मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन व चरितà¥à¤° उजà¥à¤œà¤µà¤² होना चाहिये
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Sep-2017Category
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06-Sep-2017Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन व चरितà¥à¤° उजà¥à¤œà¤µà¤² होना चाहिये परनà¥à¤¤à¥ आज à¤à¤¸à¤¾ देखने को नहीं मिल रहा है। जो जितना बड़ा होता है वह अधिक संदिगà¥à¤§ चरितà¥à¤° व जीवन वाला होता है। धरà¥à¤® हो या राजनीति, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° व अनà¥à¤¯ कारोबार, शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ व अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° चरितà¥à¤° में गड़बड़ होने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ बना रहता है। à¤à¤¸à¤¾ होना नहीं चाहिये। इसके अनेक कारण हो सकते हैं जिसमें मà¥à¤–à¥à¤¯ दो पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं। वेदों पर आधारित सामाजिक जीवन का न होना और हमारी दणà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का कमजोर या लचर होना। वेद कà¥à¤¯à¤¾ हैं? यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराकर संसà¥à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं। वेदों के आधार पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने à¤à¤• नियम दिया है कि ‘मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सामाजिक सरà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ नियम पालने में परतनà¥à¤¤à¥à¤° रहना चाहिये और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हितकारी नियम पालने में सब सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रहें।’ वेदों की सà¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥€ हैं कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ व धारण कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ इन शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चलकर अपने जीवन व चरितà¥à¤° को उजà¥à¤œà¤µà¤² बनाता है। इसके लिठउदाहरण चाहिये तो à¤à¤• नहीं अनेकों उदाहरण दिये जा सकते हैं जिनमें सबसे उपर मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम व योगेशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी का है। यह दोनों महापà¥à¤°à¥à¤· वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ व संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ थे और इनका चरितà¥à¤° संसार के आज तक हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में आदरà¥à¤¶ था। इसके बाद कà¥à¤› नया उदाहरण चाहिये तो हम सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी का दे सकते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ व ईशà¥à¤µà¤° के à¤à¤•à¥à¤¤ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जीवन में कà¤à¥€ कोई कà¥à¤šà¥‡à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ की हो, इसका वरà¥à¤£à¤¨ नहीं मिलता। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने देश का जो उपकार किया है वह अनà¥à¤¯ किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ व महापà¥à¤°à¥à¤· ने नहीं किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में शीरà¥à¤· सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हैं। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ पर बनà¥à¤¦ ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ किया। उनके बाद सदà¥à¤¯à¤ƒ कोई ऋषि नहीं हà¥à¤† और न à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है। वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में आजीवन अखणà¥à¤¡ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन करने वाले वीर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ और à¤à¥€à¤·à¥à¤® पितामह का à¤à¥€ विशà¥à¤µ के इतिहास में शीरà¥à¤· सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। इनमें से à¤à¤• के जीवन व चरितà¥à¤° को à¤à¥€ हम धारण कर लें तो हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं महापà¥à¤°à¥à¤· बन सकते हैं। आजकल शिकà¥à¤·à¤¾ के दोषों के कारण à¤à¥€ समाज में चारितà¥à¤°à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण व à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। इसे दूर करने का à¤à¤• ही उपाय है कि सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ को पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किया जाये और उसका पालन न करने वालों को तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ गति से कठोर दणà¥à¤¡ दिया जाये।
वेद का इतना महतà¥à¤µ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है? इसलिठकि यह किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ व महापà¥à¤°à¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होकर ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में परम पिता परमातà¥à¤®à¤¾ ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठउनके अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ में दिया था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ व जानकार थे। यही कारण था कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक परम पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ वेदों को ही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया व उसका तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वेद सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ हैं और अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेदानà¥à¤•à¥‚ल होने पर परतः पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में आते हैं। वेद मनà¥à¤·à¥à¤¯ को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने की शिकà¥à¤·à¤¾ देते हैं और इससे होने वाले शारीरिक व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• लाठà¤à¥€ बताते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में इसका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया गया है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ जीवन दीघारà¥à¤¯à¥ होने के साथ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, बलवान, यशसà¥à¤µà¥€, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, उनà¥à¤¨à¤¤ वा पà¥à¤°à¤—तिशील होता है जबकि इसके विपरीत जीवन अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥, रोगी व अपमानित जीवन होता है। आज समाज में इसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· किया जा सकता है। वेदों में इतना ही नहीं है अपितॠईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का वरà¥à¤£à¤¨ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिलता है। वेदों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से आतà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प व गà¥à¤£ à¤à¥€ वेदों में बताये गये हैं। कà¥à¤› मà¥à¤–à¥à¤¯ गà¥à¤£ हैं कि यह चेतन, सूकà¥à¤·à¥à¤®, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करने वाला, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, ससीम, अनादि, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, नितà¥à¤¯, अमर, अविनाशी, जनà¥à¤® व मरण धरà¥à¤®à¤¾ आदि से यà¥à¤•à¥à¤¤ है। वेद पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को जड़ व सूकà¥à¤·à¥à¤® बताते हैं और कहते हैं कि यह सà¥à¤¥à¥‚ल कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सूकà¥à¤·à¥à¤® सत, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाली पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का ही विकार है। वेदों में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का विधान और अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निषेध किया गया है। वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में वह शकà¥à¤¤à¤¿ व गà¥à¤£ है कि जिसे जानकर à¤à¤µà¤‚ धारण कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कर जीवनमà¥à¤•à¥à¤¤ होकर मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है जबकि यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ संसार के अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ व मतों की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होता। à¤à¤¸à¥€ अनेक विशेषतायें हैं जिनसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ पतन से बच सकता है। ं
वेदों के इस महतà¥à¤µ के कारण ही वैदिक धरà¥à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥€ राम, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, शà¥à¤°à¥€ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, शà¥à¤°à¥€ à¤à¥€à¤·à¥à¤®, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, अरà¥à¤œà¥à¤¨, विदà¥à¤°, चाणकà¥à¤¯, दयाननà¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, पं. लेखराम, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जैसे महापà¥à¤°à¥à¤· हà¥à¤ हैं। अनà¥à¤¯ मतों के लोगों को हम देखते हैं तो इनके समान जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व उचà¥à¤š जीवन व चरितà¥à¤° के महापà¥à¤°à¥à¤· हमें दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर नहीं होते। देश का यह दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ रहा कि यहां के सतà¥à¤¤à¤¾à¤¸à¥€à¤¨à¥‹à¤‚ ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के उजà¥à¤œà¤µà¤² चरितà¥à¤° को जनता के सामने नहीं आने दिया। इसका परिणाम ही आज का समाज है जहां à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, अनाचार, कदाचार व अनैतिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का होना आम बात हो गई है और कानून होने पर à¤à¥€ लोग इससे डरते नहीं हैं।
वैदिक धरà¥à¤® का à¤à¤• सà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ अकाटà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है ‘करà¥à¤®à¤«à¤² वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¥¤’ दूसरा ‘पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤®’ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है। करà¥à¤®à¤«à¤² वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का आधार हमारे शà¥à¤ व अशà¥à¤ अथवा पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® हैं। शà¥à¤ करà¥à¤® करेंगे तो सà¥à¤– मिलेगा और अशà¥à¤ करà¥à¤® करेंगे तो ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से करà¥à¤¤à¤¾ को दà¥à¤ƒà¤– मिलता है। इसी लिठहमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ व किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ को पशॠव पकà¥à¤·à¥€ आदि योनियों में जनà¥à¤® मिला है। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में आतà¥à¤®à¤¾ à¤à¤• समान है जो करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• योनि से दूसरी योनि में आती जाती रहती है और इस कारà¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤° व उसकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में जो दà¥à¤ƒà¤– आते हैं उनमें से अधिकांश का कारण हमारे अतीत के अशà¥à¤ करà¥à¤® ही होते हैं। आज à¤à¥€ कदाचार व मिथà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° के अरà¥à¤¨à¥à¤¤à¤¤ जो लोग जांच के दायरे में हैं व दणà¥à¤¡ à¤à¥‹à¤— रहे हैं उसका कारण उनके अतीत के बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® ही हैं। यही वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ की à¤à¥€ है।
अतः वेदों को जानकार व वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ में दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से दूर रहता है और ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾-सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, पितृयजà¥à¤ž, बलिवैशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µà¤¯à¤œà¥à¤ž, अतिथियजà¥à¤ž, गोरकà¥à¤·à¤¾ व परोपकार आदि शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प सà¥à¤–ों को पाता है। सà¤à¥€ मतों को अपना विलय व समावेश वैदिक धरà¥à¤® में कर देना चाहिये। कम से कम वैदिक धरà¥à¤® के करà¥à¤®à¤«à¤² सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® व विधायक अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤®à¥‹ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ वा ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व वायà¥à¤¶à¥‹à¤§à¤• यजà¥à¤ž आदि को तो अपना ही लेना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके वह पाप से दूर होंगे और उनका जीवन आदरà¥à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन बन सकेगा और वह पाप व अनाचार तथा चरितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण करने वाले करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से बच सकेंगे। हमने बहà¥à¤¤ संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं। वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से अननà¥à¤¤ लाठहोते हैं। नमूने के तौर पर हमने कà¥à¤› की ही चरà¥à¤šà¤¾ की है। इसी के साथ लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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