आदि शंकराचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦
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Dr. Vivek AryaDate
02-May-2017Category
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HindiTotal Views
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02-May-2017Download PDF
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हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने बहà¥à¤¤ à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से न केवल समà¤à¤¾ अपितॠउस बीमारी का उपचाï¿
डॉ विवेक आरà¥à¤¯
आदि शंकराचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ हमारे देश के इतिहास की दो सबसे महान विà¤à¥‚ति है। दोनों ने अपने जीवन को धरà¥à¤® रकà¥à¤·à¤¾ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया था। दोनों का जनà¥à¤® à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ परिवार में हà¥à¤† था और दोनों ने जातिवाद के विरà¥à¤¦à¥à¤§ कारà¥à¤¯ किया। दोनों के बचपन का नाम शंकर और मूलशंकर था। दोनों को अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में वैरागà¥à¤¯ हà¥à¤† और दोनों ने सà¥à¤µà¤—ृह तà¥à¤¯à¤¾à¤— का देशाटन किया। दोनों ने धरà¥à¤® के नाम पर चल रहे आडमà¥à¤¬à¤° के विरà¥à¤¦à¥à¤§ संघरà¥à¤· किया। दोनों की कृतियां तà¥à¤°à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है। आदि शंकराचारà¥à¤¯ की तीन सबसे पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ कृतियां है उपनिषद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯, गीता à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¸à¥‚तà¥à¤°à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की तीन सबसे पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ कृतियां है सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¤¾à¤° विधि। दोनों की मृतà¥à¤¯à¥ à¤à¥€ असमय विष देने से हà¥à¤ˆ थी।
आदि शंकराचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦
1. आदि शंकराचारà¥à¤¯ का जिस काल में पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤† उस काल में उनका संघरà¥à¤· जैन à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤¦à¥à¤§ मतों से हà¥à¤† जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का संघरà¥à¤· रूà¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚डी हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के साथ साथ विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ à¤à¥€ हà¥à¤†à¥¤
2. आदि शंकराचारà¥à¤¯ का संघरà¥à¤· à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मतों से हà¥à¤† जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का संघरà¥à¤· देश के साथ साथ विदेश से आये हà¥à¤ इसà¥à¤²à¤¾à¤® और ईसाइयत से à¤à¥€ हà¥à¤†à¥¤
3. आदि शंकराचारà¥à¤¯ को मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से नासà¥à¤¤à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§ मत à¤à¤µà¤‚ जैन मत के वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की तरà¥à¤•à¤ªà¥‚रà¥à¤£ समीकà¥à¤·à¤¾ करने की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ मिली थी। जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को न केवल वेदों को महान आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के रूप में पà¥à¤¨: सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना था। अपितॠविदेशी मतों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों पर लगाठगठआकà¥à¤·à¥‡à¤ªà¥‹à¤‚ का à¤à¥€ निराकरण करना था। हमारे ही देश में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मत-मतानà¥à¤¤à¤° की धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ विकृत होकर वेदों के अनà¥à¤•à¥‚ल नहीं रही थी। उनका मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करना à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के लिठबड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ थी।
4. आदि शंकराचारà¥à¤¯ के काल में शतà¥à¤°à¥ को à¤à¥€ मान देने की वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ जीवित थी। जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का विरोध करने वाले न केवल सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ थे अपितॠविदेशी à¤à¥€ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का विरोध करने में कोई पीछे नहीं रहा। मगर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ à¤à¥€ बिना किसी सहयोग के केवल ईशà¥à¤µà¤° विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आधार पर सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§à¥‹à¤‚ का सामना करते हà¥à¤ आगे बà¥à¤¤à¥‡ रहे।
5. आदि शंकराचारà¥à¤¯ को केवल वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करना था जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ के साथ साथ विदेशी मतों की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° खंडन करना पड़ा।
6. आदि शंकराचारà¥à¤¯ के काल में धरà¥à¤®à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कà¥à¤› पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ अà¤à¥€ बाकि था। विदà¥à¤µà¤¤ लोग सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ à¤à¤µà¤‚ असतà¥à¤¯ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का पालन करते थे। जिसका मत विजयी होता था उसे सà¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते थे। पंडितों का मान था à¤à¤µà¤‚ राजा à¤à¥€ उनका मान करते थे। शंकराचारà¥à¤¯ ने उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के राजा सà¥à¤¨à¥à¤§à¤µà¤¾ से जैन मत के धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ का आयोजन करने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। राजा की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ था। जैन विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के साथ हà¥à¤ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में शंकराचारà¥à¤¯ विजयी हà¥à¤à¥¤ राजा के साथ जैन पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ ने वैदिक धरà¥à¤® को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के काल में यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ à¤à¥à¤²à¤¾à¤ˆ जा चà¥à¤•à¥€ थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने à¤à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ रूपी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ परिपाटी को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ करने के लिठपà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ किया। काशी में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा पर बनारस के सकल पंडितों के साथ काशी नरेश के सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ का आयोजन किया। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के विजय होने पर à¤à¥€ काशी नरेश ने उनका साथ नहीं दिया और पंडितों का साथ दिया। काशी नरेश और पंडितों के विरोध का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° सामना किया मगर सतà¥à¤¯ के पथ से विचलित नहीं हà¥à¤à¥¤ अडिग सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को केवल और केवल ईशà¥à¤µà¤° का साथ था।
7. आदि शंकराचारà¥à¤¯ के काल में वेदों का मान था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के काल में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो चूका था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को à¤à¤• ओर विदेशियों के समकà¥à¤· वेदों को उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ सिदà¥à¤§ करना था। दूसरी ओर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों के विषय में फैलाई जा रही à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियों का à¤à¥€ निराकरण करना था। वेदों को यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में पशà¥à¤¬à¤²à¤¿ का समरà¥à¤¥à¤¨ करने वाला, जादू-टोने का समरà¥à¤¥à¤¨ करने वाला,अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ का समरà¥à¤¥à¤¨ करने वाला बना दिया गया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के वेदों के नवीन à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ को करने का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियों का निवारण करना था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ उनके यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ और ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ को देखकर होते हैं। हमारे समाज को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के इस योगदान के लिठआà¤à¤¾à¤°à¥€ होना चाहिà¤à¥¤
8. आदि शंकराचारà¥à¤¯ के काल में पंडित लोग सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ थे। सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने के लिठअगà¥à¤°à¤¸à¤° रहते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के काल में पंडितों को सतà¥à¤¯ से अधिक आजीविका की चिंता थी। वेदों को सतà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आजीविका छीनने का à¤à¤¯ था, उनकी गà¥à¤°à¥à¤¡à¤® की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ बंद होने क à¤à¤¯ था, उनकी महंत की गदà¥à¤¦à¥€ छीनने का à¤à¤¯ था। इसलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को सहयोग देने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उनके महान कारà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° विरोध करना आरमà¥à¤ कर दिया। वैदिक धरà¥à¤® सतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित धरà¥à¤® है। सतà¥à¤¯ और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के शतà¥à¤°à¥ है। दयाननà¥à¤¦ के à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ करने वाले वचनों को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उनका पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° विरोध करना हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के लिठअहितकारी था। काश हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को ठीक वैसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया होता जैसा अदि शंकराचारà¥à¤¯ के काल में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया था। तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश का सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® यà¥à¤— आरमà¥à¤ हो जाता।
9. आदि शंकराचारà¥à¤¯ को विदेशी मतों के साथ संघरà¥à¤· करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं पड़ी। जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के तो अपनों के साथ साथ विदेशी à¤à¥€ बैरी थे। इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ताओं ने हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ को हिला दिया था। वीर शिवाजी और महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सरीखे वीरों से हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की कà¥à¤› काल तक रकà¥à¤·à¤¾ तो हो पायी। मगर आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की जो वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• हानि हà¥à¤ˆ उसे पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ करना अतà¥à¤¯à¤‚त कठिन था। रही सही कसर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने पूरी कर दी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमारे देश की आतà¥à¤®à¤¾ पर इतना कठोर आघात किया कि हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज अपने पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गौरव को à¤à¥‚लकर बैठा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को हमारे देशवासियों को अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ à¤à¤µà¤‚ इतिहास से परिचित करवाने के लिठअतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करना पड़ा। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ को जगाने के लिठà¤à¤µà¤‚ विदेशी मतों को तà¥à¤šà¥à¤› सिदà¥à¤§ करने के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की कमी से परिचित करवाना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• था। इसी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के 13 वें à¤à¤µà¤‚ 14 वें समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ की रचना की थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के इस पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ का मूलà¥à¤¯à¤¾à¤™à¥à¤•à¤¨ नहीं हो पाया। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ समसà¥à¤¤ हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज उनका आà¤à¤¾à¤°à¥€ होता।
हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने बहà¥à¤¤ à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से न केवल समà¤à¤¾ अपितॠउस बीमारी का उपचार à¤à¥€ वेद रूपी औषधि के रूप में खोज कर दिया। शंकराचारà¥à¤¯ के काल में हमारे देश में सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ राजा था जबकि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के काल में विदेशी राज था। आदि शंकराचारà¥à¤¯ से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कमतर नहीं था। इसके विपरीत सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को आदि शंकराचारà¥à¤¯ से अधिक विषम चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना करना पड़ा। हमें उनके आरà¥à¤¯ जाति के लिठकिये गठउपकार का आà¤à¤¾à¤°à¥€ होना चाहिà¤à¥¤ यही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सचà¥à¤šà¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि होगी।
मैं इस लेख को थियोसोफिकल सोसाइटी की संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ मैडम बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤Ÿà¥à¤¸à¥à¤•à¥€ के कथन से पूरà¥à¤£ करना चाहà¥à¤à¤—ा।
“इस कथन में कोई अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं होगी कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश ने आदि शंकराचारà¥à¤¯ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के समान संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ नहीं देखा, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• रोगों का चिकितà¥à¤¸à¤• नहीं देखा, असाधारण वकà¥à¤¤à¤¾ नहीं देखा और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤¸à¤¾ निराकरण करने वाला नहीं देखा। ”
(नोट- इस लेख का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ आदि शंकराचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के मधà¥à¤¯ तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करना नहीं है। दोनों हमारे लिठमहान à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। इस लेख का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ यह सिदà¥à¤§ करना है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को अधिक विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना करना पड़ा था।इस लेख के लेखन में बावा छजà¥à¤œà¥‚ सिंह कृत सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ चरितà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है।- लेखक)
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