वैदिक परिवार सà¥à¤–ी व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ परिवार
Author
Manmohan Kumar AryaDate
04-Jul-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
1148Total Comments
0Uploader
amitUpload Date
09-Jul-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
आदरà¥à¤¶ परिवार और सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ समाज की पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ रही है। हमें लगता है कि ईशà¥à¤µà¤° ने वेदों का जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया है उसमें इस बात को à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा गया है और इसके सà¤à¥€ समाधान वेद में निहित है, à¤à¤¸à¤¾ मानने के परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ आधार हैं। सà¤à¥€ मानते व जानते हैं कि आज हम हम वेदेां से कोसों दूर हैं। देश व विशà¥à¤µ की अधिकांश जनसंखà¥à¤¯à¤¾ ने तो वेदों का नाम à¤à¥€ नहीं सà¥à¤¨à¤¾ है। कà¥à¤› लोगों ने यदि सà¥à¤¨à¤¾ à¤à¥€ है तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों को देखा नहीं है। देखने से हमारा तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि वेदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से वह सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अपरिचित व अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं। वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ संवतॠके आधार पर हम पाते हैं कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ व मानव की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ को 1.96 अरब वरà¥à¤· हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। बहà¥à¤¤ से लोग यदि इसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° न à¤à¥€ करें तो रामायण à¤à¤µà¤‚ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ तथा अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को देखकर यह तो माना ही जा सकता है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ व मानव की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ को हजारों व लाखों वरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ से इतर पशà¥à¤šà¤¿à¤® व अनà¥à¤¯ देशों का इतिहास दो व तीन हजार वरà¥à¤· ही का जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है। हमारे पास महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² के बाद यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर जी से लेकर राजाओं की सूची है जिसमें उनके बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर राजà¥à¤¯ करने वाले राजाओं के नाम व उनके राजà¥à¤¯ की अवधि वरà¥à¤·, माह व दिनों में दी हà¥à¤ˆ है। इससे à¤à¥€ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल पांच हजार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से कà¥à¤› अधिक वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ हà¥à¤† था। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल में न तो हिनà¥à¤¦à¥‚, न कà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¨, और न मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®, बौदà¥à¤§ व जैन धरà¥à¤®-मत-पनà¥à¤¥ व ससà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ थी। तब केवल à¤à¤• और à¤à¤• ही धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ वैदिक नाम की थी, à¤à¤¸à¤¾ कह सकते है। यह धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ वेदों पर आधारित थी। यहां यह à¤à¥€ बता दें कि हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤®à¥€ कहा जाने वाला समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रचना के बाद असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया जिसमें बहà¥à¤¤ सी बातें वेदों की à¤à¥€ हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रचना कोई बहà¥à¤¤ अधिक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नहीं है। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के आधार पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बौदà¥à¤§ व जैन मत के बाद अब से लगà¤à¤— à¤à¤• हजार पूरà¥à¤µ का ही माना जा सकता है। कहने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल व उससे पूरà¥à¤µ के हजारों व लाखों नहीं वरनॠकरोड़ों से अधिक वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ से वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का à¤à¤• छतà¥à¤° राजà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ सहित समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ पर रहा है। आज के संसार के सà¤à¥€ लोगों के पूरà¥à¤µà¤œ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल व उसके अनेक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद तक वैदिक धरà¥à¤® के ही अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ थे, यह सिदà¥à¤§ होता है।
आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ आविषà¥à¤•à¤¾à¤° की जननी होती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में आविरà¥à¤à¤¾à¤µ के बाद परसà¥à¤ªà¤° पà¥à¤°à¥‡à¤® व सहयोग की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के साथ कटà¥à¤¤à¤¾ व शतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ के à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ होंगे परनà¥à¤¤à¥ वैदिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤µà¥à¤¥à¤¾ इतनी सकà¥à¤·à¤® थी कि उनका समाधान हमारे ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ व राजा मिलकर कर देते थे। इस लिठकोई à¤à¤¸à¤¾ समय नहीं आया कि जब यहां वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ किसी गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना की गई हो और उसे धरà¥à¤® माना गया हो। मानव धरà¥à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤° के रूप में जो मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है वह à¤à¥€ लगà¤à¤— सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से है जिसमें वेदों का समरà¥à¤¥à¤¨ à¤à¤µà¤‚ यशोगान है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने परीकà¥à¤·à¤¾ करके वेदों को सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• बताया है। अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने इसके पकà¥à¤· में गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना कर इसे सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ à¤à¥€ किया है। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ को यदि वेद के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ की अनà¥à¤¤à¤ƒà¤¸à¤¾à¤•à¥à¤·à¥€ के आधार पर निकाल दिया जाये तो जो शà¥à¤¦à¥à¤§ मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ बचती है वह आज à¤à¥€ उपयोगी व पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि अपने अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ का उदà¥à¤§à¤°à¤£ देकर उनकी महतà¥à¤¤à¤¾ को सिदà¥à¤§ किया है। उपलबà¥à¤§ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आधार पर यही कहा जा सकता है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक शासन और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का अधार वेद और मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ही रहे हैं। इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही हमारे ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ सà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का हल ढूंढ लिया करते थे और कहीं किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कोई कठिनाई नहीं हà¥à¤† करती थी।
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² के बाद समय ने करवट ली। दिन पर दिन पतन होता गया और आज à¤à¥€ यह किसी न किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ ही नहीं अपितॠनिरनà¥à¤¤à¤° जारी है। सारा विशà¥à¤µ आज अशानà¥à¤¤à¤¿ से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† है। कोई दिन नहीं जाता जब कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° सहित देश व विदेश में कहीं कोई अमानवीयता की अनेक घटनाओं की सूचनायें न मिलती हों। न केवल दो देशों में अचà¥à¤›à¥‡ संबंधों का अà¤à¤¾à¤µ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता है अपितॠइसके साथ देश और समाज सहित परिवार à¤à¥€ आज परसà¥à¤ªà¤° असहजता व अशानà¥à¤¤à¤¿ जैसी समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से धिरे हà¥à¤ हैं। यदि विशà¥à¤µ के लोग मिल कर आदरà¥à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯ और आदरà¥à¤¶ परिवार बना सकें तो संसार की पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का निराकरण हो जायेगा। यदि पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ नहीं होगा तो à¤à¥€ इसमें à¤à¤¾à¤°à¥€ कमी तो अवशà¥à¤¯ ही आयेगी। अतः विचार कर यह जानना बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है कि मधà¥à¤° पारिवारिक संबंध कैसे निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हो सकते हैं? इसका à¤à¤• सरल उतà¥à¤¤à¤° यह है कि यदि हम अपनी जीवन शैली वेदों पर आधारित बना लें तो इस समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान हो सकता है। इसी को समाज में गौरव दिलाने के लिठहमारे महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ व इसके पूरà¥à¤µ के ऋषि à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ रहते थे और ईसा की उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ में यही काम अपने समय के वेदों के सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व ऋषि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने किया था। इसी के निमितà¥à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी जिससे यह आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ जारी रहे और विशà¥à¤µ से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के विवादों को दूर कर परसà¥à¤ªà¤° पà¥à¤°à¥‡à¤®, मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ व सà¥à¤– शानà¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया जा सके
वेद कà¥à¤¯à¤¾ है? वेद वह ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाकर मानव को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के बाद सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¥à¤® पीà¥à¥€ के चार ऋषियों व अनà¥à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ सहित धरà¥à¤®-अधरà¥à¤® के निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ हेतॠदिया था। चार ऋषियों से यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी व अनà¥à¤¯ लोगों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† और परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी और आज हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। महरà¥à¤·à¤¿ मनॠने कहा है कि वेद समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ धरà¥à¤® का मूल है। धरà¥à¤® करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को कहते हैं। वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व सरà¥à¤µà¤—à¥à¤£ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ बनाती है। इतिहास में शà¥à¤°à¥€ राम, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, शà¥à¤°à¥€ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर जी सहित महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी को देखते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम अपने समय की वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं की धारक जीवित मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कह सकते हैं। यदि हम à¤à¥€ वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करें और उनकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को धारण करें तो हम à¤à¥€ महानपà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान बन सकते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने अपने साहितà¥à¤¯ में à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर कहा है कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ नहीं हो सकते परनà¥à¤¤à¥ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¤à¥€ हो सकते हैं। घारà¥à¤®à¤¿à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ का अरà¥à¤¥ है सतà¥à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को धारण किये हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ न तो कà¤à¥€ किसी पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करता है और यदि उस पर दूसरा कोई अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करता है तो वह उसका सà¥à¤§à¤¾à¤° करता है और यदि नहीं सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ तो फिर उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है। वेदों में सबसे पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤•, धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° यथायोगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करने की शिकà¥à¤·à¤¾ है जिसे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के नियमों में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया है। वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को जानकर आचरण करने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अवशà¥à¤¯ करता है और अपने जीवन के दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ को छोड़ने का वà¥à¤°à¤¤ à¤à¥€ लेता है। ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª व उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥‹à¤‚ पर विचार कर अपने गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को ईशà¥à¤µà¤° के अनà¥à¤°à¥‚प बनाना। यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं करता तो उसका वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ है।
वेदाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ करता है। इससे वायॠव जल की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सहित मन, मानसिक विचार, चिनà¥à¤¤à¤¨ तथा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ शà¥à¤¦à¥à¤§ व पवितà¥à¤° होते हैं। यजà¥à¤ž करने से रोगों का निवारण होता है, मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहता है व इससे आयॠमें वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। यह यजà¥à¤ž à¤à¤• पà¥à¤°à¥€à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ वा बचाव का कारà¥à¤¯ है जिससे नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के रोगों से बचा जा सकता है।
ALL COMMENTS (0)