‘वेद, ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• वरणीय जीवन: डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤°â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
29-Oct-2016Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
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६ अकà¥à¤Ÿà¥‚बर २०१६ को दिवंगत
ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के बहà¥à¤®à¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के धनी शीरà¥à¤·à¤¸à¥à¤¥ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। आप आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤—लà¥à¤ वकà¥à¤¤à¤¾, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित लेखक, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•, पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, वेद-पारायण यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¤à¥à¤µ करने वाले यजà¥à¤ž मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž, धरà¥à¤®à¥‹à¤ªà¥‡à¤¦à¥‡à¤¶à¤•, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•, पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ उपदेशक सहित à¤à¤µà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के धनी à¤à¥€ थे। परोपकारिणी सà¤à¤¾ से आप अनेक दशकों से जà¥à¤¡à¥‡ हà¥à¤ थे और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सà¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ पद को सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ कर रहे थे। वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से आप दयाननà¥à¤¦ कालेज, अजमेर के शिकà¥à¤·à¤• सहित अनेक दायितà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पदों पर कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ रहे। माह सितमà¥à¤¬à¤°-अकà¥à¤¤à¥‚बर, 2016 के लगà¤à¤— दस-बारह दिनों के अलà¥à¤ªà¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• रोग के बाद अचानक 6 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 2016 को आपकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। इस समाचार से सारा आरà¥à¤¯ जगत सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ है। परोपकारिणी सà¤à¤¾, अजमेर से जà¥à¥œà¤•à¤° अपने कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में आप इसे उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के शिखर पर ले गये। सà¤à¤¾ के ऋषि उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² व गोशाला की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ व संचालन सहित आचारà¥à¤¯ सतà¥à¤¯à¤œà¤¿à¤¤à¥ आरà¥à¤¯, आचारà¥à¤¯ सोमदेव जी, विषà¥à¤µà¤™à¥à¤— जी और आचारà¥à¤¯ करà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी जैसे उचà¥à¤š कोटि के ऋषिà¤à¤•à¥à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ आदि की अपनी गतिविधियां संचालित करने का आपने सà¥à¤…वसर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया। आपके चले जाने से आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में जो रिकà¥à¤¤à¤¤à¤¾ आई है उसकी पूरà¥à¤¤à¤¿ होना समà¥à¤à¤µ नहीं दीखता। यह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ à¤à¤µà¤‚ डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी के परिवार की à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ है जिसका शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤£à¤¨ नहीं किया जा सकता। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का शायदॠयह इतिहास ही रहा है कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ सहित इसके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. लेखराम जी, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, महाशय राजपाल आदि अचानक ही मृतà¥à¤¯à¥ का गà¥à¤°à¤¾à¤¸ बने।
डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी का जनà¥à¤® 20 अगसà¥à¤¤ सनॠ1946 को पं. à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ आरà¥à¤¯ के घर उदà¥à¤—ीर महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में हà¥à¤† था। आपके पिता दृॠआरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€, कवि à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी थे। धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी को 10 वरà¥à¤· की आयॠमें गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² à¤à¤œà¥à¤œà¤° में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤ कराया गया। वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ की उपाधि गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने के बाद आप आगे अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठगà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगड़ी चले आये। यहां आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करके बीà¤.à¤à¤®.à¤à¤¸. की उपाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की। इसके बाद संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ और साहितà¥à¤¯ में अधिक रà¥à¤šà¤¿ होने के कारण à¤à¤®.à¤. संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ लिया। आपने यह परीकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ की। डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी हंसमà¥à¤–, विनोदी, सरल और निशà¥à¤›à¤² सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे। सनॠ1974 में आप दयाननà¥à¤¦ कालेज, अजमेर में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• नियà¥à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤à¥¤ कà¥à¤› वरà¥à¤· बाद अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ के साथ-साथ आपने पंजाब विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ चंडीगॠमें दयाननà¥à¤¦ शोधपीठसे डा. à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€à¤²à¤¾à¤² à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ में पी-à¤à¤š.डी. की उपाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की। सनॠ1975 में दयाननà¥à¤¦ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• और संचालक पंडित à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° नाथ जी (महातà¥à¤®à¤¾ वेदà¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ जी) की जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ जी के साथ आपका विवाह हà¥à¤†à¥¤ नोबेल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ शà¥à¤°à¥€ कैलाश सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जी आपके रिशà¥à¤¤à¥‡ में साढू हैं। सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के रूप में आपको सà¥à¤¯à¤¶, सà¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¾ और निमिषा नाम की तीन संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¤à¥€ पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¤‚। डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी का à¤à¤• संकलà¥à¤ª था। वे बचपन से ही अपनी तीनों पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से केवल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में बात करते थे। इस संकलà¥à¤ª का उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आजीवन निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ किया। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾ परोपकारिणी सà¤à¤¾ के साथ वह आज से चालीस वरà¥à¤· पहले जà¥à¥œà¥‡ थे। आपने इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सà¤à¤¾ के सदसà¥à¤¯, उपमंतà¥à¤°à¥€, संयà¥à¤•à¥à¤¤ मंतà¥à¤°à¥€, मंतà¥à¤°à¥€, कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ और पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ रहकर अपनी बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ सेवायें पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कीं। सतà¥à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ ा, परिशà¥à¤°à¤®, लगà¥à¤¨à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾, करà¥à¤®à¤ ता, निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ, निषà¥à¤•à¤¾à¤®à¤¤à¤¾, धैरà¥à¤¯ और समरà¥à¤ªà¤£ के à¤à¤¾à¤µ आपके जीवन के आधार सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ व मूल मंतà¥à¤° थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आपके जीवन व वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को समूचे आरà¥à¤¯à¤œà¤—त का पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बनाया।
परोपकारिणी सà¤à¤¾ के मंतà¥à¤°à¥€ के रà¥à¤ª में आपने जब कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° संà¤à¤¾à¤²à¤¾ था तब ऋषि उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में à¤à¤µà¤¨ के नाम पर केवल à¤à¤• सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¤µà¤¨ था। उसके बाद आपने उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ परिसर में कई मंजिलों वाले अनेक à¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया। ऋषि उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² à¤à¤µà¤‚ गोशाला का शà¥à¤°à¥€à¤—णेश किया। विरकà¥à¤¤ साधà¥-संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और बà¥à¤°à¤¹à¤®à¥à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को निःशà¥à¤²à¥à¤• रहने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। यहां à¤à¤¸à¥‡ अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ आचारà¥à¤¯ रहते हैं, जो वेद और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯ को देश और विदेश में लगातार गति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर रहे हैं। आपने पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ के काम में विशेष गति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। परोपकारिणी सà¤à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ और यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚, इतर वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अनेक वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ संखà¥à¤¯à¤¾ में कराया है। आसà¥à¤¥à¤¾ टीवी चैनल के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी के सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक होता रहा है। आप परोपकारी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के तीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ अधिक समय से अवैतनिक समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• रहे। जब आपने इसका कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¾ था तो इसकी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° संखà¥à¤¯à¤¾ 400 से 500 के बीच थी और अब लगà¤à¤— पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ हजार की संखà¥à¤¯à¤¾ में इसे पाकà¥à¤·à¤¿à¤• रूप से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया जा जाता है। इन उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मà¥à¤–à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤¯ आपके संकलà¥à¤ªà¥‹à¤‚, निरà¥à¤£à¤¯à¥‹à¤‚ व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ही है। डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ था। आपकी वाणी मधà¥à¤°, मोहक, शà¥à¤¦à¥à¤§, सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ और ओजसà¥à¤µà¥€ थी। आपका परिधान सादा, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और उजà¥à¤œà¤µà¤² होता था। आप शà¥à¤µà¥‡à¤¤ धोती कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ पहनने का संकलà¥à¤ª लिठहà¥à¤ थे। पà¥à¤°à¤–र वकà¥à¤¤à¤¾ थे। आप निरà¥à¤à¥€à¤• और ओजसà¥à¤µà¥€ लेखक और पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° थे। आपका जीवन महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦, वेद और आरà¥à¤¯ समाज के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ था। सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ आपको छू तक नहीं गया था और परारà¥à¤¥ अपका लकà¥à¤·à¥à¤¯ था। मानवता के आप सचà¥à¤šà¥‡ उपासक थे।
धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की विचारधारा का अपने निजी जीवन में à¤à¥€ पूरा पूरा पालन किया। आपने अपनी तीनों पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विवाह जाति बनà¥à¤§à¤¨ तोड़कर किये। इस पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते हà¥à¤ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¤¾. जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी कहते हैं कि अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के विवाह जाति बनà¥à¤§à¤¨ तोड़कर करने की बात करना सरल परनà¥à¤¤à¥ विवाह करना कठिन है। डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी जातिवाद, पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤µà¤¾à¤¦ की सोच से बहà¥à¤¤ ऊपर थे। निडरता व ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ गà¥à¤£ आपको बपौती से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ थे। आपके पिता शà¥à¤°à¥€ पं. à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ जी की सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¤¾ व धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ ा को मराठवाड़ा के सब आरà¥à¤¯ जानते व मानते थे।
आज डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी हमारे मधà¥à¤¯ में नहीं है। वह इस मरà¥à¤¤à¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• से जा चà¥à¤•à¥‡ हैं तथापि उनके कारà¥à¤¯ और लिखित साहितà¥à¤¯ तथा आडियो व वीडियोजॠसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ व उपलबà¥à¤§ हैं जो वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते हैं व करेंगे। हमें आशा है कि निकट à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में उनके जीवन व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर कà¥à¤› पठनीय पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ होगा। कई आरà¥à¤¯ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उन पर विशेषांक à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कर रही हैं। हमें यदा-कदा इ स समसà¥à¤¤ सामगà¥à¤°à¥€ का अवलोकन व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते रहना चाहिये। हमें लगता है कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में जो लोग उनके समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये हैं, वह तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद रखेंगे ही।
मृतà¥à¤¯à¥ के पूरà¥à¤µ वह किसी से संवाद नहीं कर सके। डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹ को हाथ से संकेत करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धैरà¥à¤¯ रखने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करते रहे। डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी ने जो शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ वचन आदि णà¥à¤ ागà¥à¤° कर रखे थे, उसका वह चलते-फिरते व यातà¥à¤°à¤¾ आदि करते हà¥à¤ पारायण करते रहते थे। मृतà¥à¤¯à¥ से पूरà¥à¤µ देह-तà¥à¤¯à¤¾à¤— के समय तक वह कà¥à¤› बड़बड़ाते रहे। रेलयातà¥à¤°à¤¾ के बाद असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² जाते समय कह रहे थे ‘ले चलो हमें दयाननà¥à¤¦ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर’। सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से ऋषि उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लाते समय à¤à¥€ सेवकों को यही कहते थे ‘मà¥à¤à¥‡ ऋषि उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं, शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ ले चलो।‘ मृतà¥à¤¯à¥ के बाद उनका दाह करà¥à¤® उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर किया गया जहां महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का किया गया था।
डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ व परमारà¥à¤¥ के पà¥à¤¤à¤²à¥‡ थे। उनका जीवन अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ घटनापूरà¥à¤£ रहा। यदि वह अपनी आतà¥à¤® कथा लिख जाते तो अचà¥à¤›à¤¾ होता। हमें उसे पà¥à¤•à¤° उनसे समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ बहà¥à¤¤ से तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानने का अवसर मिलता। यदि समà¥à¤à¤µ हो तो उनके जीवन के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों का संगà¥à¤°à¤¹ कर उसका पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ किया जाना चाहिये जैसा कि पं. लेखराम रचित ऋषि के जीवन में किया गया है। आरà¥à¤¯ समाज के पूजनीय विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ उनके निकट रहे हैं। वह यदि डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी विषयक अपने सà¤à¥€ संसà¥à¤®à¤°à¤£ लेखबदà¥à¤§ कर दें तो यह उतà¥à¤¤à¤® कारà¥à¤¯ होगा।
डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी ने परोपकारिणी सà¤à¤¾ को à¤à¤• नई पहचान दी। ऋषि उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में नये à¤à¤µà¤¨ बने, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का सतà¥à¤•à¤¾à¤° होने लगा। गोशाला के संचालन के साथ सà¤à¤¾ में आचारà¥à¤¯ सतà¥à¤¯à¤œà¤¿à¤¤à¥ आरà¥à¤¯ जी का निवास व गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² का संचालन à¤à¥€ सà¤à¤¾ की महनीय गतिविधियां रही हैं। परोपकारी मासिक पतà¥à¤° का तो मासिक से पाकà¥à¤·à¤¿à¤• होना और कà¥à¤› सौ की पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ संखà¥à¤¯à¤¾ से सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ का सà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना आपके कà¥à¤¶à¤² दिशा-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ का ही परिणाम कहा जा सकता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित विगत कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में पं. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ वेदोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ कृत अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ à¤à¥€ परोकारिणी सà¤à¤¾ के सà¥à¤¤à¥à¤¤à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ हैं जिनका मà¥à¤–à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤¯ आपको ही है। परोपकारी पाकà¥à¤·à¤¿à¤• में आपका लगà¤à¤— तीन पृषà¥à¤ ों का समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• अंक में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होता था। विषय की जो सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ और अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आपके समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ में होती थी वह हमें अनà¥à¤¯ किसी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ में पà¥à¤¨à¥‡ को नहीं मिलती थी। कà¥à¤› वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ पं. कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¥€à¤œ वेदालंकार के आरà¥à¤¯à¤œà¤—त में समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ à¤à¥€ अति रà¥à¤šà¤¿à¤•à¤° होते थे। इसका यह पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था कि जब à¤à¥€ परोपकारी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ आती थी तो हम उसमें समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ और जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी का ‘कà¥à¤› तड़प-कà¥à¤› à¤à¥œà¤ª’ लेखों को पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤¤à¥‡ थे। अकà¥à¤¤à¥‚बर, 2016 के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ अंक में à¤à¥€ ‘यजà¥à¤ž की वेदी पर पाखणà¥à¤¡ के पॉव’ शीरà¥à¤·à¤• समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ पà¥à¤¨à¥‡ को मिला। अब आगे से यह शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला टूट गई है जिसका हमें दà¥à¤ƒà¤– है। यदि परोपकारी में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ आपके सà¤à¥€ लेखों का à¤à¤• संगà¥à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कर दिया जाये तो यह उतà¥à¤¤à¤® कारà¥à¤¯ होगा। à¤à¤• ओर जहां इन सà¤à¥€ लेखों की रकà¥à¤·à¤¾ होगी वहीं हमारे शोध छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ कà¥à¤› विशष पà¥à¤¨à¥‡ व सीखने को मिलेगा। हमारे पतà¥à¤°-पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• à¤à¥€ इससे शिकà¥à¤·à¤¾ लेकर अपने समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¥à¤§à¤¾à¤° कर सकते हैं। 40-45 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बनने के बाद से परोपकारी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ हमारी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ रही है। हमने तà¤à¥€ से इसे व अनà¥à¤¯ कà¥à¤› पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं को वरà¥à¤· à¤à¤° के अंकों को बाइणà¥à¤¡ कराकर रखना आरमà¥à¤ कर दिया था। बीच में à¤à¤• बार यह शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला टूट गई थी परनà¥à¤¤à¥ इसके बाद हमने इसे पà¥à¤¨à¤ƒ आरमà¥à¤ कर दिया था। आज हमारे पास परोपकारी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ साहितà¥à¤¯ à¤à¥€ à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ी पूंजी के रूप में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है जिसे कà¥à¤› समय बाद हमें à¤à¥€ किसी योगà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ को सौंपना है जहां इसकी रकà¥à¤·à¤¾ होने के साथ अधिक से अधिक लोग इसका लाठउठा सकें।
डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी तीन पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पिता à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ गृहसà¥à¤¥à¥€ थे। हर गृहसà¥à¤¥à¥€ की इचà¥à¤›à¤¾ होती है कि उसका अपना घर हो परनà¥à¤¤à¥ वह इस इचà¥à¤›à¤¾ में फंसे नहीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना कोई घर नहीं बनाया। आप आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ व आयोजनों में उपदेशों व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठजाते थे परनà¥à¤¤à¥ आपने कà¥à¤› अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ की तरह कà¤à¥€ अपनी दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ और यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤¾ न तय किये और न किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कहीं किसी से मांग की। इस विषय में पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी कहते हैं कि ‘धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी ने घर नहीं बनाया। अपने लिठकà¤à¥€ कà¥à¤› नहीं मांगा। न दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ मांगते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा गया और न ही मारà¥à¤— वà¥à¤¯à¤¯ की कहीं मांग की। घर घाट बनाने, धन कमाने की कतई चिनà¥à¤¤à¤¾ नहीं की। जो कà¥à¤› कहीं से मिला, चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª सà¤à¤¾ को à¤à¥‡à¤‚ट करते रहे।’ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने बताया है कि ‘वह ईशà¥à¤µà¤° से कोई à¤à¤¸à¤¾ वरदान लेकर आये थे कि वह निरनà¥à¤¤à¤° नया-नया इतिहास रचते रहे। जहां à¤à¥€ हाथ लगाया, à¤à¤• सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रच दी। धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की चाकरी नहीं करना चाहते थे, वह धà¥à¤¯à¤¯à¥‡à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ थे। इतिहास में à¤à¤¸à¥‡ दृॠनिशà¥à¤šà¤¯ वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पाते हैं।’ 5 अकà¥à¤¤à¥‚बर को मृतà¥à¤¯à¥ से पूरà¥à¤µ की रातà¥à¤°à¤¿ उनका सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ चिनà¥à¤¤à¤¾à¤œà¤¨à¤• था। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² का बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ योगेनà¥à¤¦à¥à¤° आरà¥à¤¯ रातà¥à¤°à¤¿ को उनकी सेवा व देखà¤à¤¾à¤² कर रहा था। देर रातà¥à¤°à¤¿ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ को कहा, ‘आप मेरी चिनà¥à¤¤à¤¾ न करें। आप सो जायें। आप विशà¥à¤°à¤¾à¤® करें।’ à¤à¤¸à¥‡ संसà¥à¤•à¤¾à¤° व à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कà¥à¤› विरले महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में ही देखने को मिलता है।
आचारà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ निराला था। आपके पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ वाले शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं की संखà¥à¤¯à¤¾ दो-तीन, सहसà¥à¤° व सहसà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤• हो, आपको इसकी कोई चिनà¥à¤¤à¤¾ नहीं होती थी। आप पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· कà¥à¤› समय के लिठबिना कहीं से किसी के आमंतà¥à¤°à¤£ मिले ही दूरसà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚, गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ व नगरों में जहां आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¤‚ या तो हैं नहीं और यदि हैं तो शिथिल हो चà¥à¤•à¥€ अथवा मृत पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हैं, जहां कोई विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ जाना नहीं चाहता, वहां पहà¥à¤‚च जाते थे। अपनी धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ जी को à¤à¥€ आप साथ ले जाते थे। ओमॠमà¥à¤¨à¤¿ जी और पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी à¤à¥€ इन यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में आपके साथी रहते थे। इस वरà¥à¤· के पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤§ में जब आप गये तो उसका समाचार परोपकारी पतà¥à¤° में पाठकों को पà¥à¤¨à¥‡ को मिला था जिसमें बहà¥à¤¤ उपयोगी जानकारियां थी। 2017 की पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ के विषय में à¤à¥€ आपने राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी से चलà¤à¤¾à¤· पर अजमेर में बैठकर योजना बनाने को कहा था। यातà¥à¤°à¤¾ में किस-किसको साथ ले जाना था, यह अà¤à¥€ तय होना था परनà¥à¤¤à¥ इससे पूरà¥à¤µ ही आप अपनी अनà¥à¤¤à¤¿à¤® यातà¥à¤°à¤¾ पर अकेले ही निकल गये।
डा. धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° जी 20 सितमà¥à¤¬à¤°, 2016 को जबलपà¥à¤° आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के 5 दिवसीय उतà¥à¤¸à¤µ के लिठअजमेर से निकले थे। आपकी धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ जी को à¤à¥€ साथ जाना था परनà¥à¤¤à¥ किसी कारण वह न जा सकीं। जबलपà¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पांच दिन का उतà¥à¤¸à¤µ पूरा किया और 25 सितमà¥à¤¬à¤° को दिलà¥à¤²à¥€ के निकट पिलखà¥à¤† आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के 7 दिवसीय उतà¥à¤¸à¤µ में पहà¥à¤‚च गये। यहां आपका सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ में बिगाड़ हà¥à¤† जिसकी गमà¥à¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ को न जानकर आप असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ होते हà¥à¤ तथा कषà¥à¤Ÿ à¤à¥‡à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ निरनà¥à¤¤à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते रहे। उतà¥à¤¸à¤µ के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® दिन तो वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¥€ न दे सके परनà¥à¤¤à¥ अपनी सेवा के लिठकिसी को कषà¥à¤Ÿ नहीं दिया। परिवार के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने रेल से अजमेर न जाकर गाड़ी à¤à¥‡à¤œà¤•à¤° उसमें आने के लिठकहा परनà¥
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