमूपति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अमर दयाननà¥à¤¦ का सà¥à¤¤à¤µà¤¨
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Manmohan Kumar AryaDate
23-May-2016Category
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25-May-2016Download PDF
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पंडित चमूपति आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विलकà¥à¤·à¤£ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सहित हिनà¥à¤¦à¥€, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€, उरà¥à¤¦à¥‚, अरबी व फारसी आदि अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। आपने कई à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अनेक पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना की है। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¥€ कराया, आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ पंजाब के उपदेशक व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• à¤à¥€ रहे। सोम सरोवर, चौदहवीं का चांद, जवाहिरे जावेद आदि आपकी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रचनायें हैं। सोम सरोवर à¤à¤¸à¥€ रचना है जिसका सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर पाठक इस वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की गंगा रूपी सोम सरोवर में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का सा à¤à¤°à¤ªà¥‚र आननà¥à¤¦ ले सकते हैं। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में आपका लिखा à¤à¤• à¤à¤• शबà¥à¤¦ अनमोल व पठनीय है जिसमें ईशà¥à¤µà¤°, वेद, व ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गहरी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤¾à¤µ à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ हैं। पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने पं. चमूपति जी की विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जीवनी ‘कविरà¥à¤®à¤¨à¥€à¤·à¥€ पं. चमूपति’ के नाम से लिखी है जिसने इस विà¤à¥‚ति को अमर कर दिया है। आज के इस संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ लेख में हम पं. चमूपति जी की ऋषि दयाननà¥à¤¦ को à¤à¤¾à¤µ à¤à¤°à¤¿à¤¤ दयाननà¥à¤¦ वनà¥à¤¦à¤¨ रूपी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि के कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। आप इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को पà¥à¥‡à¤‚गे तो यह दयाननà¥à¤¦ सà¥à¤¤à¤µà¤¨ आपकी ओर से ऋषि के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि होगी। इसे पà¥à¤•à¤° इसका आननà¥à¤¦ अवशà¥à¤¯ लें।
पं. चमूपति जी लिखते हैं कि आज केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही नहीं, सारे धारà¥à¤®à¤¿à¤• सामाजिक, राजनैतिक संसार पर दयाननà¥à¤¦ का सिकà¥à¤•à¤¾ है। मतों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ ने अपने मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बदल लिठहैं, धरà¥à¤® पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का संशोधन किया है, महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की जीवनियों में परिवरà¥à¤¤à¤¨ किया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का जीवन इन जीवनियों में बोलता है। ऋषि मरा नहीं करते, अपने à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के रूप में जीते हैं। दलितोदà¥à¤§à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¤¾à¤£ कौन है? पतित पावन दयाननà¥à¤¦à¥¤ समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° की जान कौन है? आदरà¥à¤¶ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• दयाननà¥à¤¦à¥¤ शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ कहां से आती है? गà¥à¤°à¥à¤µà¤° दयाननà¥à¤¦ के आचरण से। वेद का जय जयकार कौन पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¤¾ है? बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦à¥¤ माता आदि देवियों के सतà¥à¤•à¤¾à¤° का मारà¥à¤— कौन सिखाता है? देवी पूजक दयाननà¥à¤¦à¥¤ गोरकà¥à¤·à¤¾ के विषय में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° पर करूणा दिखाने का बीड़ा कौन उठाता है? करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ दयाननà¥à¤¦à¥¤
आओ ! हम अपने आप को ऋषि दयाननà¥à¤¦ के रंग में रंगें। हमारा विचार ऋषि का विचार हो, हमारा आचार ऋषि का आचार हो, हमारा पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° ऋषि का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हो। हमारी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• चेषà¥à¤Ÿà¤¾ ऋषि की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ हो। नाड़ी नाड़ी से धà¥à¤µà¤¨à¤¿ उठे - महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की जय।
पापों और पाखणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ से ऋषि राज छà¥à¥œà¤¾à¤¯à¤¾ था तूने।
à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ निराशà¥à¤°à¤¿à¤¤ जाति को, निरà¥à¤à¥€à¤• बनाया था तूने।।
बलिदान तेरा था अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ हो गई दिशाà¤à¤‚ गà¥à¤‚जित थी।
जन जन को देगा पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ वह दीप जलाया था तूने।।
हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है और अपने इस सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पर हमें गरà¥à¤µ है कि हम महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ मारà¥à¤— à¤à¤¹à¤¿à¤• व पारलौकिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ अथवा अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराता है। इसे यह à¤à¥€ कह सकते हैं कि वेद मारà¥à¤— योग का मारà¥à¤— है जिस पर चल कर धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥ काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। संसार की यह सबसे बड़ी समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• समà¥à¤ªà¤¦à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ तो नाशवान है परनà¥à¤¤à¥ दयाननà¥à¤¦ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिखाई व दिलाई गई यह समà¥à¤ªà¤¦à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ जीते जी तो सà¥à¤– देती ही हैं, मरने के बाद à¤à¥€ लाठही लाठपहà¥à¤‚चाती हैं। इसी के साथ लेखनी को विराम देते हैं।
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