पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤
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Naveen AryaDate
09-Jan-2018Category
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RajeevUpload Date
09-Jan-2018Download PDF
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पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤
वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ है, जो कि मूल रूप में हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का à¤à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ आधार सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ है।इसी सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के आशà¥à¤°à¤¯ से समाज में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾-वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ किये जाते हैं । समाज का à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा à¤à¤¾à¤— जैसे कि बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£-वरà¥à¤— अथवा सà¤à¥€ गृहसà¥à¤¥-लोग बड़े से बड़ा यजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥à¤·à¥à¤ ान करते हैं अथवा बड़े से बड़ा परोपकार का कारà¥à¤¯ करते हैं, इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ आधार यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ ही होता है । मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की समसà¥à¤¤ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, यदि इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° ही न किया जाये तो कदाचित संà¤à¤µ ही नहीं कि कोई सैनिक अपने परिवार के समसà¥à¤¤ सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ को छोड़ कर सीमा पर जाकर वरà¥à¤·à¤¾,गरà¥à¤®à¥€ व शीत आदि सब कà¥à¤› सहन करते हà¥à¤ बिना पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के अपने आप को मृतà¥à¤¯à¥ के हवाले करदे।‘पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¤¨à¥à¤¦à¥à¤¦à¤¿à¤¶à¥à¤¯à¤®à¤¨à¥à¤¦à¥‹à¤½à¤ªà¤¿ न पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¤à¥‡’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ बिना पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के तो मनà¥à¤¦ से मनà¥à¤¦ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ किसी कारà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ नहीं होता। आखिर बिना लाठके कोई à¤à¤²à¤¾ किसी कारà¥à¤¯ को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करे? नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¥€-‘येनपà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¤à¥‡ ततà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¥’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ उसी को ही कहते हैं कि जिससे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ किसी न किसी कारà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होते हैं। वही लाठही होता है जिसको लकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करके सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपना अपना वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° करते हैं, चाहे वह लाठअà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो,चाहे कà¥à¤› काल के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ या फिर मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ । चाहे कोई यजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥à¤·à¥à¤ ान करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ हो या परोपकारी हो अथवा कोई सैनिक हो, सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसी न किसी रूप में यह मानते ही हैं कि हमें इन सब करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल इसी जनà¥à¤® में à¤à¤²à¥‡ ही न मिले तो à¤à¥€ अगले जनà¥à¤® में तो अवशà¥à¤¯ मिल ही जायेगा।यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ही है जो हमें उतà¥à¤¤à¤® करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने में पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता है। परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ लोग हैं,मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ व विचारों से यà¥à¤•à¥à¤¤ लोग जो कि इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° ही नहीं करते। वे कहते हैं कि इस में कोई वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है, ये केवल à¤à¥à¤°à¤®, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, या मिथà¥à¤¯à¤¾ परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ मातà¥à¤° है ।
जब किसी à¤à¤• विषय में दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं तब हमारे मन में संशय उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है ‘संशयःउà¤à¤¯à¤•à¥‹à¤Ÿà¤¿à¤¸à¥à¤ªà¥ƒà¤—à¥à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥’, और ‘विमृशà¥à¤¯à¤ªà¤•à¥à¤·à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤•à¥à¤·à¤¾à¤à¥à¤¯à¤¾à¤®à¤°à¥à¤¥à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤°à¤£à¤‚ निरà¥à¤£à¤¯à¤ƒ’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ किसी विषय में संशय उठाकर पकà¥à¤· और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤•à¥à¤· पूरà¥à¤µà¤• विचार करकेसतà¥à¤¯ पकà¥à¤· का निशà¥à¤šà¤¯ करना ही निरà¥à¤£à¤¯ है, जिससे यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है।तो आइये इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ की सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के ऊपर कà¥à¤› विचार करते हैं और निरà¥à¤£à¤¯ पर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं कि यह पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® तथà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ होता à¤à¥€ है या नहीं ? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बिना पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ के किसी à¤à¥€ बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥à¤¤à¤¾ नहीं है अतः सबसे पहले हमें यह देखना है कि इस विषय में कौन सा पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ उपलबà¥à¤§ हो सकता है? पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·,अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ या शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ ? पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हम देखते हैं कि सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ केवल पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· वसà¥à¤¤à¥ के ऊपर ही विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते हैं और जो वसà¥à¤¤à¥ परोकà¥à¤· है या दिखाई नहीं देती à¤à¤¸à¥€ वसà¥à¤¤à¥ के विषय में या तो संशय यà¥à¤•à¥à¤¤ रहते हैं अथवा उसको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° ही नहीं करते परनà¥à¤¤à¥ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में अथवा ऋषियों में इससे विपरीत ही देखा जाता है। इसके विषय में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने कहा à¤à¥€ है कि ‘परोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ही वै देवाः पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दà¥à¤µà¤¿à¤·à¤ƒ’।पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के विषय में à¤à¥€ सामानà¥à¤¯ जन विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करते कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· का विषय नहीं है। और यदि कà¤à¥€-कà¤à¤¾à¤° à¤à¤¸à¥€ कोई घटना सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में आती है अथवा जब कोई यह दावा करता है कि मà¥à¤à¥‡ पिछले जनà¥à¤® का सà¥à¤®à¤°à¤£ है या मैं पिछले जनà¥à¤® में अमà¥à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के रूप में, अमà¥à¤• परिवार में,अमà¥à¤• गाà¤à¤µ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† था और ये सब मेरे सगे-समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ थे। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की बातों को सà¥à¤¨ कर कà¥à¤› लोग पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के ऊपर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ कर लेते हैं। परनà¥à¤¤à¥ यह सब विचारणीय अथवा परिकà¥à¤·à¤£à¥€à¤¯ है कि इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की घटनाओं में कितनी वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पिछले जनà¥à¤® के विषय में सà¥à¤®à¤°à¤£ होने और न होने में कà¥à¤› विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मत à¤à¥‡à¤¦ है।कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिसको सà¥à¤®à¤°à¤£ हो रहा है केवल उसी का ही पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® मानेंगे, जो कि कà¤à¥€-कà¤à¤¾à¤° ही कहीं अपवाद रूप में देखा जाता है तो फिर अधिकांश लोगों का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ इससे पूरà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ था या नहीं? यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ खड़ा हो जायेगा ।यदि केवल पूरà¥à¤µ कि सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के आधार पर ही पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे तो यह कोई सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤® सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ या नियम नहीं बन पता है । हम इस विषय को अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ के आधार पर विचार करेंगे अथवा इस विषय में शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं उनको उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करेंगे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ न हो तो वहां अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ या शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ का ही आशà¥à¤°à¤¯ लेना शà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥à¤•à¤° होगा।
पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को समà¤à¤¨à¥‡ से पहले पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होता कà¥à¤¯à¤¾ है इसको समठलें तो अचà¥à¤›à¤¾ रहेगा। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ का नठशरीर के साथ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हो जाना जनà¥à¤® कहलाता है और जीवातà¥à¤®à¤¾ का उस शरीर से वियोग हो जाना मृतà¥à¤¯à¥ कहलाती है ।मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ उस जीवातà¥à¤®à¤¾ का फिर से à¤à¤• नठशरीर के साथ संयोग हो जाना ही पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® है । इस पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में जीवातà¥à¤®à¤¾ तो वही à¤à¤• ही होता है परनà¥à¤¤à¥ यह दृशà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ शरीर बदलते रहता है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जनà¥à¤®-मरण के चकà¥à¤° से परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होता रहता है। तो पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को समà¤à¤¨à¥‡ से पहले जीवातà¥à¤®à¤¾ की नितà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को समà¤à¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है।
गीता में आतà¥à¤®à¤¾ की नितà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विषय में कहा है कि –नैनं छिनà¥à¤¦à¤¨à¥à¤¤à¤¿ शसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿ नैनं दहति पावकः।न चैनं कà¥à¤²à¥‡à¤¦à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥‹ न शोषयतिमारà¥à¤¤à¤ƒ(गीता 2.23)।इसका अरà¥à¤¥ है आतà¥à¤®à¤¾ नितà¥à¤¯ है, आतà¥à¤®à¤¾ को न किसी असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤° से काटा जा सकता है,न ही उसको अगà¥à¤¨à¤¿ जला सकती है,जल उसको न à¤à¤¿à¤—ो सकता है और न ही वायॠउसको सà¥à¤–ा सकती है।और à¤à¥€ कहा है कि –‘न जायते मà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¥‡ वा कदाचितॠनायं à¤à¥‚तà¥à¤µà¤¾ à¤à¤µà¤¿à¤¤à¤¾ वा न à¤à¥‚यः ।अजो नितà¥à¤¯à¤ƒ शाशà¥à¤µà¤¤à¥‹ यं पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹ न हनà¥à¤¯à¤¤à¥‡à¤¹à¤¨à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ शरीरे’।(गीता-2.20) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जीवातà¥à¤®à¤¾ न कà¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है और न कà¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ होता,à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ नहीं है कि कà¤à¥€ था ही नहीं और पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हो गया हो। वह अजनà¥à¤®à¤¾, नितà¥à¤¯, शाशà¥à¤µà¤¤ है और शरीर के नषà¥à¤Ÿ होने से à¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ नहीं होता ।इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° उपनिषदॠका à¤à¥€ वचन है कि ‘अजो हà¥à¤¯à¥‡à¤•à¥‹à¤œà¥à¤·à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤½à¤¨à¥à¤¶à¥‡à¤¤à¥‡’(शà¥à¤µà¥‡à¤¤à¤¾à¤¶à¥à¤µà¥‡à¤¤à¤°à¥‹à¤ªà¤¨à¤¿à¤·à¤¦ – 4-5),अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अनादि व नितà¥à¤¯ जीव इस अनादि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का à¤à¥‹à¤— करता है । इन पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से यही सिदà¥à¤§ होता है कि जीव नितà¥à¤¯ है और जनà¥à¤®-मरण के चकà¥à¤° से अनेक शरीरों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता रहता है।
आइये इस विषय को सबसे पहले हम à¤à¤• गà¥à¤°à¥-शिषà¥à¤¯ संवाद या पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं।
शिषà¥à¤¯- गà¥à¤°à¥ जी! यह पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होता है वा नहीं ? इसको किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समà¤à¥‡à¤‚ ?
गà¥à¤°à¥-यह आपने बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया। इसका उतà¥à¤¤à¤° जानने के लिठमेरे कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° दो ।
शिषà¥à¤¯- ठीक है गà¥à¤°à¥ जी, आप पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कीजिये ।
गà¥à¤°à¥- करà¥à¤® पहले और फल बाद में या फल पहले और करà¥à¤® बाद में, इन दोनों में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पकà¥à¤· कà¥à¤¯à¤¾ है ?
शिषà¥à¤¯- गà¥à¤°à¥ जी! नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तो यही है कि करà¥à¤® पहले और फल बाद में।
गà¥à¤°à¥- अब ये बताओ कि ये जो शरीर हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है,यह मà¥à¤«à¥à¤¤ में मिला है या कà¥à¤› करà¥à¤® का फल है ?
शिषà¥à¤¯- गà¥à¤°à¥ जी! ये तो करà¥à¤® का फल ही है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤«à¥à¤¤ में तो कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं मिलता।
गà¥à¤°à¥- यदि यह शरीर करà¥à¤® का फल है और करà¥à¤® पहले होना चाहिठतो वो करà¥à¤® आपने कब किया ?
शिषà¥à¤¯- गà¥à¤°à¥ जी! पिछले जनà¥à¤® में ।
गà¥à¤°à¥- देखिये आपने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया ना कि पिछले जनà¥à¤® में आपने करà¥à¤® किया और यह आपका वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤® है, तो हो गया न पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® ?
शिषà¥à¤¯- हाठगà¥à¤°à¥ जी! अब समठमें आ गया। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥ गà¥à¤°à¥ जी ।
हम इस संवाद से समठसकते हैं कि पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होता है ।
हम इस संसार में देखते हैं कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अलग अलग वातावरण, माता-पिता, या साधन-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ जनà¥à¤® गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤› बचà¥à¤šà¥‡ गरीब व निरà¥à¤§à¤¨ माता-पिता के घर, à¤à¥‹à¤ªà¥œ पटà¥à¤Ÿà¥€ व गनà¥à¤¦à¥‡ वातावरण में जनà¥à¤® लेते हैं जिनको कि अचà¥à¤›à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤°, शिकà¥à¤·à¤¾ और अनेक à¤à¤¸à¥‡ दैनिक वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के साधन à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ नहीं हो पाते, इसके विपरीत कà¥à¤› बचà¥à¤šà¥‡ उतà¥à¤¤à¤® व कà¥à¤²à¥€à¤¨ माता-पिता के यहाठजनà¥à¤® लेते हैं जो कि धन-समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से और सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उतà¥à¤¤à¤® साधन-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहते हैं। उनको उतà¥à¤¤à¤® से उतà¥à¤¤à¤® à¤à¥‹à¤œà¤¨ और वसà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं अचà¥à¤›à¥‡ से अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤•à¥‚ल-कॉलेजों में अचà¥à¤›à¥€ से अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है, जो कि उन गरीब बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कà¤à¥€ सपने में à¤à¥€ नसीब न हो।इस पृथक-पृथक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का कà¥à¤› न कà¥à¤› अवशà¥à¤¯ ही कारण होगा और उसका कारण है इनका करà¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सांखà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° ने à¤à¥€ इसका समाधान करते हà¥à¤ कहा है कि ‘करà¥à¤® वैचितà¥à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ वैचितà¥à¤°à¥à¤¯à¤®à¥’(सांखà¥à¤¯-6.41)अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ संसार में जो विविधता देखी जाती है,उसमें सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पृथकता ही कारण है। हम यह à¤à¥€ देखते हैं कि कà¥à¤› बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में बचपन से ही किसी किसी विषय में कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ विशेष रूचि, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ या आचमà¥à¤à¤¿à¤¤ करने वाले कà¥à¤› विशेष-वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हो जाते हैं जो कि वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤® में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने किसी से उससे समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ कोई विदà¥à¤¯à¤¾ या शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की नहीं होती और न ही कोई उनका अनà¥à¤à¤µ रहता है, फिर à¤à¥€ वो रूचि व योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ आयी कहाठसे? वो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हà¥à¤† कहाठसे? इसका कारण कà¥à¤¯à¤¾ है ?इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विचार करने पर हम यह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में विवश हो जाते हैं कि वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ निशà¥à¤šà¤¯ ही इससे पहले कà¤à¥€ इस विषय में योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया होगा।
इससे à¤à¥€ यह सिदà¥à¤§ हो जाता है कि उसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® हà¥à¤† है। हम यदि यह à¤à¥€ विचार करते हैं कि यह जो हमारा वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ का जीवन है यह तो पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दिख ही रहा है परनà¥à¤¤à¥ इससे पहले हम थे कहाठ?कà¥à¤¯à¤¾ इससे पहले à¤à¥€ कोई जीवन था या नहीं ? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¤¾à¤µ से तो किसी à¤à¤¾à¤µ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ हो ही नहीं सकती। मृतà¥à¤¯à¥ के उपरानà¥à¤¤ à¤à¥€ हमारी कà¥à¤¯à¤¾ गति होगी ?हम कहाठजायेंगे? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि किसी à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• पदारà¥à¤¥ का कà¤à¥€ विनाश होता ही नहीं। इससे à¤à¥€ यह सिदà¥à¤§ होता है कि हमारा यह पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® हà¥à¤† है और आगे à¤à¥€ जनà¥à¤® अवशà¥à¤¯ होगा।नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ‘पूरà¥à¤µà¤¾à¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¾à¤œà¥à¤œà¤¾à¤¤à¤¸à¥à¤¯ हरà¥à¤·à¤à¤¯à¤¶à¥‹à¤•à¤¸à¤®à¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¥‡à¤ƒ’।(नà¥à¤¯à¤¾à¤¯.- 3.1.18)जब हम किसी नवजात शिशॠको देखते हैं तो यह पाते हैं कि बिना किसी वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ कारण के वह शिशॠकà¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ है तो कà¤à¥€ अचानक à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ हो जाता है और कà¤à¥€ रोने लग जाता है। इसका अरà¥à¤¥ है कि वह अवशà¥à¤¯ ही किसी पिछली घटनाओं को सà¥à¤®à¤°à¤£ करता हà¥à¤† मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡,घबराने या रोने आदि कि कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कर रहा है। इससे à¤à¥€ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® कि ही सिदà¥à¤§à¤¿ होती है।ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही ‘पà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•à¥ƒà¤¤à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤¤à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾à¤¤à¥’।(नà¥à¤¯à¤¾à¤¯.- 3.1.21)यदि हम किसी गाय के नवजात बछड़े को देखते हैं, तो वह जनà¥à¤® लेते ही दूध पीने के लिठअपनी माठके सà¥à¤¤à¤¨ को ढूंढने लग जाता है अथवा किसी बतख के बचà¥à¤šà¥‡ को या कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ के पिलà¥à¤²à¥‡ को पानी में डाल दें तो वह तैरने लग जाता है। यह à¤à¥€ पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के संसà¥à¤•à¤¾à¤° और तदनà¥à¤°à¥‚प सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के कारण ही समà¥à¤à¤µ हो पाता है।
इस विषय में योगदरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि जी ने à¤à¥€ कहा है कि-‘जातिदेशकालवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤¨à¤¾à¤®à¤ªà¤¿ आननà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤‚ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¯à¥‹à¤ƒ à¤à¤•à¤°à¥à¤ªà¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¤à¥’(योग-4.9)अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯,पशà¥,पकà¥à¤·à¥€,वृकà¥à¤· आदि à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जातियों में वा योनियों में, à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ देशों में या सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में और à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ काल में करà¥à¤® फलों को à¤à¥‹à¤—ने के लिठजनà¥à¤® लेते रहता है। पहले जनà¥à¤® में संगà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ किये गठकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° उसके अनà¥à¤°à¥‚प योनि के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर बाद वाले जनà¥à¤® में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ हो जाते हैं और वह उस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करने लग जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ और संसà¥à¤•à¤¾à¤° की à¤à¤•à¤°à¥‚पता होने से।नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ गौतम जी ने à¤à¥€ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हà¥à¤ कहा है कि ‘पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¤à¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤ƒ पà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥à¤¯à¤à¤¾à¤µà¤ƒ’(नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-1.1.19) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर फिर से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाना पà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥à¤¯à¤à¤¾à¤µ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जीवातà¥à¤®à¤¾ का à¤à¤• शरीर को छोड़कर दà¥à¤¸à¤°à¥‡ शरीर को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाना ही पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® है।पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® की सिदà¥à¤§à¤¿ में इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° गीता में और à¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ उपलबà¥à¤§ हैं जैसे कि –वासांसि जीरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿ यथा विहाय नवानि गृहà¥à¤£à¤¾à¤¤à¤¿ नरोऽपराणि।तथा शरीराणि विहाय जीरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¿ संयाति नवानि देही।(गीता- 2.22) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीरà¥à¤£-शीरà¥à¤£ हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वसà¥à¤¤à¥à¤° को छोड़कर नये वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को धारण कर लेता है ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही जीवातà¥à¤®à¤¾ जीरà¥à¤£ हà¥à¤ शरीर को छोड़कर नये शरीर को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है।‘देहिनोऽसà¥à¤®à¤¿à¤¨à¥à¤¯à¤¥à¤¾ देहे कौमारं यौवनं जरा। तथा देहानà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤§à¥€à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¥à¤° न मà¥à¤¹à¥à¤¯à¤¤à¤¿’।(गीता- 2.13) जैसे हमारे शरीर में बालà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾,यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और बृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ आदि परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होते रहते हैं ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शरीर को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता रहता है।
सांखà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ कपिल मà¥à¤¨à¤¿ जी à¤à¥€ इसकी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ में कहते हैं कि ‘तदà¥à¤¬à¤¿à¤œà¤¾à¤¤à¥ संसृतिः’।(सांखà¥à¤¯.- 3.3)अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जीव का विविध योनियों में सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर के साथ संसरण होता है।‘आविवेकाचà¥à¤š पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥‡à¤·à¤¾à¤£à¤¾à¤®à¥’।(सांखà¥à¤¯.- 3.4) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जब तक विवेकज जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं हो जाता तब तक जीव शरीर परिवरà¥à¤¤à¤¨ करता रहता है। इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ योग दरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं आइये देखते हैं –‘सति मूले तदà¥à¤µà¤¿à¤ªà¤¾à¤•à¥‹ जातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤°à¥à¤à¥‹à¤—ाः’।(योग.- 2.13) करà¥à¤®à¤¾à¤¶à¤¯ के मूल में अविदà¥à¤¯à¤¾ के होने पर उसका जो फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है वह हमें जाति(मनà¥à¤·à¥à¤¯,पशà¥,पकà¥à¤·à¥€ आदि का शरीर), तदनà¥à¤°à¥‚प आयॠऔर à¤à¥‹à¤— के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।‘कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤®à¥‚ल करà¥à¤®à¤¾à¤¶à¤¯à¥‹ दृषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤œà¤¨à¥à¤®à¤µà¥‡à¤¦à¤¨à¥€à¤¯à¤ƒ’।(योग.- 2.12) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ यà¥à¤•à¥à¤¤ करà¥à¤®à¤¾à¤¶à¤¯ से हमें दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है, कà¥à¤› करà¥à¤®à¥‹ के फल इसी जनà¥à¤® में और कà¥à¤› करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल अगले जनà¥à¤® में मिलता है।योग दरà¥à¤¶à¤¨ के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने – ‘सà¥à¤µà¤°à¤¸à¤µà¤¾à¤¹à¥€ विदà¥à¤·à¥‹à¤½à¤ªà¤¿ तथारूढो अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶à¤ƒ’। (योग- 2.9)इस सूतà¥à¤° के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ कहा है कि–‘सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¨ इयमातà¥à¤®à¤¾à¤¶à¥€à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤¤à¤¿ मा न à¤à¥‚वं à¤à¥‚यासमिति। न चाननà¥à¤à¥‚तमरण धरà¥à¤®à¤•à¤¸à¥à¤¯ à¤à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¶à¥€à¤ƒà¥¤ à¤à¤¤à¤¯à¤¾ च पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¤¤à¥‡’। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ अपनी सतà¥à¤¤à¤¾ में सदा विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहना चाहते हैं,सà¤à¥€ कि यह इचà¥à¤›à¤¾ बनी रहती है कि मैं सदा बना रहूà¤, मेरी सतà¥à¤¤à¤¾ कà¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ हो जाये या मैं न होऊं, à¤à¤¸à¤¾ न हो।
मृतà¥à¤¯à¥ से à¤à¤¯ करने वाला न तो इस जनà¥à¤® में अपनी मृतà¥à¤¯à¥ का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· अनà¥à¤à¤µ किया है और न ही शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ आदि से जाना है और इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बिना मृतà¥à¤¯à¥ के अनà¥à¤à¤µ किये संà¤à¤µ à¤à¥€ नहीं है, इसीलिठइसमें पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का अनà¥à¤à¤µ ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ (सिदà¥à¤§) होता है। योग दरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° ने तो और à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर दिया कि –‘संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¸à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤°à¤£à¤¾à¤¤à¥ पूरà¥à¤µà¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥’(योग- 3.18)अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ संयम पूरà¥à¤µà¤• संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करने से पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो जाता है । निरà¥à¤•à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ यासà¥à¤• जी à¤à¥€ कहते हैं –‘मृतशà¥à¤šà¤¾à¤¹à¤‚ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¾à¤¤à¥‹ जातशà¥à¤šà¤¾à¤¹à¤‚ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤ƒ,नाना योनि सहसà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿ मयोषितानि यानि वै। अवाङà¥à¤®à¥à¤–ः पीडà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨à¥‹ जनà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤šà¥ˆà¤µ समनà¥à¤µà¤¿à¤¤à¤ƒ’।(निरà¥à¤•à¥à¤¤- 13.19)अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मैं मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°ï¿
यह अचà¥à¤›à¥€ जानकारी है। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦