राममंदिर विधà¥à¤µà¤‚स à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸


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Dr. Vivek AryaDate
11-Dec-2017Category
लेखLanguage
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11-Dec-2017Download PDF
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राममंदिर विधà¥à¤µà¤‚स à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸
-अरà¥à¤£ लवानिया
आपको कà¥à¤› मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ और कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ यह चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ दिखेंगे कि अगर बाबर ने हिनà¥à¤¦à¥‚ मंदिर तोडा होता तो तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने लिखा होता। मगर इसका कोई पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ रामचरितमानस में नहीं मिलता। सतà¥à¤¯ यह है कि तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी ने बाबर के हाथों राममंदिर विधà¥à¤µà¤‚स का वरà¥à¤£à¤¨ लिखा था। यह वरà¥à¤£à¤¨ रामचरितमानस में नहीं अपितॠदोहा शतक में किया था। तà¥à¤²à¤¸à¥€ दास जी ने दोहा शतक 1590 मे लिखा था। इसके आठदोहे , 85 से 92, में मंदिर के तोड़े जाने का सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ वरà¥à¤£à¤¨ है। इसे रायबरेली के तालà¥à¤•à¤¦à¤¾à¤° राय बहादà¥à¤¥ बाबू सिंह जी 1944 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया।यह राम जंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤¸ से छपा। यह à¤à¤• ही बार छपा और इसकी à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जौनपà¥à¤° के शांदिखà¥à¤°à¥à¤¦ गांव में उपलबà¥à¤§ है।
इलाहाबाद उचà¥à¤š नयायालय में जब बहस शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤¯à¥€ तो शà¥à¤°à¥€ रामà¤à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जी को Indian Evidence Act के अंतरà¥à¤—त à¤à¤• expert witness के तौर पर बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ गया और इस सवाल का उतà¥à¤¤à¤° पूछा गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि यह सही है कि शà¥à¤°à¥€ रामचरित मानस में इस घटना का वरà¥à¤£à¤¨ नहीं है लेकिन तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी ने इसका वरà¥à¤£à¤¨ अपनी अनà¥à¤¯ कृति 'तà¥à¤²à¤¸à¥€ दोहा शतक' में किया है जो कि शà¥à¤°à¥€ रामचरित मानस से कम पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है।
अतः यह कहना गलत है कि तà¥à¤²à¤¸à¥€ दास जो कि बाबर के समकालीन à¤à¥€ थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वरà¥à¤£à¤¨ नहीं किया है और जहाठतक राम चरित मानस कि बात है उसमे तो कहीं à¤à¥€ मà¥à¥šà¤²à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ नहीं है इसका मतलब ये निकाला जाना गलत होगा कि तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ के समय में मà¥à¤—ल नहीं रहे।
गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने 'तà¥à¤²à¤¸à¥€ दोहा शतक' में इस बात का साफ उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया है कि किस तरह से राम मंदिर को तोड़ा गया
(1) राम जनम महि मंदरहिं, तोरि मसीत बनाय ।
जवहिं बहà¥à¤¤ हिनà¥à¤¦à¥‚ हते, तà¥à¤²à¤¸à¥€ किनà¥à¤¹à¥€ हाय ॥
जनà¥à¤®à¤à¥‚मि का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° नषà¥à¤Ÿ करके, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ बनाई । साथ ही तेज गति उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बहà¥à¤¤ से हिंदà¥à¤“ं की हतà¥à¤¯à¤¾ की । इसे सोचकर तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ शोकाकà¥à¤² हà¥à¤¯à¥‡ ।
(2) दलà¥à¤¯à¥‹ मीरबाकी अवध मनà¥à¤¦à¤¿à¤° रामसमाज ।
तà¥à¤²à¤¸à¥€ रोवत हà¥à¤°à¤¦à¤¯ हति हति तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿ तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿ रघà¥à¤°à¤¾à¤œ ॥
मीरबकी ने मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तथा रामसमाज (राम दरबार की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚) को नषà¥à¤Ÿ किया । राम से रकà¥à¤·à¤¾ की याचना करते हà¥à¤ विदिरà¥à¤£ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ तà¥à¤²à¤¸à¥€ रोये ।
(3) राम जनम मनà¥à¤¦à¤¿à¤° जहाठतसत अवध के बीच ।
तà¥à¤²à¤¸à¥€ रची मसीत तहठमीरबाकी खाल नीच ॥
तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी कहते हैं कि अयोधà¥à¤¯à¤¾ के मधà¥à¤¯ जहाठराममनà¥à¤¦à¤¿à¤° था वहाठनीच मीरबकी ने मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ बनाई ।
(4) रामायन घरि घट जà¤à¤¹, शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤¨ उपखान ।
तà¥à¤²à¤¸à¥€ जवन अजान तà¤à¤¹, कइयों कà¥à¤°à¤¾à¤¨ अज़ान ॥
शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी कहते है कि जहाठरामायण, शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿, वेद, पà¥à¤°à¤¾à¤£ से समà¥à¤¬à¤‚धित पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ होते थे, घणà¥à¤Ÿà¥‡, घड़ियाल बजते थे, वहाठअजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ यवनों की कà¥à¤°à¤†à¤¨ और अज़ान होने लगे।
(5) मनà¥à¤¤à¥à¤° उपनिषद बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤¨à¤¹à¥à¤ बहॠपà¥à¤°à¤¾à¤¨ इतिहास ।
जवन जराये रोष à¤à¤°à¤¿ करि तà¥à¤²à¤¸à¥€ परिहास ॥
शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी कहते हैं कि कà¥à¤°à¥‹à¤§ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ यवनों ने बहà¥à¤¤ सारे मनà¥à¤¤à¥à¤° (संहिता), उपनिषद, बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ (जो वेद के अंग होते हैं) तथा पà¥à¤°à¤¾à¤£ और इतिहास समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का उपहास करते हà¥à¤¯à¥‡ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जला दिया ।
(6) सिखा सूतà¥à¤° से हीन करि बल ते हिनà¥à¤¦à¥‚ लोग ।
à¤à¤®à¤°à¤¿ à¤à¤—ाये देश ते तà¥à¤²à¤¸à¥€ कठिन कà¥à¤œà¥‹à¤— ॥
शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी कहते हैं कि ताकत से हिंदà¥à¤“ं की शिखा (चोटी) और यगà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤µà¤¿à¤¤ से रहित करके उनको गृहविहीन कर अपने पैतृक देश से à¤à¤—ा दिया ।
(7) बाबर बरà¥à¤¬à¤° आइके कर लीनà¥à¤¹à¥‡ करवाल ।
हने पचारि पचारि जन जन तà¥à¤²à¤¸à¥€ काल कराल ॥
शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी कहते हैं कि हाà¤à¤¥ में तलवार लिये हà¥à¤¯à¥‡ बरà¥à¤¬à¤° बाबर आया और लोगों को ललकार ललकार कर हतà¥à¤¯à¤¾ की । यह समय अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€à¤·à¤£ था ।
(8) समà¥à¤¬à¤¤ सर वसॠबान नठगà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® ऋतॠअनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿ ।
तà¥à¤²à¤¸à¥€ अवधहिं जड़ जवन अनरथ किये अनखानि ॥
(इस दोहा में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€à¤¯ काल गणना में अंक दायें से बाईं ओर लिखे जाते थे, सर (शर) = 5, वसॠ= 8, बान (बाण) = 5, नठ= 1 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ विकà¥à¤°à¤® समà¥à¤µà¤¤ 1585 और विकà¥à¤°à¤® समà¥à¤µà¤¤ में से 57 वरà¥à¤· घटा देने से ईसà¥à¤µà¥€ सन 1528 आता है ।)
शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी कहते हैं कि समà¥à¤µà¤¤à¥ 1585 विकà¥à¤°à¤®à¥€ (सन 1528 ई) अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¤à¤ƒ गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•à¤¾à¤² में जड़ यवनों अवध में वरà¥à¤£à¤¨à¤¾à¤¤à¥€à¤¤ अनरà¥à¤¥ किये । (वरà¥à¤£à¤¨ न करने योगà¥à¤¯) ।
अब यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो गया कि गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी की इस रचना में जनà¥à¤®à¤à¥‚मि विधà¥à¤µà¤‚स का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ रूप से वरà¥à¤£à¤¨ किया किया है।
इतने सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ होने के बाद à¤à¥€ राममंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ न होने का केवल और केवल à¤à¤• ही कारण है। यह है हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में à¤à¤•à¤¤à¤¾ की कमी। हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज जिस दिन जातिवाद छोड़कर संगठित हो जायेगा। उस दिन राममंदिर के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की कोई ताकत हमें नहीं रो
Tulsi Doha satak kon so pustak me aata hai.kyu.n ki esa koi rachna tulsui me nahi ki
Tulsi Doha satak kon so pustak me aata hai.kyu.n ki esa koi rachna tulsui me nahi ki