सविधान पर à¤à¤¾à¤°à¥€ है, à¤à¥‚त-पà¥à¤°à¥‡à¤¤!
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Rajeev ChoudharyDate
20-Aug-2016Category
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HindiTotal Views
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amitUpload Date
23-Aug-2016Download PDF
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धरà¥à¤® की आड़ में पाखंडियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नारी का शोषण अà¤à¥€ à¤à¥€ जारी है, परनà¥à¤¤à¥ पता नही किस लालसा में सतà¥à¤¤à¤¾ और सरकारी तंतà¥à¤° मौन है| पर दà¥à¤–द अà¤à¥€ à¤à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं के नाम पर तो कà¤à¥€ चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की आशा में à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ लोग अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की चपेट में आते रहते है| आरà¥à¤¯ समाज आवाज अपनी आवाज मà¥à¤–र करें तो ये पाखंडी à¤à¤• सà¥à¤° में आरोप लगाते है कि आरà¥à¤¯ समाज à¤à¤—वान को नहीं मानता| किनà¥à¤¤à¥ इससे à¤à¥€ बड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो तब होता है जब खà¥à¤¦ को पà¥à¤¾ लिखा समà¤à¤¨à¥‡ वाले लोग परंपराओं के नाम पर अंधमानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को लेकर खासे गंà¤à¥€à¤° दिखाई देते हैं। आज ही दैनिक à¤à¤¾à¤¸à¥à¤•à¤° समाचार पतà¥à¤° की यह खबर पà¥à¤•à¤° बड़ा दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† कि आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के इस परिवेश में à¤à¥€ लोग अà¤à¥€ à¤à¥€ आदिम रूà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साये में जी रहे हैं। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¥€à¤²à¤µà¤¾à¥œà¤¾ जिले के आसिंद के नजदीक बंकà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾à¤£à¥€ माता मंदिर यहां हर शनिवार और रविवार को हजारों à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के हà¥à¤œà¥‚म के बीच 200-300 महिलाओं को à¤à¤¸à¥€ यातनाओं से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ता है, जिसे देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पीठऔर सिर के बल रेंगकर ये महिलाà¤à¤‚ 200 सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से इसलिठनीचे उतरती हैं, ताकि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कथित à¤à¥‚त से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिल जाà¤à¥¤ इतना ही नहीं सफेद संगमरमर की सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ गरà¥à¤®à¥€ में à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ की तरह गरà¥à¤® हो जाती हैं। कपड़े तार-तार हो जाते हैं। शरीर जखà¥à¤®à¥€ हो जाता है। सिर और कोहनियों से खून तक बहने लगता है। किसà¥à¤¸à¤¾ यहीं खतà¥à¤® नहीं होता। इसके बाद महिलाओं को चमड़े के जूतों से मारा जाता है। मà¥à¤‚ह में गंदा जूता पकड़कर दो किमी चलना पड़ता है। उसी गंदे जूते से गंदा पानी तक पिलाया जाता है जबकि कà¥à¤‚ड का पानी इतना गंदा होता है कि हाथ à¤à¥€ नहीं धो सकते है। वो à¤à¥€ à¤à¤•-दो बार नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ पूरे सात बार पिलाया जाता है। à¤à¤¾à¥œà¤«à¥‚ंक करने ओà¤à¤¾ यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखता है कि महिला पानी पी रही है या नहीं। यदि नहीं पीती है तो जबरदसà¥à¤¤à¥€ की जाती है। पूरे वकà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° महिलाà¤à¤‚ चीख-चीखकर ये कहती हैं कि उन पर à¤à¥‚त-पà¥à¤°à¥‡à¤¤ का साया नहीं, वो बीमार हैं, लेकिन किसी पर कोई असर नहीं होता। छह-सात घंटे तक महिलाओं को यातनाà¤à¤‚ सहनी पड़ती हैं।
यह à¤à¤• जगह की कहानी नहीं है| ना à¤à¤• हादसा| बलà¥à¤•à¤¿ देश के अनेक राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सालों से à¤à¤¸à¥€ परंपराà¤à¤‚ चली आ रही हैं, जिनका पालन करने में लोग खासी गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ दिखाते हैं। जहां à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ à¤à¤µà¤‚ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हावी होती जा रही है, वहीं आज के कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टराइजà¥à¤¡ यà¥à¤— में à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ समाज अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ दकियानूसी के जाल से मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं हो पाया है। देश के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में जादू-टोना, काला जादू, डायन जैसे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का महतà¥à¤µ अà¤à¥€ à¤à¥€ बना हà¥à¤† है। आज के आधà¥à¤¨à¤¿à¤• माहौल में à¤à¥€ देश के पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¤° राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में महिलाओं को पीट-पीट कर मार डालने जैसी हà¥à¤°à¤¦à¤¯ वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ कर देने वाली घटनाà¤à¤‚ जारी हैं। इन महिलाओं में अधिकांश विधवा या अकेली रहने वाली महिलाà¤à¤‚ शामिल होती हैं। हालांकि इन महिलाओं का लकà¥à¤·à¥à¤¯ किसी को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चाना नहीं होता है, पर किसी कारण यदि ओà¤à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी महिला को डायन करार दे दिया तो इसके बाद उसके शारीरिक शोषण का सिलसिला शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है। ओà¤à¤¾ इन महिलाओं को लोहे के गरà¥à¤® सरिठसे दागते हैं, उनकी पिटाई करते हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गंजा करते हैं और फिर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नंगा कर गांव में घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है। यहां तक कि इस कथित डायन महिला को मल खाने के लिठà¤à¥€ विवश किया जाता है।
इन राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में बिहार, à¤à¤¾à¤°à¤–ंड, मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, असम, पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल आदि पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रूप से शामिल हैं विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤•à¥‹à¤‚ का मानना है कि आदिवासी-बहà¥à¤² राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ दर का कम होना à¤à¥€ अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण है। यहां महिलाओं की शिकà¥à¤·à¤¾ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिठजाने की जरूरत है। हालाà¤à¤•à¤¿ ये ओà¤à¤¾ महिलाओं को à¤à¥‚त-पà¥à¤°à¥‡à¤¤ का शिकार बताकर अचà¥à¤›à¥€ रकम à¤à¤‚ठते हैं। ओà¤à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ औरत दोनों हो सकते हैं। गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोग किसी बीमारी से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाने के लिठडॉकà¥à¤Ÿà¤° पर कम, इन ओà¤à¤¾à¤“ं पर अधिक विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते हैं। ये ओà¤à¤¾ इन लोगों की बीमारी का जादू-टोने के माधà¥à¤¯à¤® से इलाज का दावा करते हैं। कà¥à¤› समय पहले ही पà¥à¤°à¥€ जिले में à¤à¤• यà¥à¤µà¤• ने अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर रोग से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाने के लिठअपनी जीठकाटकर à¤à¤—वान शिव को चढा दी। उडीसा के à¤à¤• आदिवासी गांव की आरती की कहानी तो और à¤à¥€ दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• है। कई वरà¥à¤· पहले à¤à¤• ओà¤à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आरती की हतà¥à¤¯à¤¾ का मामला सà¥à¤°à¥à¤–ियों में आया था। जादू-टोने के सिलसिले में आरती का इस ओà¤à¤¾ के यहां आना-जाना था। à¤à¤• दिन ओà¤à¤¾ ने जब आरती के साथ शारीरिक संबंध बनाने की इचà¥à¤›à¤¾ जाहिर की तो आरती ने इसका विरोध किया। उसके इनकार के बाद इस ओà¤à¤¾ ने आरती के साथ बलातà¥à¤•à¤¾à¤° किया और बाद में उसकी हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी थी।
इसमें अकेला अशिकà¥à¤·à¤¾ का à¤à¥€ दोष नहीं है दरअसल जिस देश के नेतागण ही अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ में जी रहे हो उस देश का कà¥à¤¯à¤¾ किया जा सकता है? कई रोज पहले की ही घटना ले लीजिये करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ सिदà¥à¤§à¤¾à¤°à¤®à¥ˆà¤¯à¤¾ की गाड़ी पर à¤à¤• कौआ बैठगया जिसके बाद उस कौवे को शनि का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• मानते हà¥à¤ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ के लिठनई गाड़ी खरीदने का आदेश जारी कर दिया गया| यहीं नही यदि बात पà¥à¥‡ लिखे वरà¥à¤— की करे तो सोशल मीडिया पर कोबरा सांप की, साईं बाबा या बनà¥à¤¦à¤° आदि की फोटो, डालकर उस पर लिखा होता है जलà¥à¤¦à¥€ लाइक करने से बिगड़े काम बनेगे और देश का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ उसपर हजारों लाइक मिलते है ये लाइक करने वाले कोई विदेशी नहीं वरन अपने ही देश के पà¥à¥‡ लिखे लोग होते है| अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने निराधार साबित कर दिया है| आरà¥à¤¯ समाज ने धारà¥à¤®à¤¿à¤• पाखंडों की अंधेरी गलियों से ठोस व तारà¥à¤•à¤¿à¤• आधार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बाहर निकालने के लिठरासà¥à¤¤à¥‡ बता दिà¤| लेकिन इसके बाद à¤à¥€ पोंगापंथी धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं ने अपने धारà¥à¤®à¤¿à¤• अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठसचाई को ही सूली पर चà¥à¤¾ दिया| हमें यह कहने को मजबूर होना पड़ रहा है कि परीकà¥à¤·à¤¾ में पेपर खराब हो जाने का डर हो या वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° में घाटे का या फिर परिवार के किसी सदसà¥à¤¯ की गंà¤à¥€à¤° बीमारी का डर, कमजोर इंसान आज à¤à¥€ à¤à¤—वान, मंदिर या फिर किसी धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥ की शरण में पहà¥à¤‚च जाता है और शायद इसलिठतथाकथित बाबा, ओà¤à¤¾, ढोंगी धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥ लोगों को बेवकूफ बना कर उन से करोड़ों रà¥à¤ªà¤ बटोरने में कामयाब हो जाते हैं| जो इनके चकà¥à¤•à¤° में à¤à¤• बार आ जाता है वह à¤à¤• बार लà¥à¤Ÿ जाने पर बार-बार जà¥à¤†à¤°à¥€ की तरह लà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ की आदत सी बन जाती है| सरकारों को इस तरह कृतà¥à¤¯ को धारà¥à¤®à¤¿à¤• अपराध के शोषण शारीरिक की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में लाया जाना चाहिà¤| महिलाओं के अधिकार पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली महिला आयोग à¤à¤¸à¥‡ गंà¤à¥€à¤° मामलों पर चà¥à¤ª कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पाई जाती है? सविंधान कहता है यदि किसी महिला को लगातार 20 या 30 सेकंड से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देखा जाता है तो वो छेड़छाड के दायरे में आता है किनà¥à¤¤à¥ à¤à¥€à¤²à¤µà¤¾à¤¡à¤¾ में जूतों से पानी पिलाने, पिटाई करने के और ढोंगी बाबाओं के महिला उतà¥à¤ªà¥€à¤¡à¤¨ के कृतà¥à¤¯ को चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª देखने की सविंधान और राजà¥à¤¯ सरकारों की कà¥à¤¯à¤¾ मजबूरी है?
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