The Arya Samaj | Article : कबर पूजा

मरखता अथवा अंधविशवास ?

रोजाना के अखबारों में क खबर आम हो गयी हैं कि अजमेर सथित खवाजा मईन-उद-दीन चिशती अरथात गरीब नवाज़ की मजार पर बॉलीवड के मशहूर अभिनेता अभिनेतरियो अथवा करिकेट के खिलाड़ियो अथवा राज नेताओ का चादर चदाकर अपनी फिलम को सपर हिट करने की अथवा आने वाले मैच में जीत की अथवा आने वाले चनावो में जीत की दआ मांगना। भारत की नामी गिरामी हसतियों के दआ मांगने से साधारण जनमानस में क भेड़चाल सी आरंभ हो गयी हैं की उनके घर पर दआ मांगे से बरकत हो जागी, किसी की नौकरी लग जागी, किसी के यहा पर लड़का पैदा हो जायेगा, किसी का कारोबार नहीं चल रहा हो तो वह चल जायेगा, किसी का विवाह नहीं हो रहा हो तो वह हो जायेगा. कछ सवाल हमे अपने दिमाग पर जोर डालने को मजबूर कर रहे हैं जैसे की यह गरीब नवाज़ कौन थे? कहा से आये थे ?

 

इनहोने हिंदसतान में कया किया और इनकी कबर पर चादर चदाने से हमे सफलता कैसे परापत होती हैं? गरीब नवाज़ भारत में लूटपाट करने वाले, हिनदू मंदिरों का विधवंश करने वाले, भारत के अंतिम हिनदू राजा पृथवी राज चौहान को हराने वाले व जबरदसती धरम परिवरतन करने वाले महममद गौरी के साथ भारत में शांति का पैगाम लेकर आये थे। पहले वे दिलली के पास आकर रके फिर अजमेर जाते ह उनहोंने करीब ७०० हिनदओ को इसलाम में दीकषित किया और अजमेर में वे जिस सथान पर रके उस सथान पर ततकालीन हिनदू राजा पृथवी राज चौहान का राजय था। खवाजा के बारे में चमतकारों की अनेको कहानियां परसिदध हैं की जब राजा पृथवी राज के सैनिको ने खवाजा के वहां पर रकने का विरोध किया कयोंकि वह सथान राजय सेना के ऊटो को रखने का था तो पहले तो खवाजा ने मना कर दिया फिर करोधित होकर शाप दे दिया की जाओ तमहारा कोई भी ऊंट वापिस उठ नहीं सकेगा. जब राजा के करमचारियों नें देखा की वासतव में ऊंट उठ नहीं पा रहे हैं तो वे खवाजा से माफ़ी मांगने आये और फिर कहीं जाकर खवाजा ने ऊटो को दरसत कर दिया।

 

दूसरी कहानी अजमेर सथित आनासागर ील की हैं। खवाजा अपने खादिमो के साथ वहां पहंचे और उनहोंने क गाय को मारकर उसका कबाब बनाकर खाया.कछ खादिम पनसिला ील पर चले ग कछ आनासागर ील पर ही रह ग। उस समय दोनों ीलों के किनारे करीब १००० हिनदू मंदिर थे, हिनदू बराहमणों ने मसलमानों के वहां पर आने का विरोध किया और खवाजा से शिकायत करी।  खवाजा ने तब क खादिम को सराही भरकर पानी लाने को बोला। जैसे ही सराही को पानी में डाला तभी दोनों ीलों का सारा पानी सख गया। खवाजा फिर ील के पास ग और वहां सथित मूरति को सजीव कर उससे कलमा पढवाया और उसका नाम सादी रख दिया। खवाजा के इस चमतकार की सारे नगर में चरचा फैल गयी। पृथवीराज चौहान ने अपने परधान मंतरी जयपाल को खवाजा को काबू करने के लि भेजा। मंतरी जयपाल ने अपनी सारी कोशिश कर डाली पर असफल रहा और खवाजा नें उसकी सारी शकतिओ को खतम कर दिया। राजा पृथवीराज चौहान सहित सभी लोग खवाजा से कषमा मांगने आये। काफी लोगो नें इसलाम कबूल किया पर पृथवीराज चौहान ने इसलाम कबूलने इंकार कर दिया। तब खवाजा नें भविषयवाणी करी की पृथवी राज को जलद ही बंदी बना कर इसलामिक सेना के हवाले कर दिया जायेगा। निजामददीन औलिया जिसकी दरगाह दिलली में सथित हैं ने भी खवाजा का समरण करते ह कछ सा ही लिखा हैं. बदधिमान पाठकगन सवयं अंदाजा लगा सकते हैं की इस परकार के करिशमो को सनकर कोई मरख ही इन बातों पर विशवास ला सकता हैं। भारत में सथान सथान पर सथित कबरे उन मसलमानों की हैं जो भारत पर आकरमण करने आये थे और हमारे वीर हिनदू पूरवजो ने उनहें अपनी तलवारों से परलोक पंहचा दिया था. सी ही क कबर बहरीच गोरखपर के निकट सथित हैं. यह कबर गाज़ी मियां की हैं. गाज़ी मियां का असली नाम सालार गाज़ी मियां था वं उनका जनम अजमेर में हआ था.उनहें गाज़ी की उपाधि काफ़िर यानि गैर मसलमान को क़तल करने पर मिली थी। गाज़ी मियां के मामा महममद गजनी ने ही भारत पर आकरमण करके गजरात सथित परसिदध सोमनाथ मंदिर का विधवंश किया था।

 

कालांतर में गाज़ी मियां अपने मामा के यहा पर रहने के लि गजनी चला गया। कछ काल के बाद अपने वज़ीर के कहने पर गाज़ी मियां को महममद गजनी ने नाराज होकर देश से निकला दे दिया। उसे इसलामिक आकरमण का नाम देकर गाज़ी मियां ने भारत पर हमला कर दिया। हिनदू मंदिरों का विधवंश करते ह, हजारों हिनदओं का क़तल अथवा उनहें गलाम बनाते ह, नारी जाती पर अमानवीय कहर बरपाते ह गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारो तरफ अपनी फौजे भेजी। कौन कहता हैं की हिनदू राजा कभी मिलकर नहीं रहे? मानिकपर, बहरैच आदि के २४ हिनदू राजाओ ने राजा सोहेल देव पासी के नेतृतव में जून की भरी गरमी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और इसलामिक सेना का संहार कर दिया। राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खींच कर क तीर मारा जिससे की वह परलोक पहच गया। उसकी लाश को उठाकर क तालाब में फ़ेंक दिया गया. हिनदओं ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था बलकि अगले २०० सालों तक किसी भी मसलिम आकरमणकारी का भारत पर हमला करने का दससाहस नहीं हआ। कालांतर में फ़िरोज़ शाह तगलक ने अपनी मा के कहने पर बहरीच सथित सूरय कणड नामक तालाब को भरकर उस पर क दरगाह और कबर गाज़ी मियां के नाम से बनवा दी जिस पर हर जून के महीने में सालाना उरस लगने लगा। मेले में क कणड में कछ बेहरूपियें बैठ जाते हैं और कछ समय के बाद लाइलाज बिमारिओं को ठीक होने का ढोंग रचते हैं। परे मेले में चारों तरफ गाज़ी मियां के चमतकारों का शोर मच जाता हैं और उसकी जय-जयकार होने लग जाती हैं।

 

हजारों की संखया में मरख हिनदू औलाद की, दरसती की, नौकरी की, वयापार में लाभ की दआ गाज़ी मियां से मांगते हैं, शरबत बांटते हैं , चादर चदाते हैं और गाज़ी मियां की याद में कववाली गाते हैं। कछ सामानय से १० परशन हम पाठको से पूछना चाहेंगे।

१.कया क कबर जिसमे मरदे की लाश मिटटी में बदल चूकि हैं वो किसी की मनोकामना पूरी कर सकती हैं?

२. सभी कबर उन मसलमानों की हैं जो हमारे पूरवजो से लड़ते ह मारे ग थे, उनकी कबरों पर जाकर मननत मांगना कया उन वीर पूरवजो का अपमान नहीं हैं जिनहोंने अपने पराण धरम रकषा करते की बलि वेदी पर समरपित कर दियें थे?

३. कया हिनदओ के राम, कृषण अथवा ३३ करोड़ देवी देवता शकतिहीन हो चकें हैं जो मसलमानों की कबरों पर सर पटकने के लि जाना आवशयक हैं?

४. जब गीता में भगवान शरी कृषण ने कहा हैं की करम करने से ही सफलता परापत होती हैं तो मजारों में दआ मांगने से कया हासिल होगा?

५. भला किसी मसलिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा परताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो की समृति में कोई समारक आदि बनाकर उनहें पूजा जाता हैं तो भला हमारे ही देश पर आकरमण करने वालो की कबर पर हम कयों शीश काते हैं?

६. कया संसार में इससे बड़ी मरखता का परमाण आपको मिल सकता हैं?

७. हिनदू जाती कौन सी सी अधयातमिक परगति मसलमानों की कबरों की पूजा कर परापत कर रहीं हैं जो वेदों- उपनिषदों में कहीं नहीं गयीं हैं?

८. कबर पूजा को हिनदू मसलिम कता की मिसाल और सेकलरता की निशानी बताना हिनदओ को अधेरे में रखना नहीं तो कया हैं ?

९. इतिहास की पसतकों कें गौरी–गजनी का नाम तो आता हैं जिनहोंने हिनदओ को हरा दिया था पर मसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना कया हिनदओं की सदा पराजय हई थी सी मानसिकता को बनाना नहीं हैं?

१०. कया हिनदू फिर क बार २४ हिनदू राजाओ की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आये संकट जैसे की आंतकवाद, जबरन धरम परिवरतन, नकसलवाद, बंगलादेशी मसलमानों की घसपेठ आदि का मंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते?

आशा हैं इस लेख को प कर आपकी बदधि में कछ परकाश हआ होगा।अगर आप आरय राजा राम और कृषण जी महाराज की संतान हैं तो ततकाल इस मरखतापूरण अंधविशवास को छोड़ दे और अनय हिनदओ को भी इस बारे में परकाशित करें।  

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